01-10-2022, 02:57 PM
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PART ४ अपडेट
अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गयी . सबसे पहले मेरी चुत के खून के दाग से भरी बेडशीट वाशिंग मशीन मैं धोने डाली . मेरे और विवेक का खाना बना डाला और नहाने चली गयी . मेरी चुत अब नार्मल हो गयी थी .. न कोई खून न कोई सूजन , बस उसपर अब दो बड़े ओंठ आये थे , बिलकुल फेस की ओंठ की तरह . नहा कर मैंने अच्छी लाल रंग की गाउन पेहेन ली .. मेरे गोरे रंग की वजह से मुज़पर बहुत जच रही थी . मैंने खुद को आईने मैं देखा , अजीब चमक थी चेहरे पर .. यु तो मैं एकदम सीधा रहती , ना कोई मेक-उप ना कोई सजना धजने मैं इंटरेस्ट था . पर आज मैंने हलकी लाल रंग की लिपस्टिक भी लगा ली और हल्का मेक उप भी कर लिया . मैं विवेक के लिए सुन्दर दिखना चाहती और उसके लिए सज भी गयी. रोज सुबह भगवन की पूजा के लिए फूलवाली आंटी ताज़े फूल देकर जाती , मैंने उसे देवी माँ के लिए बड़ा गजरा भी देने को कहा , वह मोगरा का गजरा देकर गयी जो मैंने अपने लम्बे काले बालों मैं पेहेन लिया . मैं बार बार घडी देखने लगी और उनका इंतजार करने लगी . क्या मैं सच मैं अब विवेक अंकल की रंडी बन गयी थी ? दोस्तों प्रतिक्रिया जरूर दे ..
दोस्तों आप जरूर बताओ ..
ठीक ९ बजे दरवाजे पर घंटी बजी और मैं ख़ुशी से दरवाजा खोलने गयी . दरवाजा खोलते ही मैं अवाक् रह गयी .. विवेक अंकल फुल ऑफिस यूनिफार्म मैं सूट मैं थे , बहुत हैंडसम लग रहे थे . वह मुझे देख कर झट से अंदर आ गए और दरवाजा बंद कर दिया . वाह रानी तू गजब दिख रही आज , मुझ पर आज बिजली गिराने का इरादा हैं ? उन्होंने अंदर आकर उनकी ऑफिस बैग एक कोने मैं रख दी ओर कोट उतार कर खुर्ची पर लटका दिया. सोफे पर बैठकर मुझे खींच लिया , मैं भी उनकी गोदी मैं शर्मा कर बैठ गयी . बहुत देर तक वह मुझे किस करते रहे ओर मेरे बालों से खेलते रहे, गजरे की महक उनको गरम कर रही थी . उन्होंने मेरे ओंठ चूसना चालू किया ओर जीभ अंदर डाल दी ओर दूसरे हातों से मेरी गाउन खोल दिया ओर बाजु मैं फेक दिया . अब मैं एकदम बेशरम होकर नंगी उनकी गोदी मैं बैठी थी ओर वह फुल फोरमॉल कपडे मैं टाई पहने थे ओर मेरी जीभ चूस रहे थे . उनके हात मेरे बूब्स को मसल रहे थे .
फिर उन्होंने प्यार से मेरे चहरे को पकड़ कर नजरें मिला कर पूछा .. संध्या आज क्या चाहती हूँ .. उनकी वह नशीली ऑंखें मेरे अंदर तक जड़ गयी ओर मैं बहुत नंगा महसूस करने लगी ओर शर्मा गयी . मैंने कहा .. अंकल मैं सिर्फ आपको खुश देखना चाहती हूँ .. जो चीज अंजू आंटी आपको नहीं देती वह सब आपको देना चाहती हूँ. मैंने शर्मा कर मुँह उनकी बगल मैं छुपा दिया ओर उनकी खुश्बू महसूस करने लगी .
उन्होंने प्यार से मेरे चहरे पर सब जगह चूमने लगे ओर कहा . रानी ऐसे ही होगा .. पर मेरी दो शर्त हैं . मैंने कहा शर्त बताओ मैं सब करुँगी . उन्होंने कहा .. पहली शर्त .. जब भी हम सात मैं हो .. हम कोई कपडे नहीं पेहेनेगें ओर पूरा नंगा रहेंगे .. मैंने उनकी टाई को अपनी ओर जोर से खींचकर कह दिया . मंजूर हैं अब दूसरी शर्त बताओ . उन्होंने कहा .. दूसरी शर्त .. तुम मुझे विवेक अंकल नहीं कहोगी .. सिर्फ विवेक या जानू ओर मैं तुम्हे मेरी राणी कहूंगा .. मैं शर्मा गयी .. हाँ मेरे जानू .. यह भी मंजूर .. ओर मुझे पैंट के नीचे से उनका मुसलदार लण्ड मेरी गांड पर चुभता फील हुआ . उन्होंने भी उनके कपडे निकल दिए ओर पूरा नंगा होकर बैठ गए . मेरे लिए उनका लण्ड कोई नया खिलौना था , जिसे देखकर मैं खुश हो जाती , मुझे उनके लण्ड को हाथ लगाना , खेलना , चूमना , चूसना सब करने का मन होता .
उन्होंने मुझे गरम पानी लाने कहा ओर अपने बैग से उन्होंने शेविंग का सामान निकाल कर टेबल पर रख दिया . मुझे कहा .. राणी अब तुम सोफे पर लेट जाओ ओर दोनों पैर ऊपर कर दो..छाती से चिपका लो. फिर उन्होंने कहा .. क्या मैं शेव करने से पहले तुम्हारी बालों वाली चुत की फोटो ले लू .. क्यों की आज के बाद तुम कभी यह बाल नहीं रखोगी ओर हमेशा अपनी चुत साफ़ ओर चिकनी रखोगी . मैंने मुस्करा कर कह दिया जो आप सही समाजो .. उन्होंने उस पोजीशन मैं मेरी चुत की अलग अलग एंगल्स से ८ -१ ० फोटो खींच ली
फिर शेविंग ब्रश पर फॉम लगा कर मेरे चुत पर लगा दिए अच्छी से .. मुझे ब्रश के कारन चुत मैं आग लग गयी ओर मेरे चुत से पानी का झरना बहने लगा . उनका फेस मेरी चुत से बहुत करीब था , मुझे अपनी चुत पर उनकी गरम साँसे फील हो रही थी .. कोई पराये मर्द ने पहेली बार मुझे नंगा देखा था ओर वह भी इतने करीब से . मुझे बड़ी अजीब फीलिंग आ रही थी ओर अच्छा भी लग रहा था .
