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अंतरंग हमसफ़र
मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 21

मार्टिनी ग्लास में लड़की

डांस फ्लोर सामने एक बड़ी मेज थी और उसके के चारों ओर कई नीची मेजें थीं जिनके बीच में छोटे खुरदुरे क्रिस्टल गर्मजोशी से चमक रहे थे। कुशन पर घुटनों के बल झुकी हुई छोटी-छोटी चमचमाती फ़ैशनेबल पोशाकों में पुजारिने बैठी हुई थी जो उनकी त्वचा को पूरी तरह से ढकने की बजाये उत्तेजक तरीके से दिखा ज्यादा रही थी, सब पर सोने के हार्नेस की स्पष्ट चमक थी। और उनके बीच खुशमिजाज चर्चा हो रही थी और हंसी-मजाक चल रहा था।

बड़ी मेज पर एक बड़ा मार्टिनी ग्लास प्याला रखा गया और उसमे एक नर्तकी सवार ही गयी और उसके सर पर हल्के बैंगनी तरल दाल कर उसे नहलाया गया और बड़े मार्टिनी ग्लास में प्याले को भर दिया गया।



[Image: g0.jpg]

मैंने पूरे कमरे में देखा तो पाईथिया एक सबसे ऊँचे शाही मंच पर विराजमान थी। हमारी नजरें मिलने पर वह उठी और जैसे ही वह उठी अन्य सब पुजारिणो भी उठ खड़ी हुई जैसे कि यह एक संकेत था और हमारे बीच का रास्ता साफ हो गया और संगीत की ताल को छोड़कर बातचीत और पृष्ठभूमि का शोर हल्का पड़ गया। सभी की निगाहें मुझ पर टिकी हुई थीं, जब मैं कमरे के बीचोंबीच घुम कर पाईथिए की तरफ जा रहा था। अस' स्ट्रा ने मेरे हाथ पर एक चुंबन किया और बोली अगरआपको कुछ भी चाहिए हो तो आप मुझे बुला लेना " और फिर जब मैं पाईथिया के पास पहुँचा, फिर वह मेरे पास ही खड़ी हो गयी। फिर पाईथिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रेशम की छतरी के नीचे सम्मान के मंच पर ले गयी। नरम कुशन से घिरी एक नीची मेज पर मुझे आसन दिया और मेरा स्वागत करने के लिए मेरा हाथ अपनी छाती पर रखा और मुझे आराम से स्थान ग्रहण करने को कहा।

"क्या आपको नहाने में मज़ा आया, मास्टर?" पाईथिया ने मुस्कुराते हुए पूछा और मेरे साथ अपनी सीट पर बैठ गयी वह शिष्टता और शान के साथ मेरे पास बैठी थी। सनान को याद करते हुए मैं मुस्कुराया। "यह शानदार था।" पाईथिया मेरी प्रतिक्रिया से खुश लग रही थी।



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मैं उस शिखर से हर जगह दिखाई देने वाली जबरदस्त सुंदरता में खोया हुआ था। मैंने द्वार पर दो सुंदर युवा लड़कियों अलेना और कसान को ऊँची एड़ी की संडेले पहने खड़ी देखा जो मुझे क्लब से मंदिर ले कर आयी थी उन्हों ने झुक कर मेरा अभिवादन किया । आज उनकी, पाईथिया और उस काकक्ष में मौजूद सभी लड़कियों की सुंदरता अपने चरम पर थी । ऐसा लग रहा था कि सुंदरता की देवी ने बड़ी खूबसूरती से उन सब को खुद आज के लिए सजाया था, पाईथिया की चमकदार आंखें अंधेरे इंद्रधनुष और लंबी चमकदार पलकों से ढकी हुई थीं। उसने ऊँची एड़ी की संडेल पहनी हुई थी, उसने सोने के अलावा, प्राचीन चांदी और कृत्रिम फूलों के हाथ के नाजुक हार्नेस भी पहने हुए थे: कुछ पतले सोने की चैन उसकी पीठ को क्रॉस-क्रॉस कर रही थी और उसके स्तनों के बीच उठ कर उसके सुंदर सुनहरे हार से जुड़ी हुई थी। पाईथिया ने सोने की मालाओ का बना हुआ स्ट्रैपलेस बस्टियर और नीचे इस प्रकार पहना हुआ था कि उसके योनि प्रदेश को धक् रहा था। जो की असंभव रूप से तंग और उसकी बड़े आकार की हर पेशी और वक्र को प्रकट करते हुए सजावटी सोने के लंबे स्ट्रोक से सुशोभित था जो की उसके एक पैर और उसके धड़ पर बेल की तरह लिपटा हुआ था। उसके कंधो और गले को सोने और हीरे के रूपांकनों से सजाया गया था। उसके लंबे सुनहरे भूरे बालों को एक चिकने सोने के टियारा द्वारा सजाया गया थाऔर उस पर ने एक तारे के आकार में कटे हुए एकल नीलम को धारण किया हुआ था।

जल्द ही लड़कियों के बारे में मेरे विचार उनसे प्यार करने की कल्पना में बदल गए। मैं कल्पना कर सकता था कि लड़कियाँ मेरे लंड पर उछल-उछल कर ऊपर-नीचे हो रही हैं, लेकिन मेरे ख्यालो में भी उछलते हुए एलेन और सान बड़ी जोर से कराह रही थी।

