20-09-2022, 11:01 PM
मैं मंजु , आगे की कहानी सुनाती हूँ ।
होटल में प्यारे ने जब पहली बार चोदा तब मुझे नहीं मालूम हुआ कि उसने मेरी चुदाई की भूख मिटाई नहीं बल्कि हज़ारों गुना बढ़ा दिया ।
ट्रेन में राघव ने जब पहली बार चोदा तो बढिया नहीं लगा । लेकिन दूसरी बार की चुदाई बहुत ही पसंद आई । राघव ने दिल ख़ुश किया ही चूत की गर्मी भी शांत कर दी । किरण ने हमारी चुदाई देखी लेकिन मुझे ना कोई शर्म ही आई ना कोई गिल्ट फिलिंग ही हुई । राघव ने अप्सरा होटल बुलाया था , मैं वहाँ जाने को तैयार थी ।
हम राघव की कार से ही अपने घर पहुँचे । हमने नॉक किया और बाबू जी ने ही दरवाज़ा खोला । सुबह का ९ बजने बाला था । उन्होंने कमर में एक लुंगी ही बॉंघा था । कमर के उपर नंगे थे । मैं उनका पॉंव छुने नीचे झुक ही रही थी कि उन्होंने बीच में ही पकड़ लिया और ऐसा पकड़ा कि उनका एक हाथ मेरी एक चूची पर था । चूची पर हाथ स्थिर रहता तो भी ठीक था लेकिन उस बेटीचोद विजेंद्र ने ४ बार कस कर चूची को मसला और मुझे छोड़ा ।
मैं ख़ुद ही अपने ससुर को पसंद करती थीं । लेकिन मैं ने ये नहीं सोचा था कि मेरे २-३ दिन ही घर के बाहर रहने से मेरा ससुर इतना बेसब्र हो जायेगा कि मेरे घर आते ही मेरी चूची मसल देगा । मैं मन ही मन प्रार्थना की कि किसी ने नहीं देखा हो कि ससुर ने बहु का चूची मसला ।
बाबू जी —— आ जाओ, हम कब से तुम दोनों का इंतज़ार कर रहे हैं । मंजु बेटी, तुम्हारे बिना घर अब सूना लगने लगा है।
तब तक वहॉं विनोद की मॉ कल्पना और छोटी बेटी केतकी भी आ गई ।
, मैंने सास का पॉंव छु कर प्रणाम किया और केतकी के गले लगाकर गालों को चुमा ।
केतकी —- भाभी , आप क्या जादू करवा कर आई हैं । पहले ही आप ग़ज़ब की खुबसूरत थी लेकिन अब तो आपके उपर ऑंख ही नहीं ठहर रही है । भैया क्या खिलाया भाभी को ।
मैं क्या बोलती कि दो दिनों में मैं ने क्या क्या और कितना खाया ।
केतकी —- भाभी, हाथ मुँह धो लीजिए, मैं आपलोगों को स्पेशल चाय पिलाती हूँ ।
केतकी ने चाय की बात की और मेरी ऑंखें के सामने पहले कपिल और बाद में अफ़ज़ल की तस्वीर दौड़ने लगी । कपिल ने विनोद के सामने भी चोदा और रात में भी चोदने आया । अगली सुबह अफ़ज़ल चाय लेकर आया और मेरे और अफ़ज़ल की चुदाई भी विनोद ने देखी । और पहली बार मुझे पछतावा हुआ कि मैं राँची के उसी संगम होटल में क्यों नहीं रह गई ।
लेकिन अभी अपने ससुराल में थी । ससुराल आते समय रास्ते में मुझे एक मुझसे दोगुने उम्र के आदमी ने चोदा ही उसने अगले दिन ( यानी आज ) होटल अप्सरा में बुलाया है । मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है कि उसकी घरवाली ने हमारी चुदाई देखी ।
कुछ देर के बाद केतकी चाय लेकर आई । हम तीनों , मैं, विनोद और केतकी चाय पी रहे थे , बाबू जी भी आ गये और बेशर्म जैसा मेरे बग़ल में बैठ गये ।
मैं —- ननद जी , सच बहुत ही बढ़िया स्वाद है । होटल में भी बढिया चाय मिला लेकिन ऐसा स्वाद नहीं मिला ।
बाबूजी एक हाथ से चाय पी रहे थे और दूसरा हाथ मेरी जाँघ पर था ।
विनोद—- हॉं, ये चाय बहुत बढिया है लेकिन संगम होटल में चाय के साथ जो गरमा गरम नमकीन मिलता था उसका कोई मुक़ाबला नहीं । है न मंजु ।
केतकी- क्या कैसा नपकीन !
मैं —- विनोद, अगली बार राँची जायेंगे तो साथ में अपनी बहन को भी ले लेंगें । कपिल और प्यारे को बोलेंगे तो दोनों केतकी को भी बढिया से खिला देंगें ।
मुझे विश्वास था कि अगर केतकी गई तो विनोद अपनी बहन को भी अपने सामने कपिल और प्यारे से ही नहीं चुदवायेंगा, जतीन और उसके आदमियों से धंधा भी करायेगा । लेकिन अब मुझे राँची या कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं थी । बेटा और बेटी दोनों बैठे हैं फिर भी मेरे ससुर ने कपड़ों के उपर से चूत दबा कर बता दिया कि वो मुझे चोदेगा ही । मैं ने मन ही मन सोचा कि ससुर से ही कहुंगी कि मुझे अप्सरा होटल पहुँचा दे । राघव से इनाम भी लेना था और चुदवाना भी था ।
हम क़रीब आधे घंटा वहीं बैठ कर चाय पीते हुए बातें भी कर रहे थे और मेरा ससुर पूरे समय मुझे दबाता रहा , चूत मसलता रहा । केतकी ने ही जब दुकान जाने की बात कही तब ससुर ने मुझे छोड़ा । साल ने नहाने कहा तो मैं अपने रुम से नया पेटीकोट और ब्लाउज़ के साथ टेबल लेकर बाथरूम में घुस गई । घर में तीन बाथरूम थे लेकिन कोई भी अटैट्च्ट नहीं था ।
२० मिनट बाद बाथरूम से पेटीकोट और ब्लाउज़ पहन कर , बालों में टॉवेल बांध कर निकली तो देखा कि हमने जो देवगढ़ में सामान ख़रीदा था विनोद अपनी मॉं बहन के दिखा रहा था । ससुर जी नज़र नहीं आये ।
मैं बाथरूम में घुसी और किसी ने मुझे कसकर अपनी बाँहों में बॉंघा । पुछने या सोचने की ज़रूरत नहीं थी । जितना कसकर इस आदमी ने पकड़ा था वैसी मज़बूत पकड़ ना प्यारे की थी और ना राजीव की ।
ससुर—। मंजु , तुम तीन दिन यहाँ नहीं थी , तुम्हारा प्यारा चेहरा नहीं देखा तब मुझे महसूस हुआ कि मैंने तुम्हें अपने बेटे के साथ ब्याह करवाया है सिर्फ़ अपने लिए, विनोद से चुदवाने के लिए नहीं । जल्दी से मुझे एक मेरा बेटा दे दो फिर विनोद को मार दुंगा ।
मैं —— विनोद तो बाद में मरेगा लेकिन अभी अगर किसी को मालूम हो गया तो सब हम दोनों को ही मार देंगें । अभी बाहर जाइए, बढ़िया मौक़ा मिलेगा तब वात करेंगे ।
ससुर—- जल्दी से अपनी खुबसूरत जवानी दिखा दो मैं चला जाऊँगा ।
बेटीचोद ने कहा और झट से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट नीचे गिरा । इतना ही नहीं मेरी नंगी चुत्तरों से कड़क लौडा टकराया । अफजल या कपिल से बहुत ज़्यादा हिम्मत थी । घर में सभी थे और घर का मालिक बहु के नंगे चुत्तर पर लौडा रगड़ रहा था ।
उसने मुझे अपने तरफ़ घुमाया । मैं अपने हाथ को रोक नहीं पाई । मैंने दोनों हाथों से लौडा पकड़ा ।
मैं —— बाबूजी, मैं तो बहु हूँ आपकी बेटी केतकी और वीणा भी ये मस्त मुसल . घोड़ा के जैसा मस्त कड़क लौडा देखेगी तो बिना चूत में लिए आपको नहीं जाने देगी ।
मेरी बात सुन बाबू जी बहुत खुश हुए । व्लाउज के सारे बटन खोल मुझे नंगा कर दिया । लौडा मैंने दोनों हाथों से पकड़ा था फिर भी ससुर अपने हाथ से पकड़ चूत पर रगड़ने लगे । दूसरे हाथ से चूचियों को मसलते हुए बोले .
