01-10-2022, 07:12 PM
(This post was last modified: 02-10-2022, 12:57 PM by luvnaked12. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
PART 5 अपडेट
मैं सोने की कोशिश कर रही थी पर विवेक की निकर की खुशबु मुझे बार बार उनके लण्ड की याद दिला रही थी. मैं फिर से गरम होने लगी .. मैंने एक लूज़ टी शर्ट पहना था और एक बहुत ही छोटी सी शॉर्ट्स .. मैंने दोनों निकाल के फेक दिए और अपने हातों से चूत सहलाने लगी .. शेव की वजह से मेरी चूत बहुत ही चिकनी और सेंसिटव हो गयी थी.. मुझे बहुत अच्छा फीलिंग आ रहा था .. मेरी चूत बहुत कोमल और नाजुक लग रही थी .. ऐसे भी विवेक ने चोद चोद कर उसको माखन जैसे मुलायम बना दिया था .. मैं प्यार से अपनी चूत को सहला रही थी और चरम सीमा पर थी तभी दरवाजे पर बेल रिंग हो गयी .. मैंने सोचा इतने रात को कौन आया होगा .. मैंने झट से टी शर्ट और शॉर्ट्स पेहेन ली और keyhole से देखा.. मुझे विवेक खड़े दिखाई दिया . मैंने झट से दरवाजा खोला और विवेक एक टूरिस्ट बैग लेकर जल्दी अंदर आ गया ताकि कोई सामने वाले फ्लैट्स के पडोसी न देख ले . मैं हैरान थी . विवेक टी शर्ट और जीन्स पहने था ..मुझे छोटी चड्डी मैं देखकर हवस भरी नज़रों से देख कर बोले .. ओह राणी तुम इस वेस्टर्न कपड़ों मैं गजब लग रही हो .. मैंने हंस कर पूछा .. क्या विवेक , अंजू आंटी ने घर से निकाल दिया क्या ? वह बोलै नहीं राणी..परसो सुबह तुम्हारे पेरेंट्स आ जायेंगे , हमें आज रात का ही मौका हैं , इसको हाथ से कैसे निकलने दे.. इसलिए मैंने अंजू से बहाना बनाया की मेरी कल सुबह पुणे अर्जेंट बिज़नेस मीटिंग हैं और आज रात को ही मुझे निकलना पड़ेगा, और मैं परसो सुबह तक आ जाऊंगा. विवेक की बात सुन कर मैं जोर से हसने लगी .. वाह क्या दिमाग पाया हैं .. विवेक ने कहा .. अंजू को मेरी ऐसी अर्जेंट मीटिंग की आदत हैं..पर तुम्हे अच्छा नहीं लगा तो मैं चला जाता हूँ. उसे मेरे हसने से गुस्सा आया था .. हरयाणवी मर्द था ..गुस्सा नाक पर होता हैं और लण्ड से बहार निकलता हैं.. हां हां हां
मै विवेक के एकदम पास गयी .. उसके गाल पर पप्पी दे दी और कहा ..तुम जाना चाहते हो तो जाओ .. वह और भी चिढ़ गया ..तुम मुझे ऐसे जाने को कहोगी तो कैसे जाऊंगा ..? मैं फिर से उस के बहुत पास गयी .. अब मेरे बूब्स विवेक की छाती पर चिपक रहे थे .. मैं उसे फिर से गाल पर पप्पी देने गयी.. पर इसबार वह सर घुमा लिए और उसके लिप्स मेरे लिप्स पर लिपट गये और वो जोर से चूस कर किस करने लगा . उसने मेरे ओंठ चूसने चालू किया और मुझे दूसरे हाथ से कस कर पकड़ के रखा ताकि मैं दूर न भाग सकू . अब मेरा वार उलट गया था और मुझ पर भारी पड़ रहा था .. उसने मेरे मुँह मैं जीभ डाल दी और मेरी चूत कसमसा गयी और गिल्ली होने लगी.. मैं भी उसके लिप्स को चूसने लगी और तभी उसने मुझे दूर हलके से धकेल दिए और बोला बताओ तो राणी अब सच मे चला जाऊ मैं? मेरी चूत गरम हो गयी थी और गंगा बहा रही थी.. मैं फिर बहुत धैर्य जोड़ कर बोली .. हाँ जाओ ना.. आपकी मर्जी .. विवेक मुझे पैनी नजर से घूर रहा था और नटखट अंदाज मैं मुस्करा रहा था . अब वह मुझ पर वार कर रहा था .. विवेक मेरे बहुत करीब आया .. उन्होंने अपनी जीन्स की बटन खोल दी और ...जीन्स पूरी नीचे गिरा दी .. अब वह घुटने तक पूरा नंगा था .. उसका लण्ड फूलकर नाग जैसे फुफकार मर रहा था .. और लण्ड के लाल टोपे पर शहद का बूँद चमक रहा था .. वह मेरे एकदम करीब आया और मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया . उसका लुंड बहुत गरम था और फनफना रहा था .. मुझे शहद की बूँद गुलाम बना चुकी थी .. भूकी नजरों से मैं उसके लण्ड को देख रही थी .. और विवेक बड़ी गौर से मेरी आँखों मैं देख रहा था .. उसकी पैनी नजर मुझे बेबस कर रही थी .. मैं उसके कदमो पर बैठ गयी और उसका लण्ड पकड़ कर बूँद चखने जीभ बहार निकाल दी .. और तभी वह मेरे हाथों से अपना लण्ड छुड़ाकर पीछे हट गया .. बोला .. अब बोलो राणी सच मे चला जाऊ मैं ? मैंने कहा नहीं मेरे राजा मैं तो मजाक कर रही थी. उसने कहा नहीं तू झूटी हैं , मैं तो जाऊंगा ..तुम्हे मुझे रोकने के लिए मिन्नतें करनी पड़ेगी .. मैंने कहा प्लीज जानू मत जावो .. रुक जाओ .. ववेक ने कहा - क्यों रुखु , तू मेरी कोण हैं बता ? मैंने कहा विवेक जानू मैं तुम्हारी रंडी हूँ .. प्लीज मत जाओ , मुझे तुम्हारा लुंड चूसने दो ,, वह खुश हो गया .. ठीक हैं राणी .. पहले शर्त कम्पलीट करो .. दोनों पूरा नंगा हो जाते हैं ..
