16-09-2022, 05:08 PM
मैं नीचे चूमते हुए से ऊपर तक आ गया. ऊपर आने के बाद नंदा को पीठ के बल लेटने को बोला.
फिर मैंने उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. कभी कभी जिस चुंबन से नंदा आह करती थी, वहां दांतों से काट देता था.
इससे उसे मस्ती आ गयी थी.
वो मुझे खींचती हुई अपने सीने पर लाकर बोली- अभी बहुत हो गया.
फिर मैंने उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. कभी कभी जिस चुंबन से नंदा आह करती थी, वहां दांतों से काट देता था.
इससे उसे मस्ती आ गयी थी.
वो मुझे खींचती हुई अपने सीने पर लाकर बोली- अभी बहुत हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
