22-09-2022, 09:56 PM
जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर मैं अपने घर पहुँची । मैं बोहोत थका हुआ महसूस कर रही थी घर पहुंचते ही मैं सीधे अपने बेडरूम मे गई और बेड पर गिर गई ।
बेड पर लेटकर मुझे वो सब फिर से याद आने लगा जो अभी थोड़ी देर पहले गुप्ता जी ने मेरे साथ अपनी दुकान मे किया था उसके साथ ही अशोक का भी ध्यान आया इन सब मे मैं अशोक को तो भूल ही गई थी अशोक का ख्याल आते ही मेरी आँखे भर आई मन मे ना जाने कितने भाव उमड़ने लगे । "मैं चाहकर भी क्यूँ अपने जिस्म की आग को रोक नहीं पाती , जब एक बार मेरी हवस परवान चढ़ती है उसके बाद तो मुझे कुछ ख्याल ही नहीं रहता ना अपने पति की इज्जत का , ना ही अपनी मर्यादाओं का और ना ही अपनी सीमाओं का "- मैं यही सोच रही थी और सोचते -2 मुझे नींद आ गई ।
तकरीबन 3:30 बजे डॉर बेल बजने की आवाज से मेरी आँखे खुली । मैं अँगड़ाई लेते हुए उठी । ये समय वरुण के आने का था । मैंने उठकर दरवाजे की ओर कदम बढ़ाए । दरवाजा खोला
तो सामने वरुण ही था वो मुझे देखकर मुस्कुराया तो रिटर्न मे मैंने भी उसे स्माइल पास की और कहा- " आजाओ वरुण .... "
वरुण अंदर आया और बोला - " आप सो रही थी क्या भाभी । "
मैं - हाँ । वो आज जरा थकान सी हो गई थी ।
वरुण - ओह । अगर आप आराम करना चाहे तो मैं चला जाता हूँ । पढ़ाई कल कर लेंगे ।
मैं - नहीं नहीं सब ठीक है थोड़ी सी थकान ही तो थी सो कर ठीक हो गई ।
इतनी बातों-2 मे ही हम दोनों हॉल मे आ गए मैंने सोफ़े की ओर इशारा करते हुए वरुण से कहा - " तुम बैठो वरुण , मैं अभी आई । " इतना बोलकर मे किचन मे चली गई और गैस पर अपने और वरुण के लिए चाय चढ़ा दी । जब मे किचन से बाहर आई तो देखा वरुण अपनी किताब खोल उसे ही पढ़ रहा था ये देखकर मुझे अच्छा लगा कि चलो अब वरुण अपनी पढ़ाई पर थोड़ा ध्यान तो दे रहा है पर मुझे गुप्ता जी की बात भी याद थी जो उन्होंने मुझे वरुण को के बारे मे बताई थी । मेरे मन मे एक सवाल भी था कि "क्या वरुण सच मे ऐसा ही है जैसा गुप्ता जी बोल रहे थे या फिर इसमे कुछ ओर बात है । " मैं वरुण के पास गई और उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गई और बोली - " वरुण , शनिवार को जो डेफ़िनिशन मैंने तुम्हें याद करने को दी थी वो तुमने याद करली । " वरुण ने मेरी ओर देखा और जवाब दिया - " जी भाभी मैंने उन्हे याद कर लिया । " वरुण की बात सुनकर मैंने खुशी से कहा - " वेरी गुड़ । चलो अब आगे पढ़ते है । " और इतना कहकर मैंने वरुण को आगे की डेफ़िनिशन याद करने को दी और खुद उठकर किचन मे आई । चाय बिल्कुल तैयार होने वाली थी उसके तैयार होते ही मैंने दो कप चाय तैयार की और वरुण को चाय देने के लिए किचन से बाहर आई
वरुण के पास पहुंचकर मैंने उसे बोला - " लो वरुण चाय पीओ । " जैसे ही मैं उसे चाय देने के लिए झुकी , तो हर बार की तरह मेरा पल्लू सरक गया और मेरे गोल-2 ब्लाउज मे कैद बूब्स वरुण के सामने आ गए