पूरा नंगा होकर विवेक सोफे पर बैठ गया और बोला .. आओ मेरी रंडी .. मेरी जंघा पर बैठ जाओ .. विवेक का लुंड पूरा आसमानी सलामी दे रहा था .. मैं प्यार से उसके गोदी मैं उसके जांघों पर बैठ गयी ..
दोस्तों तभी मुझे महाभारत की कहानी याद आयी .. आज पहली बार कहानी कि प्रमुख घटना समाज मैं आयी थी . दुर्योधन ने भी द्रौपदी से कहा था .. आओ तुम्हे राणी बनाऊंगा और अपनी धोती खोल कर ..आओ मेरी जंघा पर बैठ जाओ कहा था .. इसपर मेरा निष्कर्ष नीचे लिखा हैं.. आप जरूर बताये की आप को क्या सही लगता हैं ..
१. दुर्योधन अपनी धोती खोल कर अपना मोटा तगड़ा लण्ड द्रौपदी को दिखा कर उसे अपने लण्ड पर बिठाना चाहता था
२. उस समय के लेखक संस्कारी थे इसलिए लण्ड की बजाये दुर्योधन ने द्रौपदी को जंघा पर बैठने कहा - ऐसे लिखा
३. दुर्योधन जंघा पर बिठा कर द्रौपदी को चोदना चाहता था .. भरी राज महफ़िल मैं
४ दुर्योधन सेक्स मैं एक्सपर्ट था , भारी राजसभा मैं अपने बाप, दादा, सैनिक, भाई, माँ, सब के सामने वाह द्रौपदी को अपने लण्ड पर बैठने ककि न्योता देता हैं, उसका कॉन्फिडेंस देखो / इतना कॉन्फिडेंस किस्मे देखा हैं?
५. द्रौपदी दुर्योधन के लुंड पर बैठ कर ज्यादा सुखी होती , वह रोज उसे मनसोक्त चोदता
६. दुर्योधन की जंघा पर ना बैठकर द्रौपदी ने अपना नुकसान करवा लिया , ५ पांडवों से भी अच्छा वह द्रौपदी की चूत को चोद चोद कर माखन बना देता
७. दुर्योधन ने कहा था - मेरे लण्ड पर बैठो , तुम्हे अपनी रंडी बनाऊगा , पुराणे संस्कारी लेखकों ने - लण्ड को जंघा ओर रंडी को राणी लिख दिया
आप अपना जवाब जरूर भेजे .. खैर अभी तो मैं विवेक की जांघों पर बैठने के लिए तरस रही थी .. मैं बड़े प्यार से अपनी गांड मटका मटका के विवेक के पास गयी और उनके जांघों पर बैठ गयी ..
विवेक ने कहा राणी तेरे लिए सरप्राइज हैं और उसने अपनी बैग मैं से एक अच्छी ब्रांडेड मेहेंगी वाली वाइन बोतल निकाल ली और कुछ खाने का चकना भी .. वाह विवेक तुम तो पूरी तैयारी से आये हो .. तुम्हे पता हैं अल्कोहल से मैं कण्ट्रोल मैं नहीं रहती . विवेक ने कहा राणी किसने कहा कण्ट्रोल करो अब हम दोनों मैं कोई सीक्रेट नहीं हैं ..बात सही थी .. मैंने एक गिलास लाया और एक प्लेट ..
