03-10-2022, 12:48 PM
स्टोरी अपडेट ९
हम दोनों पसीने से लथपथ थे . जब आँख खुली तब देखा की हरीश अभी भी सोया था . मेरा सर उसके छाती पर था और एक हाथ उसके नाभि पर . मैं सोचने लग गयी - हरीश एक चैंपियन स्पोर्टमैन था . उसको खेलने में मजा आता और मुकाबले मैं अगर मजबूत प्रतिद्वंदी हो तो खेल का मजा और भी ज्यादा आता हैं . मुझे हरीश के लिए सेक्स में एक मजबूत खिलाडी बनना पड़ेगा, जिससे उसका मजा और रूचि टिकी रहे और बढ़ती रहे, मेरी चुत से अभी भी हरीश का वीर्य और मेरा पाणी का मिश्रण बहा रहा था .. बेडशीट पर बहुत बड़ा गीले पाणी का दाग पड़ गया था - जो चिपचिपा और सूखने लगा था. .
हरीश का लण्ड अब सो रहा था फिर भी ५-६ इंच लम्बा और मोटा था. अजीब बात थी की उसके लण्ड की चमड़ी (foreskin ) उसके सुपडे को पूरा ढक कर आगे आधा एक इंच ढीली निकल आती थी . मेरा हात उसके पेट पर से उसके लण्ड पर चला गया और मैं उसकी ढीली चमड़ी से खेलने लगी . मैं उसके लण्ड की चमड़ी को अपने उँगलियों मैं दबाती, घुमाती, मसल देती. उसके चमड़ी को आगे पीछे कर के उसके लण्ड के सुपडे को बहार निकलती और फिर से उसे ढक देती. कितनी मुलायम और लचीली चमड़ी दी.. उसके कठोर और कड़क लण्ड पर . यही चमड़ी उसके लण्ड का साथ देती जब वह चुत से रगड़ कर घिस जाती और सब से ज्यादा घिस कर यही चमड़ी उसके लण्ड को भी और मेरी चुत को भी सब से ज्यादा मजा देती . मैं बड़ी प्यार से उसके चमड़ी के सात खेल रही थी और देखते ही देखते हरीश का लण्ड फिर से तैयार हो कर पूरी सलामी ठोक रहा था . हरीश उठ गया था और मेरे बालों पर से हाथ फेर रहा था .. मेरा गजरा आधा बिखर गया था - कुछ फूल टूट गए थे , कुछ फूल मसल गए थे पर उसकी सुगंध और भी ज्यादा बढ़ गयी थी . हरीश उन मसले फूलों की खुश्बू ले रहा था और उनको अपने चहरे पर मसल रहा था .
हरीश बोलै - मेरी जान क्या कर रही हो , मैंने कहा - छोटे हरीश से खेल रही हु .. वह हंस कर पूछा - अच्छा राणी मुझे बता - तुझे मेरा लण्ड पसंद. मैंने कहा - हां बहुत पसंद हैं .. फिर हरीश ने कहा - बताओ तो - कोन ज्यादा पसंद हैं - मैं या यह छोटा हरीश .. मैंने भी उसको छेड़कर कहा दिया - मुझे तो छोटा हरीश सबसे ज्यादा पसंद है .. हरीश ख़ुशी से चहक उठा और मुझे चूमने लगा .. उसने मेरे दोनों बूब्स हातों में लिए .. रानी इतने प्यारे आम हैं..