वरुण चाय लेना भूल सीधे मेरे बूब्स को अपनी आँखों से घूरने लगा । अपनी स्थिति को देख मैंने जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया और चाय का कप वरुण के सामने टेबल पर रखकर सीधी हो गई । वरुण भी होश मे आया और चुपचाप सीधा होकर चाय पीने लगा । उसके बाद मैं किचन मे गई और अपनी भी चाय ले आइ फिर सोफ़े पर बैठकर चाय पीने लगी वरुण मेरे सामने बैठकर ही पढ़ रहा था और बीच -2 मे अपनी चोर निगाहों से मेरे बूब्स को घूर रहा था । जब भी मे उसे कुछ समझाने के लिए उसकी किताब मे देखती झुकने के कारण मेरे बूब्स , ब्लाउज से छलककर वरुण की आँखों के सामने आ जाते और उसकी पैनी नजरे वहीं जम जाती । मैं वरुण की हर हरकत पर गौर कर रही थी और उसकी नज़रों मे अपने बूब्स के लिए हवस मुझे साफ दिखाई दे रही थी जो मुझे भी अंदर रोमांचित करने लगी । ये सिलसिला थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा फिर अचानक से वरुण खड़ा हो हुआ और बोला - " भाभी मुझे वाशरूम जाना है । " उसकी ये बात सुन मेरे दिमाग मे उस दिन का वोही द्रश्य छा गया जब वरुण वाशरूम मे अपना लिंग बाहर निकाले हिला रहा था और उसके याद आते ही मेरे दिल मे धुक-2 होने लगी मैंने तिरछी नज़रों से उसकी ओर देखा तो मुझे उसकी पेंट के ऊपर वही जाना-पहचाना ऊभार नजर आया । उसके लिंग का ऊभार देखकर मेरी साँसे फिर रुक सी गई मैंने बिना बोले उसे जाने का इशारा किया ।
वरुण सीधा हॉल से निकलकर वाशरूम की ओर जाने लगा । आज जिस वजह ने मेरा ध्यान खींचा वो थी के वरुण जाते हुए आपना मोबाईल नहीं ले गया था , पता नहीं ये मेरा वरुण की ओर आकर्षण था या मेरी हवस पर मुझे फिर से वरुण को देखने की इच्छा होने लगी मन बैचेन हो उठा जैसे कह रहा हो एक बार जाके देख की वरुण क्या कर रहा है । मैंने मन को डाँटने की कोशिश की पर जिस्म मे उठते इस रोमांच को रोक ना सकी और धीरे से अपनी सैंडल वही हॉल मे उतारकर धीरे-2 वाशरूम की ओर चलने लगी , चलते हुए भी मेरा दिल जोर-2 से धडक रहा था एक अलग ही रोमांच का नशा मुझ पर छा रहा था इस तरह से मैंने पहले काभी किसी को छिपकर नहीं देखा था और ये नशा अंदर ही अंदर मेरे बदन का रोयाँ सुलगा ने लगा । हॉल से निकली तो देखा वाशरूम का दरवाजा बंद है एक बार को तो मेरे जिस्म मे शांति का भाव आ गया , लगा की जैसे एक तूफान मेरे मन मे थम गया । मैं वापस मुड़ने लगी पर तभी मेरी नज़र वाशरूम से अटैच बाथरूम पर पड़ी जिसका दरवाजा आधा खुला हुआ था मेरे मन मे बेचैनी जो अभी कुछ कम हुई थी ओर भी बढ़ गई " वरुण तो वाशरूम मे गया था फिर ये बाथरूम का गेट क्यूँ खुला हुआ है ? कहीं वरुण बाथरूम मे तो नहीं? "मेरी इस सोच ने मेरी धड़कन को और भी तेज कर दिया । " अगर वरुण बाथरूम मे हुआ तो वो क्या कर रहा होगा ? " ये ही सब सोचते-सोचते मैं बाथरूम के पास पहुँची । जैसे ही मैं बाथरूम के पास गई तो मुझे हल्की -2 कुछ आवाजे सुनाई पड़ी मैंने धीरे से बाथरूम मे झाँका तो जो मैंने देखा उसे देख मेरी धड़कने रुक और साँसे फूलने लगी ।
अंदर वरुण ने अपनी पेंट खोल अपना लिंग बाहर निकाला हुआ था जिसे वो एक हाथ से पकड़ कर हिला रहा था
