18-09-2022, 08:41 AM
जब विनोद साक्षात्कार के लिए गया उस समय होटल के एक कमरे में अपनी शादी के १५ वें दिन ही अपने बाप से १०-१२ साल बड़े एक मालिश करने बाले प्यारेलाल से विनोद की १८;साल की पत्नी ने खुब जम कर चुदवाया । और उसके बाद वो रुकी ही नहीं । मेरे सामने अपने ही उम्र के एक वेटर कपिल से चुदवाया । अगले दिन शाम तक होटल के उस कमरे में ९ आदमियों से चुदवाया । बाद में उसने बताया कि होटल में जब रात में मैं एक रंडी को चोद रहा था उसने एक राजीव नाम के आदमी से चुदवाया । इस राजीव ने ही साक्षात्कार के समय मेरी पत्नी के बारे में कुरेद कुरेद कर पूछ रहा था । मंजु ने २ दिन में १० नये मर्दों से चुदवाया और मैंने एक रंडी के अलावा प्यारे लाल की ३०-३२ साल की मस्त बहु को प्यारे के सामने ही २ बार चोदा ।
ट्रेन समय पर ८ बजे स्टार्ट हुईं । हम फ़र्स्ट क्लास के डिब्बे में थे । हमारे साथ एक और पति पत्नी थे । पति क़रीब ३५ साल का था और पत्नी ३०-३१ साल की । मंजु १८ साल की ही थी, बहुत ही खुबसूरत थी लेकिन मुझे दूसरी औरत की गठीला बदन बहुत बढ़िया लग रहा था । मैं जब भी उसकी ओर देखता तो पाता कि वो मुझे घूर रही है। बातों बातों में मालूम हुआ कि वे लोग वहीं रहते हैं जहां हम रहते थे । हमने आपस में परिचय किया । आदमी का नाम राघव था और पत्नी का नाम था किरण ।
राघव—- हम आपके बाबूजी विजेंद्र बाबू को और आपकी मॉं कल्पना को बढिया से जानते हैं । आपकी जब शादी हुई , मंजु ससुराल आई तब हम बाहर गये हुए थे ।
राघव हमारे इलाक़े के सबसे बड़े किराना दुकान का मालिक था ।
होटल से निकलते समय मंजु के दलाल जतीन ने हमारे लिए खाना दे दिया था । किरण ने भी खाने का डब्बा निकाला । हम चारों ने मिल कर खाना खाया । कुछ देर बाद मैं ने देखा कि किरण ने अपने पति को मेरी ओर देखते हुए दवाई दी ।
राघव—- विनोद जी आप लोग हँसेंगे, इतनी कम उम्र में ही मुझे दिल का दौड़ा पर गया है ।
वो बात मुझसे कर रहा था लेकिन देख रहा था मंजु की ओर । उसने यह भी नहीं देखा कि पत्नी ने उसे क्या दिया क्या नहीं । कुछ देर बाद सोने की बात हुई । हर एक आदमी को अपनी पत्नी से ज़्यादा दूसरे की पत्नी ज़्यादा अच्छी लगती है।
मंजु —- राघव जी , आप यहॉं मेरी सीट पर नीचे सो जाइए मैं उपर सो जाऊँगी ।
लेकिन राघव मुस्कुराते हुए किरण जहां लेटी थी उस के उपर बाले बर्थ पर चढ़ गया ।
राघव —- मंजु , तुम बहुत ही ज़्यादा सुंदर हो, बहुत ही प्यारी हो ।
किरण ने पति की बात सुनी और मेरी ओर देख कर मुस्कुराई।
पिछले २ दिनों में मंजु को चोदने बाले सभी ने बार बार ये कहा कि
“ साहब, आपकी पत्नी सिर्फ़ देखने में ही सबसे सुंदर ही नहीं आपकी पत्नी कि चूत भी सबसे प्यारी है। “
मेरा मन करने लगा कि चलती ट्रेन में ही मंजु को इस इस राघव से चुदवाउं । लेकिन दोनों सिर्फ़ बातें ही करते रहे । मैं भी मंजु के उपर बासी सीट पर चला गया और किरण की मस्त जवानी का रस पीता रहा ।
सुबह से मंजु ने लगातार चुदवाया था । ज़रूर थक गई होगी । वो सो गई । मंजु सोईं तो राघव ने भी दूसरी तरफ़ करवट ले लिया । मैं किरण को लगातार घूर रहा था । कुछ देर बाद मंजु के साथ राघव की स्नोरिंग सुनाई पड़ने लगी ।
मैं लगातार किरण को ही देख रहा था लेकिन देखा कि किरण को भी नींद नहीं आ रही है । वो बार बार करवट बदल रही है । जब कभी भी उसकी नज़र मेरी तरफ़ होती थी हम दोनों की नज़र टकराती थी । ग़ुस्सा होने के बजाय हर बार उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती थी ।
कुछ समय और गुजरा और वे झटके से उठ गई । मेरे पास आई ।
किरण— मुझे नींद नहीं आ रही हैं । चाहो तो नीचे आकर मेरे साथ बैठो ।
वे वहाँ खड़ी ही थी कि मैं नीचे उतरा और उसे अपनी बाँहों में बांध गालों और होंठों को चूमा । उसने मुझे धक्का दिया और खिड़की से सटकर बैठ गई ।
किरण— घर पहुँचते ही सबसे पहला वीणा को फ़ोन करुंगी और उसे बताउँगी कि चलती ट्रेन में मंजु और राघव के सामने तुमने कैसे मेरा बलात्कार किया ।
किरण ने जो कहा उसका तो मतलब साफ़ था कि वो मेरी छोटी बहन वीणा , जिसकी शादी दो साल पहले ही हुई थी उसे बढिया से जानती थी और दूसरा कि उसकी चुत को एक बढिया चुदाई की ज़रूरत है ।
पिछले दो दिनों मंजु को अलग अलग लोगों से चुदवाते देख बहुत कुछ सीखा और प्यारे की वहु शीला ने औरतों को तड़पाने और खुश करने का नया तरीक़ा सिखाया । चुदाई के पहले और चूदाई की बाद के ओरल सेक्स का फ़ायदा बताया ।
शीला ने कहा था ,
“ अगर प्यारे सिर्फ़ हाथ पॉंव की मालिश करता तो तुम्हारी घरवाली कभी प्यारे से नहीं चुदवाती । प्यारे ने अनजाने में ही मंजु के पॉंव और जाँघों को सहलाना, मसलना शुरु किया और मंजु इतनी गर्म हो गई कि अपने बाप से बड़े उम्र के आदमी से चुदवा लिया । “
शीला ने मेरा लौडा चूसा , चुदवाया और बोली ,
“ अगर कोई औरत प्यारे के जैसा हल्लबी, मुसल जैसे लौडा से नहीं चुदवायेंगी तो उसे आपका लौडा और आपकी चुदाई दोनों बहुत पसंद आयेगी । १०० में ९० माल ऐसी हैं जिन्हें चुदाई से ज़्यादा मज़ा बूर चुसवाने , अंग अंग चटवाने में आता है फिर वो चाहे मॉं हो, बहन , बेटी या कोई भी हो बिना चुदवाये आपको जाने नहीं देगी । मंजु ने प्यारे से २-२ बार चुदवा लिया है उसे आपके इस ७ इंच लम्बा और मोटा लौडा से कोई मज़ा नहीं आयेगा । मंजु जिससे चुदवाती है चुदवाते दो आप शरीफ़ घर की औरतों को पटाओ, उनकी बूर चुसो. अंग अंग चाटो और खुब चोदो और ज़िंदगी भर अपनी ऑंखें के सामने मंजु को दूसरे से चुदवाते देखते रहो । “