“ मंजु रानी , तुम्हारी चूत सबसे प्यारी है “
मैंने लौडा को कस कर दबाया ।
मैं —- बाबूजी आप अपनी जान दे देंगे फिर भी आपकी ये बहु खुद आप से चुदवाने नहीं आयेगी । आप अगर मेरी चूत में अपना लौडा पोसना चाहते हैं और अपने बेटे से खुशामद किजीए कि विनोद अपनी घरवाली को आपसे चुदवाने दे, आपके दोस्तों से भी चुदवाने दे । वैसे सच कहती हूँ मुझे भी आपकी लौडा बहुत ही ज़्यादा पसंद है । विनोद का लौडा आपके लौडा से क़रीब २ इंच खोट ा भी है और पतला भी । लौडा देखकर लगता ही नहीं कि विनोद आपकी बेटी है । बिनोद की खुशामद किजीए, उसे अपना लौडा दिखाइए शायद वो अपने सामने अपनी घरवाली के आँवले चुदवा दे।
मैंने बाबू जी के लौडा को ज़ोर से दवाया ।
मैं—— मुझे आज २ बजे अप्सरा होटल पहुँचना है । आप को ही पहुँचाना होगा ।
मेरी बात सुनकर ससुर मुस्कुराया ।
ससुर—- अपने किसी यार से चुदवाना है ?
मैं —- हॉ, उसका लौडा आपके सामने छोटा भी है और पतला भी लेकिन बहुत ही प्यार से चोदता है
। अगर मुझे समय पर होटल नहीं पहुँचाया तो फिर बहु की जवानी छूने के लिए क्या देखने के लिए भी नहीं मिलेगी । बहुत मस्ती हो गई , बाहर जाओ ।
२-३ मिनट बूर और चूची को दबा कर बाबू जी ने कपड़ा पहना और जाने लगा ।
“ रानी , डेढ़ बजे तैयार रहना । अप्सरा होटल १५ मील है , अगले बार से अजंता होटल में बुलाने के लिए बोलना । पैदल का रास्ता है । मैंने भी अप्सरा होटल में कई माल को चोदा है ।
वे बाहर गये और मैं भी तैयार होकर बाहर आई । सास और बहु के लिए जो सामान्य लाए थे वो उन्हें बहुत पसंद आया ।
हम चारों घर में रहे । मैंने भी खाना बनाने में मदद की । एक बजे से पहले बाबू जी खाने के लिए घर आ गये । हम सब ने साफ़ खाना खाया । खाना खाने के बाद विनोद बोला कि उसे अपने एक दोस्त से मिलना है । विनोद के जाने के बाद ,
बाबू जी, अगर श्री नहीं हो तो चलो तुम्हें अपनी दुकान दीखाता हूँ । आख़िर तुम्हें ही तो सब संभावना है । दोपहर में दोनों सास और ननद सोते थे । उन्होंने ने मुझे नहीं रोका ।
२ बजने के ५-७ मिनट पहले अप्सरा होटल पहुँच गई । कार से उतरी तो बाबू जी ने पूछा कि वे कब मुझे लेने आये ।
मैं— मेरा यार मुझे पहली बार चोदेगा , कम से कम २ बार तो रगड़ेगा ही । आप जाइए मैं उसी को बोलूँगी कि दुकान पर छोड़ दे । वो आप सब को जानता है ।
ससुर — रानी , जितनी बढ़िया माल हो वैसा ही मीठा बोलती भी हो । ये लो , इस बुर्का को पहन लो । अपने घर और अपने यार के साथ जितने देर रहो उसके अलावा कभी किसी को अपना प्यारा मुखड़ा या जवानी मत दिखाना ।
मैं यह सुनकर बहुत खुश महुआ कि बेटे की तरह बाप को भी मेरा किसी लोभी चुदवाने से कोई समस्या नहीं है । यह जानकर मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना किया कि जल्दी से जल्दी प्यारे को मेरे पास भेज दे। मैं ने न तो उसे अपने यहाँ का पता दिया था ना ही अपने बाबू जी का । लेकिन अगर बुद्धिमान होगा तो होटल के रजिस्टर से हमारा पता लेकर आ सकता था । ससुर से बुर्का लेकर वही पहना ।
मैं —- लेकिन आपका बेटा बोलता है कि मेरी चूत बहुत गर्म, नमकीन और मसालेदार है । और ये बुर्का देकर आपने अपनी बहु को बदनामी से बचा लिया ।
ससुर —— अपने यार से जितना चुदवाना है चुदवा लो , विनोद बोले या ना बोले आज मेरा लौडा भी अपनी प्यारी बहु के बूर की गहराई मापेगा ही ।
किसी ने देखा या नहीं मुझे नहीं मालूम लेकिन मेरा ससुर दिन दहाड़े मेरी चुत्तर मसल कर कार में बैठा और कार मेरी ऑंखों से ओझल हो गई ।
मैं इस इलाक़े में पहली बार ही आई थी लेकिन मुझे ना कोई डर था ना ही चिंता । औरत सिर्फ़ अपना चुदाई के कारण ही डरती है लेकिन मैं किसी से भी कहीं भी चुदवाने को तैयार थी । किसी को कभी बलात्कार करने का मौक़ा ही नहीं देती ।
मैं होटल में घुसी और अपने नये आंशिक राघव को घबराये हुए एक किनारे खड़ा देख मुस्कुराई । उसके बिलकुल पास पहुँच गई । मै ने बुर्का पहना था इसलिए उसने नहीं पहचाना ।
मैं—- मैं एक रंडी हूँ । सुबह से कोई गाहक ढूँढ रही हूँ लेकिन अब तक कोई नहीं मिला । ५०० दो , चुदवाने का साथ लौडा भी चूस दूँगी ।
मैंने देखा कि मेरी बात सुनकर राघव घबड़ा कर इधर उधर देखने लगा ।
राघव—- पहली बात , अभी मेरी अपनी ही हुस्न की परी आने बाली है , तुम रंडियॉं उस हसीना की नौकर बनने लायक़ भी नहीं हो । और तुम ५०० मॉग रही हो मुफ़्त में भी बोलोगी तो नहीं चोदूंगा । जाओ कोई दूसरा आदमी ढूँढो ।
राघव के जबाब ने मुझे बहुत खुश किया । पिछले दिन जतीन ने मुझसे धंधा करबाया वो मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया था ।
मैं —— राघव, रंडी को नहीं चोदोगे तो मंजु को चोदोगे ना , जल्दी रुम में ले चलो , चूत आग से जल रही है ।
५-६ मिनट बाद हम रुम में थे । राँची के होटल से बढिया भी था और रुम भी बड़ा था । मैं खड़ी रही । राघव पहले खुद नंगा हुआ और बाद में मुझे भी नंगा किया । “
हमदोनों बेड पर चिपक कर लेट गये ।
मैं —- रेणुका दीदी ने बहुत ग़ुस्सा किया होगा , बहुत गाली दी है ना ?