और दूसरे हाथ मे मेरी ब्रा और पेन्टी को लेकर अपनी नाक के पास लेजाकर सूँघ रहा था । " हे भगवान ....... ये वरुण क्या कर रहा है कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही कल तक जो मेरे साथ खेलता था आज मेरी ब्रा-पेन्टी से खेल रहा है । "- ये सोच-सोचकर मेरी साँसे और भारी होने लगी डर के मारे मेरे पैर कांपने लगे दिल की धड़कने तेज हो चुकी थी और एक उत्तेजना ने मेरे जिस्म पर कब्जा कर लिया ,ना जाने क्यूँ और कैसे मेरा जिस्म मेरे काबू से बाहर होता चला गया मैं छिपकर वरुण को देखने लगी ।
वरुण ने मेरी ब्रा को अपने लिंग के टोपे पर रखकर रगड़ना शुरू किया और मेरी पेन्टी को अपने होंठों के पास लेजाकर उसे चूमने -चाटने लगा ठीक वैसे ही जैसे गुप्ता जी ने अपनी दुकान मे किया था जिस तरह से वरुण मेरी पेन्टी को चूम और चाट रहा था मुझे तो ऐसा महसूस होने लगा जैसे वो मेरी योनि को चूम रहा है मेरी साँसों की रफ्तार बढ़ती रही वरुण साथ मे धीरे से कुछ बड़बड़ा भी रहा था जो मुझे हल्का-हल्का सुन रहा था । " आह ...... पदमा भाभी ....... सेक्सी ......... मिल ......... खा जाऊँगा ...।..।।। " - ये सब बातें बोलते हुए वरुण जोर-जोर से मेरी ब्रा को अपने लिंग पर रगड़ने लगा । वरुण अंदर अपनी हरकतों को अंजाम दे रहा था और इधर मैं उसकी इन हरकतों से उत्तेजित हो चुकी थी
और अनजाने मे ही मेरा हाथ मेरी योनि पर पहुँच गया । पेन्टी तो मैंने पहनी ही नहीं थी तो हाथ की सीधी चोट ,योनि पर होने लगी जिससे मेरे मन मे उठे रोमांच से पैदा हुई उत्तेजना ने गहरी हवस का रूप ले लिया मेरी योनि भी गीली होकर पानी छोड़ने लगी और योनि को सहलाने के लिए चलने वाले मेरे हाथ भड़कती जिस्म की आग को शांत करने के लिए उसे रगड़ने लगे हवस मे अंधी हो मैं अपने होंठ काटने लगी और तेजी से अपनी योनि को रगड़ने लगी उधर वरुण भी अब पूरी तेजी के साथ अपने लिंग को हिला रहा था और इधर मैं भी एक हाथ से अपने बूब्स और दूसरे हाथ से अपनी योनि के दाने को रगड़ने लगी जल्द ही मेरी योनि भर-भरकर पानी छोड़ने लगी मेरी हालत खराब हो चली मैं बोहोत ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपनी योनि के दाने को मसलने लगी मेरे अंदर की वासना का लावा अब पानी के रूप मे बाहर आना चाहता था और मैं भी उसे रुकने नहीं देना चाहती थी मैंने अपने होंठ दाँतों तले दबाकर जोर-2 से अपनी योनि को रगड़ा , मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा । उधर वरुण ने भी अपनी उखड़ती हुई साँसों को थामते हुए अपना सारा वीर्य मेरी ब्रा के कप मे भर दिया और इधर मैं भी अपनी आहों को बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ्न करते हुए झड़ने लगी
पेन्टी ना पहने रखने के कारण मेरी योनि का सारा पानी मेरी टांगों से बहता हुआ नीचे फर्श पर बिखर गया, वासना शांत हुई तो कुछ होश आया झड़ने के बाद मेरे लिए खड़ा रहना मुश्किल हो गया मुझे साँस चढ़ रही थी और मेरे माथे पर पसीना छलक आया था वासना का तूफान थमने के बाद मुझे अपनी स्थिति का पता लगा । बाथरूम के अंदर का नजारा भी कुछ ऐसा ही था झड़ने के बाद वरुण ने मेरी ब्रा और पेन्टी वही बाथरूम की टाइल्स पर फेंक दी और नीचे बैठ गया । मैंने सावधानी से अपने कदम पीछे खींचने शुरू किये , वरुण के बाथरूम से निकलने से पहले मुझे हॉल मे जाकर सोफ़े पर बैठना था और मे इसमे कामयाब भी हो गई ।