मैंने शीला को उसके ससुर के सामने दूसरी बार चोदते हुए कहा था,
“ तुम दोनों जल्दी मेरे घर आओ और जैसे मंजु को चोद कर रंडी बना दिया वैसे ही मेरे सामने मेरी मॉं और बहन को चोदो । “
शीला या प्यारे किसी ने मेरी बात का जबाब नहीं दिया था ।
किरण ने मेरी बहन ले शिकायत करने की बात की और मैं उस पर टूट पड़ा । वो हंसते हुए मुझे अलग करने की कोशिश कर रही थी लेकिन कुछ देर बाद हम दोनों नंगे थे । किरण ने मेरा लौडा पकड़ा ,
किरण— राघव को मैंने नींद की गोली खिला दी है वो ४-५ बजे के पहले नहीं उठेगा लेकिन मंजु ने तुम्हें मेरी चुदाई करते देख लिया तो ! “
सुबह से मंजु ने इतना चुदवाया था कि वो बहुत ही ज़्यादा थक गई होगी ।
किरण की मस्त चूचियों को मसलते हुए बोला ,
“ १५ दिनों से देख रहा हूँ कि ये औरत मंजु एक बार सोती है तो फिर सुबह से पहले नहीं उठती, बहुत ही गहरी नींद है इस रंडी की । “
किरण— अपनी रंडी की बूर दिखाओ । देखूँ सिर्फ़ चेहरा ही सुंदर है कि बूर में भी कुछ दम है ।
मैं एक टक किरण को देखता रहा । जब कुछ देर नहीं उठा तो उसने मुझे ठेला ।
“ अगर अपनी प्यारी घरवाली की चूत नहीं दिखाओगे तो मैं भी नहीं चोदने दूँगी जाओ सो जाओ । “
किसी नंगी औरत को बिना चोदे कैसे छोर दूँ । मैं अपनी जगह से उठा । मंजु के वॉडी पर जो चादर था मैं ने उसे नीचे गिराया । एक साथ साड़ी और साया को नीचे से पकड़ा और उपर उठाने लगा । मंजु के वॉडी में कोई हलचल नहीं । साड़ी साया दोनों को उपरी जाँघ तक उठा दिया । किरण की ओर देखा ।
किरण—- कपडें को कमर तक खींच लो ।
मैंने वही किया । मंजु के चुत्तर के नीचे से दोनों साड़ी साया को कमर से उपर उठा दिया ।
किरण— चूत भी बहुत प्यारा है । आ जाओ, मेरी बूर बहुत प्यासी है , चोदो।
मैंने मंजु के एक पॉंव को वर्थ के नीचे किया । मंजु की चूत को २ बार मसला और किरण के बाँहों में आ गया । किरण ने एक हाथ से मेरा लौडा पकड़ा और अपनी बूर पर दबाया । मैंने धक्का मारा ।
“ थोड़ा धीरे यार , ये तेरी रंडी मंजु का बूर नहीं है शरीफ़ औरत की चूत है । डेढ़ साल के बाद कोई लौडा बूर में घुसा है । “
मैं किरण के बदन को सहलाते हुए पेलता रहा । मुझे भी लगा कि मैं किसी सालों से चूदी हुई बूर में नहीं २-३ बार ही चुदवाई हुए बूर में लौडा पेल रहा हूँ ।
मैं धक्का पर धक्का मारता रहा और वह मुझे अपने बारे में बताती रही । उसने कहा कि डेढ़ साल पहले राघव को दिल का दौरा पड़ा और क़रीब १८ महिना बाद उसकी चूत में कोई लौडा घुसा है ।
किरण—- तुम शायद मुझे रंडी समझ रहे होंगे कि जो आदमी मेरे सामने आता है मैं उससे चुदवा लेती हूँ । भगवान की क़सम तुम सिर्फ़ दूसरे आदमी हो जो मुझे नंगा देख रहे हो । तुम ट्रेन में घुसे और मुझे बहुत पसंद आ गये । बहुत ही बढ़िया चोद रहे हो यार ।
मुझे भी बैठे बिठाए बढिया माल मिल गई थी । मुझे भी किरण पहली झलक में ही पसंद आ गई थी ।
मंजूँ से एक डेढ़ इंच ज़्यादा लंबी , रंग भी मंजु जैसा गोरा नहीं था । बहुत ही छडहडा बदन । मंजु से थोड़ा ज़्यादा गोलाई लिए हुए कंधे , मंजु से बड़ी चूचियाॉं, धक्का मारते हुए ब्रा उठाकर देखा । किरण ३६ इंच साइज़ की ब्रा पहन ती थी । लेकिन चूची मंजु जैसी गोल नहीं आगे की ओर फैली हुई थी । सपाट पेट । पतली कमर और ३६ इंच की चुत्तर । लम्बी सुडौल जॉंघे मर्दों को पागल करने के लिए काफ़ी था ।
१५-१६ मिनट की चुदाई हो गई थी ।
मैं —- मुझे भी तुम पहली नज़र में बहुत पसंद आ गई । कल दोपहर २ बजे अजंता होटल आ जाओ, हम प्यार करेंगे ।
किरण ने कुछ जबाब नहीं दिया । मैं पेलता रहा और हम दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन पर थिरकते रहे । ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी और फिर चल भी दी । एक दूसरे की ऑंखें में देखते हुए हम चुदाई करते रहे ।
किरण— हमारी शादी को ९ साल से ज़्यादा हो गया । राघव का लौडा लंबा तुम्हारे लंड जैसा ही है लेकिन थोड़ा ज़्यादा मोटा है । डेढ़ साल से उसने मुझे चोदा ही नहीं । डाक्टर ने उसे चुदाई करने की परमीशन दी है फिर भी डरता है ।
कुछ देर की चुप्पी ।
किरण — मैं ने समय देखा था । तुमने १० बजकर ३५ मिनट में बूर में लौडा पेला था और अब ११ बजकर २० मिनट हो गया । ४५ मिनट से पेल रहे हो , राघव ने कभी 10 मिनट भी बूर में लौडा को टाईट नहीं रखा ।
मैं ने उसे बेतहाशा चुमा ।
मैं—- रानी , मैं मंजु को कभी २० मिनट से ज़्यादा नहीं चोद पाया लेकिन तुम्हारी प्यारी बूर ने मेरे लौडा को बहुत पसंद किया है इसलिए कल फिर प्यार करना चाहता हूँ ।
किरण— मैं २ बजे तक आ जाऊँगी , तुम कमरा बूक करके रखना । कितना पेलोगे यार , तेरे लौडा ने बूर का सारा रस चूस लिया । थोड़ी देर मुझसे चिपक कर रहो , एक बार फिर चुदाई करेंगे ।
लेकिन मैं पेलता ही रहा । अचानक किरण ने धक्का दिया और ज़ोर से बोली ।
“ मादरचोद प्यार से बोल रही हूँ तो समझ नहीं आ रहा है क्या । वीणा की बूर में इतनी देर लौडा रखोगे तो वो लौडा कच्चा चबा जायेगी । उतरो यार । सवा घंटा से पेल रहे हो , क्या खा कर आये हो ? लाओ चूस कर ठंडा कर देती हूँ।
मैंने दोनों , मंजु और राघव की ओर नज़र दौड़ाया । लेकिन दोनों गहरी नींद में थे । मैं बूर से लौडा निकाल कर किरण के सामने खड़ा हो गया । वो उठ कर बैठी । अपने पेटीकोट से मेरे लौडा को पोछा और आधा से ज़्यादा लौडा मुँह में लेकर चूसने लगी । ७-८ मिनट के बाद ही लौडा ने पानी छोड़ना शुरु किया और उसने तुरंत लौडा बाहर निकाला और सारे रस को अपनी चूचियों पर गिरने दिया /
