30-09-2022, 05:48 PM
मैं उन्नाव का रहनेवाला हूँ | और अब कानपुर में जॉब करता हूँ | मेरा रंग सावला है मेरा कद 5 फुट 8 इंच है | मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच है जिसे देख कर अच्छी-अच्छी भाभियों और कन्याओं की चूत गीली हो जाये | तो चलिए ज्यादा बकवास न करते हुए मैं अपनी कहानी पे आता हूँ | desi bhabhi ki chut
बात उन दिनों की है जब मैं कानपूर में नया आया था तो मैंने जहा रूम लिया था वो तीसरी मंज़िल पे था | वही दूसरी मंजिल पे एक किरायेदार रहते थे उनका नाम अनिल था उनकी पत्नी का नाम अर्चना था | क्या कमाल का फिगर था पूरी कोलोनी मैं चर्चे थे अर्चना भाभी के मेरा ईमान उनपे डोल चुका था मैं तो सोते जागते उन्ही के सपने देखता था | पर आज तक कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई |
एक दिन मेरी छुट्टी थी मैं अपने रूम में था | तभी अनिल भैया आये और मुझ से पूछा की रजत आज तुम ऑफिस नहीं गए तो मैंने बताया की आज मेरे ऑफिस में छुट्टी है | उन्होंने कहा की यार रजत तुम्हारी भाभी को कुछ सामान खरीदना है मार्केट से तुम उनके साथ चले जाना मैं किसी काम से दिल्ली जा रहा हूँ तभी मैं तुम्हारी भाभी के साथ जा नहीं सकता | मैं तो ख़ुशी से उछल पड़ा की नेकी और पूछ कर मैंने हाँ कर दी की मैं चला जाऊंगा | थोड़ी देर बाद भैया दिल्ली के लिए निकल गए और मुझे कह गए की आज मैं उनके घर का ख्याल रखूँ | मैं थोड़ी देर बाद तैयार होकर पहुँच गया | भाभी भी तैयार बैठी थी जैसे की मेरा ही इंतज़ार कर रही हो |
हरी साडी मैं क्या गज़ब ढा रही थी.
बात उन दिनों की है जब मैं कानपूर में नया आया था तो मैंने जहा रूम लिया था वो तीसरी मंज़िल पे था | वही दूसरी मंजिल पे एक किरायेदार रहते थे उनका नाम अनिल था उनकी पत्नी का नाम अर्चना था | क्या कमाल का फिगर था पूरी कोलोनी मैं चर्चे थे अर्चना भाभी के मेरा ईमान उनपे डोल चुका था मैं तो सोते जागते उन्ही के सपने देखता था | पर आज तक कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई |
एक दिन मेरी छुट्टी थी मैं अपने रूम में था | तभी अनिल भैया आये और मुझ से पूछा की रजत आज तुम ऑफिस नहीं गए तो मैंने बताया की आज मेरे ऑफिस में छुट्टी है | उन्होंने कहा की यार रजत तुम्हारी भाभी को कुछ सामान खरीदना है मार्केट से तुम उनके साथ चले जाना मैं किसी काम से दिल्ली जा रहा हूँ तभी मैं तुम्हारी भाभी के साथ जा नहीं सकता | मैं तो ख़ुशी से उछल पड़ा की नेकी और पूछ कर मैंने हाँ कर दी की मैं चला जाऊंगा | थोड़ी देर बाद भैया दिल्ली के लिए निकल गए और मुझे कह गए की आज मैं उनके घर का ख्याल रखूँ | मैं थोड़ी देर बाद तैयार होकर पहुँच गया | भाभी भी तैयार बैठी थी जैसे की मेरा ही इंतज़ार कर रही हो |
हरी साडी मैं क्या गज़ब ढा रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.