हम दोनों एक ही गिलास मैं वाइन पी रहे थे ..एक दूसरे के मुँह से वाइन पी रहे थे .. और मैं पूरी नंगी विवेक की जंघा पर बैठी थी . मुझे अब हल्का महसूस हो रहा था और हम बहुत चुम्मा चाटी कर रहे थे मैं विवेक के मुँह को चूसकर वाइन पीती और ववेक मेरी मुँह से वाइन पीता. मैं अब गरम हो रही थी और मेरी चूत से पाणी बह रहा था . विवेक ने कहा देखो राणी तुम्हारे चूत के पाणी से मेरी जंघा पूरी गिल्ली हो गयी .. सच मैं उसकी जंघा पूरी चिपचिपी हो गयी थी .. तभी मुझे बड़ी जोर से पेशाब (सुसु) लगी और मैं उठने लगी. विवेक ने कहा इतने जल्दी कहा जारी हैं जान अभी तो रात बाकी हैं , मैंने कहा मुझे सुसु करनी हैं .. उसने कहा बाद मैं कर लेना जब बहुत ज्यादा प्रेशर हो जाये.. मैंने पूछा ऐसे क्यों..उसने कहा मुझ पर भरोसा नहीं ? मैं फिर से उसकी गोदी मैं बैठ गयी और हम दोनों फिर से वाइन पिने लगे .. विवेक ने कहा जानू देखो .. मेरा लण्ड कितना फुदक रहा, इसको प्यार करो ना .. मैं नीचे बैठ गयी और विवेक के लुंड को चूसने लगी और उसके बड़े टट्टे चाटने लगी . विवेक ने धीरे से वाइन गिलास से छोटी सी वाइन की धार अपने लण्ड पर डाली और कहा. राणी देखो सब वाइन पे लेना ..गिरने मत दो .. मैं विवेक के लुंड और टट्टे पर गिरा सारा वाइन चाट चाट कर पीने लगी .. बहुत मजा आ रहा था .. अलग स्वाद और नशा हो रहा था .. आह राणी क्या बढ़िया रंडी की तरह चाट रही हो..और वह मुझे वाइन पिलाता गया और मैं उसके लुंड को चाट चाट कर वाइन पी जाती . फिर उसने कहा यहाँ ऊपर सोफे पर आ जाओ और लेट जाओ.. विवेक ने धीरे से अब वाइन मेरे बूब्स पर डाली और मेरे निप्पल्स भी चूसना चालू कर दिया .. हाई मैं मर जाती .. मेरे निप्पल्स कितने सेंसिटिव हैं आपको पता हैं .. बहुत देर तक विवेक मेरे निप्पल्स वाइन डाल कर चूसता रहा और मेरी चूत का बम धड़ाम से फट गया और पानी का झरना बहने लगा .. ओह माँ .. करके मैं छटपटाने लगी .. और विवेक का सर पकड़ कर मेरी चूत पर रगड़ दिया .. जब मैं थोड़ी शांत हुई, चैन की सांस आयी..पर विवेक रुकने वाला नहीं था .. उसने आप वाइन मेरी चूत पर डाल कर चूत चाटने लगा .. मेरी चूत का दाना फूल कर आधे इंच का हो गया था .. विवेक उसे चूसता , चबाता , कभी हलके से काटता .. और मेरी चूत मैं फिर से तूफ़ान आने लगा .. विवेक मेरी चूत का सारा पानी वाइन के सात चाट कर पी गया .. अब मेरी चूत का दाना उसकी वार का शिकार था .. वह मेरे दाने को अपनी जीभ से , दातों से मसल रहा था .. मेरे अंदर का तूफान बढ़ रहा था , मैंने फिर से विवेक का सर दबा दिया और .. हाई माँ मर गयी मैं .. करके फिर से मेरा झरना उसके मुँह मैं बहा दिया .. वोह राणी क्या मीठा शहद पीला रही हो .. १० मिनट मैं दो बार झड़ गयी .. जैसे थोड़ शांत हुई.मुझे बड़ी जोर से सुसु लगी .. मैं खड़ी हो गयी पर विवेक ने पकड़ लिए..क्या हुआ जानू .. मैंने कहा विवेक अब कण्ट्रोल नहीं होता .. मुझे जाने दो नहीं तो मैं यही सुसु कर दूंगी .. उसने भी हरयाणवी मर्दानी अंदाज मेंकहा तो फिर कर दो यही पर सुसु ..क्या दिक्कत हैं. मैंने कहा प्लीज जाने दो तुम जो कहोगे करुँगी .. विवेक ने कहा ऐसा हैं..पक्का ..तो आओ मेरे सात बाथरूम मैं . मैं समज नहीं पा रही थी की विवेक की मन मैं क्या चल रहा हैं और सुसु का प्रेशर मुझे कुछ सोचने नहीं दे रहा था . बाथरूम जाकर विवेक बाथरूम की फ्लोर पर पीठ के बल सो गया और कहा जानू जल्दी इधर आओ और मेरे लुंड के ऊपर तुम्हारी चूत रख दो .. मैंने अपने दोनों पैर विवेक की कमर की बाजु मैं रख दी और उसकी लण्ड के ऊपर चूत रख दी .. उसके लण्ड का लाल टोपा अब मेरी चूत को छू रहा था .. और उसने कहा राणी अब करो सुसु . मेरे से बिलकुल कण्ट्रोल नहीं हो रहा था और एक जोर की धार से मेरी सुसु बहार निकाल गयी और विवेक के लण्ड को नहलाने लगी .. विवेक - वाह राणी .. तेरी गरम सुसु ने मेरे लण्ड को पत्थर जैसे फौलादी बना दिया . विवेक अपने लण्ड को मेरी सुसु मैं हिलाने लगा .. मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी पर मुझे एकदम नया लग रहा था और अच्छा भी .. बहुत देर तक मैं अपनी सुसु की धार विवेक के लण्ड और टट्टे पर डाल रही थी .. विवेक फटी आँखों से मेरी चूत से बहती सुसु की धार को देख रहा था .. मेरी सुसु मैं उसका लुंड, टट्टे, गांड, कमर, पेट सब भीग रहा था .. मेरी धार अब कम हो रही थी पर विवेक की नजरें मेरी सुसु और चूत पर थी .. मैं खुश हो गयी की सुसु अब ख़तम हो गयी .. पर विवेक ने अब तक मेरी गांड अपने हाथों पकड़ ली और जैसे मेरी सुसु बंद हुई उसने एक झटके मैं मेरी गांड नीचे कर के अपना फौलादी लण्ड मेरी चूत मैं घुसा दिया . मुझे यह एक्सपेक्टेड नहीं था . मैं ूई माँ कर के चीला उठी .. दर्द की एक जबरदस्त चीख से .. मेरी सुसु से चिप - चिपाया विवेक का लण्ड पूरा अंदर मेरी चूत मैं घुस गया था .