राघव मेरे उपर आकर चूचियों को मसलते हुए एक हाथ से लौडा पकड़ चूत से सटाया । मुझे इतनी जल्दी बाज़ी पसंद नहीं आई । मैं प्यार करते कराते हुए चूदाई करना चाहती थी जैसा कपिल या राजीव ने किया था । राघव ने तीसरे घक्के में ही पूरा लौडा अंदर घुसेड़ कर धीरे धीरे पेलने लगा ।
राघव - तुम दोनों को उतार कर आगे बढ़ा कि रेण ने अपनी बात कही ।
“ मैं डेढ़ साल से तुम्हारे लौडा को बूर में लेने के लिए तरस रही थी । मेरे सामने एक बार भी लौडा टाईट नहीं किया और उस खुबसूरत ज़हरीली नागिन को पहली बार देखते ही चोद दिया एक बार नहीं मेरे ही सामना २.बार चोदा । “
मैं - बढिया हुआ ना । अब हम आराम से तुम्हारे घर में भी प्यार कर सकते हैं । और ज़ोर से पेलो यार ।
राघव— तुम्हें प्यार करने से अब शायद कभी मना ना करें लेकिन उसने मुझसे साफ़ साफ़ कहा कि मैं अब उससे कभी ना पुछु कि कहॉं जाती हूँ, कब आती हूँ या किससे चुदबाती हूँ , कहॉं चुदवाती हूँ।
मैं —- यह तो और भी बढिया है । रेण दीदी को जहां जिससे चूदवानी है चुदवाये । अब ये तुम्हारे रंडी तुम्हारे घ आकर भी अपने यार से मस्ती मारेगी । राघव, मेरा एक काम करोगे ?
राघव ने इस बार खुब ज़ोर दार धक्का मारा ।
मैं — धीरे यार । फिर दिल का दौरा पड़ेगा तो मुझे मत कुछ बोलना ।
राघव—- नहीं रानी , मेरी क़िस्मत इतना ख़राब नहीं कि मंजु जैसी परी के साथ रहते इतनी जल्दी मर जाउं । बोलो क्या काम करना है ?
मैं ने चुदवाते हए राघव से अपना काम कहा ।
राघव ने वादा किया कि मेरा संदेश कल तक पहुँच जायेगा ।
मैं थोड़ी बहुत ओरल के साथ चुदाई चाहती थी । लेकिन राघव ने ओरल बिलकुल नहीं किया लेकिन आधा घंटा उसने बढिया चोदा । कुछ दे हम वैसे ही नंगा ही चिपक कर लेटे रहे । एक दूसरे के फ़ैमिली के बारे में और जानकारी ली ।
उसने बताया कि उसके एक चाचा की लड़की है जो राघव से ४- ५ साल बड़ी है । उसकी शादी हुई थी । शादी के बाद ४-५ साल बम्बई में रही और अचानक एक दिन अकेले वापस आ गई । उसने कहा कि उसका घरवाला रंडीबाजी करता है , रंडियों को घर भी लाकर चोदता है इसलिए उसे छोड़ कर आ गई है । १० साल से ज़्यादा हो गया है , न तो उसकी घरवाला ही उसे लेने आया ना ही उसके ससुराल से ही कोई आया । अब वो संगीता ६ साल से एक ब्यूटी पार्लर चलाती है । बहुत ही पौपुलर है वो जगह । अजंता होटल के पास है । लेकिन …
मैं —- लेकिन क्या ? राँची में हर रोड पर एक पार्लर देखा ।
राघव— कहने को तो वो एक लेडीज़ पार्लर है लेकिन वहाँ मर्द भी जातें हैं वहाँ काम करने बाली औरतों से मालिश करवाने और उन्हें चोदने ।
मैं —- होता होगा ! तुम्हारी बहन की दूकान है इसलिए तुम नहीं जाओगे । तुम्हारी बहन अपने घरवाला को छोड़ कर आई है उसे भी लौडा की ज़रूरत होती होगी , चुदवाने दो उसे ।
राघव— राघव, मुझे अपनी संगीता की चिंता नहीं है । तुम्हारी बड़ी ननद वीणा बहॉ जाती ही है रॉंची जाने से पहले मैं ने ११ बजे , कॉलेज के समय पर तुम्हारी छोटी ननद केतकी को उस पार्लर में घुसते देखा ।
राघव की बात सुन की १८ साल की जवान खुबसूरत लड़की वैसी जगह जाने लगी है मुझे बढिया नहीं लगा ।
मैं एक राउंड चुदाई और चाहती थी लेकिन राघव बेड से उतर कपड़े पहनते हुए बोला ,
“ रानी , रुम मैं ने चार घंटा के लिए बुक किया है लेकिन बहुत ज़रूरी काम है जाना ही पड़ेगा । चलो तुम्हें घर छोड़ देता हूँ । “
और मेरी ऑंखों के सामने कपिल और अफ़ज़ल की तस्वीर नाचने लगी । मेरे दिल ने कहा ,
“ रानी, बढिया मौक़ा है , देख लें कि इस मँगहे होटल का वेटर तेरे कपिल से बढिया है कि ख़राब । “
मैं— राघव, तुमने एक ही चुदाई में मेरी हालत ख़राब कर दी है , जब तुमने चार घंटा के लिए रुम लिया है तो क्यों ना कुछ देर और इसका फ़ायदा उठाउं । मैं यहॉं से अपने ससुर जी के ऑफिस जाउंगी । जाने का रास्ता बता दो । चार बजे के पहले यहाँ से निकल जाऊँगी । और यह भी बोलो कि मेरे साथ लंबा समय कब गुजारोगे ।और हॉ, नीचे रिसेप्शन पर मेरे लिए कुछ खाने और चाय के लिए बोल देना । “
मेरी प्यारी , मीठी मीठी बातें सुनकर राघब बहुत खुश हुआ। मुझे चुम कर , मेरी चूचियों को मसल कर जाने लग। उसने कहा कि मुझे कुछ भी देने की कोई ज़रूरत नहीं है , वह सब पेमेंट कर के जायेगा ।
राघव गया और मैं अपने क़िस्मत के बारे में सोचने लगी । मुझे इसका थोड़ा भी अफ़सोस नहीं था कि मैं ने दो - तीन दिनों में इतने लोगों से चुदवाया । मेरा घरवाला एक नम्बर का ‘ ककोल्ड था । दूसरों के साथ की मेरी चुदाई देखना उसे बहुत बढ़िया लगता था । मेरे ससुर ने साफ़ साफ़ बता दिया कि मुझे, अपनी बहु को चोदेगा। जब मैं ने उससे कहा कि मैं अपने यार से चुदवाने जा रही हूँ तो भी वो बिलकुल नाराज़ नहीं हुआ। क्या वो भी अपने बेटे के सामने बहु को चोदेगा ? जो भी हो मुझे अपने ससुर की पर्सनालिटी बहुत पसंद थी ही ससुर का लौडा मेरा अब तक सबसे बढ़िया लौडा था । अब सवाल था कि वो बेटा जैसा ही चोदेगा कि प्यारे और राजीव जैसा या फिर जतीन जैसा चोदकर मुझे पागल करेगा। एक सवाल और था,