किरण की आँखें और चेहरा देखकर कोई भी कह सकता था कि वह बहुत खुश है । मैं भी बहुत खुश था । एक इसलिए कि किरण जैसी शरीफ़ और प्यार करने के लिए मिली और दूसरा कि प्यारे और कपिल ने जितनी देर मंजु को चोदा था उससे ज़्यादा देर मैंने किरण को चोदा ।
किरण कुछ समझती या बोलती , जैसा शीला ने सिखाया था मैं ने किरण को बर्थ पर दबाया और उसके उपर ६९ पोज में आ गया । पहले तो औरत ने बहुत हाथ पाँव मारा लेकिन कुछ ही मिनट बाद किरण ज़ोर ज़ोर से सिसकारी मारती हुई मस्ती मारती रही । जैसा शीला से बताया था मैंने बूर के अंदर बाहर खुब चूसा , खुब चाटा , क्लीट और बूर की पत्तियों कों चबाया । किरण नागिन जैसा फुँकार मार रही थी ।
“ बहनचोद जल्दी से बूर में लौडा पेलो नहीं तो ऐसे ही नंगी बाहर चली जाऊँगी । “
मैं — रानी , कुतिया बन जाओ । मंजु के उपर कुतिया बनो ।
जिस बर्थ पर मंजु सोईं थी उसे पकड़ कर किरण कुतिया बन गई और मैं खड़े खड़े किरण को पेलने लगा । हम और मंजु तो बेशर्म हो ही गये थे ये किरण भी वेशर्मी पर उतर आई । मैं पिछे से चोद रहा था और कुतिया बनी किरण कभी मंजु के बूर को दबाती थी तो कभी चूची को मसलती थी । मैं फिर एक घंटा से ज़्यादा चोदना चाहता था लेकिन किरण की हरकतों ने मुझे तो गर्म किया ही किरण भी बहुत गर्म हो गई । फिर ज़ोर से चिल्लाई ,
“ विनोद, मैं गई “
और इस बार हम दोनों एक साथ झडे । मेरा पूरा रस बूर में ही रहा । मैं कुछ देर बूर में लौडा दबाये रख अलग हुआ । वो जब खड़ी हुई तो बूर से एक बूँद भी बाहर नहीं गिरा । हम दोनों ने एक दूसरे को खुब चुमा, प्यार किया ।
किरण—- विनोद, तुमने दूसरी बार ४५ मिनट चोदा । मैं बहुत ही ज़्यादा खुश हैं, कल तो होटल आऊँगी , जल्दी तुम्हें ऐसा इनाम दूँगी कि तुमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा । कपड़े पहन कर सो जाओ । किसी को कुछ मालूम नहीं होना चाहिए ।
मैं ने पुछा कि मंजु के कपड़े टीक कर दूँ ।
किरण - नहीं यार , रंडी के ऐसा ही नंगा रहने दो । राघव तो अब मुझे चोदने से डरता है । देखें तुम्हारी खुबसूरत माल की जवानी देखकर भी उसके लौडा में जोश आता है कि नहीं ।
मंजु को कोई और चोदे उससे ज़्यादा ख़ुशी मेरे लिए क्या होती । मैं खुद भी चाहता था कि राघव मेरी पत्नी को चोदे वो भी मेरे सामने ।
मैं जब अपने बर्थ पर आया तो रात के तीन बजे थे । मंजु की कुँवारी चूत को फाड़कर जो मज़ा आया था उससे कहीं ज़्यादा मज़ा किरण ने दिया । किरण ने आँखें बंद कर ली थी । उसे देखते हुए मैं भी सो गया । राघव ने जब मुझे उठाया तब मेरी नींद खुली ।
राघव —- तैयार हो जाओ, अगला स्टेशन अपना ही है ।
अब मंजु की जवानी….
पिछले दो दिन होटल में सब कुछ बहुत ही बढ़िया हुआ । सिर्फ़ एक बात मुझे पसंद नहीं आई। जतीन का लौडा प्यारे या राजीव जैसा नहीं था लेकिन उसने सबसे बढिया चोदा था ! लेकिन उसने मुझसे घंघा करवाया वो मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया ।
ट्रेन में देखा कि राघव बार बार मुझे घूर रहा है लेकिन साथ में उसकी घरवाली थी इसलिए मैं ने कुछ इशारा नहीं किया । खाना खाने के बाद मैं लेट कर होटल में हुई घटनाओं का जायज़ा लेने लगी । बार बार सोचने के बाद मैंने यही निष्कर्ष निकाला कि अगर मुझे मौक़ा मिले तो मैं सिर्फ़ राजीव या फिर कपिल के साथ ही बार बार, हमेशा चुदवाना चाहूँगी । दोनों बढिया चुदाई के साथ बहुत ही प्यारी बातें भी करते हैं । होटल के आख़िरी ६ घंटा में जतीन और उसके ५ आदमियों ने चोद कर बहुत ही ज़्यादा थका दिया था । राजीव और कपिल के साथ की मस्ती को याद करते हुए सो गई । बहुत ही चैन से सोईं ।
जब नींद खुली तो सबसे पहले राघव पर नज़र पड़ी जो मेरे पॉंव के पास बैठा था । नज़र घुमा कर देखा , किरण मेरी तरफ़ पीठ कर सो रही थी । राघव ने चूत को सहलाया ।
राघव—- मंजु , किरण के बाद ये तुम्हारी पहली चूत है जो मैं देख रहा हूँ, बहुत ही प्यारी चूत है ।
पिछले दो दिन में प्यारे से लेकर जतीन के आख़िरी कस्टोमर तक सबने एक बात ज़रूर कही कि
“ आपका चूत सबसे प्यारा है “
और ये सामने बैठा ३५ साल का आदमी भी वही बोल रहा है ।
मैं - तुमने मुझे नंगा किया । विनोद को मैं सँभाल लूँगी लेकिन किरण दीदी देखेंगी तो सोचो कितनी बदनामी होगी ।
राघव आगे की ओर झुका और चूत को चूमा और सहलाते हुए बोला ,
“ जो क़सम ले लो , भगवान जानता है कि मैं ने तुम्हें नंगा नहीं किया । आधा घंटा पहले पेशाब करने उतरा तो तुम्हें ऐसा ही देखा । “
ज़रूर विनोद ने ही मेरी नंगी जवानी इस राघव को दिखाने के लिए ही मुझे नंगा किया होगा ।
राघव— तुम्हारी ख़ूबसूरत जॉंघे और प्यारा चूत देख लिया अब अपना उपर का ख़ज़ाना भी दिखा दो । उम्मीद करता हूँ कि किरण नहीं देखेगी ।
मैं—- तुम मेरे ससुराल के सभी को जानते हो , तुम मुझे बदनाम कर दोगे ।
राघव ने झट मेरे दोनों पैर पकड़ कर चूमा ।
राघव— विश्वास करो कभी किसी को मालूम नहीं होगा कि तुमने मुझे अपनी खुबसूरत जवानी दिखाई । प्लीज़, चूची दिखा दो ।
मैं — जो देखना है खुद देख लो ।
राघव उठा और मेरे बग़ल में आकर खड़ा हो गया । पहले झुककर मेरे गालों और होंठों को चूमा और एक एक कर सारे बटन खोल डाले । मैंने हाथ पीछे कर ब्रा का हुक खोल दिया । राघव ने ब्लाउज़ और ब्रा को मेरे बदन से अलग कर दिया । उसने ५-७ मिनट चूचियों को मसला और चूसा ।
“ तुम्हारी चूत जैसा ये दोनों फूल भी बहुत ही प्यारा है । “
