01-10-2022, 11:17 AM
(This post was last modified: 02-10-2022, 12:44 PM by luvnaked12. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
PART 3 UPDATE
मेरे लिए सब नया था . मैं और अंकल ६९ की पोजीशन मैं थे . मैं विस्मय भरी नज़रों से उनके लम्बे मोटे काले लण्ड को देख रही थी . इतने खूबसूरत आदमी का लण्ड इतना काला कैसे यही मैं सोच रही थी और उनके गुलाबी टोपे को लोल्लिपोप की तरह चूस रही थी, चुम रही थी . उनका लण्ड बहुत कड़क और फुफकार रहा था और उसमे से मीठा शहद मुझे पीला रहे थे . अंकल ने धीरे से पूछा रानी तुम्हारे पीरियड्स कब आये .. उन्होंने कहा की उनके पास अभी कंडोम नहीं, शाम को वह मुझे बच्चा न होने की गोलिया लेकर देंगे. मैंने भी है कर दी . मैं तैयार थी , मेरी चुत बहुत गिल्ली हो गयी थी और उनके लण्ड के लिए छटपटा रही थी. तभी उनकी फ़ोन की रिंग हुई , अंजू आंटी का फ़ोन था, उन्होंने उसे बताया की वह काम के सिलसिले मैं उनके दोस्त से मिलने आये हैं और शाम को लेट हो जायेंगे . मैं खुश हो गयी . उन्होंने पलट कर मुझे लिप्स पर किस किया और मेरे ओंठ चूसने लगे . वह पूरा मेरे ऊपर आ गे थे और उनका भरी भरकम लण्ड मेरे चुत पर रगड़ रहा था . विवेक अंकल थोड़ और निचे खिसके और मेरी चूचियों को सुक करने लगे . उन्होंने डेरे से मेरे दोनों पेअर इनके कन्धों पर ले लिए और उनका लण्ड मेरी चुत पर रगड़ने लगे . मैं पागल हो गयी. रानी इतनी सुन्दर चुत आज तक नहीं देखि , सच कहता हूँ आज टाक १०० से ज्यादा औरतों की चुदाई कर चूका हूँ . मैं खुश हुई , जानू अंदर डाल दो ना, विवेक अंकल बोले - बताओं क्या डालू, मैंने इशारा कर के उनका लण्ड पकड़ लिए, और कहा यह डाल दे . उन्होंने कहा . ऐसे नहीं रानी , प्यार से कहो ही लण्ड डाल दे. मैंने कहा जानू मेरी चुत मैं आपका मोटा लण्ड डाल दो . विवेक अंकल वाइल्ड हो गए .. हाँ मेरी रंडी , यह लो मेरा लण्ड , सिर्फ तेरा हैं और उन्होंने जोर से धक्का दिया और उनके लण्ड का टोप मेरी चुत मैं फंस गया . मुझे बहुत दर्द हुआ , मेरी ज़िल्ली टूट गयी थी , मैंने उनको कास के पकड़ लिया . अब विवेक अंकल मेरे जानू बन गए थे और मैं गुड़िया से उनकी रानी और अब रंडी बन गयी थी. उन्होंने मेरी चूचिया चूसने शुरू कर दी , बोले आराम से रानी, डरना मत, बहुत एन्जॉय करोगी . उनके चूसने से मुझे अच्छा लगा और मेरी चुत से फिर से पानी का झरना बेहेने लगा .. इससे उनको आसानी हो गयी और उन्होंने फिर से एक हल्का झटका मारा और उनका लण्ड मेरी चुत मैं आसानी से आधा चला गया. उन्होंने फिर से मेरे बूब्स चूसने चालू किये और हलकी दांत से काट लिया .मैं आह कर के तड़पने लगी और मेरी चुत जवानी का रस बहाने लगी थी . अब उन्होंने धीरे से पूरा लण्ड निकल दिया और फिर से हल्का झटका दिए और अपना लण्ड अंदर बहार करने लगे . अब मुझे मजा आने लगा .. मैं भी धीरे धीरे से अपनी गांड उछाल कर उनका सात देने लगी . उनका लण्ड अभी ३ चौथाई ही गया था मेरी चुत मैं . अब विवेक अंकल बहुत गरम हो गए थे , उनका हरयाणवी मर्द जाग गया था और असली औकात मैं आ गए थे . ले रंडी पूरा लुंड ले , बेहेन की लोडी , क्या मस्त गरम टाइट चुत है तेरी . मैं कब से तुझे चोदने के सपने देख रहा था , आज मौका मिल गया , अब तुझे रोज घोड़ी और कुतिया बना कर चोदूँगा . तू मेरी रांड है . बोल तू मेरी कोण हैं ? मैंने कहा मैं आपकी रांड हूँ , ऐसे नहीं .. बोलो की मैं विवेक की रांड हूँ .. मैंने कहा दिया मैं अपने जानू विवेक की रांड