“ क्या ससुर भी मुझे दूसरों से चुदवाते देख खुश होंगा कि मुझे अकेले ही चोदेगा।
दरवाज़े पर कॉलबेल बजा , मैंने ज़ोर से कहा ,
॰ अंदर आ जाओ “।
बोलकर में ने अपने को एक शीट से ढँक लिया । सिर्फ़ चेहरा और माथा दीख रहा था । शीट के नीचे मैं बिलकुल नंगी थी ।
जो आदमी अंदर घुसा उससे ज़्यादा काला आदमी मैंने पहले कभी नहीं देखा था । कोयले ले भी ज़्यादा काला था लेकिन बहुत ही गठा हुआ शरीर था । लंबाई में शायद मुझसे भी एक डेढ़ इंच छोटा था । कोयला जैसा काला लेकिन उसने सफेद यूनिफ़ॉर्म पहनी था । क़द काठी जैसा भी हो उसका चेहरा बहु ही मासूम था ।
उसने सेंट्रल टेबल पर ट्रे रखा और टेबल को बिलकुल मेरे पास ले आया ।
वेटर —- मेरी क़िस्मत बहुत बढिया है कि रीटा मैडम ने मुझे यहॉं इस रुम में भेजा । आपके जैसी खुबसूरत औरत ना पहले कभी देखी और ना बाद में देखूँगा ।
बिना मेरा जबाब सुना दरवाज़ा को खिंचते हु ए बाहर चला गया । मैं ने अपने क़िस्मत को कोसा और दिल को यह कह कर समझाया कि सभी वेटर कपिल या अफ़ज़ल जैसा बोल्ड नहीं हो सकते । मैं इत्तिमान से चाय पी रही थी खा रही थी । खाते पीते हुए बदन से शीट हट गया था । मैं बेड पर क़रीब क़रीब नंगी ही थी । मैं ने चाय पीकर ख़ाली कप ट्रे में रखा । वेटर को गये हुऐ क़रीब २० मिनट हो गया था । बेड से यह सोच कर उतरी कि इस होटल में कपिल, अफजल या प्यबारे जैसा मुझे या मेरी चूत को खु करने बाला और कोई नरो मेरी चूत को खुश करने वाला कोई नहीं ।
लेकिन तभी दरवाज़ा खुला । वहीं काला वेटर रुम में घुसा और घुमकर उसने दरवाज़ा को अंदर से बंद किया । मेरे पास आया । मैं वैसे ही नंगी बैठी थी । व इतनी जल्दी से रुम में घुसा और मेरे पास आया कि मुझे संभलने का मौक़ा ही नहीं मिला । उसने मेरे दोनों गालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और होंठों प्र एक गहरा चुम्मा लिया । मेरे कंधे को दबा कर मुझे बेड पर लिटाया ।
इतनी फुर्ती से वह सबकुछ कर रहा था कि मुझे विरोध करने का कोई मौक़ा ही नहीं मिला । वैसे भी विरोध करना कौन चाहता था । हिम्मती आदमी वैसे भी मुझे बहुत पसंद थे । और उपर से मुझे लगा कि मुझे होटल के वेटर बहुत पसंद है ।
वेटर —- आपको पहली बार ही देख रहा हूँ लेकिन विश्वास से कह सकता हूँ कि आप जिस आदमी के साथ यहाँ आई थी वो आपका घरवाला नहीं कोई यार था । उसने आपके जैसी मस्त खुबसूरत औरत की जवानी के साथ मज़ा लूटने का कितना दिया ने मुझे ही मालूम लेकिन वो जो भी था आपके लायक़ नहीं था । उपर से लेकर नीचे तक आपकी जवानी प्यासी है ।
वो जो भी था उसने सबकुछ सही कहा था । राघव के साथ कोई मज़ा नहीं आया था तभी तो होटल के कमरे में अकेली रह गई थी । दिल तो किसी वेटर
से ही चुदवाना चाहता था और भगवान ने एक बहुत ही हिम्मती वेटर को मेरे पास भेज ही दिया ।
बोलते बोलते वो काला कलूटा आदमी नंगा हो गया । मेरे सामने जो लौडा था वह बहुत ही खाश था । मेरी चूत को मसलकर वह भी वही बोला जो मेरे सभी यार पहले बोल चुके थे ,
“ आपकी ये चूत सबसे प्यारी है । “
मैंने लौडा को पकड़ कर कहा
“ और तुम दुनिया के सबसे बदसूरत आदमी ही नहीं एक नंबर के मादरचोद हो , सुबह शाम अपनी मॉं को चोदते हो उसकी गॉंड मारते हो ।”
होटल में प्यारे ने जब पहली बार चोदा तब मुझे नहीं मालूम हुआ कि उसने मेरी चुदाई की भूख मिटाई नहीं बल्कि हज़ारों गुना बढ़ा दिया ।
ट्रेन में राघव ने जब पहली बार चोदा तो बढिया नहीं लगा । लेकिन दूसरी बार की चुदाई बहुत ही पसंद आई । राघव ने दिल ख़ुश किया ही चूत की गर्मी भी शांत कर दी । किरण ने हमारी चुदाई देखी लेकिन मुझे ना कोई शर्म ही आई ना कोई गिल्ट फिलिंग ही हुई । राघव ने अप्सरा होटल बुलाया था , मैं वहाँ जाने को तैयार थी ।
हम राघव की कार से ही अपने घर पहुँचे । हमने नॉक किया और बाबू जी ने ही दरवाज़ा खोला । सुबह का ९ बजने बाला था । उन्होंने कमर में एक लुंगी ही बॉंघा था । कमर के उपर नंगे थे । मैं उनका पॉंव छुने नीचे झुक ही रही थी कि उन्होंने बीच में ही पकड़ लिया और ऐसा पकड़ा कि उनका एक हाथ मेरी एक चूची पर था । चूची पर हाथ स्थिर रहता तो भी ठीक था लेकिन उस बेटीचोद विजेंद्र ने ४ बार कस कर चूची को मसला और मुझे छोड़ा ।
मैं ख़ुद ही अपने ससुर को पसंद करती थीं । लेकिन मैं ने ये नहीं सोचा था कि मेरे २-३ दिन ही घर के बाहर रहने से मेरा ससुर इतना बेसब्र हो जायेगा कि मेरे घर आते ही मेरी चूची मसल देगा । मैं मन ही मन प्रार्थना की कि किसी ने नहीं देखा हो कि ससुर ने बहु का चूची मसला ।