बेड पर लेटकर मुझे वो सब फिर से याद आने लगा जो अभी थोड़ी देर पहले गुप्ता जी ने मेरे साथ अपनी दुकान मे किया था उसके साथ ही अशोक का भी ध्यान आया इन सब मे मैं अशोक को तो भूल ही गई थी अशोक का ख्याल आते ही मेरी आँखे भर आई मन मे ना जाने कितने भाव उमड़ने लगे । "मैं चाहकर भी क्यूँ अपने जिस्म की आग को रोक नहीं पाती , जब एक बार मेरी हवस परवान चढ़ती है उसके बाद तो मुझे कुछ ख्याल ही नहीं रहता ना अपने पति की इज्जत का , ना ही अपनी मर्यादाओं का और ना ही अपनी सीमाओं का "- मैं यही सोच रही थी और सोचते -2 मुझे नींद आ गई ।
तकरीबन 3:30 बजे डॉर बेल बजने की आवाज से मेरी आँखे खुली । मैं अँगड़ाई लेते हुए उठी । ये समय वरुण के आने का था । मैंने उठकर दरवाजे की ओर कदम बढ़ाए । दरवाजा खोला
तो सामने वरुण ही था वो मुझे देखकर मुस्कुराया तो रिटर्न मे मैंने भी उसे स्माइल पास की और कहा- " आजाओ वरुण .... "
वरुण अंदर आया और बोला - " आप सो रही थी क्या भाभी । "
मैं - हाँ । वो आज जरा थकान सी हो गई थी ।
वरुण - ओह । अगर आप आराम करना चाहे तो मैं चला जाता हूँ । पढ़ाई कल कर लेंगे ।
मैं - नहीं नहीं सब ठीक है थोड़ी सी थकान ही तो थी सो कर ठीक हो गई ।
इतनी बातों-2 मे ही हम दोनों हॉल मे आ गए मैंने सोफ़े की ओर इशारा करते हुए वरुण से कहा - " तुम बैठो वरुण , मैं अभी आई । " इतना बोलकर मे किचन मे चली गई और गैस पर अपने और वरुण के लिए चाय चढ़ा दी । जब मे किचन से बाहर आई तो देखा वरुण अपनी किताब खोल उसे ही पढ़ रहा था ये देखकर मुझे अच्छा लगा कि चलो अब वरुण अपनी पढ़ाई पर थोड़ा ध्यान तो दे रहा है पर मुझे गुप्ता जी की बात भी याद थी जो उन्होंने मुझे वरुण को के बारे मे बताई थी । मेरे मन मे एक सवाल भी था कि "क्या वरुण सच मे ऐसा ही है जैसा गुप्ता जी बोल रहे थे या फिर इसमे कुछ ओर बात है । " मैं वरुण के पास गई और उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गई और बोली - " वरुण , शनिवार को जो डेफ़िनिशन मैंने तुम्हें याद करने को दी थी वो तुमने याद करली । " वरुण ने मेरी ओर देखा और जवाब दिया - " जी भाभी मैंने उन्हे याद कर लिया । " वरुण की बात सुनकर मैंने खुशी से कहा - " वेरी गुड़ । चलो अब आगे पढ़ते है । " और इतना कहकर मैंने वरुण को आगे की डेफ़िनिशन याद करने को दी और खुद उठकर किचन मे आई । चाय बिल्कुल तैयार होने वाली थी उसके तैयार होते ही मैंने दो कप चाय तैयार की और वरुण को चाय देने के लिए किचन से बाहर आई
वरुण के पास पहुंचकर मैंने उसे बोला - " लो वरुण चाय पीओ । " जैसे ही मैं उसे चाय देने के लिए झुकी , तो हर बार की तरह मेरा पल्लू सरक गया और मेरे गोल-2 ब्लाउज मे कैद बूब्स वरुण के सामने आ गए