हूँ .. वह बड़े खुश हुए और जोर जोर से मुझे धक्के मरकर चोदने लगे. मैं चीखकर पाणी छोड दी . वाह मेरी रांड , कितनी गरम चुत है तेरी , इतना गरम पाणी , और गिल्ली चुत आजतक मैंने किसी औरत की नहीं देखीं और उन्होंने एक बड़ा झटका दिए जिसे उनका पूरा लण्ड मेरी बुर मैं चला गया . मैं जोर से चीखी पर उनके ओंठ फिर से मेरे मुँह को बंद कर दिया . उन्होंने वापस बड़े प्यार से धीरे धीरे पूरा लण्ड बहार निकाला और फिर से अंदर डाल दिया . वह मुझे अब फुल स्ट्रोक के सात चोदने लगे . मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं फिर से छटपटाने लगी . मैं भी गरम हो गयी .. हाँ विवेक जानू , मैं तेरी रांड हूँ .. जो चाहे कर ले . कभी कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी . सच मैं मेरी रांड . ठीक हैं .. मैं भी देखूंगा , तुज़से साब करवा लूंगा .. और अब वह जोर से आहें भरने लगे .. मेरी चुत भी पाणी छोङने तैयार थी .. मैं उनकी पीठ पर कस के पकड़ कर अपने नाख़ून चुभो दिए और वह ाआअह .. करके मेरे अंदर गरम पिचकारी छोङने लगे .. उसी समय मैंने भी अपना पाणी छोड दिया .. करीब १ मिनट तक मेरी चुत मैं उनका गरम लावा गिरता रहा . उनका गरम लावा मेरी चुत के गहराइयों मैं जा चूका था और मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी . वह मेरे ऊपर वैसे ही पड़े रहे और फिर धीरे से बाजु सरक गए .
मैं बहुत खुश थी .. आज मैं औरत बन गयी थी . वह भी मेरे पसंद की मर्द से .. सब स्वाभाविक हुआ .. ना कोई प्लानिंग ना कोई प्यार , बस दो नंगे जिस्म , एक दूसरे मैं लुफ्त ,सब सीमा लाँघ दी और एक दूसरे की बाँहों मैं सो गए . चॉकलेट खाने से चुदाई का सफर तीन घंटे चला , मैं बड़ी संतोष के सात उनकी बाँहों मैं सो गयी.
करीब दो घंटे बाद आँख खुली , विवेक अंकल मुझे निहार रहे थे और हलके से मेरे बदन पर हाथ फेर रहे थे. संध्या तुम गजब की सुन्दर हो , मैं बहुत लकी हूँ जो मुझे तुम मिली . मैंने भी कहा की जानू मैं भी बहुत लकी हूँ . वह उठे और बाथरूम से गीजर मैं से थोड़ा गरम पाणी लाये , मुझे बोले संध्या बोरोलीन या कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लाओ . मैं बिस्तर से उठी तो देखा की बिस्तर पर खून के दाग लगे थे . मैं मुस्करा दी .. यह तो कभी ना कभी होना था . उन्होंने गरम पाणी मैं टॉवल भीगा कर मेरी चुत को साफ़ किया और अच्छी से सेका , मेरी चुत बहुत सूज गयी थी और लाल दिख रही थी , उन्होंने एंटीसेप्टिक क्रीम लगा कर चुत की हलकी मालिश की , मुझे अच्छा लग रहा था , दर्द भी चला गया था .
मैंने हम दोनों के लिए चाय बना दी . उन्होंने कपडे पहनसे मना कर दिया . हम दोनों नंगे थे और उनकी गोदी मैं बैठ कर एक ही कप मैं दोनों ने चाय पी. उन्होंने कहा आज आराम करो , तुम्हारी चुत की जखम कल तक ठीक हो जाएगी . मैं कल सुबह ऑफिस के बहाने सीधे यहाँ आजाऊंगा और तुम तैयार रहना. मैं भी खुश हो गयी . उन्होंने कहा क्या तुम मेरे लिए एक बात कर सकती हो . मैंने कहा मैं आपको कभी मना नहीं करुँगी . उन्होंने कहा क्या तुम तुम्हारी चुत के बल साफ करोगी ? मैंने कहा मैंने कभी किआ नहीं , उसपर वह बोले ठीक हैं, मैं ही तुम्हारे चुत के बाल कल साफ कर दूंगा
फिर उन्होंने मेरे नंगे जिस्म को हर तरफ से चूमा और चाटा और कपडे पेहेन कर चले गए . शाम को उन्होंने मुझे गर्भे निरोधक गोली ला कर दी और खाना भी ले कर आये. मैं भी थक गयी , जल्दी खाना खाकर सो गयी और कल के मीठे मीठे सपने देखने लगी .