बड़ी हलकी हाथों से विवेक शेविंग ब्लेड से धीरे धीरे मेरे बाल शेव करने लगा . मैं बहुत गरम हो गे थी . मैंने देखा की विवेक की जांघें मेरे सर के ऊपर हैं ओर उसका लण्ड पूरा तना हुआ हैं ओर उसके लाल टोपे पर शहद की बूंदें चमक रही थी. मैंने धीरे से सर उठाया ओर उसे चाट लिया ओर उसका लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिए . विवेक बड़े खुश हो गए .. बोले . ले रंडी .. खा ले मेरा ले .. पूरा निगल जा
मैंने धीरे धीरे लॉलीपॉप की तरह विवेक का मोटा लुंड चूस रही थी .. ओर वह बड़ी सावधानी से धीरे से मेरी चुत के बाल शेव कर रहा था. फिर वह उठा ओर गरम पानी से मेरी चुत साफ़ की ओर बोलै ..देखो राणी .. तेरी चुत अब कितनी सुन्दर लग रही .. मैं बैठ गयी ओर अपनी चिकनी चुत को देखने लगी .. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था .. लाल गुलाबी .. मेरी चुत ओर मेरी फटी हुई झिल्ली किसी खिले हुए फूल की तरह दिख रहे थे .. विवेक से रहा नहीं गया अपना मुँह मेरे चुत पर रख कर चाटने लगा .. अब उसे चाटने मेरी फटी हुई झिल्ली भी मिल गयी थी , वह उसको चाट रहा था , चबा रहा था , मुझे बहुत झुरझुरी हुई .. ओर मैं उसका सर मेरी चुत पर दबा कर रगड़ने लगी .. वह भी अपने जांघें मेरी सर की तरफ ले कर आया ओर मेरी मुँह मैं अपना लोडा घुसा दिया .. हम बहुत देर तक इस पोजीशन मैं ६९ का आनंद उठा रहे थे .. विवेक मुझे प्रोत्साहन देता .. पूरा लुंड मुँह के अंदर लेने को .. सांस रोक कर कैसे मुँह मैं पूरा लुंड अंदर लेना , उसने मुझे बताया .. मैं कोशिश की ओर आखिर मैं उसका पुर ८ इंच का मोटा लोडा मेरे गले मैं घुस गया .. मेरी चुत मैं कम्पन हो रही थी .. ठीक एकसात हम दोनों झड गए .. विवेक मेरा सब पानी चाट रहा था ओर मैं भी विवेक का सब वीर्य .. गाढ़ा माल निगल गयी. हम दोनों एक सात चिपक कर सो गए .. विवेक ने कहा .. एक बात बताऊ राणी .. तुम बहुत सेक्सी लड़की हो .. तुम बहुत गिल्ली हो जाती ओर पानी भी छोड़ती हो ..ओर तुम्हे एक के बाद एक मल्टी ओर्गास्म्स भी आते हैं . दुनिया मैं सिर्फ ५० प्रतिशत औरतों को ओर्गास्म्स आते हैं ओर सिर्फ १ -२ प्रतिशत औरतों को मल्टी ओर्गास्म्स का सुख मिलता हैं.
विवेक की बात सुन कर मैं खुश हो गयी .. विवेक ने कहा चलो सात नहाते हैं .. उसके बाद मैं सिर्फ तुम्हे ओरल सेक्स सिखाऊंगा ओर फिर खाने के बाद तुम्हे चुदाई का गेम सिखाऊंगा .. हम दोनों बाथरूम चले गए ..शावर मैं एक दूसरे को चूमा चाटी करते , साबुन लगाते ओर विवेक मेरी चुत चाटता ओर मैं उसका लण्ड ओर टट्टे . अचानक मेरी चुत चाटते विवेक ने मुझे उल्टा कर के झुकाया ओर मेरी गांड फैला कर मेरी गांड दबा दबा कर छेद चाटने लगा . मैंने कहा क्या कर रहे हो विवेक ,, यह गन्दा हैं .. विवेक ने कहा राणी .. तुम इतनी खूबसूरत हो तेरी कोई चीज गन्दी कैसे हो सकती हैं, बस एन्जॉय करो ओर उसने मेरी गांड की छेद मैं जीभ डाल दी . मुझे बहुत अच्छा महसूह हुआ ओर चुत मैं फिर से झुरझुरी होने लगी . मैं बी अब गांड विवेक के मुँह पर दबाने लगी .. विवेक ने कहा .. वह राणी .. क्या खुश्बू हैं, तेरी गांड की महक ही मस्त हैं .. मैंने कहा ..चलो झूंटे.. गांड से भी कभी महक आती हैं .. विवेक ने कहा तेरी कसम जानू .. तू खुद एकबार एक्सपीरियंस ले ओर फिर बता . ऐसे बोल कर विवेक उल्टा झुक कर खड़ा हो गया ओर अपनी गांड पकड़ कर अपने हाथों से फैला दी .. मैं दंग रह गयी .. उसकी गोरी गांड पर बहुत बाल थे ओर बहुत खूबसूरत लग रही थी .. उसकी गांड की छेद एकदम पिंक था ओर बालों से भरी थी .. जो कोई सुन्दर चुत जैसे लग रही थी. मैंने धीरे से मुँह उसकी गांड की चिर के पास ले गयी .. मुझे अजीब मरदाना खुश्बू महसूस हुई .. अपने आप को रोक नहीं पायी उस खुश्बू से ओर अपना मुँह उसकी गांड की छेद पर रखकर चाटने लगी .. मुझे उसकी खुश्बू ओर स्वाद बहुत पसंद आया . विवेक मेरे ऐसे करने से पगला गया ओर मुझे उठाया ओर शावर में घोड़ी बना कर कर उसका मोटा लण्ड मेरी चुत मैं डाल दिया .. मेरी चुत पहले से बहुत भीगी थी .. उसका आधा लण्ड आसानी से चला गया .. दर्द हो रहा था पर कल से कम .. उसने मुझे से पीछे से पकड़ रखा था, मेरे बूब्स दबाता , आगे से मेरा दाना दबाता , ओर धीरे धीरे लुंड अंदर डालता .. पूरा लण्ड अंदर डालने के बात उसने मुझे सीधा खड़ा किया ओर मेरे चेहरा पकड़ कर मुझे किस करने लगा .. ले रंडी.. पूरा लुंड मेरा सिर्फ एक दिन मैं निगल गयी .. ले ले मेरा सारा माल अपनी चुत मैं .. बन जा मेरी बच्चे की माँ ..
मैंने भी जोश मैं कहा दिया .. हाँ कमीने ..पीला दे मुझे तेरा माल .. बना दे अपने बच्चों की माँ .. मैं तेरी रंडी हूँ .. चुदवा ले मुझे ..ओर ठीक उसी समय हम दोनों एक सात झड गए .. विवेक का वीर्य अंदर मेरी बच्चेदानी तक फील करती .. ओर यह नेचुरल सेक्स क्यों लोग पसंद करते हैं यह भी पता चला .