राघव मेरे बग़ल में खड़ा था । खड़े खड़े ही उसने अपना ट्राउजर और अंडरवियर नीचे ठेला । वो कमर के नीचे नंगा था । उसने मेरा एक हाथ पकड़ अपने लौडा पर रखा ।
ये राघव, प्यारे और राजीव से २ इंच ज़्यादा लंबा था और लौडा भी क़रीब ८ इंच का था ही , बढिया मोटा था । हाथ में कड़क लौडा बहुत ही बढ़िया लग रहा था ।
राघव— डाक्टर तीन चार महीने से कह रहा है कि मैं फिर से पहले जैसा चुदाई कर सकता हूँ लेकिन मालूम नहीं क्यों किरण को चोदने की कभी हिम्मत नहीं हुई । लेकिन अब अगर तुम्हें नहीं चोदुंगा तो मर जाउंगा। रानी , थोड़ी देर चूस दो ।
और कुछ हो या ना हो लौडा मुझे बहुत पसंद आ गया था । राघव के तरफ़ घुम कर लौडा को चूसने लगी । मैं ने शायद ५ मिनट लौडा चूसा होगा । राघव बहॉं से हट कर मेरे पॉंव के बीच आया । पहले की तरह इस बार भी मैंने एक बार भी उसे मना नहीं किया । मैं कभी उसके ऑंखें में तो कभी किरण की ओर देखती रही । राघव ने जाँघों को सहलाते हुए लौडा को बूर से सटाया और सही में बहुत ही ज़ोर दार धक्का मारा ॥
“ थोड़ा धीरे यार किरण उठ जायेगी । “
लेकिन किरण नहीं उठी । ८-१० बार उसने ज़ोर दार धक्का मारा और उसके बाद आराम से मेरी चूचियों को , जॉंघो को सहलाते हुए पेलता रहा । क़रीब २०-२२ मिनट पेलने के बाद लौडा ने पानी छोड़ दिया ।
राघव— में बहुत ही ज़्यादा खुश हूँ कि डेढ़ साल के बाद चुदाई शुरु कि तो दुनिया की सबसे खुबसूरत आौरत के साथ किया । रानी , कल २ बजे “ अप्सरा “ होटल में आ जाना । तुमने पत्नी से ज़्यादा ख़ुशी दी है इसलिए कोई बढिया उपहार तो तुम्हें देनी ही है , प्लीज़ ज़रूर आना । एक बार और प्यार करने दोगी ? अभी ६ बजा है , अपना स्टेशन ८ बजे आयेगा ।
मैं —- चोद सकते हो तो चोद लो लेकिन तुम्हें अगर फिर दिल का दौड़ा आ गया तो मेरी कोई ज़िम्मेदारी नहीं । मेरे साथ बाथरूम चलो ।
मैं बर्थ से नीचे उतरी । ना ब्रा ही पहना और ना ब्लाउज़ । साड़ी, साया को नीचे किया और ऑंचल के कंधे पर डाल बाहर निकाल गई । राघव भी पैंट का बटन बंद करते, बेल्ट बांधते हुए मेरे पीछे पीछे आया । बाथरूम तक जाते समय कोई दूसरा नहीं दिखा । लेकिन जब हम वापस आ रहे थे तो सामने से एक औरत अकेली बाथरूम जा रही थी । जब हमारे पास आई तो उसने मेरा हाथ पकड़ा ,
औरत —- ( राघव से ) , तुम्हारी घरवाली सुंदर है तो इसका ये मतलब नहीं कि इसके नंगे बदन की नुमाइश करते रहो । लड़की ( मुझे) अगर मेरा घरवाले कभी भी मुझे बिना ब्लाउज़ के भी बाहर चलने बोलेगा तो मैं उसी समय ऐसे घटिया आदमी को छोड़ दूँगी और तुझे इसने ब्रा भी नहीं पहनने दिया । छी , कितने गंदे आदमी हो तुम !
वो औरत बाथरूम की ओर गई और हम दोनों अपने केबिन में घूसे । उसने दरवाज़ा वंद किया । मुझे बाँहों में लेकर बोला ,
“ रानी , ये दोनों अभी नहीं उठने बाले । २ बजे अप्सरा होटल आ जाना खुश कर दूँगा । पुरे कपड़े उतार कर अपनी मस्त जवानी का दीदार करवा दो रानी । “
बोलते हुए राघव सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया । उसने एक बार मुझे अपनी बाँहों में खींचा । मुझे अपने पति की कोई चिंता नहीं थी लेकिन मुझे किरण से डर था । वो हमारी बेशर्मी को कैसे लेगी मालूम नहीं थी । राघव को दिल का दौरा डेढ़ साल पहले हुआ था लेकिन उस समय वो मेरे साथ राजीव या जतीन जैसा ही मज़बूत लग रहा था । खुद तो नंगा था ही मुझे भी पुरा नंगा किया । उसने मुझे नीचे दोनों बर्थ के बीच खिड़की के रॉड को पकड़ कुतिया बनाया । नीचे बैठकर क़रीब १० मिनट पीछे से ही मेरी बूर और गॉंड को चाटा चूसा । और उसके बाद खड़ा हुआ । एक हाथ मेरे कंधे पर रखा । दूसरे हाथ से लौडा पकड़ २-३ बार बूर के फाँक पर रगड़ा और अचानक खूब ज़ोर से अपनी पूरी ताक़त से पेला ।
“ आह राघव मज़ा आ गया , और ज़ोर से , पूरा अंदर तक ।… “
उसके धक्के की स्पीड, पावरफ़ुल धक्का देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये आदमी दिल का मरीज़ है । कभी दोनों कंधे के पकड़ कर पेलता और कभी हाथ आगे बढ़ा कर चूचियों को पकड़ कर । पहली राउंड में कोई खाश मज़ा नहीं आया था लेकिन इस राउंड में राघव ने पूरा मस्त कर दिया । मैं अपने को कंट्रोल नहीं रख पाई और मेरे मुँह से मस्ती की सिसकारी निकलने लगी । समय गुजरा ।
राघव की चुदाई की स्पीड बहुत बढ़ गई । अचानक इस राघव ने भी प्यारे जैसा मुझे अपनी बाँहों में पूरी ताक़त से बांधा । राघव के लौडा मेरी बूर में पानी स्प्रे करने लगा और मैं भी झड़ गई । हम दोनों ठंडे हुए । खिड़की के बाहर सुबह की धूप थी ।
मेरी नज़र किरण के नज़रों से मिली। राघव गर्दन झुकाये खड़ा था । किरण ने मेरा हाथ पकड़ा ।
किरण— मंजु , डरने या दुखी होने की कोई ज़रूरत नहीं । मैं पिछले ६ महीने से कोशिश कर रही थी कि ये आदमी फिर से मुझे चोदना शुरु करें लेकिन ये मेरे साथ सोने से भी डरता था । थैंक्यू मंजु, तुमने इस आदमी का डर ख़त्म कर दिया ।
राघव—- किरण, मंजु की नंगी जवानी देख अपने को सँभाल नहीं पाया । तुम भी जिससे चाहो , घर में, घर के बाहर , कोई तुम्हें नहीं टोकेगा।
किरण ने राघव के ढीले लौडा को दबाया ।
किरण- तुम्हें कैसे मालूम कि मैंने दूसरों से नहीं चुदवाती हूँ! अपने अपने कपड़े पहनो और विनोद को उठाओ। मंजु ने हमारा बहुत बड़ा काम किया है इसे बढिया इनाम देना मत भूलना । और मंजु , मैं ग़ुस्सा से नहीं बोल रही तुम्हें जब भी राघव के लंड की ज़रूरत महसूस हो मेरे घर आ जाना ।