और वह उन्हें चूसने और चाटने लगा .. मेरे एक निप्पल्स को उसने मुँह मैं ले लिया और अपनी जीभ से रगड़ने लगा .. मेरे दोनों बूब्स को चाट चाट कर उसने अपनी थूक से पूरा गिला कर दिया ... फिर वह उठा .. मेरे छाती के दोनों बाजु अपने घुटने रख दिए ..उसने मेरे दोनों बूब्स एक सात पकड़ लिए और जोड़ दीये .. और दोनों बूब्स की दरार मैं अपने लोहे जैसे कड़क लण्ड को घुसेड़ कर मेरी बूब्स पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा . मेरे लिए यह बहुत नया था पर अच्छा लग रहा था . मेरे बूब्स पर लण्ड रगड़ने से मैं गरम हो रही थी .. और हरीश के लण्ड का टोपा मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था .. हरीश ने कहा - रानी मेरे लुंड के टोपे को अपने जीभ से चाटो . और मैंने अपनी जीभ बहार निकल दी .. जैसे हरीश आगे धक्के मरता वैसे मेरी जीभ उसके लुंड के सुपडे पर रगड़ जाती.. और जब वह पीछे होता .. उसका सूपड़ा मेरे बूब्स को रगड़ देता . हरीश बहुत उत्तेजित हो गया .. कहा - वाह राणी तेरे मम्मे एकदम मुलायम हैं .. माखन की तरह .. इनको फेट-फेट-कर पूरा घी निकल दू .. मैंने कहा - हाँ मेरे राजा - निकल दे घी ..पीला दे मुझे तेरा घी.. मैंने भी हरीश के गांड अपने दोनों हाथों से पकड़ राखी थी और उसके धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी .. तभी मैंने मेरा सर ऊपर उठाया और उसके लण्ड का टोपा मुँह मैं ले लिया - हरीश मदहोश हो गया - आह राणी .. क्या मस्त लण्ड चूसती हैं तू .. वह और जोर जोर से मेरे मम्मे अपने गरम लण्ड से रगड़ने लगा. मैं भी हर धक्के के सात उसके लण्ड को मुँह मैं ले लेती . हरीश बहुत देर तक मेरे मम्मे चोदते रहा .. मुझे अब एक अच्छे प्रतिद्वंदी के तरह अलग पैतरा आजमा कर उसको चरम सीमा तक ले जाना था .. नहीं तो खेल ख़तम नहीं होगा और वह ऐसे ही घंटो तक मेरी मम्मे को चोदते रहेगा . मैंने धीरे से अपने मम्मे पर से उसके हाथ हटा दीये और उसकी आंखों मैं नजरें मिला कर उसका मोटा लण्ड पूरा मुँह मैं ले लिया . हरीश को मेरा यह दाव अपेक्षित नहीं था .. मेरे गले मैं उसका लण्ड फास गया और मैं प्यार से उसको चूसने लगी .. वह ख़ुशी से आवेश मैं आकर अपना लण्ड पूरा बहार निकालता और फिर से अंदर मेरे गले तक घुसेड़ देता . अअअअअ आह .. कर के उसके लण्ड ने बड़ा झटका लगाया और कई झटकों के सात मेरे मुँह मैं एक के बाद एक अपने गाढ़े वीर्य का फंवारा छोड़ दिया .. मैं भी उसका गाढ़ा वीर्य चूसते रही..और गटक गयी .. मैंने उसके लण्ड को तब तक मुँह से बहार नहीं निकाला - जब तक आखरी बूँद नहीं पी ली .