विवेक ने धीरे से लण्ड मेरी चुत से बहार निकाला .. आज सिर्फ माजा आया था ..दर्द गायब हो गया था .. नेरी चुत से विवेक का वीर्य नीचे जांघों से बेहेने लगा .. विवेक इन अपनी हाथों से वीर्य इक्कठा किया ओर मेरे मुँह मैं हाट डाल दिया .. मैं उसका हाथ चाट रही थी ओर उसके ओर मेरे दोनों के पानी का मिश्र का स्वाद ले रही थी .. मुझे अब यह स्वाद भी पसंद आने लगा था .
हम बाथरूम से बहार आये .. एक दूसरे को टॉवल से पोछा .. विवेक मुस्करा रहा था .. कहा .. मेरी रंडी बनकर कैसा लग रहा हैं ? मैंने शर्मा कर कहा बहुत अच्छा .. ओर उनसे फिर से लिपट गयी
हमें भूक लग गयी थी . विवेक ने कहा अब आज की चुदाई इतनी ही राणी.. अब हम खाना खाएंगे .. फिर उसके बाद मैं तुम्हे आज सिर्फ ओरल सेक्स सिखाऊंगा .. मुझे तेरी जिस्म का हर एक अंग अंग चाटना हैं, स्वाद लेना हैं, तुझे भी लण्ड का स्वाद पसंद हैं , आह बस खाने के बाद सिर्फ मीठा ही मीठा होगा .
मैं मुस्करा दी ... कितनी एनर्जी हैं विवेक मैं , कितना ख्याल हैं ओर इज्जत हैं उसको मेरी .. हां सेक्स के वक्त वह वाइल्ड जरूर बन जाता हैं बार सके बात बहुत प्यार से बातें करता हैं.
खाना विवेक को बहुत पसंद आया .. मैंने प्यार से बनाया था .. उसने जिद की की मैं अपने हातों से खिलाऊ , मैं एक एक निवाला उसको भर्ती ओर वह प्यार से खाता ओर मुझे भी खिलाता.
खाने के बाद वह बिस्तर पर लेट गया .. ओर मुझे पास बुला कर अपनी बाँहों मैं भर लिया .. मैं उसकी बालों वाली बगल मैं चेहरा छुपा कर चिपक गयी .. उसकी बगल से अजीब मर्दाना खुश्बू आ रही थी, जिससे मुझे फिर से नशा होने लगा. विवेक बैठ गया ओर कहा.. आओ राणी मेरी गोदी मैं बैठ जाओ .. मैं अपने दोनों पैर उसके कमर पर लिपट कर उसकी जांघों मैं बैठ गयी .. मुझे अपनी गांड पर उसका सख्त लण्ड महसूस हुआ .
फिर उसने मेरा चेरा प्यार से सहलाया ओर मुझे किस करने लगा .. उसने मुझे फ्रेंच किस कैसे होता वह बताया .. भले अंजू आंटी ठंडी थी पर ऑफिसियल बहार देश की टूर मैं अकेला विवेक बहुत एन्जॉय करता ..रोज रत को नयी पार्टनर के सात सेक्स एन्जॉय करता .. जिसके कारन वह पहुंचा हुआ खिलाडी था .. सेक्स एक्सपर्ट था.. उसने कोई बात मुज़से छिपाई नहीं .. मैं खुश थी की मुझे ऐसा मर्द मिला जिसने मेरी चुत की झिल्ली का कचूमर बना दिया .. अगर इतना सेक्सी आदमी सेक्स एन्जॉय करता हैं तो उसमे बुरा क्या हैं ? विवेक ना कहा .. ठीक कहा राणी .. ओर यही बात औरतों के लिए भी लागू हैं.... अगर तेरी जैसी सेक्स लड़की , सेक्स एन्जॉय करती हैं , तो गलत क्या हैं ? ओर इतनी खूबसूरत चुत को हक़ है की वह हर टाइप के मर्द ओर लण्ड से मजे ले .. मुझे बात ठीक लगी ओर यही बात मेरे जीवन का आधार बन गयी ..
डीप किस करते वक़्त विवेक ने मेरा मुँह खोला ओर थूक दिया .. मैं एकदम सरप्राइज थी .. पर मैं सारा थूक निगल गयी ओर मुझे अच्छा लगा .. फिर विवेक ने कहा आजा राणी .. अब तू मेरे टट्टे चाट .. कुछ नहीं सिर्फ टट्टे चाटोगी..कम से किम १५ मिनट . मैं उसके जांघों के पास आ गयी .. विवेक ने पैर फैला दिए ओर ऊपर छाती से लगा लिए .. उसका लण्ड आज पूरा शेव ओर चिकना लग रहा था .. ओर उसके टट्टे एकदम बड़े बड़े गोलगप्पे की तरह ऊपर नीचे उछल रहे थे . मैं जीभ बहार निकली ओर उसके टट्टे चाटने लगी .. बहुत मजा आ रहा था ..विवेक गरम हो चूका था ओर आँहे भर रहा था .. १० मिनट बाद मैंने महसूस किया की टट्टे की अपनी महक ओर खुश्बू हैं ओर स्वाद भी .. जो मुझे पसंद आ रहा था ..ओर मैं उसके दोनों टट्टे एक सात मुँह मैं लेने की कोशिश कर रही थी ..
आह राणी रुक जाओ अब..नहीं तो मेरा पानी नीकल जायेगा ..क्या मस्त चाटती हो .. तू एकदम रंडी की तरह .. ओर उसने मुझे अपनी बाँहों मैं उठा लिया .. अब वह अपना मुँह मेरे बूब्स मैं घुसा दिया ओर चाटने लगा .. वाह राणी क्या मस्त बड़े आम हैं तेरे .. आज तो उसको चूस चूस कर तेरा दूध पी लूंगा .. वह तेरी चूचियां .. कितनी बड़ी हैं.. एक इंच लम्बी .. बहुत बार तेरी शर्ट से देख लेता ओर मूठ मारता की कब यह बड़ी बड़ी चूचिया मेरी मुँह मैं आएगी ..आज मेरा सपना पूरा हो गया
विवेक मेरी चूचियां चूसने लगा ..मेरे शरीर मैं अजीब कसक जाग उठी.. ओर मैं छटपटाने लगी .. मैंने विवेक को दूर करने की कोशिश की पर वह नहीं माना ओर मेरी चूचियां जोर जोर से चूसने लगा .. मैं कण्ट्रोल नहीं कर पायी ओर उसका सर जोर से दबा लिया ओर मेरे शरीर मैं कही झटके आये ओर मैं जोर से झड गयी ओर मेरी चुत से पानी की गंगा बही जो विवेक ने चाट कर साफ कर दिया, विवेक ने कहा .. देखो राणी .. मैं जानता था की तुम्हारे यह लम्बी निप्पल्स बहुत सेंसिटिव होंगी.. सिर्फ इसको चूसने से तुम झड गयी ओर तेरी चुत ने भी पानी की गंगा बहा दी , मैं भी हैरान थी .. आज तक ऐसे कभी नहीं हुआ था .. विवेक मेरी शरीर को ओर मेरी जरूरतों को मुज़से भी अच्छी तरह से जान गया था .