मेरे लिए सब नया था . मैं और अंकल ६९ की पोजीशन मैं थे . मैं विस्मय भरी नज़रों से उनके लम्बे मोटे काले लण्ड को देख रही थी . इतने खूबसूरत आदमी का लण्ड इतना काला कैसे यही मैं सोच रही थी और उनके गुलाबी टोपे को लोल्लिपोप की तरह चूस रही थी, चुम रही थी . उनका लण्ड बहुत कड़क और फुफकार रहा था और उसमे से मीठा शहद मुझे पीला रहे थे . अंकल ने धीरे से पूछा रानी तुम्हारे पीरियड्स कब आये .. उन्होंने कहा की उनके पास अभी कंडोम नहीं, शाम को वह मुझे बच्चा न होने की गोलिया लेकर देंगे. मैंने भी है कर दी . मैं तैयार थी , मेरी चुत बहुत गिल्ली हो गयी थी और उनके लण्ड के लिए छटपटा रही थी. तभी उनकी फ़ोन की रिंग हुई , अंजू आंटी का फ़ोन था, उन्होंने उसे बताया की वह काम के सिलसिले मैं उनके दोस्त से मिलने आये हैं और शाम को लेट हो जायेंगे . मैं खुश हो गयी . उन्होंने पलट कर मुझे लिप्स पर किस किया और मेरे ओंठ चूसने लगे . वह पूरा मेरे ऊपर आ गे थे और उनका भरी भरकम लण्ड मेरे चुत पर रगड़ रहा था . विवेक अंकल थोड़ और निचे खिसके और मेरी चूचियों को सुक करने लगे . उन्होंने डेरे से मेरे दोनों पेअर इनके कन्धों पर ले लिए और उनका लण्ड मेरी चुत पर रगड़ने लगे . मैं पागल हो गयी. रानी इतनी सुन्दर चुत आज तक नहीं देखि , सच कहता हूँ आज टाक १०० से ज्यादा औरतों की चुदाई कर चूका हूँ . मैं खुश हुई , जानू अंदर डाल दो ना, विवेक अंकल बोले - बताओं क्या डालू, मैंने इशारा कर के उनका लण्ड पकड़ लिए, और कहा यह डाल दे . उन्होंने कहा . ऐसे नहीं रानी , प्यार से कहो ही लण्ड डाल दे. मैंने कहा जानू मेरी चुत मैं आपका मोटा लण्ड डाल दो . विवेक अंकल वाइल्ड हो गए .. हाँ मेरी रंडी , यह लो मेरा लण्ड , सिर्फ तेरा हैं और उन्होंने जोर से धक्का दिया और उनके लण्ड का टोप मेरी चुत मैं फंस गया . मुझे बहुत दर्द हुआ , मेरी ज़िल्ली टूट गयी थी , मैंने उनको कास के पकड़ लिया . अब विवेक अंकल मेरे जानू बन गए थे और मैं गुड़िया से उनकी रानी और अब रंडी बन गयी थी. उन्होंने मेरी चूचिया चूसने शुरू कर दी , बोले आराम से रानी, डरना मत, बहुत एन्जॉय करोगी . उनके चूसने से मुझे अच्छा लगा और मेरी चुत से फिर से पानी का झरना बेहेने लगा .. इससे उनको आसानी हो गयी और उन्होंने फिर से एक हल्का झटका मारा और उनका लण्ड मेरी चुत मैं आसानी से आधा चला गया. उन्होंने फिर से मेरे बूब्स चूसने चालू किये और हलकी दांत से काट लिया .मैं आह कर के तड़पने लगी और मेरी चुत जवानी का रस बहाने लगी थी . अब उन्होंने धीरे से पूरा लण्ड निकल दिया और फिर से हल्का झटका दिए और अपना लण्ड अंदर बहार करने लगे . अब मुझे मजा आने लगा .. मैं भी धीरे धीरे से अपनी गांड उछाल कर उनका सात देने लगी . उनका लण्ड अभी ३ चौथाई ही गया था मेरी चुत मैं . अब विवेक अंकल बहुत गरम हो गए थे , उनका हरयाणवी मर्द जाग गया था और असली औकात मैं आ गए थे . ले रंडी पूरा लुंड ले , बेहेन की लोडी , क्या मस्त गरम टाइट चुत है तेरी . मैं कब से तुझे चोदने के सपने देख रहा था , आज मौका मिल गया , अब तुझे रोज घोड़ी और कुतिया बना कर चोदूँगा . तू मेरी रांड है . बोल तू मेरी कोण हैं ? मैंने कहा मैं आपकी रांड हूँ , ऐसे नहीं .. बोलो की मैं विवेक की रांड हूँ .. मैंने कहा दिया मैं अपने जानू विवेक की रांड हूँ .. वह बड़े खुश हुए और जोर जोर से मुझे धक्के मरकर चोदने लगे. मैं चीखकर पाणी