हरीश ने अपना लण्ड मेरी मुँह से बहार निकाला और अब उसने पीछे हो कर मेरी टांगे फैला दी और..अपना मुँह मेरी चुत पर रख दिया . हरीश एक अच्छा खिलाडी था .. जानता था की उसको मुझे भी परस्त करना है .. मेरी चिकनी चुत को आजु बाजू सब तरह से चाट रहा था .. फिर उसने मेरे चुत के लिप्स पर अपने ओंठो के लिप्स रख दीये और पूरी चुत चूसने लगा .. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और मेरी चुत ख़ुशी के मारे गरम हो कर गीली हो रही थी .. फिर हरीश ने अपनी जीभ से मेरे दाणे को चाट कर मुँह मैं ले लिया .. मेरा दाणा भी फूलकर कड़क हो गया था .. हरीश बोलै - आह मेरी जान .. तेरी कोमल चुत पर यह दाणा किसी छोटे से एक सेंटीमीटर के लण्ड जैसे दिख रहा हैं ..ऐसे लग रहा मैं एक छोटूसा लण्ड चूस रहा हूँ - हरीश प्यार से मेरा कड़क मोटा दाना चूसने लगा .. मैं कसमसा गयी.. मेरी चुत मैं आग लग गयी थी .. मैंने कहा - हरीश प्लीज छोड़ दो .. पर वह और जोर से मेरे दाणे को चूसने लगा और अपने दोनों हातों से मेरी गांड दबाने लगा .अब उसकी उंगलिया मेरे गांड की छेद से खेल रही थी .. मेरे सब्र का बांध टूटने वाला था .. तभी हरीश ने मेरे दाणे को हलके से अपने दातों से चबा दिया .. और उसकी एक ऊँगली मेरी गांड मैं हलके से डाल दी.. मैं हाई .. आआह्ह आह्हः .. करके उसके सर को अपने चुत पर जोर से दबा दी और..मेरे चुत झड़ने से पाणी की गंगा बहने लगी .. हरीश वैसे ही मेरी चुत को चाट चाट कर सब पाणी पीते रहे .. वाह राणी ये तो स्वर्ग का अमृत हैं..इतना मीठा शहद .. मेरी चुत का सारा पाणी चाट कर वह मेरे बाजु लेट गया और मुझे अपनी बाँहों मैं कस कर पकड़ लिया .. हम एक दूसरे से लिपट गए और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे ..
अब शाम हो गयी थी .. हमें भोउक भी लगी थी और खाना भी खाना था .. हरीश ने पूछा - जानम खाने के सात थोड़ी बियर पियोगी .. थकान चली जाएगी .. मैंने कहा सिर्फ थोड़ी से मंगा लो - काल तुम्हारा खेल का कम्पटीशन भी हैं ..
हरीश ने फ़ोन पर ही खाना आर्डर किया और २ ठंडी बियर भी मंगवा ली ..हम बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के लिए नहाने लगे .बाथरूम बहुत छोटा था , मुश्किल से हम दोनों शावर के नीचे खड़े हो गए चिपक कर .. एक दूसरे को साबुन लगाने लगे .. हरीश ने कहा - राणी तुम्हारे गोरे शरीर पर तो मेरे दातों के और चूसने से बहुत लाल लाल निशान पड़ गए .. और वह मुझे एक - एक निशान दिखाने लगा .. जैसे की उसने अपना निशान मुझ पर लगा कर मुझे उसका बना दिया था. मेरी चुत भी लाल हो कर सूज गयी थी .. मैंने देखा की हरीश के गर्दन , छाती पर भी वैसे निशान थे .. और उसके पीठ और गांड पर मेरे नाख़ून के खरोंच थी..हम दोनों हंस दीये - बराबर की टक्कर वाले खिलाडी हैं .
हम बाथरूम से बहार आकार एक दूसरे को टॉवल से सुखाने लगे .. तभी दरवाजे पर बेल बजी .. मैं जल्दी से अपने कपडे लेने भागी .. तभी हरीश ने मुझे पेट से पकड़ लिया - नहीं राणी कपडे नहीं . मैं चौंक गयी .. हरीश प्लीज रूम सर्विस बॉय हमें नंगा नहीं देख सकता .. हरीश बोलै नहीं राणी -हम दोनों ने यह फैसला किया था की रूम मैं पूरा टाइम नंगा रहेंगे . अब हम हमारा फैंसला नहीं तोड़ सकते ..
मैं हरीश की तरफ देखने लगी .. वह बड़ी शरारती और कमीने अंदाज में मेरे दोनों हातों को अपने हातों मैं पकड़कर मुस्करा रहा था ..
दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ... क्या रूम सर्विस बॉय ने मुझे नंगा देखा ? बियर के सात हमारी रात कैसे कटी ? हरीश की स्पोर्ट्स कम्पीटीशन मैं क्या हुआ ? यह सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर रेटिंग्स भी जरूर दे ..