मैं थक गयी थी .. आज तीसरी बार मैं झड गयी थी .. मैं निढाल हो कर विवेक के नंगे बदन पर छिएक गयी ओर उसके छाती पर सर रखकर सो गयी ..
करीब एक डेढ़ घंटे के बाद जब आँख खुली तो विवेक भी सोया था .. मेरा हात उसकी चेस्ट पर था .. मैंने नीचे देखा ..मेरा खिलौना .. उसका लण्ड एकदम कड़क हो गया था .. ओर उसके लुंड के लाल टोपे पर शहद की बून्द चमक रही थी .. मैंने प्यार से उसके लण्ड पर हाथ रखा ओर सहलाया .. एक बड़ा शहद का बून्द बहार आया .. मैं मुँह निचे कर के उसको चाट लिया .. मेरे जीभ के स्पर्श से उसका लण्ड सिहर गया ओर एक बड़ा झटका मारा .. मैंने भी प्यार से पूरा गुलाबी काला लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिया.
अब मैं विवेक को जगाना नहीं चाहती थी .. इसलिए सिर्फ उसके लण्ड को मुँह मैं अंदर ले कर उसकी पेट पर सर रख कर सो गयी .. कभी ज्यादा अंदर लेती , कभी कम..अब उसका आधा लुंड मेरी मुँह मैं था .. मैं ना उसको चूस रही थी ना जीभ फिरा रही थी.. मुझे विवेक को जगाना नहीं था.
इसी पोजीशन मैं दस मिनट मैं मैंने विवेक का तीन चौथाई लण्ड मुँह मैं ले लिया था .. ओर अपनी साँसों पर कण्ट्रोल रखा था .. मैंने ओर ज्यादा कोशिश की ओर उसका पूरा लण्ड मेरे गले तक फस गया .. मुझे बैचनी हुई .. साँस रुक गयी .. पर मैंने धीरे धीरे सांस लेने की कोशिश की ओर मुँह ओर ज्यादा खोल दिया .. अब मुझे साँस लेना आसान हो गया .. ओर विवेक का पूरा लण्ड मेरी मुँह मैं था ओर मेरे लिप्स उसके पेट पर चिपक गए .. मैंने धीरे से मुँह दूर किया ..ओर फिर से लण्ड मुँह से बहार कर के फिर से निगल गयी .. मैं लगातार ऐसे कोशिश करती रही ओर विवेक का लण्ड अब फड़फड़ा रहा था ओर जोर से झटके दे रहा था .. क्या विवेक जाग गया था ? मैंने मूड कर देखा .. विवेक प्यार से मुस्करा रहा था .. बोला ..राणी अगली ट्रेनिंग तुम्हारी यही थी..पर तू तो अपने आप सिख गयी..पूरा लुंड मुँह मैं कैसे ले. विवेक अब जोर जोर से मेरा मुँह को चोदने लगा ... उसने मेरी जांघों को पीछे खींच लिया ओर मेरी चुत ओर गांड दोनों को चाटने लगा .. ओर एक बड़ा झटका देकर अपना पानी मेरे मुँह मैं छोड़ दिया .. मैंने भी प्यार से सारा पानी पी लिया ओर उसका लुंड चूस चूस कर सारा पानी निगल गयी..
विवेक ने मुझे उठाया ओर प्यार से अपनी बाँहों मैं लिया..कहा ..राणी..तू सच मैं मेरी राणी हैं.. इतने जल्दी सब सिख गयी.. आजतक कोई मेरा लण्ड पूरा मुँह मैं नहीं ले पाया .. तूने वह कर दिया जो कोई ना कर पाया ..ना अंजू ना कोई दूसरी औरत . मैं बहुत खुश हो गयी ओर वह मेरा मुँह खोल कर प्यार से उनका पानी मेरे मुँह से चूसने लगे .. कभी वह उनका गाढ़ा पाणी अपने मुँह मैं लेते .. कभी फिर से मेरे मुँह मैं डाल देते .. ऐसा मुझे अजीब नहीं लगा क्यूंकि हम चॉक्लेट ऐसे खा चुके थे..बाद मैं उन्होंने मुझे बताया की इसको कम स्वैपिंग भी कहते हैं.
तभी मुझे माँ की कॉल आयी .. संध्या हम कल रात को ट्रैन मैं बैठ रहे हैं..परसो सुबह आएंगे. मैं दुखी हो गयी.. अब सिर्फ एक दिन ही था मेरे पास , विवेक ने कहा चिंता मत करो कुछ हल ढून्ढ लेंगे. हमने एक सात नंगे बैठकर चाय पी , विवेक के जाने का टाइम हो गया था .. फिर कल वापस आऊंगा का वादा कर के चले गए.. जाते जाते उन्होंने मेरी ब्लू कलर की पैंटी उठायी ओर अपनी ऑफिस बैग के एक कप्पे मैं छुपा कर रख दी .. कहने लगे .. जब भी टूर पर जाऊंगा , इसको सूंघूंगा ओर तेरी याद से मूठ मारूंगा, तेरी तरफ से मुझे यह गिफ्ट .. मैं भी हंस दी.. कहा ओर मेरे लिए क्या गिफ्ट दोगे आप .. उन्होंने उनकी जॉकी की ब्रीफ्स .. रेड कलर वाली मेरे मुँह पर फेंक दी.. यह तेरे लिए .. इसे सूंघकर मेरे लण्ड को याद करना ओर हस के चले गए ..
मैंने सोचा .. मर्द को खुदसे ज्यादा प्यार उसके अपने लण्ड से होता हैं.. उनको याद ना करू पर उनके लण्ड को जरूर याद करू .. वाह रे मर्दों .. क्या तुम्हारी दुनिया..स्टार्ट ओर एन्ड सब लण्ड पर आकर ख़तम होती हैं .. मैं समज गयी थी की किसी भी मर्द को वही औरत पसंद आती हैं जो उससे नहीं पर उसके लण्ड से बेपनाह मोहोब्बत करे ...
मैं खाना खाकर बेड पर लेट गयी .. थक गयी थी .. बाजू मैं मुझे विवेक की निकर - जॉकी दिखी .. मैंने उसे उठाया ओर मुँह के पास लेकर सूंघने लगी.. वही खुश्बू .. वही स्वाद ..विवेक के लण्ड का मैंने उसको अपने तकिया पर रख दिया ओर उस पर मुँह रख कर सो गयी.. अपने विवेक जानू की खुश्बू सूंघती हुए ..ओर तीसरे दिन का इंतजार करने लगी..
दोस्तों क्या मैं सही कर रही थी ? प्लीज फीडबैक रिस्पांस दे ओर लाइक्स भी..
अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गयी . सबसे पहले मेरी चुत के खून के दाग से भरी बेडशीट वाशिंग मशीन मैं धोने डाली . मेरे और विवेक का खाना बना डाला और नहाने चली गयी . मेरी चुत अब नार्मल हो गयी थी .. न कोई खून न कोई सूजन , बस उसपर अब दो बड़े ओंठ आये थे , बिलकुल फेस की ओंठ की तरह . नहा कर मैंने अच्छी लाल रंग की गाउन पेहेन ली .. मेरे गोरे रंग की वजह से मुज़पर बहुत जच रही थी . मैंने खुद को आईने मैं देखा , अजीब चमक थी चेहरे पर .. यु तो मैं एकदम सीधा रहती , ना कोई मेक-उप ना कोई सजना धजने मैं इंटरेस्ट था . पर आज मैंने हलकी लाल रंग की लिपस्टिक भी लगा ली और हल्का मेक उप भी कर लिया . मैं विवेक के लिए सुन्दर दिखना चाहती और उसके लिए सज भी गयी. रोज सुबह भगवन की पूजा के लिए फूलवाली आंटी ताज़े फूल देकर जाती , मैंने उसे देवी माँ के लिए बड़ा गजरा भी देने को कहा , वह मोगरा का गजरा देकर गयी जो मैंने अपने लम्बे काले बालों मैं पेहेन लिया . मैं बार बार घडी देखने लगी और उनका इंतजार करने लगी . क्या मैं सच मैं अब विवेक अंकल की रंडी बन गयी थी ? दोस्तों प्रतिक्रिया जरूर दे ..
दोस्तों आप जरूर बताओ ..
ठीक ९ बजे दरवाजे पर घंटी बजी और मैं ख़ुशी से दरवाजा खोलने गयी . दरवाजा खोलते ही मैं अवाक् रह गयी .. विवेक अंकल फुल ऑफिस यूनिफार्म मैं सूट मैं थे , बहुत हैंडसम लग रहे थे . वह मुझे देख कर झट से अंदर आ गए और दरवाजा बंद कर दिया . वाह रानी तू गजब दिख रही आज , मुझ पर आज बिजली गिराने का इरादा हैं ? उन्होंने अंदर आकर उनकी ऑफिस बैग एक कोने मैं रख दी ओर कोट उतार कर खुर्ची पर लटका दिया. सोफे पर बैठकर मुझे खींच लिया , मैं भी उनकी गोदी मैं शर्मा कर बैठ गयी . बहुत देर तक वह मुझे किस करते रहे ओर मेरे बालों से खेलते रहे, गजरे की महक उनको गरम कर रही थी . उन्होंने मेरे ओंठ चूसना चालू किया ओर जीभ अंदर डाल दी ओर दूसरे हातों से मेरी गाउन खोल दिया ओर बाजु मैं फेक दिया . अब मैं एकदम बेशरम होकर नंगी उनकी गोदी मैं बैठी थी ओर वह फुल फोरमॉल कपडे मैं टाई पहने थे ओर मेरी जीभ चूस रहे थे . उनके हात मेरे बूब्स को मसल रहे थे .
फिर उन्होंने प्यार से मेरे चहरे को पकड़ कर नजरें मिला कर पूछा .. संध्या आज क्या चाहती हूँ .. उनकी वह नशीली ऑंखें मेरे अंदर तक जड़ गयी ओर मैं बहुत नंगा महसूस करने लगी ओर शर्मा गयी . मैंने कहा .. अंकल मैं सिर्फ आपको खुश देखना चाहती हूँ .. जो चीज अंजू आंटी आपको नहीं देती वह सब आपको देना चाहती हूँ. मैंने शर्मा कर मुँह उनकी बगल मैं छुपा दिया ओर उनकी खुश्बू महसूस करने लगी .
उन्होंने प्यार से मेरे चहरे पर सब जगह चूमने लगे ओर कहा . रानी ऐसे ही होगा .. पर मेरी दो शर्त हैं . मैंने कहा शर्त बताओ मैं सब करुँगी . उन्होंने कहा .. पहली शर्त .. जब भी हम सात मैं हो .. हम कोई कपडे नहीं पेहेनेगें ओर पूरा नंगा रहेंगे .. मैंने उनकी टाई को अपनी ओर जोर से खींचकर कह दिया . मंजूर हैं अब दूसरी शर्त बताओ . उन्होंने कहा .. दूसरी शर्त .. तुम मुझे विवेक अंकल नहीं कहोगी .. सिर्फ विवेक या जानू ओर मैं तुम्हे मेरी राणी कहूंगा .. मैं शर्मा गयी .. हाँ मेरे जानू .. यह भी मंजूर .. ओर मुझे पैंट के नीचे से उनका मुसलदार लण्ड मेरी गांड पर चुभता फील हुआ . उन्होंने भी उनके कपडे निकल दिए ओर पूरा नंगा होकर बैठ गए . मेरे लिए उनका लण्ड कोई नया खिलौना था , जिसे देखकर मैं खुश हो जाती , मुझे उनके लण्ड को हाथ लगाना , खेलना , चूमना , चूसना सब करने का मन होता .
उन्होंने मुझे गरम पानी लाने कहा ओर अपने बैग से उन्होंने शेविंग का सामान निकाल कर टेबल पर रख दिया . मुझे कहा .. राणी अब तुम सोफे पर लेट जाओ ओर दोनों पैर ऊपर कर दो..छाती से चिपका लो. फिर उन्होंने कहा .. क्या मैं शेव करने से पहले तुम्हारी बालों वाली चुत की फोटो ले लू .. क्यों की आज के बाद तुम कभी यह बाल नहीं रखोगी ओर हमेशा अपनी चुत साफ़ ओर चिकनी रखोगी . मैंने मुस्करा कर कह दिया जो आप सही समाजो .. उन्होंने उस पोजीशन मैं मेरी चुत की अलग अलग एंगल्स से ८ -१ ० फोटो खींच ली
फिर शेविंग ब्रश पर फॉम लगा कर मेरे चुत पर लगा दिए अच्छी से .. मुझे ब्रश के कारन चुत मैं आग लग गयी ओर मेरे चुत से पानी का झरना बहने लगा . उनका फेस मेरी चुत से बहुत करीब था , मुझे अपनी चुत पर उनकी गरम साँसे फील हो रही थी .. कोई पराये मर्द ने पहेली बार मुझे नंगा देखा था ओर वह भी इतने करीब से . मुझे बड़ी अजीब फीलिंग आ रही थी ओर अच्छा भी लग रहा था .