ओह मेरी राणी, तेरी चूत एकदम अंगार की भट्टी हैं.. अब तू धीरे धीरे ऊपर नीचे उछाल .. बोल के विवेक ने फिर मेरी गांड अपने दोनों हातों से नीचे से पकड़ ली और मुझे धीरे धीरे ऊपर नीचे करना लगा .. मुझे अब मजा आने लगा था .. मैं अपने मन मर्जी से ऊपर नीचे होती और विवेक के लण्ड से अपनी चूत कुटती. मुझे पता चल गया की विवेक अब मेरी कण्ट्रोल मैं हैं.. उसका रिमोट अब मेरी हातों मैं हैं.
मैं गांड उछाल उछाल कर विवेक के लण्ड पर फुदक रही थी .. हम दोनों इतने गरम हो गये की बहुत जल्दी झड़ गये .. और विवेक ने सारा पाणी मेरी चूत के अंदर चोद दिया . मैं थक कर विवेक के ऊपर गिर गयी .. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे .. विवेक ने धीरे से मेरे कान मैं कहा .. राणी मजा आ गया ना .. मैंने कहा हां जानू बहुत मजा आ गया .. विवेक ने कहा राणी अब सुसु .. मुझे भी जोर से आ रही हैं .. बोलो क्या करू .. मैंने कहा तुम भी मेरी चूत पर सुसु कर दो .. हम अलग हुए .. मैं नीचे बैठ गयी .. विवेक खड़े हो कर सुसु की धार मेरी चूत पर गिराने लगा .. उसकी गरम सुसु की धार से मेरी चूत फिर से गरम हो गयी .. उसने कुछ सुसु की धार मेरे पेट और बूब्स पर भी डाल दी .. मैंने भी गरम होकर उसके सुसु से मेरे बूब्स और चूत कि मसाज कर दिया . हम दोनों बहुत खुश थे ,, विवेक ने मुझे उठाया और शावर खोल दिया .. हम दोनों एक सात नहाने लगे ..साबुन से साफ करने लगे ..
अब हम दोनों टॉवल से सुखकर बिस्तर पर आ गये .. रात के बारह बज गये थे .. नशा अभी भी थोड़ा थोड़ा था ..मैं थक कर विवेक की बाँहों मैं सो गयी . विवेक के साथ चिपक कर स्पून पोजीशन मैं सो गयी.. मेरी बैक विवेक की छाती से चिपकी थी .. उसका एक हाथ मेरी बूब्स पर था ..और एक पैर मेरी कमर पर.. मेरी गांड पर उसका लण्ड रगड़ रहा था .. मैं चैन की नींद सोने लग गयी ..
रात को बीच मैं आंख खुली तो चूत मैं कुछ फसा था .. विवेक ने धीरे से अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत मैं डाल दिया था .. मुझे अच्छा लग रहा था .. विवेक धीरे धीरे मुझे धक्का मर रहा था .. बहुत देर तक यह सिलसिला चला .. मैं पता नहीं कितने बार झड़ गयी .. विवेक ने दूसरे दिन बताया की उस दरम्यान मैं २ बार झड़ी और उसने भी मेरी चूत मैं पाणी गिरा डाला था ..
सुबह उठी विवेक सो रहा था .. मेरी गिल्ली चूत से विवेक का सफ़ेद पाणी नीकल रहा था . एकदम मुलायम और माखन जैसे चिकनी चूत हो गयी. मुझे मेरी चूत पर बड़ा गर्व महसूस हुआ ..
उस दिन हम दिन भर यही सेक्स का गेम खेलते रहे .. हमारी सेक्सुअल केमिस्ट्री और बॉडी केमिस्ट्री जबरदस्त फिट हो गयी थी. विवेक ने कहा की आगे जब भी मौका मिलेगा, ऐसे ही एन्जॉय करेंगे . पर तुम पढाई मैं भी ध्यान देना ,, तुम अगर अच्छी डिग्री और अच्छा करियर बनाओगी तो इंडिपेंडेंट रहोगी, अपने पैरो पर कड़ी रहोगी और सब मर्दो को नचाओगी .. अगर डिपेंडेंट हो गयी तो हस्बैंड या कोई ओर मर्द की गुलाम बन के रह जाओगी .. बात मुझे सही लगी
उस दिन कई बार सेक्स करके रात को १२ बजे विवेक (पुणे से मीटिंग ख़तम कर के) अपने घर गया .
मैंने भी घर की साफ सफाई की..बेडशीट्स चेंज किया..सुबह पेरेंट्स आने वाले थे .. उन्हें कोई भनक नहीं लगनी देनी थी ..
उसके बाद जब भी मौका मिल जाता हम सेक्स एन्जॉय करते .. कभी अंजू आंटी बच्चों के लेकर मायके जाती , या कभी मेरे फॅमिली वाले .. पर इतना फ्री मौका फिर कभी नहीं मिला ..12th के बाद मैं भी दूसरे शहर मैं गोवेर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज आ गयी .. हॉस्टल मैं रहने लगी..
हॉस्टल आकर जल्दी मेरा बॉयफ्रेंड भी बन गया .. उसकी कहानी और मेरी शादी और दूसरे अनुभवों को कहानी अगले हिस्से मैं बताउंगी ..
लाइक्स और रिस्पांस जरूर देना दोस्तों ..