आपकी संध्या
हम दोनों पसीने से लथपथ थे . जब आँख खुली तब देखा की हरीश अभी भी सोया था . मेरा सर उसके छाती पर था और एक हाथ उसके नाभि पर . मैं सोचने लग गयी - हरीश एक चैंपियन स्पोर्टमैन था . उसको खेलने में मजा आता और मुकाबले मैं अगर मजबूत प्रतिद्वंदी हो तो खेल का मजा और भी ज्यादा आता हैं . मुझे हरीश के लिए सेक्स में एक मजबूत खिलाडी बनना पड़ेगा, जिससे उसका मजा और रूचि टिकी रहे और बढ़ती रहे, मेरी चुत से अभी भी हरीश का वीर्य और मेरा पाणी का मिश्रण बहा रहा था .. बेडशीट पर बहुत बड़ा गीले पाणी का दाग पड़ गया था - जो चिपचिपा और सूखने लगा था. .
हरीश का लण्ड अब सो रहा था फिर भी ५-६ इंच लम्बा और मोटा था. अजीब बात थी की उसके लण्ड की चमड़ी (foreskin ) उसके सुपडे को पूरा ढक कर आगे आधा एक इंच ढीली निकल आती थी . मेरा हात उसके पेट पर से उसके लण्ड पर चला गया और मैं उसकी ढीली चमड़ी से खेलने लगी . मैं उसके लण्ड की चमड़ी को अपने उँगलियों मैं दबाती, घुमाती, मसल देती. उसके चमड़ी को आगे पीछे कर के उसके लण्ड के सुपडे को बहार निकलती और फिर से उसे ढक देती. कितनी मुलायम और लचीली चमड़ी दी.. उसके कठोर और कड़क लण्ड पर . यही चमड़ी उसके लण्ड का साथ देती जब वह चुत से रगड़ कर घिस जाती और सब से ज्यादा घिस कर यही चमड़ी उसके लण्ड को भी और मेरी चुत को भी सब से ज्यादा मजा देती . मैं बड़ी प्यार से उसके चमड़ी के सात खेल रही थी और देखते ही देखते हरीश का लण्ड फिर से तैयार हो कर पूरी सलामी ठोक रहा था . हरीश उठ गया था और मेरे बालों पर से हाथ फेर रहा था .. मेरा गजरा आधा बिखर गया था - कुछ फूल टूट गए थे , कुछ फूल मसल गए थे पर उसकी सुगंध और भी ज्यादा बढ़ गयी थी . हरीश उन मसले फूलों की खुश्बू ले रहा था और उनको अपने चहरे पर मसल रहा था .
हरीश बोलै - मेरी जान क्या कर रही हो , मैंने कहा - छोटे हरीश से खेल रही हु .. वह हंस कर पूछा - अच्छा राणी मुझे बता - तुझे मेरा लण्ड पसंद. मैंने कहा - हां बहुत पसंद हैं .. फिर हरीश ने कहा - बताओ तो - कोन ज्यादा पसंद हैं - मैं या यह छोटा हरीश .. मैंने भी उसको छेड़कर कहा दिया - मुझे तो छोटा हरीश सबसे ज्यादा पसंद है .. हरीश ख़ुशी से चहक उठा और मुझे चूमने लगा .. उसने मेरे दोनों बूब्स हातों में लिए .. रानी इतने प्यारे आम हैं..