बाबू जी —— आ जाओ, हम कब से तुम दोनों का इंतज़ार कर रहे हैं । मंजु बेटी, तुम्हारे बिना घर अब सूना लगने लगा है।
तब तक वहॉं विनोद की मॉ कल्पना और छोटी बेटी केतकी भी आ गई ।
, मैंने सास का पॉंव छु कर प्रणाम किया और केतकी के गले लगाकर गालों को चुमा ।
केतकी —- भाभी , आप क्या जादू करवा कर आई हैं । पहले ही आप ग़ज़ब की खुबसूरत थी लेकिन अब तो आपके उपर ऑंख ही नहीं ठहर रही है । भैया क्या खिलाया भाभी को ।
मैं क्या बोलती कि दो दिनों में मैं ने क्या क्या और कितना खाया ।
केतकी —- भाभी, हाथ मुँह धो लीजिए, मैं आपलोगों को स्पेशल चाय पिलाती हूँ ।
केतकी ने चाय की बात की और मेरी ऑंखें के सामने पहले कपिल और बाद में अफ़ज़ल की तस्वीर दौड़ने लगी । कपिल ने विनोद के सामने भी चोदा और रात में भी चोदने आया । अगली सुबह अफ़ज़ल चाय लेकर आया और मेरे और अफ़ज़ल की चुदाई भी विनोद ने देखी । और पहली बार मुझे पछतावा हुआ कि मैं राँची के उसी संगम होटल में क्यों नहीं रह गई ।
लेकिन अभी अपने ससुराल में थी । ससुराल आते समय रास्ते में मुझे एक मुझसे दोगुने उम्र के आदमी ने चोदा ही उसने अगले दिन ( यानी आज ) होटल अप्सरा में बुलाया है । मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है कि उसकी घरवाली ने हमारी चुदाई देखी ।
कुछ देर के बाद केतकी चाय लेकर आई । हम तीनों , मैं, विनोद और केतकी चाय पी रहे थे , बाबू जी भी आ गये और बेशर्म जैसा मेरे बग़ल में बैठ गये ।
मैं —- ननद जी , सच बहुत ही बढ़िया स्वाद है । होटल में भी बढिया चाय मिला लेकिन ऐसा स्वाद नहीं मिला ।
बाबूजी एक हाथ से चाय पी रहे थे और दूसरा हाथ मेरी जाँघ पर था ।
विनोद—- हॉं, ये चाय बहुत बढिया है लेकिन संगम होटल में चाय के साथ जो गरमा गरम नमकीन मिलता था उसका कोई मुक़ाबला नहीं । है न मंजु ।
केतकी- क्या कैसा नपकीन !
मैं —- विनोद, अगली बार राँची जायेंगे तो साथ में अपनी बहन को भी ले लेंगें । कपिल और प्यारे को बोलेंगे तो दोनों केतकी को भी बढिया से खिला देंगें ।
मुझे विश्वास था कि अगर केतकी गई तो विनोद अपनी बहन को भी अपने सामने कपिल और प्यारे से ही नहीं चुदवायेंगा, जतीन और उसके आदमियों से धंधा भी करायेगा । लेकिन अब मुझे राँची या कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं थी । बेटा और बेटी दोनों बैठे हैं फिर भी मेरे ससुर ने कपड़ों के उपर से चूत दबा कर बता दिया कि वो मुझे चोदेगा ही । मैं ने मन ही मन सोचा कि ससुर से ही कहुंगी कि मुझे अप्सरा होटल पहुँचा दे । राघव से इनाम भी लेना था और चुदवाना भी था ।
हम क़रीब आधे घंटा वहीं बैठ कर चाय पीते हुए बातें भी कर रहे थे और मेरा ससुर पूरे समय मुझे दबाता रहा , चूत मसलता रहा । केतकी ने ही जब दुकान जाने की बात कही तब ससुर ने मुझे छोड़ा । साल ने नहाने कहा तो मैं अपने रुम से नया पेटीकोट और ब्लाउज़ के साथ टेबल लेकर बाथरूम में घुस गई । घर में तीन बाथरूम थे लेकिन कोई भी अटैट्च्ट नहीं था ।
२० मिनट बाद बाथरूम से पेटीकोट और ब्लाउज़ पहन कर , बालों में टॉवेल बांध कर निकली तो देखा कि हमने जो देवगढ़ में सामान ख़रीदा था विनोद अपनी मॉं बहन के दिखा रहा था । ससुर जी नज़र नहीं आये ।
मैं बाथरूम में घुसी और किसी ने मुझे कसकर अपनी बाँहों में बॉंघा । पुछने या सोचने की ज़रूरत नहीं थी । जितना कसकर इस आदमी ने पकड़ा था वैसी मज़बूत पकड़ ना प्यारे की थी और ना राजीव की ।
ससुर—। मंजु , तुम तीन दिन यहाँ नहीं थी , तुम्हारा प्यारा चेहरा नहीं देखा तब मुझे महसूस हुआ कि मैंने तुम्हें अपने बेटे के साथ ब्याह करवाया है सिर्फ़ अपने लिए, विनोद से चुदवाने के लिए नहीं । जल्दी से मुझे एक मेरा बेटा दे दो फिर विनोद को मार दुंगा ।
मैं —— विनोद तो बाद में मरेगा लेकिन अभी अगर किसी को मालूम हो गया तो सब हम दोनों को ही मार देंगें । अभी बाहर जाइए, बढ़िया मौक़ा मिलेगा तब वात करेंगे ।
ससुर—- जल्दी से अपनी खुबसूरत जवानी दिखा दो मैं चला जाऊँगा ।
बेटीचोद ने कहा और झट से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट नीचे गिरा । इतना ही नहीं मेरी नंगी चुत्तरों से कड़क लौडा टकराया । अफजल या कपिल से बहुत ज़्यादा हिम्मत थी । घर में सभी थे और घर का मालिक बहु के नंगे चुत्तर पर लौडा रगड़ रहा था ।
उसने मुझे अपने तरफ़ घुमाया । मैं अपने हाथ को रोक नहीं पाई । मैंने दोनों हाथों से लौडा पकड़ा ।
मैं —— बाबूजी, मैं तो बहु हूँ आपकी बेटी केतकी और वीणा भी ये मस्त मुसल . घोड़ा के जैसा मस्त कड़क लौडा देखेगी तो बिना चूत में लिए आपको नहीं जाने देगी ।
मेरी बात सुन बाबू जी बहुत खुश हुए । व्लाउज के सारे बटन खोल मुझे नंगा कर दिया । लौडा मैंने दोनों हाथों से पकड़ा था फिर भी ससुर अपने हाथ से पकड़ चूत पर रगड़ने लगे । दूसरे हाथ से चूचियों को मसलते हुए बोले .