बड़ी हलकी हाथों से विवेक शेविंग ब्लेड से धीरे धीरे मेरे बाल शेव करने लगा . मैं बहुत गरम हो गे थी . मैंने देखा की विवेक की जांघें मेरे सर के ऊपर हैं ओर उसका लण्ड पूरा तना हुआ हैं ओर उसके लाल टोपे पर शहद की बूंदें चमक रही थी. मैंने धीरे से सर उठाया ओर उसे चाट लिया ओर उसका लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिए . विवेक बड़े खुश हो गए .. बोले . ले रंडी .. खा ले मेरा ले .. पूरा निगल जा
मैंने धीरे धीरे लॉलीपॉप की तरह विवेक का मोटा लुंड चूस रही थी .. ओर वह बड़ी सावधानी से धीरे से मेरी चुत के बाल शेव कर रहा था. फिर वह उठा ओर गरम पानी से मेरी चुत साफ़ की ओर बोलै ..देखो राणी .. तेरी चुत अब कितनी सुन्दर लग रही .. मैं बैठ गयी ओर अपनी चिकनी चुत को देखने लगी .. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था .. लाल गुलाबी .. मेरी चुत ओर मेरी फटी हुई झिल्ली किसी खिले हुए फूल की तरह दिख रहे थे .. विवेक से रहा नहीं गया अपना मुँह मेरे चुत पर रख कर चाटने लगा .. अब उसे चाटने मेरी फटी हुई झिल्ली भी मिल गयी थी , वह उसको चाट रहा था , चबा रहा था , मुझे बहुत झुरझुरी हुई .. ओर मैं उसका सर मेरी चुत पर दबा कर रगड़ने लगी .. वह भी अपने जांघें मेरी सर की तरफ ले कर आया ओर मेरी मुँह मैं अपना लोडा घुसा दिया .. हम बहुत देर तक इस पोजीशन मैं ६९ का आनंद उठा रहे थे .. विवेक मुझे प्रोत्साहन देता .. पूरा लुंड मुँह के अंदर लेने को .. सांस रोक कर कैसे मुँह मैं पूरा लुंड अंदर लेना , उसने मुझे बताया .. मैं कोशिश की ओर आखिर मैं उसका पुर ८ इंच का मोटा लोडा मेरे गले मैं घुस गया .. मेरी चुत मैं कम्पन हो रही थी .. ठीक एकसात हम दोनों झड गए .. विवेक मेरा सब पानी चाट रहा था ओर मैं भी विवेक का सब वीर्य .. गाढ़ा माल निगल गयी. हम दोनों एक सात चिपक कर सो गए .. विवेक ने कहा .. एक बात बताऊ राणी .. तुम बहुत सेक्सी लड़की हो .. तुम बहुत गिल्ली हो जाती ओर पानी भी छोड़ती हो ..ओर तुम्हे एक के बाद एक मल्टी ओर्गास्म्स भी आते हैं . दुनिया मैं सिर्फ ५० प्रतिशत औरतों को ओर्गास्म्स आते हैं ओर सिर्फ १ -२ प्रतिशत औरतों को मल्टी ओर्गास्म्स का सुख मिलता हैं.
विवेक की बात सुन कर मैं खुश हो गयी .. विवेक ने कहा चलो सात नहाते हैं .. उसके बाद मैं सिर्फ तुम्हे ओरल सेक्स सिखाऊंगा ओर फिर खाने के बाद तुम्हे चुदाई का गेम सिखाऊंगा .. हम दोनों बाथरूम चले गए ..शावर मैं एक दूसरे को चूमा चाटी करते , साबुन लगाते ओर विवेक मेरी चुत चाटता ओर मैं उसका लण्ड ओर टट्टे . अचानक मेरी चुत चाटते विवेक ने मुझे उल्टा कर के झुकाया ओर मेरी गांड फैला कर मेरी गांड दबा दबा कर छेद चाटने लगा . मैंने कहा क्या कर रहे हो विवेक ,, यह गन्दा हैं .. विवेक ने कहा राणी .. तुम इतनी खूबसूरत हो तेरी कोई चीज गन्दी कैसे हो सकती हैं, बस एन्जॉय करो ओर उसने मेरी गांड की छेद मैं जीभ डाल दी . मुझे बहुत अच्छा महसूह हुआ ओर चुत मैं फिर से झुरझुरी होने लगी . मैं बी अब गांड विवेक के मुँह पर दबाने लगी .. विवेक ने कहा .. वह राणी .. क्या खुश्बू हैं, तेरी गांड की महक ही मस्त हैं .. मैंने कहा ..चलो झूंटे.. गांड से भी कभी महक आती हैं .. विवेक ने कहा तेरी कसम जानू .. तू खुद एकबार एक्सपीरियंस ले ओर फिर बता . ऐसे बोल कर विवेक उल्टा झुक कर खड़ा हो गया ओर अपनी गांड पकड़ कर अपने हाथों से फैला दी .. मैं दंग रह गयी .. उसकी गोरी गांड पर बहुत बाल थे ओर बहुत खूबसूरत लग रही थी .. उसकी गांड की छेद एकदम पिंक था ओर बालों से भरी थी .. जो कोई सुन्दर चुत जैसे लग रही थी. मैंने धीरे से मुँह उसकी गांड की चिर के पास ले गयी .. मुझे अजीब मरदाना खुश्बू महसूस हुई .. अपने आप को रोक नहीं पायी उस खुश्बू से ओर अपना मुँह उसकी गांड की छेद पर रखकर चाटने लगी .. मुझे उसकी खुश्बू ओर स्वाद बहुत पसंद आया . विवेक मेरे ऐसे करने से पगला गया ओर मुझे उठाया ओर शावर में घोड़ी बना कर कर उसका मोटा लण्ड मेरी चुत मैं डाल दिया .. मेरी चुत पहले से बहुत भीगी थी .. उसका आधा लण्ड आसानी से चला गया .. दर्द हो रहा था पर कल से कम .. उसने मुझे से पीछे से पकड़ रखा था, मेरे बूब्स दबाता , आगे से मेरा दाना दबाता , ओर धीरे धीरे लुंड अंदर डालता .. पूरा लण्ड अंदर डालने के बात उसने मुझे सीधा खड़ा किया ओर मेरे चेहरा पकड़ कर मुझे किस करने लगा .. ले रंडी.. पूरा लुंड मेरा सिर्फ एक दिन मैं निगल गयी .. ले ले मेरा सारा माल अपनी चुत मैं .. बन जा मेरी बच्चे की माँ ..
मैंने भी जोश मैं कहा दिया .. हाँ कमीने ..पीला दे मुझे तेरा माल .. बना दे अपने बच्चों की माँ .. मैं तेरी रंडी हूँ .. चुदवा ले मुझे ..ओर ठीक उसी समय हम दोनों एक सात झड गए .. विवेक का वीर्य अंदर मेरी बच्चेदानी तक फील करती .. ओर यह नेचुरल सेक्स क्यों लोग पसंद करते हैं यह भी पता चला .