और वह उन्हें चूसने और चाटने लगा .. मेरे एक निप्पल्स को उसने मुँह मैं ले लिया और अपनी जीभ से रगड़ने लगा .. मेरे दोनों बूब्स को चाट चाट कर उसने अपनी थूक से पूरा गिला कर दिया ... फिर वह उठा .. मेरे छाती के दोनों बाजु अपने घुटने रख दिए ..उसने मेरे दोनों बूब्स एक सात पकड़ लिए और जोड़ दीये .. और दोनों बूब्स की दरार मैं अपने लोहे जैसे कड़क लण्ड को घुसेड़ कर मेरी बूब्स पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा . मेरे लिए यह बहुत नया था पर अच्छा लग रहा था . मेरे बूब्स पर लण्ड रगड़ने से मैं गरम हो रही थी .. और हरीश के लण्ड का टोपा मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था .. हरीश ने कहा - रानी मेरे लुंड के टोपे को अपने जीभ से चाटो . और मैंने अपनी जीभ बहार निकल दी .. जैसे हरीश आगे धक्के मरता वैसे मेरी जीभ उसके लुंड के सुपडे पर रगड़ जाती.. और जब वह पीछे होता .. उसका सूपड़ा मेरे बूब्स को रगड़ देता . हरीश बहुत उत्तेजित हो गया .. कहा - वाह राणी तेरे मम्मे एकदम मुलायम हैं .. माखन की तरह .. इनको फेट-फेट-कर पूरा घी निकल दू .. मैंने कहा - हाँ मेरे राजा - निकल दे घी ..पीला दे मुझे तेरा घी.. मैंने भी हरीश के गांड अपने दोनों हाथों से पकड़ राखी थी और उसके धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी .. तभी मैंने मेरा सर ऊपर उठाया और उसके लण्ड का टोपा मुँह मैं ले लिया - हरीश मदहोश हो गया - आह राणी .. क्या मस्त लण्ड चूसती हैं तू .. वह और जोर जोर से मेरे मम्मे अपने गरम लण्ड से रगड़ने लगा. मैं भी हर धक्के के सात उसके लण्ड को मुँह मैं ले लेती . हरीश बहुत देर तक मेरे मम्मे चोदते रहा .. मुझे अब एक अच्छे प्रतिद्वंदी के तरह अलग पैतरा आजमा कर उसको चरम सीमा तक ले जाना था .. नहीं तो खेल ख़तम नहीं होगा और वह ऐसे ही घंटो तक मेरी मम्मे को चोदते रहेगा . मैंने धीरे से अपने मम्मे पर से उसके हाथ हटा दीये और उसकी आंखों मैं नजरें मिला कर उसका मोटा लण्ड पूरा मुँह मैं ले लिया . हरीश को मेरा यह दाव अपेक्षित नहीं था .. मेरे गले मैं उसका लण्ड फास गया और मैं प्यार से उसको चूसने लगी .. वह ख़ुशी से आवेश मैं आकर अपना लण्ड पूरा बहार निकालता और फिर से अंदर मेरे गले तक घुसेड़ देता . अअअअअ आह .. कर के उसके लण्ड ने बड़ा झटका लगाया और कई झटकों के सात मेरे मुँह मैं एक के बाद एक अपने गाढ़े वीर्य का फंवारा छोड़ दिया .. मैं भी उसका गाढ़ा वीर्य चूसते रही..और गटक गयी .. मैंने उसके लण्ड को तब तक मुँह से बहार नहीं निकाला - जब तक आखरी बूँद नहीं पी ली .