“ मंजु रानी , तुम्हारी चूत सबसे प्यारी है “
मैंने लौडा को कस कर दबाया ।
मैं —- बाबूजी आप अपनी जान दे देंगे फिर भी आपकी ये बहु खुद आप से चुदवाने नहीं आयेगी । आप अगर मेरी चूत में अपना लौडा पोसना चाहते हैं और अपने बेटे से खुशामद किजीए कि विनोद अपनी घरवाली को आपसे चुदवाने दे, आपके दोस्तों से भी चुदवाने दे । वैसे सच कहती हूँ मुझे भी आपकी लौडा बहुत ही ज़्यादा पसंद है । विनोद का लौडा आपके लौडा से क़रीब २ इंच खोट ा भी है और पतला भी । लौडा देखकर लगता ही नहीं कि विनोद आपकी बेटी है । बिनोद की खुशामद किजीए, उसे अपना लौडा दिखाइए शायद वो अपने सामने अपनी घरवाली के आँवले चुदवा दे।
मैंने बाबू जी के लौडा को ज़ोर से दवाया ।
मैं—— मुझे आज २ बजे अप्सरा होटल पहुँचना है । आप को ही पहुँचाना होगा ।
मेरी बात सुनकर ससुर मुस्कुराया ।
ससुर—- अपने किसी यार से चुदवाना है ?
मैं —- हॉ, उसका लौडा आपके सामने छोटा भी है और पतला भी लेकिन बहुत ही प्यार से चोदता है
। अगर मुझे समय पर होटल नहीं पहुँचाया तो फिर बहु की जवानी छूने के लिए क्या देखने के लिए भी नहीं मिलेगी । बहुत मस्ती हो गई , बाहर जाओ ।
२-३ मिनट बूर और चूची को दबा कर बाबू जी ने कपड़ा पहना और जाने लगा ।
“ रानी , डेढ़ बजे तैयार रहना । अप्सरा होटल १५ मील है , अगले बार से अजंता होटल में बुलाने के लिए बोलना । पैदल का रास्ता है । मैंने भी अप्सरा होटल में कई माल को चोदा है ।
वे बाहर गये और मैं भी तैयार होकर बाहर आई । सास और बहु के लिए जो सामान्य लाए थे वो उन्हें बहुत पसंद आया ।
हम चारों घर में रहे । मैंने भी खाना बनाने में मदद की । एक बजे से पहले बाबू जी खाने के लिए घर आ गये । हम सब ने साफ़ खाना खाया । खाना खाने के बाद विनोद बोला कि उसे अपने एक दोस्त से मिलना है । विनोद के जाने के बाद ,
बाबू जी, अगर श्री नहीं हो तो चलो तुम्हें अपनी दुकान दीखाता हूँ । आख़िर तुम्हें ही तो सब संभावना है । दोपहर में दोनों सास और ननद सोते थे । उन्होंने ने मुझे नहीं रोका ।
२ बजने के ५-७ मिनट पहले अप्सरा होटल पहुँच गई । कार से उतरी तो बाबू जी ने पूछा कि वे कब मुझे लेने आये ।
मैं— मेरा यार मुझे पहली बार चोदेगा , कम से कम २ बार तो रगड़ेगा ही । आप जाइए मैं उसी को बोलूँगी कि दुकान पर छोड़ दे । वो आप सब को जानता है ।
ससुर — रानी , जितनी बढ़िया माल हो वैसा ही मीठा बोलती भी हो । ये लो , इस बुर्का को पहन लो । अपने घर और अपने यार के साथ जितने देर रहो उसके अलावा कभी किसी को अपना प्यारा मुखड़ा या जवानी मत दिखाना ।
मैं यह सुनकर बहुत खुश महुआ कि बेटे की तरह बाप को भी मेरा किसी लोभी चुदवाने से कोई समस्या नहीं है । यह जानकर मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना किया कि जल्दी से जल्दी प्यारे को मेरे पास भेज दे। मैं ने न तो उसे अपने यहाँ का पता दिया था ना ही अपने बाबू जी का । लेकिन अगर बुद्धिमान होगा तो होटल के रजिस्टर से हमारा पता लेकर आ सकता था । ससुर से बुर्का लेकर वही पहना ।
मैं —- लेकिन आपका बेटा बोलता है कि मेरी चूत बहुत गर्म, नमकीन और मसालेदार है । और ये बुर्का देकर आपने अपनी बहु को बदनामी से बचा लिया ।
ससुर —— अपने यार से जितना चुदवाना है चुदवा लो , विनोद बोले या ना बोले आज मेरा लौडा भी अपनी प्यारी बहु के बूर की गहराई मापेगा ही ।
किसी ने देखा या नहीं मुझे नहीं मालूम लेकिन मेरा ससुर दिन दहाड़े मेरी चुत्तर मसल कर कार में बैठा और कार मेरी ऑंखों से ओझल हो गई ।
मैं इस इलाक़े में पहली बार ही आई थी लेकिन मुझे ना कोई डर था ना ही चिंता । औरत सिर्फ़ अपना चुदाई के कारण ही डरती है लेकिन मैं किसी से भी कहीं भी चुदवाने को तैयार थी । किसी को कभी बलात्कार करने का मौक़ा ही नहीं देती ।
मैं होटल में घुसी और अपने नये आंशिक राघव को घबराये हुए एक किनारे खड़ा देख मुस्कुराई । उसके बिलकुल पास पहुँच गई । मै ने बुर्का पहना था इसलिए उसने नहीं पहचाना ।
मैं—- मैं एक रंडी हूँ । सुबह से कोई गाहक ढूँढ रही हूँ लेकिन अब तक कोई नहीं मिला । ५०० दो , चुदवाने का साथ लौडा भी चूस दूँगी ।
मैंने देखा कि मेरी बात सुनकर राघव घबड़ा कर इधर उधर देखने लगा ।
राघव—- पहली बात , अभी मेरी अपनी ही हुस्न की परी आने बाली है , तुम रंडियॉं उस हसीना की नौकर बनने लायक़ भी नहीं हो । और तुम ५०० मॉग रही हो मुफ़्त में भी बोलोगी तो नहीं चोदूंगा । जाओ कोई दूसरा आदमी ढूँढो ।
राघव के जबाब ने मुझे बहुत खुश किया । पिछले दिन जतीन ने मुझसे धंधा करबाया वो मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया था ।
मैं —— राघव, रंडी को नहीं चोदोगे तो मंजु को चोदोगे ना , जल्दी रुम में ले चलो , चूत आग से जल रही है ।
५-६ मिनट बाद हम रुम में थे । राँची के होटल से बढिया भी था और रुम भी बड़ा था । मैं खड़ी रही । राघव पहले खुद नंगा हुआ और बाद में मुझे भी नंगा किया । “
हमदोनों बेड पर चिपक कर लेट गये ।
मैं —- रेणुका दीदी ने बहुत ग़ुस्सा किया होगा , बहुत गाली दी है ना ?
