16-09-2022, 05:00 PM
हमारी सीट दो वाली थी, स्टेंडर्ड क्लास में भीड़ भी बहुत कम थी.
हमारे आजू बाजू की सीटें खाली नजर आ रही थीं.
हम बातें करते करते खुल कर बातें करने लगे.
नंदा ने एक पैग वाइन पीने की इच्छा जताई. वाइन वाला बैग हमारे पास ही था.
दो गिलास में वाइन डाल कर बिना पानी के पीने लगे.
नंदा मेरे से चिपक कर बैठी हुई थी.
जब हम एयरपोर्ट पर मिले, उस समय जो झिझक थी, वो इस समय खत्म हो गयी थी.
नंदा का मस्तिष्क अब वाइन के कारण अपने नियंत्रण से बाहर हो चुका था.
मैंने जब उसके हाथ पर हाथ रख कर अपने शरीर का वजन उस पर डाला, तब उसने मुझे स्वीकार करते हुए कहा- आज बहुत सालों बाद किसी मर्द के साथ बैठी हूँ.
बातें करते हुए मैंने पूछा- आपके पतिदेव के इस दुनिया छोड़ने के बाद आपकी रातें कैसे कटती होंगी.
मैं वाइन का नशा होने के कारण पूछ बैठा.
उसने भी उत्तर पूरे विस्तार से दिया:
आपका कहना सही है. उनके जाने के बाद बच्चियों साथ में सोती थी और उन अचानक जाने का गम उनकी नौकरी की जगह मुझे नौकरी मिल गयी. मेरा बॉस दयालु कहूँ या हरामजादा … पहले पहले उसने मेरा खूब ध्यान रखा. मैं ऑफिस कभी देर से पहुंच जाती, तो कुछ नहीं कहता. कई बार जब ऑफिस जाना नहीं होता, तब मेरी गैरहाजिरी को भी नजरअन्दाज कर देता.
जब मैं दूसरे दिन जाती, तो एक साथ लगा देती. मैं उसकी मेहरबानियों से अनजान थी.
एक दिन शाम को उसने काम के बहाने रोक लिया. चपरासी को भी छुट्टी दे दी.
सभी के जाने के बाद मुझे ऑफिस में बुला कर जब उसने मेरे ऊपर की मेहरबानियां बतानी चालू की और अंत में उसने रात साथ बिताने को कहा. साथ में कुछ कागज दिखाते हुए कहा कि ये कागज पढ़ लो.
मैंने वो कागज ले लिए. पढ़ने के बाद मालूम पड़ा कि इन कागजों से मेरी नौकरी जा सकती थी.
मैं बहुत रुआंसी होकर रोने लगी.
तब उसने दूसरे कागज निकाल कर पढ़ने को दिए.
उन्हें पढ़ा तो उन कागजों से मेरा प्रमोशन हो रहा था.
मेरे बॉस ने मुझे कुछ दिन दिए और कहा- दो चार दिन में सोच कर बता देना.
मुझे सोचते हुए चार दिन कब समाप्त हुए, मालूम ही नहीं पड़ा.
एक दिन बॉस ने मुझे अपने चेंबर में बुला कर पूछा, तब मैंने कुछ और वक्त माँगा.
मैंने बॉस को बताया कि मेरी दो लड़कियां हैं, घर पर रात को नहीं जाऊंगी तो वो शक करेंगी.
उसने कुछ दिन और दे दिए.
इस दरम्यान मैंने लड़कियों को बड़े शहर पढ़ने भेज दिया.
हमारे आजू बाजू की सीटें खाली नजर आ रही थीं.
हम बातें करते करते खुल कर बातें करने लगे.
नंदा ने एक पैग वाइन पीने की इच्छा जताई. वाइन वाला बैग हमारे पास ही था.
दो गिलास में वाइन डाल कर बिना पानी के पीने लगे.
नंदा मेरे से चिपक कर बैठी हुई थी.
जब हम एयरपोर्ट पर मिले, उस समय जो झिझक थी, वो इस समय खत्म हो गयी थी.
नंदा का मस्तिष्क अब वाइन के कारण अपने नियंत्रण से बाहर हो चुका था.
मैंने जब उसके हाथ पर हाथ रख कर अपने शरीर का वजन उस पर डाला, तब उसने मुझे स्वीकार करते हुए कहा- आज बहुत सालों बाद किसी मर्द के साथ बैठी हूँ.
बातें करते हुए मैंने पूछा- आपके पतिदेव के इस दुनिया छोड़ने के बाद आपकी रातें कैसे कटती होंगी.
मैं वाइन का नशा होने के कारण पूछ बैठा.
उसने भी उत्तर पूरे विस्तार से दिया:
आपका कहना सही है. उनके जाने के बाद बच्चियों साथ में सोती थी और उन अचानक जाने का गम उनकी नौकरी की जगह मुझे नौकरी मिल गयी. मेरा बॉस दयालु कहूँ या हरामजादा … पहले पहले उसने मेरा खूब ध्यान रखा. मैं ऑफिस कभी देर से पहुंच जाती, तो कुछ नहीं कहता. कई बार जब ऑफिस जाना नहीं होता, तब मेरी गैरहाजिरी को भी नजरअन्दाज कर देता.
जब मैं दूसरे दिन जाती, तो एक साथ लगा देती. मैं उसकी मेहरबानियों से अनजान थी.
एक दिन शाम को उसने काम के बहाने रोक लिया. चपरासी को भी छुट्टी दे दी.
सभी के जाने के बाद मुझे ऑफिस में बुला कर जब उसने मेरे ऊपर की मेहरबानियां बतानी चालू की और अंत में उसने रात साथ बिताने को कहा. साथ में कुछ कागज दिखाते हुए कहा कि ये कागज पढ़ लो.
मैंने वो कागज ले लिए. पढ़ने के बाद मालूम पड़ा कि इन कागजों से मेरी नौकरी जा सकती थी.
मैं बहुत रुआंसी होकर रोने लगी.
तब उसने दूसरे कागज निकाल कर पढ़ने को दिए.
उन्हें पढ़ा तो उन कागजों से मेरा प्रमोशन हो रहा था.
मेरे बॉस ने मुझे कुछ दिन दिए और कहा- दो चार दिन में सोच कर बता देना.
मुझे सोचते हुए चार दिन कब समाप्त हुए, मालूम ही नहीं पड़ा.
एक दिन बॉस ने मुझे अपने चेंबर में बुला कर पूछा, तब मैंने कुछ और वक्त माँगा.
मैंने बॉस को बताया कि मेरी दो लड़कियां हैं, घर पर रात को नहीं जाऊंगी तो वो शक करेंगी.
उसने कुछ दिन और दे दिए.
इस दरम्यान मैंने लड़कियों को बड़े शहर पढ़ने भेज दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