इन विचारों का मुझ पर और मेरी पतलून पर अपेक्षित प्रभाव पड़ रहा था और मेरी पतलून में तम्बू बन गया थे। मैंने जल्दी से अपने कड़े लिंग को आजाद किया और हॉल की गर्म हवा में खुला छोड़ दिया और धीरे-धीरे अपने घुंडी की संवेदनशील त्वचा को सहलाना और छेड़ना शुरू कर दिया। जल्द ही, मेरे हाथ ने मेरे लिंग को पकड़ लिया और तेज गति से ऊपर नीचे किया। मेरे विचार में अब अस' स्ट्रा की तेज छवियाँ थे, कुछ मैंने जो देखा था उसकी यादें थीं, अन्य कल्पनाएँ थीं कि मैं क्या देखना और करना चाहता हूँ। मेरी आँखें बंद थीं और मैं बाकी दुनिया से पूरी तरह से बेखबर था इसलिए जब मैंने अपनी गेंदों को गर्म हाथ कप में महसूस किया तो यह मेरे लिए एक पूर्ण सदमा था।


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मेरी आँखें खुली और सदमे से चौड़ी हो गईं क्योंकि मैंने देखा कि अस' स्ट्रा फर्श पर बैठी हुई मेरे अंडकोष को सहला रही है।

उसने कहा, "आपको इसे स्वयं करने की ज़रूरत नहीं है," उसके चेहरे पर तेज मुस्कान थी, "मैंने कहा था कि अगर आपको कुछ चाहिए तो मुझे इशारा करना" और इसके साथ ही, वह नीचे झुक गई और उसकी जीभ ने मेरे लंड की नोक को गुदगुदी कर दी। जिससे मेरे शरीर में वासना की विद्युत धारा प्रवाहित हुई, मैं उछल पड़ा और उसने मेरे हाथों को हटा कर इसे अपने हाथों से बदल दिया और मेरे लिंग को सहलाने लगी।

उसकी जीभ मेरे लिंग की घुंडी पर नाच रही थी और मैं महसूस क्र रहा था कि मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी। उसने भी इसे भांप लिया और मेरे लंड को पकड़ लिया और अपने मुंह में जाम कर लिया और लयबद्ध रूप से जोर से चूसने लगी। मेरे हाथ उसके गहनों में कैद उसके स्तनों के पास गए और उस सामग्री के बीच में से धीरे से उनकी मालिश करना शुरू कर दिया। जैसे ही मैंने निप्पल पर सहलाया और अपनी उंगलियों से उसे फड़फड़ाया, मैंने उसकी कराह सुनी।

मेरे एक हाथ ने संयमित गहनों में एक रास्ता खोज लिया था और अब चिकने मांस पर अपना रास्ता बना रहा था और फिर जब मुझे उसका कड़ा निप्पल मिला तो मैंने उसे सहलाना और मोड़ना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे उसका ऑर्गेज्म करीब आया उसकी कराह बढ़ती गई-मैं भी हांफने लगा था और उसे पता था कि क्या हो रहा है। फिर जैसे ही कुछ तालिया बजी मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने आप को नियंत्रित करना है लेकिन उसने मेरे लिंग को अपने मुंह में बंद कर लिया था और वह लालच से थोड़ी देर तक चूसती रही और इस बीच मैंने अपने ऊपर अपना नियंत्रण वापस पा लियाऔर उसे रोका । "वह अद्भुत था!" मैंने कहा, मैं वास्तव में नहीं जानता कि मुझे क्या कहना चाहिए।

"यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपकी सेवा कर सकी।" उसने जवाब दिया, "मुझे आपका लंड अच्छा लगा ।" और इसके साथ ही उसने मेरे होठों पर किस किया और फिर अपनी ड्रेस को एडजस्ट करते हुए पीछे हट गई। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि अभी क्या हुआ था और मैं थोड़ा उलझन में था कि ऐसी परिस्थितियों में क्या करना चाहिए, लेकिन मैंने सोचा की ये कार्यवाही को सिर्फ उस पल के भटकाव ने के रूप में खारिज कर दिया। मैंने फिर से तालीयो की आवाज़ सुनी क्योंकि पाइथिया ने दावत शुरू करने की घोषणा की और मैंने जल्दी से अपने लंड को अपनी पतलून में वापस डाल दिया।

अब जब हम बैठे तो परिवेश का शोर फिर से बढ़ गया। मसालों और पके हुए व्यंजनों कीसुगंध हवा में बह रही थी, कुछ पुजारिने बैठने के क्षेत्र की परिधि में चली गयी और तभी बड़ी मेज पर एक बड़ा मार्टिनी ग्लास प्याला रखा गया और उसमे एक नर्तकी सवार ही गयी और उसके सर पर हल्के बैंगनी तरल दाल कर उसे नहलाया गया और बड़े मार्टिनी ग्लास में प्याले को भर दिया गया। मैंनृत्य देखने लगा जिसमे अब नर्तकियाँ अब एक दुसरे को चुम रही थी ।



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ऊँची एड़ी के जूते पर छोटी पोषक पहने एक सेवारत लड़की अमृत के दो प्याले उस बड़े प्याले में से भर कर हमारे पास ले कर ले आई और फिर वैसे ही प्याले हाल में मौजूद सब पुजारिणो के पास पहुँचे और सबने अपने गिलास को एक टोस्ट में उठाया और नए मदिर और नयो उच्च पुजारिन को बधाई देने के लिए पिया। मैंने उस पेय में शांत, ऊर्जावान शक्ति के प्रवाह का अनुभव किया और उसका आनंद लिया। पाईथिया ने भी अपने गले में उस तरल पदार्थ की अनुभूति का आनंद लिया, आराम किया और अपनी स्थिति को पुनः प्राप्त करने से पहले आनंद के साथ आहें भर दीं। "आपको भूख लगी होगी और प्यास भी लगी होगी।"



!!! क्रमशः !!!
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RE: अंतरंग हमसफ़र - by aamirhydkhan1 - 03-10-2022, 10:52 PM



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