मैं सोने की कोशिश कर रही थी पर विवेक की निकर की खुशबु मुझे बार बार उनके लण्ड की याद दिला रही थी. मैं फिर से गरम होने लगी .. मैंने एक लूज़ टी शर्ट पहना था और एक बहुत ही छोटी सी शॉर्ट्स .. मैंने दोनों निकाल के फेक दिए और अपने हातों से चूत सहलाने लगी .. शेव की वजह से मेरी चूत बहुत ही चिकनी और सेंसिटव हो गयी थी.. मुझे बहुत अच्छा फीलिंग आ रहा था .. मेरी चूत बहुत कोमल और नाजुक लग रही थी .. ऐसे भी विवेक ने चोद चोद कर उसको माखन जैसे मुलायम बना दिया था .. मैं प्यार से अपनी चूत को सहला रही थी और चरम सीमा पर थी तभी दरवाजे पर बेल रिंग हो गयी .. मैंने सोचा इतने रात को कौन आया होगा .. मैंने झट से टी शर्ट और शॉर्ट्स पेहेन ली और keyhole से देखा.. मुझे विवेक खड़े दिखाई दिया . मैंने झट से दरवाजा खोला और विवेक एक टूरिस्ट बैग लेकर जल्दी अंदर आ गया ताकि कोई सामने वाले फ्लैट्स के पडोसी न देख ले . मैं हैरान थी . विवेक टी शर्ट और जीन्स पहने था ..मुझे छोटी चड्डी मैं देखकर हवस भरी नज़रों से देख कर बोले .. ओह राणी तुम इस वेस्टर्न कपड़ों मैं गजब लग रही हो .. मैंने हंस कर पूछा .. क्या विवेक , अंजू आंटी ने घर से निकाल दिया क्या ? वह बोलै नहीं राणी..परसो सुबह तुम्हारे पेरेंट्स आ जायेंगे , हमें आज रात का ही मौका हैं , इसको हाथ से कैसे निकलने दे.. इसलिए मैंने अंजू से बहाना बनाया की मेरी कल सुबह पुणे अर्जेंट बिज़नेस मीटिंग हैं और आज रात को ही मुझे निकलना पड़ेगा, और मैं परसो सुबह तक आ जाऊंगा. विवेक की बात सुन कर मैं जोर से हसने लगी .. वाह क्या दिमाग पाया हैं .. विवेक ने कहा .. अंजू को मेरी ऐसी अर्जेंट मीटिंग की आदत हैं..पर तुम्हे अच्छा नहीं लगा तो मैं चला जाता हूँ. उसे मेरे हसने से गुस्सा आया था .. हरयाणवी मर्द था ..गुस्सा नाक पर होता हैं और लण्ड से बहार निकलता हैं.. हां हां हां
मै विवेक के एकदम पास गयी .. उसके गाल पर पप्पी दे दी और कहा ..तुम जाना चाहते हो तो जाओ .. वह और भी चिढ़ गया ..तुम मुझे ऐसे जाने को कहोगी तो कैसे जाऊंगा ..? मैं फिर से उस के बहुत पास गयी .. अब मेरे बूब्स विवेक की छाती पर चिपक रहे थे .. मैं उसे फिर से गाल पर पप्पी देने गयी.. पर इसबार वह सर घुमा लिए और उसके लिप्स मेरे लिप्स पर लिपट गये और वो जोर से चूस कर किस करने लगा . उसने मेरे ओंठ चूसने चालू किया और मुझे दूसरे हाथ से कस कर पकड़ के रखा ताकि मैं दूर न भाग सकू . अब मेरा वार उलट गया था और मुझ पर भारी पड़ रहा था .. उसने मेरे मुँह मैं जीभ डाल दी और मेरी चूत कसमसा गयी और गिल्ली होने लगी.. मैं भी उसके लिप्स को चूसने लगी और तभी उसने मुझे दूर हलके से धकेल दिए और बोला बताओ तो राणी अब सच मे चला जाऊ मैं? मेरी चूत गरम हो गयी थी और गंगा बहा रही थी.. मैं फिर बहुत धैर्य जोड़ कर बोली .. हाँ जाओ ना.. आपकी मर्जी .. विवेक मुझे पैनी नजर से घूर रहा था और नटखट अंदाज मैं मुस्करा रहा था . अब वह मुझ पर वार कर रहा था .. विवेक मेरे बहुत करीब आया .. उन्होंने अपनी जीन्स की बटन खोल दी और ...जीन्स पूरी नीचे गिरा दी .. अब वह घुटने तक पूरा नंगा था .. उसका लण्ड फूलकर नाग जैसे फुफकार मर रहा था .. और लण्ड के लाल टोपे पर शहद का बूँद चमक रहा था .. वह मेरे एकदम करीब आया और मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया . उसका लुंड बहुत गरम था और फनफना रहा था .. मुझे शहद की बूँद गुलाम बना चुकी थी .. भूकी नजरों से मैं उसके लण्ड को देख रही थी .. और विवेक बड़ी गौर से मेरी आँखों मैं देख रहा था .. उसकी पैनी नजर मुझे बेबस कर रही थी .. मैं उसके कदमो पर बैठ गयी और उसका लण्ड पकड़ कर बूँद चखने जीभ बहार निकाल दी .. और तभी वह मेरे हाथों से अपना लण्ड छुड़ाकर पीछे हट गया .. बोला .. अब बोलो राणी सच मे चला जाऊ मैं ? मैंने कहा नहीं मेरे राजा मैं तो मजाक कर रही थी. उसने कहा नहीं तू झूटी हैं , मैं तो जाऊंगा ..तुम्हे मुझे रोकने के लिए मिन्नतें करनी पड़ेगी .. मैंने कहा प्लीज जानू मत जावो .. रुक जाओ .. ववेक ने कहा - क्यों रुखु , तू मेरी कोण हैं बता ? मैंने कहा विवेक जानू मैं तुम्हारी रंडी हूँ .. प्लीज मत जाओ , मुझे तुम्हारा लुंड चूसने दो ,, वह खुश हो गया .. ठीक हैं राणी .. पहले शर्त कम्पलीट करो .. दोनों पूरा नंगा हो जाते हैं ..