राघव ने मुझे उठाया । ना मुझे कभी मालूम हुआ कि ट्रेन में मंजु ने राघव से चुदवाया और किरण ने चूदाई देखी भी और ना ही मंजु या राघव को कभी मालूम हुआ कि सिर्फ़ ट्रेन में ही नहीं अगले कई सालों तक हम और किरण चुदाई करते रहे ।
रात किरण ने जब मंजु के नंगा करने कहा तो ना मैं ने उस समय समझा ना ही बाद में कि किरण चाहती थी कि राघव मंजु को नंगा देखे और उसे चोदे ।
ट्रेन समय पर स्टेशन पहुँच गई । राघव की कार आई थी उसने हमें घर पहुँचाया ।
ट्रेन समय पर ८ बजे स्टार्ट हुईं । हम फ़र्स्ट क्लास के डिब्बे में थे । हमारे साथ एक और पति पत्नी थे । पति क़रीब ३५ साल का था और पत्नी ३०-३१ साल की । मंजु १८ साल की ही थी, बहुत ही खुबसूरत थी लेकिन मुझे दूसरी औरत की गठीला बदन बहुत बढ़िया लग रहा था । मैं जब भी उसकी ओर देखता तो पाता कि वो मुझे घूर रही है। बातों बातों में मालूम हुआ कि वे लोग वहीं रहते हैं जहां हम रहते थे । हमने आपस में परिचय किया । आदमी का नाम राघव था और पत्नी का नाम था किरण ।
राघव—- हम आपके बाबूजी विजेंद्र बाबू को और आपकी मॉं कल्पना को बढिया से जानते हैं । आपकी जब शादी हुई , मंजु ससुराल आई तब हम बाहर गये हुए थे ।
राघव हमारे इलाक़े के सबसे बड़े किराना दुकान का मालिक था ।
होटल से निकलते समय मंजु के दलाल जतीन ने हमारे लिए खाना दे दिया था । किरण ने भी खाने का डब्बा निकाला । हम चारों ने मिल कर खाना खाया । कुछ देर बाद मैं ने देखा कि किरण ने अपने पति को मेरी ओर देखते हुए दवाई दी ।
राघव—- विनोद जी आप लोग हँसेंगे, इतनी कम उम्र में ही मुझे दिल का दौड़ा पर गया है ।
वो बात मुझसे कर रहा था लेकिन देख रहा था मंजु की ओर । उसने यह भी नहीं देखा कि पत्नी ने उसे क्या दिया क्या नहीं । कुछ देर बाद सोने की बात हुई । हर एक आदमी को अपनी पत्नी से ज़्यादा दूसरे की पत्नी ज़्यादा अच्छी लगती है।
मंजु —- राघव जी , आप यहॉं मेरी सीट पर नीचे सो जाइए मैं उपर सो जाऊँगी ।
लेकिन राघव मुस्कुराते हुए किरण जहां लेटी थी उस के उपर बाले बर्थ पर चढ़ गया ।
राघव —- मंजु , तुम बहुत ही ज़्यादा सुंदर हो, बहुत ही प्यारी हो ।
किरण ने पति की बात सुनी और मेरी ओर देख कर मुस्कुराई।
पिछले २ दिनों में मंजु को चोदने बाले सभी ने बार बार ये कहा कि
“ साहब, आपकी पत्नी सिर्फ़ देखने में ही सबसे सुंदर ही नहीं आपकी पत्नी कि चूत भी सबसे प्यारी है। “
मेरा मन करने लगा कि चलती ट्रेन में ही मंजु को इस इस राघव से चुदवाउं । लेकिन दोनों सिर्फ़ बातें ही करते रहे । मैं भी मंजु के उपर बासी सीट पर चला गया और किरण की मस्त जवानी का रस पीता रहा ।
सुबह से मंजु ने लगातार चुदवाया था । ज़रूर थक गई होगी । वो सो गई । मंजु सोईं तो राघव ने भी दूसरी तरफ़ करवट ले लिया । मैं किरण को लगातार घूर रहा था । कुछ देर बाद मंजु के साथ राघव की स्नोरिंग सुनाई पड़ने लगी ।
मैं लगातार किरण को ही देख रहा था लेकिन देखा कि किरण को भी नींद नहीं आ रही है । वो बार बार करवट बदल रही है । जब कभी भी उसकी नज़र मेरी तरफ़ होती थी हम दोनों की नज़र टकराती थी । ग़ुस्सा होने के बजाय हर बार उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती थी ।
कुछ समय और गुजरा और वे झटके से उठ गई । मेरे पास आई ।
किरण— मुझे नींद नहीं आ रही हैं । चाहो तो नीचे आकर मेरे साथ बैठो ।
वे वहाँ खड़ी ही थी कि मैं नीचे उतरा और उसे अपनी बाँहों में बांध गालों और होंठों को चूमा । उसने मुझे धक्का दिया और खिड़की से सटकर बैठ गई ।
किरण— घर पहुँचते ही सबसे पहला वीणा को फ़ोन करुंगी और उसे बताउँगी कि चलती ट्रेन में मंजु और राघव के सामने तुमने कैसे मेरा बलात्कार किया ।
किरण ने जो कहा उसका तो मतलब साफ़ था कि वो मेरी छोटी बहन वीणा , जिसकी शादी दो साल पहले ही हुई थी उसे बढिया से जानती थी और दूसरा कि उसकी चुत को एक बढिया चुदाई की ज़रूरत है ।
पिछले दो दिनों मंजु को अलग अलग लोगों से चुदवाते देख बहुत कुछ सीखा और प्यारे की वहु शीला ने औरतों को तड़पाने और खुश करने का नया तरीक़ा सिखाया । चुदाई के पहले और चूदाई की बाद के ओरल सेक्स का फ़ायदा बताया ।
शीला ने कहा था ,
“ अगर प्यारे सिर्फ़ हाथ पॉंव की मालिश करता तो तुम्हारी घरवाली कभी प्यारे से नहीं चुदवाती । प्यारे ने अनजाने में ही मंजु के पॉंव और जाँघों को सहलाना, मसलना शुरु किया और मंजु इतनी गर्म हो गई कि अपने बाप से बड़े उम्र के आदमी से चुदवा लिया । “
शीला ने मेरा लौडा चूसा , चुदवाया और बोली ,
“ अगर कोई औरत प्यारे के जैसा हल्लबी, मुसल जैसे लौडा से नहीं चुदवायेंगी तो उसे आपका लौडा और आपकी चुदाई दोनों बहुत पसंद आयेगी । १०० में ९० माल ऐसी हैं जिन्हें चुदाई से ज़्यादा मज़ा बूर चुसवाने , अंग अंग चटवाने में आता है फिर वो चाहे मॉं हो, बहन , बेटी या कोई भी हो बिना चुदवाये आपको जाने नहीं देगी । मंजु ने प्यारे से २-२ बार चुदवा लिया है उसे आपके इस ७ इंच लम्बा और मोटा लौडा से कोई मज़ा नहीं आयेगा । मंजु जिससे चुदवाती है चुदवाते दो आप शरीफ़ घर की औरतों को पटाओ, उनकी बूर चुसो. अंग अंग चाटो और खुब चोदो और ज़िंदगी भर अपनी ऑंखें के सामने मंजु को दूसरे से चुदवाते देखते रहो । “
मैंने शीला को उसके ससुर के सामने दूसरी बार चोदते हुए कहा था,
“ तुम दोनों जल्दी मेरे घर आओ और जैसे मंजु को चोद कर रंडी बना दिया वैसे ही मेरे सामने मेरी मॉं और बहन को चोदो । “
शीला या प्यारे किसी ने मेरी बात का जबाब नहीं दिया था ।
किरण ने मेरी बहन ले शिकायत करने की बात की और मैं उस पर टूट पड़ा । वो हंसते हुए मुझे अलग करने की कोशिश कर रही थी लेकिन कुछ देर बाद हम दोनों नंगे थे । किरण ने मेरा लौडा पकड़ा ,
