16-09-2022, 05:01 PM
दो महीने तक एक दिन भी अकेले रहने नहीं दिया.
एक दिन अचानक बॉस का ट्रांसफर ऑर्डर आ गया. जाते जाते उसने बैक डेट में मेरा प्रमोशन कर दिया.
अब मैं ऑफिस में सबसे सीनियर हो गयी थी, साथ में सेलरी भी एक लाख से ज्यादा हो गयी थी.
बॉस की जगह एक लेडी आई. अब मैं तन्हा हो गयी.
एक दो माह में लड़कियों को वापिस बुलाया और उन्हें ऑफ़ लाइन पढ़ाई करवाई.
मैं बच्चियों के सामने वाइन पीती थी. बच्चियों को बता रखा था कि तुम्हारे पापा की याद आती है, तो अपना गम भुलाने के लिए पीती हूँ.
दो साल में बच्चियों की नौकरी लग गयी. इस बीच कोरोना के कारण वर्क फ्रॉम होम रहने के कारण मेरा भी समय आसानी से कटने लगा.
अब समय पर बच्चियों की शादी अच्छे लड़कों के साथ हो जाए, तो मेरी ये चिंता भी खत्म हो जाए.
तब मैंने नंदा से कहा- मेरे कंधे पर हाथ रख कर चलो अन्यथा गिर गयी तो तौहीन हो जाएगी.
नंदा ने एक हाथ में गले में डाल दिया.
मैंने नंदा से कहा- लंगड़ाते हुए चलने की कोशिश करो ताकि किसी को शक ना हो.
उसने अपने शरीर का पूरा भार मेरे ऊपर डाल दिया.
मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया ताकि ऐसा ही लगे कि पैर में चोट होने की वजह से ऐसे चल रही है.
किसी तरह एयरपोर्ट के बाहर आकर टैक्सी पकड़ी, सामान रख कर किसी अच्छे होटल चलने को बोला.
टैक्सी वाले ने एक फाइव स्टार होटल में पहुंचा दिया.
होटल में कमरा लेकर कमरे में पहुंचे, नंदा कमरे में जाते ही बिस्तर पर गिर गयी.
साड़ी, ब्लाउज के ऊपर से हटी हुई थी. अब उसके बड़े बड़े बूब्स होने का अहसास हुआ.
दरवाजा बंद कर नंदा से पास लेटते हुए मैंने उसे अपनी ओर खींचा, तो नंदा ने कोई प्रतिकार नहीं किया.
मैं हिम्मत करके ब्लाउज पर हाथ फिराने लगा.
नंदा भी कई दिनों की प्यासी थी, वो जवाब में मेरे होंठ चूसने लगी.
मैंने ब्लाउज के एक हिस्से को ऊंचा करके एक दूध को बाहर निकाला और उसको अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
नंदा ने अपने शरीर को ढीला छोड़ कर आंखें बंद कर लीं और बूब्स से मिलने वाले आनन्द में खो गयी.
इस तरह उसके मम्मों को चूमता हुआ मैं दांतों से हल्के हल्के काटने लगा.
मैं उसके चूचे की बिटनिया को जब भी काटता, तब वो मेरे सर को पकड़ कर अपने दूध पर टिकाए रखती.
कुछ ही देर बाद नंदा ने दूसरा बूब्स बाहर निकाल दिया.
उसे भी इसी तरह चूमा और काटा.
अब दोनों बूब्स से मजा ले रहा था.
एक को चूमते हुए दूसरे को हाथ से मसलते हुए बड़ा ही अच्छा लग रहा था.
अचानक से नंदा का बांया हाथ मेरी पैंट पर आ गया और वो सहलाने लगी.
मेरा लंड पहले से तैयार था.
नंदा पैंट के बटन खोलने लगी.
जब बटन खुल गया तो नंदा ने एक पैर को ऊंचा किया और मेरी पैंट को नीचे कर दिया. उसने कुछ ही देर में मेरी पैंट को दोनों टांगों से आजाद कर दिया.
अभी भी मैंने अंडरवियर पहना हुआ था.
उसने दोनों हाथ से सरका कर अपने पैरों की सहायता से मुझे एकदम नंगा कर दिया.
लंड तन कर खड़ा था, उसने लंड को हाथ में ले लिया.
मेरा बड़ा और खड़ा लंड उसके हाथ में समा नहीं रहा था.
उसने लंड की लम्बाई नापने की कोशिश की, पर असफलता मिली.
अब नंदा ने खुद पलंग से उठ कर देखा और बैठ कर लंड का मुआयना किया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- क्या इतना बड़ा और लम्बा भी आदमी का होता है?
मैंने फिर से पूछा- क्या कभी इस तरह के लंड को देखा नहीं?
वो बोली- अगर देखा होता तो उठती ही क्यों?
मैं चुप रहा.
नंदा आगे बोली- क्या ये मुझे परेशान करेगा?
जब मैंने उससे कहा- नहीं करेगा, आज से पहले जिनका तुमने लिया है, ये उनसे ज्यादा मजा देगा.