विवेक ने धीरे से लण्ड मेरी चुत से बहार निकाला .. आज सिर्फ माजा आया था ..दर्द गायब हो गया था .. नेरी चुत से विवेक का वीर्य नीचे जांघों से बेहेने लगा .. विवेक इन अपनी हाथों से वीर्य इक्कठा किया ओर मेरे मुँह मैं हाट डाल दिया .. मैं उसका हाथ चाट रही थी ओर उसके ओर मेरे दोनों के पानी का मिश्र का स्वाद ले रही थी .. मुझे अब यह स्वाद भी पसंद आने लगा था .
हम बाथरूम से बहार आये .. एक दूसरे को टॉवल से पोछा .. विवेक मुस्करा रहा था .. कहा .. मेरी रंडी बनकर कैसा लग रहा हैं ? मैंने शर्मा कर कहा बहुत अच्छा .. ओर उनसे फिर से लिपट गयी
हमें भूक लग गयी थी . विवेक ने कहा अब आज की चुदाई इतनी ही राणी.. अब हम खाना खाएंगे .. फिर उसके बाद मैं तुम्हे आज सिर्फ ओरल सेक्स सिखाऊंगा .. मुझे तेरी जिस्म का हर एक अंग अंग चाटना हैं, स्वाद लेना हैं, तुझे भी लण्ड का स्वाद पसंद हैं , आह बस खाने के बाद सिर्फ मीठा ही मीठा होगा .
मैं मुस्करा दी ... कितनी एनर्जी हैं विवेक मैं , कितना ख्याल हैं ओर इज्जत हैं उसको मेरी .. हां सेक्स के वक्त वह वाइल्ड जरूर बन जाता हैं बार सके बात बहुत प्यार से बातें करता हैं.
खाना विवेक को बहुत पसंद आया .. मैंने प्यार से बनाया था .. उसने जिद की की मैं अपने हातों से खिलाऊ , मैं एक एक निवाला उसको भर्ती ओर वह प्यार से खाता ओर मुझे भी खिलाता.
खाने के बाद वह बिस्तर पर लेट गया .. ओर मुझे पास बुला कर अपनी बाँहों मैं भर लिया .. मैं उसकी बालों वाली बगल मैं चेहरा छुपा कर चिपक गयी .. उसकी बगल से अजीब मर्दाना खुश्बू आ रही थी, जिससे मुझे फिर से नशा होने लगा. विवेक बैठ गया ओर कहा.. आओ राणी मेरी गोदी मैं बैठ जाओ .. मैं अपने दोनों पैर उसके कमर पर लिपट कर उसकी जांघों मैं बैठ गयी .. मुझे अपनी गांड पर उसका सख्त लण्ड महसूस हुआ .
फिर उसने मेरा चेरा प्यार से सहलाया ओर मुझे किस करने लगा .. उसने मुझे फ्रेंच किस कैसे होता वह बताया .. भले अंजू आंटी ठंडी थी पर ऑफिसियल बहार देश की टूर मैं अकेला विवेक बहुत एन्जॉय करता ..रोज रत को नयी पार्टनर के सात सेक्स एन्जॉय करता .. जिसके कारन वह पहुंचा हुआ खिलाडी था .. सेक्स एक्सपर्ट था.. उसने कोई बात मुज़से छिपाई नहीं .. मैं खुश थी की मुझे ऐसा मर्द मिला जिसने मेरी चुत की झिल्ली का कचूमर बना दिया .. अगर इतना सेक्सी आदमी सेक्स एन्जॉय करता हैं तो उसमे बुरा क्या हैं ? विवेक ना कहा .. ठीक कहा राणी .. ओर यही बात औरतों के लिए भी लागू हैं.... अगर तेरी जैसी सेक्स लड़की , सेक्स एन्जॉय करती हैं , तो गलत क्या हैं ? ओर इतनी खूबसूरत चुत को हक़ है की वह हर टाइप के मर्द ओर लण्ड से मजे ले .. मुझे बात ठीक लगी ओर यही बात मेरे जीवन का आधार बन गयी ..
डीप किस करते वक़्त विवेक ने मेरा मुँह खोला ओर थूक दिया .. मैं एकदम सरप्राइज थी .. पर मैं सारा थूक निगल गयी ओर मुझे अच्छा लगा .. फिर विवेक ने कहा आजा राणी .. अब तू मेरे टट्टे चाट .. कुछ नहीं सिर्फ टट्टे चाटोगी..कम से किम १५ मिनट . मैं उसके जांघों के पास आ गयी .. विवेक ने पैर फैला दिए ओर ऊपर छाती से लगा लिए .. उसका लण्ड आज पूरा शेव ओर चिकना लग रहा था .. ओर उसके टट्टे एकदम बड़े बड़े गोलगप्पे की तरह ऊपर नीचे उछल रहे थे . मैं जीभ बहार निकली ओर उसके टट्टे चाटने लगी .. बहुत मजा आ रहा था ..विवेक गरम हो चूका था ओर आँहे भर रहा था .. १० मिनट बाद मैंने महसूस किया की टट्टे की अपनी महक ओर खुश्बू हैं ओर स्वाद भी .. जो मुझे पसंद आ रहा था ..ओर मैं उसके दोनों टट्टे एक सात मुँह मैं लेने की कोशिश कर रही थी ..
आह राणी रुक जाओ अब..नहीं तो मेरा पानी नीकल जायेगा ..क्या मस्त चाटती हो .. तू एकदम रंडी की तरह .. ओर उसने मुझे अपनी बाँहों मैं उठा लिया .. अब वह अपना मुँह मेरे बूब्स मैं घुसा दिया ओर चाटने लगा .. वाह राणी क्या मस्त बड़े आम हैं तेरे .. आज तो उसको चूस चूस कर तेरा दूध पी लूंगा .. वह तेरी चूचियां .. कितनी बड़ी हैं.. एक इंच लम्बी .. बहुत बार तेरी शर्ट से देख लेता ओर मूठ मारता की कब यह बड़ी बड़ी चूचिया मेरी मुँह मैं आएगी ..आज मेरा सपना पूरा हो गया
विवेक मेरी चूचियां चूसने लगा ..मेरे शरीर मैं अजीब कसक जाग उठी.. ओर मैं छटपटाने लगी .. मैंने विवेक को दूर करने की कोशिश की पर वह नहीं माना ओर मेरी चूचियां जोर जोर से चूसने लगा .. मैं कण्ट्रोल नहीं कर पायी ओर उसका सर जोर से दबा लिया ओर मेरे शरीर मैं कही झटके आये ओर मैं जोर से झड गयी ओर मेरी चुत से पानी की गंगा बही जो विवेक ने चाट कर साफ कर दिया, विवेक ने कहा .. देखो राणी .. मैं जानता था की तुम्हारे यह लम्बी निप्पल्स बहुत सेंसिटिव होंगी.. सिर्फ इसको चूसने से तुम झड गयी ओर तेरी चुत ने भी पानी की गंगा बहा दी , मैं भी हैरान थी .. आज तक ऐसे कभी नहीं हुआ था .. विवेक मेरी शरीर को ओर मेरी जरूरतों को मुज़से भी अच्छी तरह से जान गया था .