किरण— राघव को मैंने नींद की गोली खिला दी है वो ४-५ बजे के पहले नहीं उठेगा लेकिन मंजु ने तुम्हें मेरी चुदाई करते देख लिया तो ! “
सुबह से मंजु ने इतना चुदवाया था कि वो बहुत ही ज़्यादा थक गई होगी ।
किरण की मस्त चूचियों को मसलते हुए बोला ,
“ १५ दिनों से देख रहा हूँ कि ये औरत मंजु एक बार सोती है तो फिर सुबह से पहले नहीं उठती, बहुत ही गहरी नींद है इस रंडी की । “
किरण— अपनी रंडी की बूर दिखाओ । देखूँ सिर्फ़ चेहरा ही सुंदर है कि बूर में भी कुछ दम है ।
मैं एक टक किरण को देखता रहा । जब कुछ देर नहीं उठा तो उसने मुझे ठेला ।
“ अगर अपनी प्यारी घरवाली की चूत नहीं दिखाओगे तो मैं भी नहीं चोदने दूँगी जाओ सो जाओ । “
किसी नंगी औरत को बिना चोदे कैसे छोर दूँ । मैं अपनी जगह से उठा । मंजु के वॉडी पर जो चादर था मैं ने उसे नीचे गिराया । एक साथ साड़ी और साया को नीचे से पकड़ा और उपर उठाने लगा । मंजु के वॉडी में कोई हलचल नहीं । साड़ी साया दोनों को उपरी जाँघ तक उठा दिया । किरण की ओर देखा ।
किरण—- कपडें को कमर तक खींच लो ।
मैंने वही किया । मंजु के चुत्तर के नीचे से दोनों साड़ी साया को कमर से उपर उठा दिया ।
किरण— चूत भी बहुत प्यारा है । आ जाओ, मेरी बूर बहुत प्यासी है , चोदो।
मैंने मंजु के एक पॉंव को वर्थ के नीचे किया । मंजु की चूत को २ बार मसला और किरण के बाँहों में आ गया । किरण ने एक हाथ से मेरा लौडा पकड़ा और अपनी बूर पर दबाया । मैंने धक्का मारा ।
“ थोड़ा धीरे यार , ये तेरी रंडी मंजु का बूर नहीं है शरीफ़ औरत की चूत है । डेढ़ साल के बाद कोई लौडा बूर में घुसा है । “
मैं किरण के बदन को सहलाते हुए पेलता रहा । मुझे भी लगा कि मैं किसी सालों से चूदी हुई बूर में नहीं २-३ बार ही चुदवाई हुए बूर में लौडा पेल रहा हूँ ।
मैं धक्का पर धक्का मारता रहा और वह मुझे अपने बारे में बताती रही । उसने कहा कि डेढ़ साल पहले राघव को दिल का दौरा पड़ा और क़रीब १८ महिना बाद उसकी चूत में कोई लौडा घुसा है ।
किरण—- तुम शायद मुझे रंडी समझ रहे होंगे कि जो आदमी मेरे सामने आता है मैं उससे चुदवा लेती हूँ । भगवान की क़सम तुम सिर्फ़ दूसरे आदमी हो जो मुझे नंगा देख रहे हो । तुम ट्रेन में घुसे और मुझे बहुत पसंद आ गये । बहुत ही बढ़िया चोद रहे हो यार ।
मुझे भी बैठे बिठाए बढिया माल मिल गई थी । मुझे भी किरण पहली झलक में ही पसंद आ गई थी ।
मंजूँ से एक डेढ़ इंच ज़्यादा लंबी , रंग भी मंजु जैसा गोरा नहीं था । बहुत ही छडहडा बदन । मंजु से थोड़ा ज़्यादा गोलाई लिए हुए कंधे , मंजु से बड़ी चूचियाॉं, धक्का मारते हुए ब्रा उठाकर देखा । किरण ३६ इंच साइज़ की ब्रा पहन ती थी । लेकिन चूची मंजु जैसी गोल नहीं आगे की ओर फैली हुई थी । सपाट पेट । पतली कमर और ३६ इंच की चुत्तर । लम्बी सुडौल जॉंघे मर्दों को पागल करने के लिए काफ़ी था ।
१५-१६ मिनट की चुदाई हो गई थी ।
मैं —- मुझे भी तुम पहली नज़र में बहुत पसंद आ गई । कल दोपहर २ बजे अजंता होटल आ जाओ, हम प्यार करेंगे ।
किरण ने कुछ जबाब नहीं दिया । मैं पेलता रहा और हम दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन पर थिरकते रहे । ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी और फिर चल भी दी । एक दूसरे की ऑंखें में देखते हुए हम चुदाई करते रहे ।
किरण— हमारी शादी को ९ साल से ज़्यादा हो गया । राघव का लौडा लंबा तुम्हारे लंड जैसा ही है लेकिन थोड़ा ज़्यादा मोटा है । डेढ़ साल से उसने मुझे चोदा ही नहीं । डाक्टर ने उसे चुदाई करने की परमीशन दी है फिर भी डरता है ।
कुछ देर की चुप्पी ।
किरण — मैं ने समय देखा था । तुमने १० बजकर ३५ मिनट में बूर में लौडा पेला था और अब ११ बजकर २० मिनट हो गया । ४५ मिनट से पेल रहे हो , राघव ने कभी 10 मिनट भी बूर में लौडा को टाईट नहीं रखा ।
मैं ने उसे बेतहाशा चुमा ।
मैं—- रानी , मैं मंजु को कभी २० मिनट से ज़्यादा नहीं चोद पाया लेकिन तुम्हारी प्यारी बूर ने मेरे लौडा को बहुत पसंद किया है इसलिए कल फिर प्यार करना चाहता हूँ ।
किरण— मैं २ बजे तक आ जाऊँगी , तुम कमरा बूक करके रखना । कितना पेलोगे यार , तेरे लौडा ने बूर का सारा रस चूस लिया । थोड़ी देर मुझसे चिपक कर रहो , एक बार फिर चुदाई करेंगे ।
लेकिन मैं पेलता ही रहा । अचानक किरण ने धक्का दिया और ज़ोर से बोली ।
“ मादरचोद प्यार से बोल रही हूँ तो समझ नहीं आ रहा है क्या । वीणा की बूर में इतनी देर लौडा रखोगे तो वो लौडा कच्चा चबा जायेगी । उतरो यार । सवा घंटा से पेल रहे हो , क्या खा कर आये हो ? लाओ चूस कर ठंडा कर देती हूँ।
मैंने दोनों , मंजु और राघव की ओर नज़र दौड़ाया । लेकिन दोनों गहरी नींद में थे । मैं बूर से लौडा निकाल कर किरण के सामने खड़ा हो गया । वो उठ कर बैठी । अपने पेटीकोट से मेरे लौडा को पोछा और आधा से ज़्यादा लौडा मुँह में लेकर चूसने लगी । ७-८ मिनट के बाद ही लौडा ने पानी छोड़ना शुरु किया और उसने तुरंत लौडा बाहर निकाला और सारे रस को अपनी चूचियों पर गिरने दिया /
किरण की आँखें और चेहरा देखकर कोई भी कह सकता था कि वह बहुत खुश है । मैं भी बहुत खुश था । एक इसलिए कि किरण जैसी शरीफ़ और प्यार करने के लिए मिली और दूसरा कि प्यारे और कपिल ने जितनी देर मंजु को चोदा था उससे ज़्यादा देर मैंने किरण को चोदा ।