पूरा नंगा होकर विवेक सोफे पर बैठ गया और बोला .. आओ मेरी रंडी .. मेरी जंघा पर बैठ जाओ .. विवेक का लुंड पूरा आसमानी सलामी दे रहा था .. मैं प्यार से उसके गोदी मैं उसके जांघों पर बैठ गयी ..
दोस्तों तभी मुझे महाभारत की कहानी याद आयी .. आज पहली बार कहानी कि प्रमुख घटना समाज मैं आयी थी . दुर्योधन ने भी द्रौपदी से कहा था .. आओ तुम्हे राणी बनाऊंगा और अपनी धोती खोल कर ..आओ मेरी जंघा पर बैठ जाओ कहा था .. इसपर मेरा निष्कर्ष नीचे लिखा हैं.. आप जरूर बताये की आप को क्या सही लगता हैं ..
१. दुर्योधन अपनी धोती खोल कर अपना मोटा तगड़ा लण्ड द्रौपदी को दिखा कर उसे अपने लण्ड पर बिठाना चाहता था
२. उस समय के लेखक संस्कारी थे इसलिए लण्ड की बजाये दुर्योधन ने द्रौपदी को जंघा पर बैठने कहा - ऐसे लिखा
३. दुर्योधन जंघा पर बिठा कर द्रौपदी को चोदना चाहता था .. भरी राज महफ़िल मैं
४ दुर्योधन सेक्स मैं एक्सपर्ट था , भारी राजसभा मैं अपने बाप, दादा, सैनिक, भाई, माँ, सब के सामने वाह द्रौपदी को अपने लण्ड पर बैठने ककि न्योता देता हैं, उसका कॉन्फिडेंस देखो / इतना कॉन्फिडेंस किस्मे देखा हैं?
५. द्रौपदी दुर्योधन के लुंड पर बैठ कर ज्यादा सुखी होती , वह रोज उसे मनसोक्त चोदता
६. दुर्योधन की जंघा पर ना बैठकर द्रौपदी ने अपना नुकसान करवा लिया , ५ पांडवों से भी अच्छा वह द्रौपदी की चूत को चोद चोद कर माखन बना देता
७. दुर्योधन ने कहा था - मेरे लण्ड पर बैठो , तुम्हे अपनी रंडी बनाऊगा , पुराणे संस्कारी लेखकों ने - लण्ड को जंघा ओर रंडी को राणी लिख दिया
आप अपना जवाब जरूर भेजे .. खैर अभी तो मैं विवेक की जांघों पर बैठने के लिए तरस रही थी .. मैं बड़े प्यार से अपनी गांड मटका मटका के विवेक के पास गयी और उनके जांघों पर बैठ गयी ..
विवेक ने कहा राणी तेरे लिए सरप्राइज हैं और उसने अपनी बैग मैं से एक अच्छी ब्रांडेड मेहेंगी वाली वाइन बोतल निकाल ली और कुछ खाने का चकना भी .. वाह विवेक तुम तो पूरी तैयारी से आये हो .. तुम्हे पता हैं अल्कोहल से मैं कण्ट्रोल मैं नहीं रहती . विवेक ने कहा राणी किसने कहा कण्ट्रोल करो अब हम दोनों मैं कोई सीक्रेट नहीं हैं ..बात सही थी .. मैंने एक गिलास लाया और एक प्लेट ..
हम दोनों एक ही गिलास मैं वाइन पी रहे थे ..एक दूसरे के मुँह से वाइन पी रहे थे .. और मैं पूरी नंगी विवेक की जंघा पर बैठी थी . मुझे अब हल्का महसूस हो रहा था और हम बहुत चुम्मा चाटी कर रहे थे मैं विवेक के मुँह को चूसकर वाइन पीती और ववेक मेरी मुँह से वाइन पीता. मैं अब गरम हो रही थी और मेरी चूत से पाणी बह रहा था . विवेक ने कहा देखो राणी तुम्हारे चूत के पाणी से मेरी जंघा पूरी गिल्ली हो गयी .. सच मैं उसकी जंघा पूरी चिपचिपी हो गयी थी .. तभी मुझे बड़ी जोर से पेशाब (सुसु) लगी और मैं उठने लगी. विवेक ने कहा इतने जल्दी कहा जारी हैं जान अभी तो रात बाकी हैं , मैंने कहा मुझे सुसु करनी हैं .. उसने कहा बाद मैं कर लेना जब बहुत ज्यादा प्रेशर हो जाये.. मैंने पूछा ऐसे क्यों..उसने कहा मुझ पर भरोसा नहीं ? मैं फिर से उसकी गोदी मैं बैठ गयी और हम दोनों फिर से वाइन पिने लगे .. विवेक ने कहा जानू देखो .. मेरा लण्ड कितना फुदक रहा, इसको प्यार करो ना .. मैं नीचे बैठ गयी और विवेक के लुंड को चूसने लगी और उसके बड़े टट्टे चाटने लगी . विवेक ने धीरे से वाइन गिलास से छोटी सी वाइन की धार अपने लण्ड पर डाली और कहा. राणी देखो सब वाइन पे लेना ..गिरने मत दो .. मैं विवेक के लुंड और टट्टे पर गिरा सारा वाइन चाट चाट कर पीने लगी .. बहुत मजा आ रहा था .. अलग स्वाद और नशा हो रहा था .. आह राणी क्या बढ़िया रंडी की तरह चाट रही हो..