राघव मेरे उपर आकर चूचियों को मसलते हुए एक हाथ से लौडा पकड़ चूत से सटाया । मुझे इतनी जल्दी बाज़ी पसंद नहीं आई । मैं प्यार करते कराते हुए चूदाई करना चाहती थी जैसा कपिल या राजीव ने किया था । राघव ने तीसरे घक्के में ही पूरा लौडा अंदर घुसेड़ कर धीरे धीरे पेलने लगा ।
राघव - तुम दोनों को उतार कर आगे बढ़ा कि रेण ने अपनी बात कही ।
“ मैं डेढ़ साल से तुम्हारे लौडा को बूर में लेने के लिए तरस रही थी । मेरे सामने एक बार भी लौडा टाईट नहीं किया और उस खुबसूरत ज़हरीली नागिन को पहली बार देखते ही चोद दिया एक बार नहीं मेरे ही सामना २.बार चोदा । “
मैं - बढिया हुआ ना । अब हम आराम से तुम्हारे घर में भी प्यार कर सकते हैं । और ज़ोर से पेलो यार ।
राघव— तुम्हें प्यार करने से अब शायद कभी मना ना करें लेकिन उसने मुझसे साफ़ साफ़ कहा कि मैं अब उससे कभी ना पुछु कि कहॉं जाती हूँ, कब आती हूँ या किससे चुदबाती हूँ , कहॉं चुदवाती हूँ।
मैं —- यह तो और भी बढिया है । रेण दीदी को जहां जिससे चूदवानी है चुदवाये । अब ये तुम्हारे रंडी तुम्हारे घ आकर भी अपने यार से मस्ती मारेगी । राघव, मेरा एक काम करोगे ?
राघव ने इस बार खुब ज़ोर दार धक्का मारा ।
मैं — धीरे यार । फिर दिल का दौरा पड़ेगा तो मुझे मत कुछ बोलना ।
राघव—- नहीं रानी , मेरी क़िस्मत इतना ख़राब नहीं कि मंजु जैसी परी के साथ रहते इतनी जल्दी मर जाउं । बोलो क्या काम करना है ?
मैं ने चुदवाते हए राघव से अपना काम कहा ।
राघव ने वादा किया कि मेरा संदेश कल तक पहुँच जायेगा ।
मैं थोड़ी बहुत ओरल के साथ चुदाई चाहती थी । लेकिन राघव ने ओरल बिलकुल नहीं किया लेकिन आधा घंटा उसने बढिया चोदा । कुछ दे हम वैसे ही नंगा ही चिपक कर लेटे रहे । एक दूसरे के फ़ैमिली के बारे में और जानकारी ली ।
उसने बताया कि उसके एक चाचा की लड़की है जो राघव से ४- ५ साल बड़ी है । उसकी शादी हुई थी । शादी के बाद ४-५ साल बम्बई में रही और अचानक एक दिन अकेले वापस आ गई । उसने कहा कि उसका घरवाला रंडीबाजी करता है , रंडियों को घर भी लाकर चोदता है इसलिए उसे छोड़ कर आ गई है । १० साल से ज़्यादा हो गया है , न तो उसकी घरवाला ही उसे लेने आया ना ही उसके ससुराल से ही कोई आया । अब वो संगीता ६ साल से एक ब्यूटी पार्लर चलाती है । बहुत ही पौपुलर है वो जगह । अजंता होटल के पास है । लेकिन …
मैं —- लेकिन क्या ? राँची में हर रोड पर एक पार्लर देखा ।
राघव— कहने को तो वो एक लेडीज़ पार्लर है लेकिन वहाँ मर्द भी जातें हैं वहाँ काम करने बाली औरतों से मालिश करवाने और उन्हें चोदने ।
मैं —- होता होगा ! तुम्हारी बहन की दूकान है इसलिए तुम नहीं जाओगे । तुम्हारी बहन अपने घरवाला को छोड़ कर आई है उसे भी लौडा की ज़रूरत होती होगी , चुदवाने दो उसे ।
राघव— राघव, मुझे अपनी संगीता की चिंता नहीं है । तुम्हारी बड़ी ननद वीणा बहॉ जाती ही है रॉंची जाने से पहले मैं ने ११ बजे , कॉलेज के समय पर तुम्हारी छोटी ननद केतकी को उस पार्लर में घुसते देखा ।
राघव की बात सुन की १८ साल की जवान खुबसूरत लड़की वैसी जगह जाने लगी है मुझे बढिया नहीं लगा ।
मैं एक राउंड चुदाई और चाहती थी लेकिन राघव बेड से उतर कपड़े पहनते हुए बोला ,
“ रानी , रुम मैं ने चार घंटा के लिए बुक किया है लेकिन बहुत ज़रूरी काम है जाना ही पड़ेगा । चलो तुम्हें घर छोड़ देता हूँ । “
और मेरी ऑंखों के सामने कपिल और अफ़ज़ल की तस्वीर नाचने लगी । मेरे दिल ने कहा ,
“ रानी, बढिया मौक़ा है , देख लें कि इस मँगहे होटल का वेटर तेरे कपिल से बढिया है कि ख़राब । “
मैं— राघव, तुमने एक ही चुदाई में मेरी हालत ख़राब कर दी है , जब तुमने चार घंटा के लिए रुम लिया है तो क्यों ना कुछ देर और इसका फ़ायदा उठाउं । मैं यहॉं से अपने ससुर जी के ऑफिस जाउंगी । जाने का रास्ता बता दो । चार बजे के पहले यहाँ से निकल जाऊँगी । और यह भी बोलो कि मेरे साथ लंबा समय कब गुजारोगे ।और हॉ, नीचे रिसेप्शन पर मेरे लिए कुछ खाने और चाय के लिए बोल देना । “
मेरी प्यारी , मीठी मीठी बातें सुनकर राघब बहुत खुश हुआ। मुझे चुम कर , मेरी चूचियों को मसल कर जाने लग। उसने कहा कि मुझे कुछ भी देने की कोई ज़रूरत नहीं है , वह सब पेमेंट कर के जायेगा ।