छोड दी . वाह मेरी रांड , कितनी गरम चुत है तेरी , इतना गरम पाणी , और गिल्ली चुत आजतक मैंने किसी औरत की नहीं देखीं और उन्होंने एक बड़ा झटका दिए जिसे उनका पूरा लण्ड मेरी बुर मैं चला गया . मैं जोर से चीखी पर उनके ओंठ फिर से मेरे मुँह को बंद कर दिया . उन्होंने वापस बड़े प्यार से धीरे धीरे पूरा लण्ड बहार निकाला और फिर से अंदर डाल दिया . वह मुझे अब फुल स्ट्रोक के सात चोदने लगे . मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं फिर से छटपटाने लगी . मैं भी गरम हो गयी .. हाँ विवेक जानू , मैं तेरी रांड हूँ .. जो चाहे कर ले . कभी कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी . सच मैं मेरी रांड . ठीक हैं .. मैं भी देखूंगा , तुज़से साब करवा लूंगा .. और अब वह जोर से आहें भरने लगे .. मेरी चुत भी पाणी छोङने तैयार थी .. मैं उनकी पीठ पर कस के पकड़ कर अपने नाख़ून चुभो दिए और वह ाआअह .. करके मेरे अंदर गरम पिचकारी छोङने लगे .. उसी समय मैंने भी अपना पाणी छोड दिया .. करीब १ मिनट तक मेरी चुत मैं उनका गरम लावा गिरता रहा . उनका गरम लावा मेरी चुत के गहराइयों मैं जा चूका था और मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी . वह मेरे ऊपर वैसे ही पड़े रहे और फिर धीरे से बाजु सरक गए .
मैं बहुत खुश थी .. आज मैं औरत बन गयी थी . वह भी मेरे पसंद की मर्द से .. सब स्वाभाविक हुआ .. ना कोई प्लानिंग ना कोई प्यार , बस दो नंगे जिस्म , एक दूसरे मैं लुफ्त ,सब सीमा लाँघ दी और एक दूसरे की बाँहों मैं सो गए . चॉकलेट खाने से चुदाई का सफर तीन घंटे चला , मैं बड़ी संतोष के सात उनकी बाँहों मैं सो गयी.
करीब दो घंटे बाद आँख खुली , विवेक अंकल मुझे निहार रहे थे और हलके से मेरे बदन पर हाथ फेर रहे थे. संध्या तुम गजब की सुन्दर हो , मैं बहुत लकी हूँ जो मुझे तुम मिली . मैंने भी कहा की जानू मैं भी बहुत लकी हूँ . वह उठे और बाथरूम से गीजर मैं से थोड़ा गरम पाणी लाये , मुझे बोले संध्या बोरोलीन या कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लाओ . मैं बिस्तर से उठी तो देखा की बिस्तर पर खून के दाग लगे थे . मैं मुस्करा दी .. यह तो कभी ना कभी होना था . उन्होंने गरम पाणी मैं टॉवल भीगा कर मेरी चुत को साफ़ किया और अच्छी से सेका , मेरी चुत बहुत सूज गयी थी और लाल दिख रही थी , उन्होंने एंटीसेप्टिक क्रीम लगा कर चुत की हलकी मालिश की , मुझे अच्छा लग रहा था , दर्द भी चला गया था .
मैंने हम दोनों के लिए चाय बना दी . उन्होंने कपडे पहनसे मना कर दिया . हम दोनों नंगे थे और उनकी गोदी मैं बैठ कर एक ही कप मैं दोनों ने चाय पी. उन्होंने कहा आज आराम करो , तुम्हारी चुत की जखम कल तक ठीक हो जाएगी . मैं कल सुबह ऑफिस के बहाने सीधे यहाँ आजाऊंगा और तुम तैयार रहना. मैं भी खुश हो गयी . उन्होंने कहा क्या तुम मेरे लिए एक बात कर सकती हो . मैंने कहा मैं आपको कभी मना नहीं करुँगी . उन्होंने कहा क्या तुम तुम्हारी चुत के बल साफ करोगी ? मैंने कहा मैंने कभी किआ नहीं , उसपर वह बोले ठीक हैं, मैं ही तुम्हारे चुत के बाल कल साफ कर दूंगा
फिर उन्होंने मेरे नंगे जिस्म को हर तरफ से चूमा और चाटा और कपडे पेहेन कर चले गए . शाम को उन्होंने मुझे गर्भे निरोधक गोली ला कर दी और खाना भी ले कर आये. मैं भी थक गयी , जल्दी खाना खाकर सो गयी और कल के मीठे मीठे सपने देखने लगी .