किरण कुछ समझती या बोलती , जैसा शीला ने सिखाया था मैं ने किरण को बर्थ पर दबाया और उसके उपर ६९ पोज में आ गया । पहले तो औरत ने बहुत हाथ पाँव मारा लेकिन कुछ ही मिनट बाद किरण ज़ोर ज़ोर से सिसकारी मारती हुई मस्ती मारती रही । जैसा शीला से बताया था मैंने बूर के अंदर बाहर खुब चूसा , खुब चाटा , क्लीट और बूर की पत्तियों कों चबाया । किरण नागिन जैसा फुँकार मार रही थी ।
“ बहनचोद जल्दी से बूर में लौडा पेलो नहीं तो ऐसे ही नंगी बाहर चली जाऊँगी । “
मैं — रानी , कुतिया बन जाओ । मंजु के उपर कुतिया बनो ।
जिस बर्थ पर मंजु सोईं थी उसे पकड़ कर किरण कुतिया बन गई और मैं खड़े खड़े किरण को पेलने लगा । हम और मंजु तो बेशर्म हो ही गये थे ये किरण भी वेशर्मी पर उतर आई । मैं पिछे से चोद रहा था और कुतिया बनी किरण कभी मंजु के बूर को दबाती थी तो कभी चूची को मसलती थी । मैं फिर एक घंटा से ज़्यादा चोदना चाहता था लेकिन किरण की हरकतों ने मुझे तो गर्म किया ही किरण भी बहुत गर्म हो गई । फिर ज़ोर से चिल्लाई ,
“ विनोद, मैं गई “
और इस बार हम दोनों एक साथ झडे । मेरा पूरा रस बूर में ही रहा । मैं कुछ देर बूर में लौडा दबाये रख अलग हुआ । वो जब खड़ी हुई तो बूर से एक बूँद भी बाहर नहीं गिरा । हम दोनों ने एक दूसरे को खुब चुमा, प्यार किया ।
किरण—- विनोद, तुमने दूसरी बार ४५ मिनट चोदा । मैं बहुत ही ज़्यादा खुश हैं, कल तो होटल आऊँगी , जल्दी तुम्हें ऐसा इनाम दूँगी कि तुमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा । कपड़े पहन कर सो जाओ । किसी को कुछ मालूम नहीं होना चाहिए ।
मैं ने पुछा कि मंजु के कपड़े टीक कर दूँ ।
किरण - नहीं यार , रंडी के ऐसा ही नंगा रहने दो । राघव तो अब मुझे चोदने से डरता है । देखें तुम्हारी खुबसूरत माल की जवानी देखकर भी उसके लौडा में जोश आता है कि नहीं ।
मंजु को कोई और चोदे उससे ज़्यादा ख़ुशी मेरे लिए क्या होती । मैं खुद भी चाहता था कि राघव मेरी पत्नी को चोदे वो भी मेरे सामने ।
मैं जब अपने बर्थ पर आया तो रात के तीन बजे थे । मंजु की कुँवारी चूत को फाड़कर जो मज़ा आया था उससे कहीं ज़्यादा मज़ा किरण ने दिया । किरण ने आँखें बंद कर ली थी । उसे देखते हुए मैं भी सो गया । राघव ने जब मुझे उठाया तब मेरी नींद खुली ।
राघव —- तैयार हो जाओ, अगला स्टेशन अपना ही है ।
अब मंजु की जवानी….
पिछले दो दिन होटल में सब कुछ बहुत ही बढ़िया हुआ । सिर्फ़ एक बात मुझे पसंद नहीं आई। जतीन का लौडा प्यारे या राजीव जैसा नहीं था लेकिन उसने सबसे बढिया चोदा था ! लेकिन उसने मुझसे घंघा करवाया वो मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया ।
ट्रेन में देखा कि राघव बार बार मुझे घूर रहा है लेकिन साथ में उसकी घरवाली थी इसलिए मैं ने कुछ इशारा नहीं किया । खाना खाने के बाद मैं लेट कर होटल में हुई घटनाओं का जायज़ा लेने लगी । बार बार सोचने के बाद मैंने यही निष्कर्ष निकाला कि अगर मुझे मौक़ा मिले तो मैं सिर्फ़ राजीव या फिर कपिल के साथ ही बार बार, हमेशा चुदवाना चाहूँगी । दोनों बढिया चुदाई के साथ बहुत ही प्यारी बातें भी करते हैं । होटल के आख़िरी ६ घंटा में जतीन और उसके ५ आदमियों ने चोद कर बहुत ही ज़्यादा थका दिया था । राजीव और कपिल के साथ की मस्ती को याद करते हुए सो गई । बहुत ही चैन से सोईं ।
जब नींद खुली तो सबसे पहले राघव पर नज़र पड़ी जो मेरे पॉंव के पास बैठा था । नज़र घुमा कर देखा , किरण मेरी तरफ़ पीठ कर सो रही थी । राघव ने चूत को सहलाया ।
राघव—- मंजु , किरण के बाद ये तुम्हारी पहली चूत है जो मैं देख रहा हूँ, बहुत ही प्यारी चूत है ।
पिछले दो दिन में प्यारे से लेकर जतीन के आख़िरी कस्टोमर तक सबने एक बात ज़रूर कही कि
“ आपका चूत सबसे प्यारा है “
और ये सामने बैठा ३५ साल का आदमी भी वही बोल रहा है ।
मैं - तुमने मुझे नंगा किया । विनोद को मैं सँभाल लूँगी लेकिन किरण दीदी देखेंगी तो सोचो कितनी बदनामी होगी ।
राघव आगे की ओर झुका और चूत को चूमा और सहलाते हुए बोला ,
“ जो क़सम ले लो , भगवान जानता है कि मैं ने तुम्हें नंगा नहीं किया । आधा घंटा पहले पेशाब करने उतरा तो तुम्हें ऐसा ही देखा । “
ज़रूर विनोद ने ही मेरी नंगी जवानी इस राघव को दिखाने के लिए ही मुझे नंगा किया होगा ।
राघव— तुम्हारी ख़ूबसूरत जॉंघे और प्यारा चूत देख लिया अब अपना उपर का ख़ज़ाना भी दिखा दो । उम्मीद करता हूँ कि किरण नहीं देखेगी ।
मैं—- तुम मेरे ससुराल के सभी को जानते हो , तुम मुझे बदनाम कर दोगे ।
राघव ने झट मेरे दोनों पैर पकड़ कर चूमा ।
राघव— विश्वास करो कभी किसी को मालूम नहीं होगा कि तुमने मुझे अपनी खुबसूरत जवानी दिखाई । प्लीज़, चूची दिखा दो ।
मैं — जो देखना है खुद देख लो ।
राघव उठा और मेरे बग़ल में आकर खड़ा हो गया । पहले झुककर मेरे गालों और होंठों को चूमा और एक एक कर सारे बटन खोल डाले । मैंने हाथ पीछे कर ब्रा का हुक खोल दिया । राघव ने ब्लाउज़ और ब्रा को मेरे बदन से अलग कर दिया । उसने ५-७ मिनट चूचियों को मसला और चूसा ।
“ तुम्हारी चूत जैसा ये दोनों फूल भी बहुत ही प्यारा है । “
राघव मेरे बग़ल में खड़ा था । खड़े खड़े ही उसने अपना ट्राउजर और अंडरवियर नीचे ठेला । वो कमर के नीचे नंगा था । उसने मेरा एक हाथ पकड़ अपने लौडा पर रखा ।
ये राघव, प्यारे और राजीव से २ इंच ज़्यादा लंबा था और लौडा भी क़रीब ८ इंच का था ही , बढिया मोटा था । हाथ में कड़क लौडा बहुत ही बढ़िया लग रहा था ।