मैं थक गयी थी .. आज तीसरी बार मैं झड गयी थी .. मैं निढाल हो कर विवेक के नंगे बदन पर छिएक गयी ओर उसके छाती पर सर रखकर सो गयी ..
करीब एक डेढ़ घंटे के बाद जब आँख खुली तो विवेक भी सोया था .. मेरा हात उसकी चेस्ट पर था .. मैंने नीचे देखा ..मेरा खिलौना .. उसका लण्ड एकदम कड़क हो गया था .. ओर उसके लुंड के लाल टोपे पर शहद की बून्द चमक रही थी .. मैंने प्यार से उसके लण्ड पर हाथ रखा ओर सहलाया .. एक बड़ा शहद का बून्द बहार आया .. मैं मुँह निचे कर के उसको चाट लिया .. मेरे जीभ के स्पर्श से उसका लण्ड सिहर गया ओर एक बड़ा झटका मारा .. मैंने भी प्यार से पूरा गुलाबी काला लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिया.
अब मैं विवेक को जगाना नहीं चाहती थी .. इसलिए सिर्फ उसके लण्ड को मुँह मैं अंदर ले कर उसकी पेट पर सर रख कर सो गयी .. कभी ज्यादा अंदर लेती , कभी कम..अब उसका आधा लुंड मेरी मुँह मैं था .. मैं ना उसको चूस रही थी ना जीभ फिरा रही थी.. मुझे विवेक को जगाना नहीं था.
इसी पोजीशन मैं दस मिनट मैं मैंने विवेक का तीन चौथाई लण्ड मुँह मैं ले लिया था .. ओर अपनी साँसों पर कण्ट्रोल रखा था .. मैंने ओर ज्यादा कोशिश की ओर उसका पूरा लण्ड मेरे गले तक फस गया .. मुझे बैचनी हुई .. साँस रुक गयी .. पर मैंने धीरे धीरे सांस लेने की कोशिश की ओर मुँह ओर ज्यादा खोल दिया .. अब मुझे साँस लेना आसान हो गया .. ओर विवेक का पूरा लण्ड मेरी मुँह मैं था ओर मेरे लिप्स उसके पेट पर चिपक गए .. मैंने धीरे से मुँह दूर किया ..ओर फिर से लण्ड मुँह से बहार कर के फिर से निगल गयी .. मैं लगातार ऐसे कोशिश करती रही ओर विवेक का लण्ड अब फड़फड़ा रहा था ओर जोर से झटके दे रहा था .. क्या विवेक जाग गया था ? मैंने मूड कर देखा .. विवेक प्यार से मुस्करा रहा था .. बोला ..राणी अगली ट्रेनिंग तुम्हारी यही थी..पर तू तो अपने आप सिख गयी..पूरा लुंड मुँह मैं कैसे ले. विवेक अब जोर जोर से मेरा मुँह को चोदने लगा ... उसने मेरी जांघों को पीछे खींच लिया ओर मेरी चुत ओर गांड दोनों को चाटने लगा .. ओर एक बड़ा झटका देकर अपना पानी मेरे मुँह मैं छोड़ दिया .. मैंने भी प्यार से सारा पानी पी लिया ओर उसका लुंड चूस चूस कर सारा पानी निगल गयी..
विवेक ने मुझे उठाया ओर प्यार से अपनी बाँहों मैं लिया..कहा ..राणी..तू सच मैं मेरी राणी हैं.. इतने जल्दी सब सिख गयी.. आजतक कोई मेरा लण्ड पूरा मुँह मैं नहीं ले पाया .. तूने वह कर दिया जो कोई ना कर पाया ..ना अंजू ना कोई दूसरी औरत . मैं बहुत खुश हो गयी ओर वह मेरा मुँह खोल कर प्यार से उनका पानी मेरे मुँह से चूसने लगे .. कभी वह उनका गाढ़ा पाणी अपने मुँह मैं लेते .. कभी फिर से मेरे मुँह मैं डाल देते .. ऐसा मुझे अजीब नहीं लगा क्यूंकि हम चॉक्लेट ऐसे खा चुके थे..बाद मैं उन्होंने मुझे बताया की इसको कम स्वैपिंग भी कहते हैं.
तभी मुझे माँ की कॉल आयी .. संध्या हम कल रात को ट्रैन मैं बैठ रहे हैं..परसो सुबह आएंगे. मैं दुखी हो गयी.. अब सिर्फ एक दिन ही था मेरे पास , विवेक ने कहा चिंता मत करो कुछ हल ढून्ढ लेंगे. हमने एक सात नंगे बैठकर चाय पी , विवेक के जाने का टाइम हो गया था .. फिर कल वापस आऊंगा का वादा कर के चले गए.. जाते जाते उन्होंने मेरी ब्लू कलर की पैंटी उठायी ओर अपनी ऑफिस बैग के एक कप्पे मैं छुपा कर रख दी .. कहने लगे .. जब भी टूर पर जाऊंगा , इसको सूंघूंगा ओर तेरी याद से मूठ मारूंगा, तेरी तरफ से मुझे यह गिफ्ट .. मैं भी हंस दी.. कहा ओर मेरे लिए क्या गिफ्ट दोगे आप .. उन्होंने उनकी जॉकी की ब्रीफ्स .. रेड कलर वाली मेरे मुँह पर फेंक दी.. यह तेरे लिए .. इसे सूंघकर मेरे लण्ड को याद करना ओर हस के चले गए ..
मैंने सोचा .. मर्द को खुदसे ज्यादा प्यार उसके अपने लण्ड से होता हैं.. उनको याद ना करू पर उनके लण्ड को जरूर याद करू .. वाह रे मर्दों .. क्या तुम्हारी दुनिया..स्टार्ट ओर एन्ड सब लण्ड पर आकर ख़तम होती हैं .. मैं समज गयी थी की किसी भी मर्द को वही औरत पसंद आती हैं जो उससे नहीं पर उसके लण्ड से बेपनाह मोहोब्बत करे ...
मैं खाना खाकर बेड पर लेट गयी .. थक गयी थी .. बाजू मैं मुझे विवेक की निकर - जॉकी दिखी .. मैंने उसे उठाया ओर मुँह के पास लेकर सूंघने लगी.. वही खुश्बू .. वही स्वाद ..विवेक के लण्ड का मैंने उसको अपने तकिया पर रख दिया ओर उस पर मुँह रख कर सो गयी.. अपने विवेक जानू की खुश्बू सूंघती हुए ..ओर तीसरे दिन का इंतजार करने लगी..
दोस्तों क्या मैं सही कर रही थी ? प्लीज फीडबैक रिस्पांस दे ओर लाइक्स भी..