राघव गया और मैं अपने क़िस्मत के बारे में सोचने लगी । मुझे इसका थोड़ा भी अफ़सोस नहीं था कि मैं ने दो - तीन दिनों में इतने लोगों से चुदवाया । मेरा घरवाला एक नम्बर का ‘ ककोल्ड था । दूसरों के साथ की मेरी चुदाई देखना उसे बहुत बढ़िया लगता था । मेरे ससुर ने साफ़ साफ़ बता दिया कि मुझे, अपनी बहु को चोदेगा। जब मैं ने उससे कहा कि मैं अपने यार से चुदवाने जा रही हूँ तो भी वो बिलकुल नाराज़ नहीं हुआ। क्या वो भी अपने बेटे के सामने बहु को चोदेगा ? जो भी हो मुझे अपने ससुर की पर्सनालिटी बहुत पसंद थी ही ससुर का लौडा मेरा अब तक सबसे बढ़िया लौडा था । अब सवाल था कि वो बेटा जैसा ही चोदेगा कि प्यारे और राजीव जैसा या फिर जतीन जैसा चोदकर मुझे पागल करेगा। एक सवाल और था,
“ क्या ससुर भी मुझे दूसरों से चुदवाते देख खुश होंगा कि मुझे अकेले ही चोदेगा।
दरवाज़े पर कॉलबेल बजा , मैंने ज़ोर से कहा ,
॰ अंदर आ जाओ “।
बोलकर में ने अपने को एक शीट से ढँक लिया । सिर्फ़ चेहरा और माथा दीख रहा था । शीट के नीचे मैं बिलकुल नंगी थी ।
जो आदमी अंदर घुसा उससे ज़्यादा काला आदमी मैंने पहले कभी नहीं देखा था । कोयले ले भी ज़्यादा काला था लेकिन बहुत ही गठा हुआ शरीर था । लंबाई में शायद मुझसे भी एक डेढ़ इंच छोटा था । कोयला जैसा काला लेकिन उसने सफेद यूनिफ़ॉर्म पहनी था । क़द काठी जैसा भी हो उसका चेहरा बहु ही मासूम था ।
उसने सेंट्रल टेबल पर ट्रे रखा और टेबल को बिलकुल मेरे पास ले आया ।
वेटर —- मेरी क़िस्मत बहुत बढिया है कि रीटा मैडम ने मुझे यहॉं इस रुम में भेजा । आपके जैसी खुबसूरत औरत ना पहले कभी देखी और ना बाद में देखूँगा ।
बिना मेरा जबाब सुना दरवाज़ा को खिंचते हु ए बाहर चला गया । मैं ने अपने क़िस्मत को कोसा और दिल को यह कह कर समझाया कि सभी वेटर कपिल या अफ़ज़ल जैसा बोल्ड नहीं हो सकते । मैं इत्तिमान से चाय पी रही थी खा रही थी । खाते पीते हुए बदन से शीट हट गया था । मैं बेड पर क़रीब क़रीब नंगी ही थी । मैं ने चाय पीकर ख़ाली कप ट्रे में रखा । वेटर को गये हुऐ क़रीब २० मिनट हो गया था । बेड से यह सोच कर उतरी कि इस होटल में कपिल, अफजल या प्यबारे जैसा मुझे या मेरी चूत को खु करने बाला और कोई नरो मेरी चूत को खुश करने वाला कोई नहीं ।
लेकिन तभी दरवाज़ा खुला । वहीं काला वेटर रुम में घुसा और घुमकर उसने दरवाज़ा को अंदर से बंद किया । मेरे पास आया । मैं वैसे ही नंगी बैठी थी । व इतनी जल्दी से रुम में घुसा और मेरे पास आया कि मुझे संभलने का मौक़ा ही नहीं मिला । उसने मेरे दोनों गालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और होंठों प्र एक गहरा चुम्मा लिया । मेरे कंधे को दबा कर मुझे बेड पर लिटाया ।
इतनी फुर्ती से वह सबकुछ कर रहा था कि मुझे विरोध करने का कोई मौक़ा ही नहीं मिला । वैसे भी विरोध करना कौन चाहता था । हिम्मती आदमी वैसे भी मुझे बहुत पसंद थे । और उपर से मुझे लगा कि मुझे होटल के वेटर बहुत पसंद है ।
वेटर —- आपको पहली बार ही देख रहा हूँ लेकिन विश्वास से कह सकता हूँ कि आप जिस आदमी के साथ यहाँ आई थी वो आपका घरवाला नहीं कोई यार था । उसने आपके जैसी मस्त खुबसूरत औरत की जवानी के साथ मज़ा लूटने का कितना दिया ने मुझे ही मालूम लेकिन वो जो भी था आपके लायक़ नहीं था । उपर से लेकर नीचे तक आपकी जवानी प्यासी है ।
वो जो भी था उसने सबकुछ सही कहा था । राघव के साथ कोई मज़ा नहीं आया था तभी तो होटल के कमरे में अकेली रह गई थी । दिल तो किसी वेटर
से ही चुदवाना चाहता था और भगवान ने एक बहुत ही हिम्मती वेटर को मेरे पास भेज ही दिया ।
बोलते बोलते वो काला कलूटा आदमी नंगा हो गया । मेरे सामने जो लौडा था वह बहुत ही खाश था । मेरी चूत को मसलकर वह भी वही बोला जो मेरे सभी यार पहले बोल चुके थे ,
“ आपकी ये चूत सबसे प्यारी है । “
मैंने लौडा को पकड़ कर कहा
“ और तुम दुनिया के सबसे बदसूरत आदमी ही नहीं एक नंबर के मादरचोद हो , सुबह शाम अपनी मॉं को चोदते हो उसकी गॉंड मारते हो ।”
‘LIVE LIFE CHAMPA STYLE