राघव— डाक्टर तीन चार महीने से कह रहा है कि मैं फिर से पहले जैसा चुदाई कर सकता हूँ लेकिन मालूम नहीं क्यों किरण को चोदने की कभी हिम्मत नहीं हुई । लेकिन अब अगर तुम्हें नहीं चोदुंगा तो मर जाउंगा। रानी , थोड़ी देर चूस दो ।
और कुछ हो या ना हो लौडा मुझे बहुत पसंद आ गया था । राघव के तरफ़ घुम कर लौडा को चूसने लगी । मैं ने शायद ५ मिनट लौडा चूसा होगा । राघव बहॉं से हट कर मेरे पॉंव के बीच आया । पहले की तरह इस बार भी मैंने एक बार भी उसे मना नहीं किया । मैं कभी उसके ऑंखें में तो कभी किरण की ओर देखती रही । राघव ने जाँघों को सहलाते हुए लौडा को बूर से सटाया और सही में बहुत ही ज़ोर दार धक्का मारा ॥
“ थोड़ा धीरे यार किरण उठ जायेगी । “
लेकिन किरण नहीं उठी । ८-१० बार उसने ज़ोर दार धक्का मारा और उसके बाद आराम से मेरी चूचियों को , जॉंघो को सहलाते हुए पेलता रहा । क़रीब २०-२२ मिनट पेलने के बाद लौडा ने पानी छोड़ दिया ।
राघव— में बहुत ही ज़्यादा खुश हूँ कि डेढ़ साल के बाद चुदाई शुरु कि तो दुनिया की सबसे खुबसूरत आौरत के साथ किया । रानी , कल २ बजे “ अप्सरा “ होटल में आ जाना । तुमने पत्नी से ज़्यादा ख़ुशी दी है इसलिए कोई बढिया उपहार तो तुम्हें देनी ही है , प्लीज़ ज़रूर आना । एक बार और प्यार करने दोगी ? अभी ६ बजा है , अपना स्टेशन ८ बजे आयेगा ।
मैं —- चोद सकते हो तो चोद लो लेकिन तुम्हें अगर फिर दिल का दौड़ा आ गया तो मेरी कोई ज़िम्मेदारी नहीं । मेरे साथ बाथरूम चलो ।
मैं बर्थ से नीचे उतरी । ना ब्रा ही पहना और ना ब्लाउज़ । साड़ी, साया को नीचे किया और ऑंचल के कंधे पर डाल बाहर निकाल गई । राघव भी पैंट का बटन बंद करते, बेल्ट बांधते हुए मेरे पीछे पीछे आया । बाथरूम तक जाते समय कोई दूसरा नहीं दिखा । लेकिन जब हम वापस आ रहे थे तो सामने से एक औरत अकेली बाथरूम जा रही थी । जब हमारे पास आई तो उसने मेरा हाथ पकड़ा ,
औरत —- ( राघव से ) , तुम्हारी घरवाली सुंदर है तो इसका ये मतलब नहीं कि इसके नंगे बदन की नुमाइश करते रहो । लड़की ( मुझे) अगर मेरा घरवाले कभी भी मुझे बिना ब्लाउज़ के भी बाहर चलने बोलेगा तो मैं उसी समय ऐसे घटिया आदमी को छोड़ दूँगी और तुझे इसने ब्रा भी नहीं पहनने दिया । छी , कितने गंदे आदमी हो तुम !
वो औरत बाथरूम की ओर गई और हम दोनों अपने केबिन में घूसे । उसने दरवाज़ा वंद किया । मुझे बाँहों में लेकर बोला ,
“ रानी , ये दोनों अभी नहीं उठने बाले । २ बजे अप्सरा होटल आ जाना खुश कर दूँगा । पुरे कपड़े उतार कर अपनी मस्त जवानी का दीदार करवा दो रानी । “
बोलते हुए राघव सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया । उसने एक बार मुझे अपनी बाँहों में खींचा । मुझे अपने पति की कोई चिंता नहीं थी लेकिन मुझे किरण से डर था । वो हमारी बेशर्मी को कैसे लेगी मालूम नहीं थी । राघव को दिल का दौरा डेढ़ साल पहले हुआ था लेकिन उस समय वो मेरे साथ राजीव या जतीन जैसा ही मज़बूत लग रहा था । खुद तो नंगा था ही मुझे भी पुरा नंगा किया । उसने मुझे नीचे दोनों बर्थ के बीच खिड़की के रॉड को पकड़ कुतिया बनाया । नीचे बैठकर क़रीब १० मिनट पीछे से ही मेरी बूर और गॉंड को चाटा चूसा । और उसके बाद खड़ा हुआ । एक हाथ मेरे कंधे पर रखा । दूसरे हाथ से लौडा पकड़ २-३ बार बूर के फाँक पर रगड़ा और अचानक खूब ज़ोर से अपनी पूरी ताक़त से पेला ।
“ आह राघव मज़ा आ गया , और ज़ोर से , पूरा अंदर तक ।… “
उसके धक्के की स्पीड, पावरफ़ुल धक्का देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये आदमी दिल का मरीज़ है । कभी दोनों कंधे के पकड़ कर पेलता और कभी हाथ आगे बढ़ा कर चूचियों को पकड़ कर । पहली राउंड में कोई खाश मज़ा नहीं आया था लेकिन इस राउंड में राघव ने पूरा मस्त कर दिया । मैं अपने को कंट्रोल नहीं रख पाई और मेरे मुँह से मस्ती की सिसकारी निकलने लगी । समय गुजरा ।
राघव की चुदाई की स्पीड बहुत बढ़ गई । अचानक इस राघव ने भी प्यारे जैसा मुझे अपनी बाँहों में पूरी ताक़त से बांधा । राघव के लौडा मेरी बूर में पानी स्प्रे करने लगा और मैं भी झड़ गई । हम दोनों ठंडे हुए । खिड़की के बाहर सुबह की धूप थी ।
मेरी नज़र किरण के नज़रों से मिली। राघव गर्दन झुकाये खड़ा था । किरण ने मेरा हाथ पकड़ा ।
किरण— मंजु , डरने या दुखी होने की कोई ज़रूरत नहीं । मैं पिछले ६ महीने से कोशिश कर रही थी कि ये आदमी फिर से मुझे चोदना शुरु करें लेकिन ये मेरे साथ सोने से भी डरता था । थैंक्यू मंजु, तुमने इस आदमी का डर ख़त्म कर दिया ।
राघव—- किरण, मंजु की नंगी जवानी देख अपने को सँभाल नहीं पाया । तुम भी जिससे चाहो , घर में, घर के बाहर , कोई तुम्हें नहीं टोकेगा।
किरण ने राघव के ढीले लौडा को दबाया ।
किरण- तुम्हें कैसे मालूम कि मैंने दूसरों से नहीं चुदवाती हूँ! अपने अपने कपड़े पहनो और विनोद को उठाओ। मंजु ने हमारा बहुत बड़ा काम किया है इसे बढिया इनाम देना मत भूलना । और मंजु , मैं ग़ुस्सा से नहीं बोल रही तुम्हें जब भी राघव के लंड की ज़रूरत महसूस हो मेरे घर आ जाना ।
राघव ने मुझे उठाया । ना मुझे कभी मालूम हुआ कि ट्रेन में मंजु ने राघव से चुदवाया और किरण ने चूदाई देखी भी और ना ही मंजु या राघव को कभी मालूम हुआ कि सिर्फ़ ट्रेन में ही नहीं अगले कई सालों तक हम और किरण चुदाई करते रहे ।
रात किरण ने जब मंजु के नंगा करने कहा तो ना मैं ने उस समय समझा ना ही बाद में कि किरण चाहती थी कि राघव मंजु को नंगा देखे और उसे चोदे ।
ट्रेन समय पर स्टेशन पहुँच गई । राघव की कार आई थी उसने हमें घर पहुँचाया ।
‘LIVE LIFE CHAMPA STYLE