वो लंड सहलाती हुई बोली- फिर तो इसका मजा तो लेना ही होगा.
एक दिन अचानक बॉस का ट्रांसफर ऑर्डर आ गया. जाते जाते उसने बैक डेट में मेरा प्रमोशन कर दिया.
अब मैं ऑफिस में सबसे सीनियर हो गयी थी, साथ में सेलरी भी एक लाख से ज्यादा हो गयी थी.
बॉस की जगह एक लेडी आई. अब मैं तन्हा हो गयी.
एक दो माह में लड़कियों को वापिस बुलाया और उन्हें ऑफ़ लाइन पढ़ाई करवाई.
मैं बच्चियों के सामने वाइन पीती थी. बच्चियों को बता रखा था कि तुम्हारे पापा की याद आती है, तो अपना गम भुलाने के लिए पीती हूँ.
दो साल में बच्चियों की नौकरी लग गयी. इस बीच कोरोना के कारण वर्क फ्रॉम होम रहने के कारण मेरा भी समय आसानी से कटने लगा.
अब समय पर बच्चियों की शादी अच्छे लड़कों के साथ हो जाए, तो मेरी ये चिंता भी खत्म हो जाए.
तब मैंने नंदा से कहा- मेरे कंधे पर हाथ रख कर चलो अन्यथा गिर गयी तो तौहीन हो जाएगी.
नंदा ने एक हाथ में गले में डाल दिया.
मैंने नंदा से कहा- लंगड़ाते हुए चलने की कोशिश करो ताकि किसी को शक ना हो.
उसने अपने शरीर का पूरा भार मेरे ऊपर डाल दिया.
मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया ताकि ऐसा ही लगे कि पैर में चोट होने की वजह से ऐसे चल रही है.
किसी तरह एयरपोर्ट के बाहर आकर टैक्सी पकड़ी, सामान रख कर किसी अच्छे होटल चलने को बोला.
टैक्सी वाले ने एक फाइव स्टार होटल में पहुंचा दिया.
होटल में कमरा लेकर कमरे में पहुंचे, नंदा कमरे में जाते ही बिस्तर पर गिर गयी.
साड़ी, ब्लाउज के ऊपर से हटी हुई थी. अब उसके बड़े बड़े बूब्स होने का अहसास हुआ.
दरवाजा बंद कर नंदा से पास लेटते हुए मैंने उसे अपनी ओर खींचा, तो नंदा ने कोई प्रतिकार नहीं किया.
मैं हिम्मत करके ब्लाउज पर हाथ फिराने लगा.
नंदा भी कई दिनों की प्यासी थी, वो जवाब में मेरे होंठ चूसने लगी.
मैंने ब्लाउज के एक हिस्से को ऊंचा करके एक दूध को बाहर निकाला और उसको अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
नंदा ने अपने शरीर को ढीला छोड़ कर आंखें बंद कर लीं और बूब्स से मिलने वाले आनन्द में खो गयी.
इस तरह उसके मम्मों को चूमता हुआ मैं दांतों से हल्के हल्के काटने लगा.
मैं उसके चूचे की बिटनिया को जब भी काटता, तब वो मेरे सर को पकड़ कर अपने दूध पर टिकाए रखती.
कुछ ही देर बाद नंदा ने दूसरा बूब्स बाहर निकाल दिया.
उसे भी इसी तरह चूमा और काटा.
अब दोनों बूब्स से मजा ले रहा था.
एक को चूमते हुए दूसरे को हाथ से मसलते हुए बड़ा ही अच्छा लग रहा था.
अचानक से नंदा का बांया हाथ मेरी पैंट पर आ गया और वो सहलाने लगी.
मेरा लंड पहले से तैयार था.
नंदा पैंट के बटन खोलने लगी.
जब बटन खुल गया तो नंदा ने एक पैर को ऊंचा किया और मेरी पैंट को नीचे कर दिया. उसने कुछ ही देर में मेरी पैंट को दोनों टांगों से आजाद कर दिया.
अभी भी मैंने अंडरवियर पहना हुआ था.
उसने दोनों हाथ से सरका कर अपने पैरों की सहायता से मुझे एकदम नंगा कर दिया.
लंड तन कर खड़ा था, उसने लंड को हाथ में ले लिया.
मेरा बड़ा और खड़ा लंड उसके हाथ में समा नहीं रहा था.
उसने लंड की लम्बाई नापने की कोशिश की, पर असफलता मिली.
अब नंदा ने खुद पलंग से उठ कर देखा और बैठ कर लंड का मुआयना किया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- क्या इतना बड़ा और लम्बा भी आदमी का होता है?
मैंने फिर से पूछा- क्या कभी इस तरह के लंड को देखा नहीं?
वो बोली- अगर देखा होता तो उठती ही क्यों?
मैं चुप रहा.
नंदा आगे बोली- क्या ये मुझे परेशान करेगा?
जब मैंने उससे कहा- नहीं करेगा, आज से पहले जिनका तुमने लिया है, ये उनसे ज्यादा मजा देगा.
वो लंड सहलाती हुई बोली- फिर तो इसका मजा तो लेना ही होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
