16-09-2022, 05:06 PM
अब रोहित के पास बस एक ही रास्ता था... ये टेस्ट करना की उसकी छोटी बहन क्या चाहती है, अगर वो तिनका भर भी आपत्ती दिखायेगी तो उसे तुरंत खुद को रोक लेना होगा.
रोहित ने अपनी कमर हल्के से सामने की ओर बढ़ाई तो निधी की गांड़ के बीच रगड़ खा कर उसके लण्ड का चमड़ा पीछे खिसक कर खुल गया और उसका मोटा सुपाड़ा बाहर निकल आया. अब रोहित अपने भीगे Trouser में अपने खड़े लौड़े का सुपाड़ा खोले अपनी बहन की गोल गदराई चूतड़ से टिका खड़ा था !!!
निधी का रहा सहा शक भी अब जाता रहा की जो कुछ भी हो रहा था वो अनजाने में हो रहा था. वो समझ गई की उसके भैया बेचारे Situation के सताये कामोन्मादित हो रहें थें. Situation के सताये और मारे ही कहेंगे ना... क्यूंकि निधी समझ रही थी आज तक उसके भैया ने ना जाने कितनी बार उसे नाईटी में, Hot Pants में, Skirt में और पजामे में देखा था, पर कभी भी उसपे गंदी नज़र नहीं डाली थी. आज का दिन मगर कुछ और ही था... मन ही मन निधी थोड़ा मुस्कुराई, पर कुछ ना बोली, चुप रही.
इधर रोहित का मन बढ़ गया जब उसकी बहन की ओर से ऐसा कोई इशारा नहीं हुआ जिसके द्वारा वो अपनी असहमति दिखाए. फिर क्या था, उसने एकदम धीरे धीरे निधी की नरम गांड़ में अपना लण्ड ठेलना शुरू किया. उसके खड़े लण्ड का सुपाड़ा तो पहले ही खुल चुका था, सो अपने पानी में गीले भीगे अंडरवीयर के अंदर अपना लौड़ा घिसने में उसे ऐसी आनंद की अनुभूति होने लगी की वो बयां नहीं कर सकता था !
अभी उसने तीन चार बार ही अपना लण्ड रगड़ा होगा की बस रुक गई... कोई Stopage आया था. वो थोड़ा संभल कर खड़ा हो गया पर उसने देखा की जितने लोग बस से उतरे नहीं उससे ज़्यादा लोग चढ़ गयें, भीड़ और बढ़ गई थी. बस फिर से चल पड़ी.
रोहित ने अपनी कमर हल्के से सामने की ओर बढ़ाई तो निधी की गांड़ के बीच रगड़ खा कर उसके लण्ड का चमड़ा पीछे खिसक कर खुल गया और उसका मोटा सुपाड़ा बाहर निकल आया. अब रोहित अपने भीगे Trouser में अपने खड़े लौड़े का सुपाड़ा खोले अपनी बहन की गोल गदराई चूतड़ से टिका खड़ा था !!!
निधी का रहा सहा शक भी अब जाता रहा की जो कुछ भी हो रहा था वो अनजाने में हो रहा था. वो समझ गई की उसके भैया बेचारे Situation के सताये कामोन्मादित हो रहें थें. Situation के सताये और मारे ही कहेंगे ना... क्यूंकि निधी समझ रही थी आज तक उसके भैया ने ना जाने कितनी बार उसे नाईटी में, Hot Pants में, Skirt में और पजामे में देखा था, पर कभी भी उसपे गंदी नज़र नहीं डाली थी. आज का दिन मगर कुछ और ही था... मन ही मन निधी थोड़ा मुस्कुराई, पर कुछ ना बोली, चुप रही.
इधर रोहित का मन बढ़ गया जब उसकी बहन की ओर से ऐसा कोई इशारा नहीं हुआ जिसके द्वारा वो अपनी असहमति दिखाए. फिर क्या था, उसने एकदम धीरे धीरे निधी की नरम गांड़ में अपना लण्ड ठेलना शुरू किया. उसके खड़े लण्ड का सुपाड़ा तो पहले ही खुल चुका था, सो अपने पानी में गीले भीगे अंडरवीयर के अंदर अपना लौड़ा घिसने में उसे ऐसी आनंद की अनुभूति होने लगी की वो बयां नहीं कर सकता था !
अभी उसने तीन चार बार ही अपना लण्ड रगड़ा होगा की बस रुक गई... कोई Stopage आया था. वो थोड़ा संभल कर खड़ा हो गया पर उसने देखा की जितने लोग बस से उतरे नहीं उससे ज़्यादा लोग चढ़ गयें, भीड़ और बढ़ गई थी. बस फिर से चल पड़ी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.