और वह मुझे वाइन पिलाता गया और मैं उसके लुंड को चाट चाट कर वाइन पी जाती . फिर उसने कहा यहाँ ऊपर सोफे पर आ जाओ और लेट जाओ.. विवेक ने धीरे से अब वाइन मेरे बूब्स पर डाली और मेरे निप्पल्स भी चूसना चालू कर दिया .. हाई मैं मर जाती .. मेरे निप्पल्स कितने सेंसिटिव हैं आपको पता हैं .. बहुत देर तक विवेक मेरे निप्पल्स वाइन डाल कर चूसता रहा और मेरी चूत का बम धड़ाम से फट गया और पानी का झरना बहने लगा .. ओह माँ .. करके मैं छटपटाने लगी .. और विवेक का सर पकड़ कर मेरी चूत पर रगड़ दिया .. जब मैं थोड़ी शांत हुई, चैन की सांस आयी..पर विवेक रुकने वाला नहीं था .. उसने आप वाइन मेरी चूत पर डाल कर चूत चाटने लगा .. मेरी चूत का दाना फूल कर आधे इंच का हो गया था .. विवेक उसे चूसता , चबाता , कभी हलके से काटता .. और मेरी चूत मैं फिर से तूफ़ान आने लगा .. विवेक मेरी चूत का सारा पानी वाइन के सात चाट कर पी गया .. अब मेरी चूत का दाना उसकी वार का शिकार था .. वह मेरे दाने को अपनी जीभ से , दातों से मसल रहा था .. मेरे अंदर का तूफान बढ़ रहा था , मैंने फिर से विवेक का सर दबा दिया और .. हाई माँ मर गयी मैं .. करके फिर से मेरा झरना उसके मुँह मैं बहा दिया .. वोह राणी क्या मीठा शहद पीला रही हो .. १० मिनट मैं दो बार झड़ गयी .. जैसे थोड़ शांत हुई.मुझे बड़ी जोर से सुसु लगी .. मैं खड़ी हो गयी पर विवेक ने पकड़ लिए..क्या हुआ जानू .. मैंने कहा विवेक अब कण्ट्रोल नहीं होता .. मुझे जाने दो नहीं तो मैं यही सुसु कर दूंगी .. उसने भी हरयाणवी मर्दानी अंदाज मेंकहा तो फिर कर दो यही पर सुसु ..क्या दिक्कत हैं. मैंने कहा प्लीज जाने दो तुम जो कहोगे करुँगी .. विवेक ने कहा ऐसा हैं..पक्का ..तो आओ मेरे सात बाथरूम मैं . मैं समज नहीं पा रही थी की विवेक की मन मैं क्या चल रहा हैं और सुसु का प्रेशर मुझे कुछ सोचने नहीं दे रहा था . बाथरूम जाकर विवेक बाथरूम की फ्लोर पर पीठ के बल सो गया और कहा जानू जल्दी इधर आओ और मेरे लुंड के ऊपर तुम्हारी चूत रख दो .. मैंने अपने दोनों पैर विवेक की कमर की बाजु मैं रख दी और उसकी लण्ड के ऊपर चूत रख दी .. उसके लण्ड का लाल टोपा अब मेरी चूत को छू रहा था .. और उसने कहा राणी अब करो सुसु . मेरे से बिलकुल कण्ट्रोल नहीं हो रहा था और एक जोर की धार से मेरी सुसु बहार निकाल गयी और विवेक के लण्ड को नहलाने लगी .. विवेक - वाह राणी .. तेरी गरम सुसु ने मेरे लण्ड को पत्थर जैसे फौलादी बना दिया . विवेक अपने लण्ड को मेरी सुसु मैं हिलाने लगा .. मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी पर मुझे एकदम नया लग रहा था और अच्छा भी .. बहुत देर तक मैं अपनी सुसु की धार विवेक के लण्ड और टट्टे पर डाल रही थी .. विवेक फटी आँखों से मेरी चूत से बहती सुसु की धार को देख रहा था .. मेरी सुसु मैं उसका लुंड, टट्टे, गांड, कमर, पेट सब भीग रहा था .. मेरी धार अब कम हो रही थी पर विवेक की नजरें मेरी सुसु और चूत पर थी .. मैं खुश हो गयी की सुसु अब ख़तम हो गयी .. पर विवेक ने अब तक मेरी गांड अपने हाथों पकड़ ली और जैसे मेरी सुसु बंद हुई उसने एक झटके मैं मेरी गांड नीचे कर के अपना फौलादी लण्ड मेरी चूत मैं घुसा दिया . मुझे यह एक्सपेक्टेड नहीं था . मैं ूई माँ कर के चीला उठी .. दर्द की एक जबरदस्त चीख से .. मेरी सुसु से चिप - चिपाया विवेक का लण्ड पूरा अंदर मेरी चूत मैं घुस गया था .
ओह मेरी राणी, तेरी चूत एकदम अंगार की भट्टी हैं.. अब तू धीरे धीरे ऊपर नीचे उछाल .. बोल के विवेक ने फिर मेरी गांड अपने दोनों हातों से नीचे से पकड़ ली और मुझे धीरे धीरे ऊपर नीचे करना लगा .. मुझे अब मजा आने लगा था .. मैं अपने मन मर्जी से ऊपर नीचे होती और विवेक के लण्ड से अपनी चूत कुटती. मुझे पता चल गया की विवेक अब मेरी कण्ट्रोल मैं हैं.. उसका रिमोट अब मेरी हातों मैं हैं.