हरीश ने अपना लण्ड मेरी मुँह से बहार निकाला और अब उसने पीछे हो कर मेरी टांगे फैला दी और..अपना मुँह मेरी चुत पर रख दिया . हरीश एक अच्छा खिलाडी था .. जानता था की उसको मुझे भी परस्त करना है .. मेरी चिकनी चुत को आजु बाजू सब तरह से चाट रहा था .. फिर उसने मेरे चुत के लिप्स पर अपने ओंठो के लिप्स रख दीये और पूरी चुत चूसने लगा .. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और मेरी चुत ख़ुशी के मारे गरम हो कर गीली हो रही थी .. फिर हरीश ने अपनी जीभ से मेरे दाणे को चाट कर मुँह मैं ले लिया .. मेरा दाणा भी फूलकर कड़क हो गया था .. हरीश बोलै - आह मेरी जान .. तेरी कोमल चुत पर यह दाणा किसी छोटे से एक सेंटीमीटर के लण्ड जैसे दिख रहा हैं ..ऐसे लग रहा मैं एक छोटूसा लण्ड चूस रहा हूँ - हरीश प्यार से मेरा कड़क मोटा दाना चूसने लगा .. मैं कसमसा गयी.. मेरी चुत मैं आग लग गयी थी .. मैंने कहा - हरीश प्लीज छोड़ दो .. पर वह और जोर से मेरे दाणे को चूसने लगा और अपने दोनों हातों से मेरी गांड दबाने लगा .अब उसकी उंगलिया मेरे गांड की छेद से खेल रही थी .. मेरे सब्र का बांध टूटने वाला था .. तभी हरीश ने मेरे दाणे को हलके से अपने दातों से चबा दिया .. और उसकी एक ऊँगली मेरी गांड मैं हलके से डाल दी.. मैं हाई .. आआह्ह आह्हः .. करके उसके सर को अपने चुत पर जोर से दबा दी और..मेरे चुत झड़ने से पाणी की गंगा बहने लगी .. हरीश वैसे ही मेरी चुत को चाट चाट कर सब पाणी पीते रहे .. वाह राणी ये तो स्वर्ग का अमृत हैं..इतना मीठा शहद .. मेरी चुत का सारा पाणी चाट कर वह मेरे बाजु लेट गया और मुझे अपनी बाँहों मैं कस कर पकड़ लिया .. हम एक दूसरे से लिपट गए और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे ..
अब शाम हो गयी थी .. हमें भोउक भी लगी थी और खाना भी खाना था .. हरीश ने पूछा - जानम खाने के सात थोड़ी बियर पियोगी .. थकान चली जाएगी .. मैंने कहा सिर्फ थोड़ी से मंगा लो - काल तुम्हारा खेल का कम्पटीशन भी हैं ..
हरीश ने फ़ोन पर ही खाना आर्डर किया और २ ठंडी बियर भी मंगवा ली ..हम बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के लिए नहाने लगे .बाथरूम बहुत छोटा था , मुश्किल से हम दोनों शावर के नीचे खड़े हो गए चिपक कर .. एक दूसरे को साबुन लगाने लगे .. हरीश ने कहा - राणी तुम्हारे गोरे शरीर पर तो मेरे दातों के और चूसने से बहुत लाल लाल निशान पड़ गए .. और वह मुझे एक - एक निशान दिखाने लगा .. जैसे की उसने अपना निशान मुझ पर लगा कर मुझे उसका बना दिया था. मेरी चुत भी लाल हो कर सूज गयी थी .. मैंने देखा की हरीश के गर्दन , छाती पर भी वैसे निशान थे .. और उसके पीठ और गांड पर मेरे नाख़ून के खरोंच थी..हम दोनों हंस दीये - बराबर की टक्कर वाले खिलाडी हैं .
हम बाथरूम से बहार आकार एक दूसरे को टॉवल से सुखाने लगे .. तभी दरवाजे पर बेल बजी .. मैं जल्दी से अपने कपडे लेने भागी .. तभी हरीश ने मुझे पेट से पकड़ लिया - नहीं राणी कपडे नहीं . मैं चौंक गयी .. हरीश प्लीज रूम सर्विस बॉय हमें नंगा नहीं देख सकता .. हरीश बोलै नहीं राणी -हम दोनों ने यह फैसला किया था की रूम मैं पूरा टाइम नंगा रहेंगे . अब हम हमारा फैंसला नहीं तोड़ सकते ..
मैं हरीश की तरफ देखने लगी .. वह बड़ी शरारती और कमीने अंदाज में मेरे दोनों हातों को अपने हातों मैं पकड़कर मुस्करा रहा था ..
दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ... क्या रूम सर्विस बॉय ने मुझे नंगा देखा ? बियर के सात हमारी रात कैसे कटी ? हरीश की स्पोर्ट्स कम्पीटीशन मैं क्या हुआ ? यह सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर रेटिंग्स भी जरूर दे ..
आपकी संध्या