वरुण चाय लेना भूल सीधे मेरे बूब्स को अपनी आँखों से घूरने लगा । अपनी स्थिति को देख मैंने जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया और चाय का कप वरुण के सामने टेबल पर रखकर सीधी हो गई । वरुण भी होश मे आया और चुपचाप सीधा होकर चाय पीने लगा । उसके बाद मैं किचन मे गई और अपनी भी चाय ले आइ फिर सोफ़े पर बैठकर चाय पीने लगी वरुण मेरे सामने बैठकर ही पढ़ रहा था और बीच -2 मे अपनी चोर निगाहों से मेरे बूब्स को घूर रहा था । जब भी मे उसे कुछ समझाने के लिए उसकी किताब मे देखती झुकने के कारण मेरे बूब्स , ब्लाउज से छलककर वरुण की आँखों के सामने आ जाते और उसकी पैनी नजरे वहीं जम जाती । मैं वरुण की हर हरकत पर गौर कर रही थी और उसकी नज़रों मे अपने बूब्स के लिए हवस मुझे साफ दिखाई दे रही थी जो मुझे भी अंदर रोमांचित करने लगी । ये सिलसिला थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा फिर अचानक से वरुण खड़ा हो हुआ और बोला - " भाभी मुझे वाशरूम जाना है । " उसकी ये बात सुन मेरे दिमाग मे उस दिन का वोही द्रश्य छा गया जब वरुण वाशरूम मे अपना लिंग बाहर निकाले हिला रहा था और उसके याद आते ही मेरे दिल मे धुक-2 होने लगी मैंने तिरछी नज़रों से उसकी ओर देखा तो मुझे उसकी पेंट के ऊपर वही जाना-पहचाना ऊभार नजर आया । उसके लिंग का ऊभार देखकर मेरी साँसे फिर रुक सी गई मैंने बिना बोले उसे जाने का इशारा किया ।
वरुण सीधा हॉल से निकलकर वाशरूम की ओर जाने लगा । आज जिस वजह ने मेरा ध्यान खींचा वो थी के वरुण जाते हुए आपना मोबाईल नहीं ले गया था , पता नहीं ये मेरा वरुण की ओर आकर्षण था या मेरी हवस पर मुझे फिर से वरुण को देखने की इच्छा होने लगी मन बैचेन हो उठा जैसे कह रहा हो एक बार जाके देख की वरुण क्या कर रहा है । मैंने मन को डाँटने की कोशिश की पर जिस्म मे उठते इस रोमांच को रोक ना सकी और धीरे से अपनी सैंडल वही हॉल मे उतारकर धीरे-2 वाशरूम की ओर चलने लगी , चलते हुए भी मेरा दिल जोर-2 से धडक रहा था एक अलग ही रोमांच का नशा मुझ पर छा रहा था इस तरह से मैंने पहले काभी किसी को छिपकर नहीं देखा था और ये नशा अंदर ही अंदर मेरे बदन का रोयाँ सुलगा ने लगा । हॉल से निकली तो देखा वाशरूम का दरवाजा बंद है एक बार को तो मेरे जिस्म मे शांति का भाव आ गया , लगा की जैसे एक तूफान मेरे मन मे थम गया । मैं वापस मुड़ने लगी पर तभी मेरी नज़र वाशरूम से अटैच बाथरूम पर पड़ी जिसका दरवाजा आधा खुला हुआ था मेरे मन मे बेचैनी जो अभी कुछ कम हुई थी ओर भी बढ़ गई " वरुण तो वाशरूम मे गया था फिर ये बाथरूम का गेट क्यूँ खुला हुआ है ? कहीं वरुण बाथरूम मे तो नहीं? "मेरी इस सोच ने मेरी धड़कन को और भी तेज कर दिया । " अगर वरुण बाथरूम मे हुआ तो वो क्या कर रहा होगा ? " ये ही सब सोचते-सोचते मैं बाथरूम के पास पहुँची । जैसे ही मैं बाथरूम के पास गई तो मुझे हल्की -2 कुछ आवाजे सुनाई पड़ी मैंने धीरे से बाथरूम मे झाँका तो जो मैंने देखा उसे देख मेरी धड़कने रुक और साँसे फूलने लगी ।
अंदर वरुण ने अपनी पेंट खोल अपना लिंग बाहर निकाला हुआ था जिसे वो एक हाथ से पकड़ कर हिला रहा था