मैं गांड उछाल उछाल कर विवेक के लण्ड पर फुदक रही थी .. हम दोनों इतने गरम हो गये की बहुत जल्दी झड़ गये .. और विवेक ने सारा पाणी मेरी चूत के अंदर चोद दिया . मैं थक कर विवेक के ऊपर गिर गयी .. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे .. विवेक ने धीरे से मेरे कान मैं कहा .. राणी मजा आ गया ना .. मैंने कहा हां जानू बहुत मजा आ गया .. विवेक ने कहा राणी अब सुसु .. मुझे भी जोर से आ रही हैं .. बोलो क्या करू .. मैंने कहा तुम भी मेरी चूत पर सुसु कर दो .. हम अलग हुए .. मैं नीचे बैठ गयी .. विवेक खड़े हो कर सुसु की धार मेरी चूत पर गिराने लगा .. उसकी गरम सुसु की धार से मेरी चूत फिर से गरम हो गयी .. उसने कुछ सुसु की धार मेरे पेट और बूब्स पर भी डाल दी .. मैंने भी गरम होकर उसके सुसु से मेरे बूब्स और चूत कि मसाज कर दिया . हम दोनों बहुत खुश थे ,, विवेक ने मुझे उठाया और शावर खोल दिया .. हम दोनों एक सात नहाने लगे ..साबुन से साफ करने लगे ..
अब हम दोनों टॉवल से सुखकर बिस्तर पर आ गये .. रात के बारह बज गये थे .. नशा अभी भी थोड़ा थोड़ा था ..मैं थक कर विवेक की बाँहों मैं सो गयी . विवेक के साथ चिपक कर स्पून पोजीशन मैं सो गयी.. मेरी बैक विवेक की छाती से चिपकी थी .. उसका एक हाथ मेरी बूब्स पर था ..और एक पैर मेरी कमर पर.. मेरी गांड पर उसका लण्ड रगड़ रहा था .. मैं चैन की नींद सोने लग गयी ..
रात को बीच मैं आंख खुली तो चूत मैं कुछ फसा था .. विवेक ने धीरे से अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत मैं डाल दिया था .. मुझे अच्छा लग रहा था .. विवेक धीरे धीरे मुझे धक्का मर रहा था .. बहुत देर तक यह सिलसिला चला .. मैं पता नहीं कितने बार झड़ गयी .. विवेक ने दूसरे दिन बताया की उस दरम्यान मैं २ बार झड़ी और उसने भी मेरी चूत मैं पाणी गिरा डाला था ..
सुबह उठी विवेक सो रहा था .. मेरी गिल्ली चूत से विवेक का सफ़ेद पाणी नीकल रहा था . एकदम मुलायम और माखन जैसे चिकनी चूत हो गयी. मुझे मेरी चूत पर बड़ा गर्व महसूस हुआ ..
उस दिन हम दिन भर यही सेक्स का गेम खेलते रहे .. हमारी सेक्सुअल केमिस्ट्री और बॉडी केमिस्ट्री जबरदस्त फिट हो गयी थी. विवेक ने कहा की आगे जब भी मौका मिलेगा, ऐसे ही एन्जॉय करेंगे . पर तुम पढाई मैं भी ध्यान देना ,, तुम अगर अच्छी डिग्री और अच्छा करियर बनाओगी तो इंडिपेंडेंट रहोगी, अपने पैरो पर कड़ी रहोगी और सब मर्दो को नचाओगी .. अगर डिपेंडेंट हो गयी तो हस्बैंड या कोई ओर मर्द की गुलाम बन के रह जाओगी .. बात मुझे सही लगी
उस दिन कई बार सेक्स करके रात को १२ बजे विवेक (पुणे से मीटिंग ख़तम कर के) अपने घर गया .
मैंने भी घर की साफ सफाई की..बेडशीट्स चेंज किया..सुबह पेरेंट्स आने वाले थे .. उन्हें कोई भनक नहीं लगनी देनी थी ..
उसके बाद जब भी मौका मिल जाता हम सेक्स एन्जॉय करते .. कभी अंजू आंटी बच्चों के लेकर मायके जाती , या कभी मेरे फॅमिली वाले .. पर इतना फ्री मौका फिर कभी नहीं मिला ..12th के बाद मैं भी दूसरे शहर मैं गोवेर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज आ गयी .. हॉस्टल मैं रहने लगी..
२ साल बाद विवेक अंकल भी जॉब चेंज कर के बैंगलोर चले गये .. उनसे एक बहुत सुन्दर रिश्ता बन गया .. जो बेहद खूबसूरत रहा .. विवेक ने कभी मेरा फ़ायदा नहीं उठाया नाही मुज़से कभी जबरदस्ती की .. पर मुझे बहुत सीखा दिया .. उन्ही के कारन मैं खुद कि सेक्स लाइफ इतना एन्जॉय कर पायी . आगे चलकर जोब मे, या बहार कही भी मर्दों की दुनिया मैं बड़ी कॉन्फिडेंटली मर्दों को हैंडल करती गयी
हॉस्टल आकर जल्दी मेरा बॉयफ्रेंड भी बन गया .. उसकी कहानी और मेरी शादी और दूसरे अनुभवों को कहानी अगले हिस्से मैं बताउंगी ..
लाइक्स और रिस्पांस जरूर देना दोस्तों ..