और दूसरे हाथ मे मेरी ब्रा और पेन्टी को लेकर अपनी नाक के पास लेजाकर सूँघ रहा था । " हे भगवान ....... ये वरुण क्या कर रहा है कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही कल तक जो मेरे साथ खेलता था आज मेरी ब्रा-पेन्टी से खेल रहा है । "- ये सोच-सोचकर मेरी साँसे और भारी होने लगी डर के मारे मेरे पैर कांपने लगे दिल की धड़कने तेज हो चुकी थी और एक उत्तेजना ने मेरे जिस्म पर कब्जा कर लिया ,ना जाने क्यूँ और कैसे मेरा जिस्म मेरे काबू से बाहर होता चला गया मैं छिपकर वरुण को देखने लगी ।
वरुण ने मेरी ब्रा को अपने लिंग के टोपे पर रखकर रगड़ना शुरू किया और मेरी पेन्टी को अपने होंठों के पास लेजाकर उसे चूमने -चाटने लगा ठीक वैसे ही जैसे गुप्ता जी ने अपनी दुकान मे किया था जिस तरह से वरुण मेरी पेन्टी को चूम और चाट रहा था मुझे तो ऐसा महसूस होने लगा जैसे वो मेरी योनि को चूम रहा है मेरी साँसों की रफ्तार बढ़ती रही वरुण साथ मे धीरे से कुछ बड़बड़ा भी रहा था जो मुझे हल्का-हल्का सुन रहा था । " आह ...... पदमा भाभी ....... सेक्सी ......... मिल ......... खा जाऊँगा ...।..।।। " - ये सब बातें बोलते हुए वरुण जोर-जोर से मेरी ब्रा को अपने लिंग पर रगड़ने लगा । वरुण अंदर अपनी हरकतों को अंजाम दे रहा था और इधर मैं उसकी इन हरकतों से उत्तेजित हो चुकी थी
और अनजाने मे ही मेरा हाथ मेरी योनि पर पहुँच गया । पेन्टी तो मैंने पहनी ही नहीं थी तो हाथ की सीधी चोट ,योनि पर होने लगी जिससे मेरे मन मे उठे रोमांच से पैदा हुई उत्तेजना ने गहरी हवस का रूप ले लिया मेरी योनि भी गीली होकर पानी छोड़ने लगी और योनि को सहलाने के लिए चलने वाले मेरे हाथ भड़कती जिस्म की आग को शांत करने के लिए उसे रगड़ने लगे हवस मे अंधी हो मैं अपने होंठ काटने लगी और तेजी से अपनी योनि को रगड़ने लगी उधर वरुण भी अब पूरी तेजी के साथ अपने लिंग को हिला रहा था और इधर मैं भी एक हाथ से अपने बूब्स और दूसरे हाथ से अपनी योनि के दाने को रगड़ने लगी जल्द ही मेरी योनि भर-भरकर पानी छोड़ने लगी मेरी हालत खराब हो चली मैं बोहोत ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपनी योनि के दाने को मसलने लगी मेरे अंदर की वासना का लावा अब पानी के रूप मे बाहर आना चाहता था और मैं भी उसे रुकने नहीं देना चाहती थी मैंने अपने होंठ दाँतों तले दबाकर जोर-2 से अपनी योनि को रगड़ा , मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा । उधर वरुण ने भी अपनी उखड़ती हुई साँसों को थामते हुए अपना सारा वीर्य मेरी ब्रा के कप मे भर दिया और इधर मैं भी अपनी आहों को बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ्न करते हुए झड़ने लगी
पेन्टी ना पहने रखने के कारण मेरी योनि का सारा पानी मेरी टांगों से बहता हुआ नीचे फर्श पर बिखर गया, वासना शांत हुई तो कुछ होश आया झड़ने के बाद मेरे लिए खड़ा रहना मुश्किल हो गया मुझे साँस चढ़ रही थी और मेरे माथे पर पसीना छलक आया था वासना का तूफान थमने के बाद मुझे अपनी स्थिति का पता लगा । बाथरूम के अंदर का नजारा भी कुछ ऐसा ही था झड़ने के बाद वरुण ने मेरी ब्रा और पेन्टी वही बाथरूम की टाइल्स पर फेंक दी और नीचे बैठ गया । मैंने सावधानी से अपने कदम पीछे खींचने शुरू किये , वरुण के बाथरूम से निकलने से पहले मुझे हॉल मे जाकर सोफ़े पर बैठना था और मे इसमे कामयाब भी हो गई ।