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Adultery चिकनी चमेली
#3
अब मेरा तो पहले से ही दिमाग़ काम नहीं कर रहा था.. फिर ऊपर से ये नयना की मस्त हरकत।

मैंने पीछे से नयना के हाथ को पकड़ कर आगे किया ही था कि वो मेरे सीने से लिपट गई और अपनी तेज हो रही सांसों से मेरे दिल में आग लगाने लगी।

मैं भी थोड़ा गर्म हो रहा था तो मैंने गैस बन्द की और नयना से कुछ कहने ही वाला था कि उसके होंठों ने मेरे होंठों को खूब कस कर जकड़ लिया।
अब मुझे भी थोड़ा-थोड़ा सुरूर छाने लगा।

मैंने नयना को अपनी बाहों में भर लिया और उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।

उफ्फ.. उसके होंठ कितने मस्त थे कि उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था।

करीब 15 मिनट तक चूमा-चाटी के बाद मैंने नयना को अपनी गोद में उठा लिया और अपने कमरे में ले गया।

हमारा घर थोड़ा बड़ा है तो कमरे भी बड़े ही बनवाए गए हैं।

मैंने नयना को अपने बिस्तर पर बड़े प्यार से लिटाया और फिर मैं भी उसके बगल में लेट गया और उसके होंठों को चूमने लगा।
अब अपने हाथों को उसकी ब्रा पर फेरने लगा।
फिर धीरे से उसके कपड़ों को उतारने लगा।

वो भी मेरा साथ दे रही थी।

मैं उसके होंठों को.. गालों को… माथे को.. कान के पास और फिर गले पर और कंधे पर जी भर कर चूमने लगा।

अब नयना मेरे सामने सिर्फ सफ़ेद ब्रा और गुलाबी पैन्टी में थी और मैं उसकी ब्रा को उतारने लगा…

तो नयना मेरे बेल्ट को ढीला करके मेरे बाबूलाल (लौड़े) को निकालने लगी।

ब्रा के खुलते ही नयना मेरे बाबूलाल को अपने हाथों से सहलाने लगी और कहने लगी- यह कितना बड़ा है?

मैंने कहा- मुझे नहीं पता..

तो वो उठी और वहीं से स्केल उठा कर मेरे बाबूलाल को नापने लगी।

वो खुशी से चिल्लाई- हे भगवान… पूरा 9 इंच का है..

मुझे भी यकीन नहीं हुआ.. क्योंकि पहली बार किसी लड़की ने मेरे लौड़े को हाथों से सहलाया था।

फिर नयना ने मेरे बाबूलाल को अपने होंठों में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी।

मैं तो जैसे स्वर्ग में था… मैंने उसके बालों को पकड़ कर उससे अपने बाबूलाल को मस्ती से चुसवाने लगा।

थोड़ी देर में ही मेरा निकलने वाला था।

मैंने कहा- मेरा सैलाब निकलने वाला है।

तो वो भी बड़े जोश से बोली- मुझे पिला दो अपना रस.. मैं तो बहुत दिनों से इसी रस की प्यासी थी।

जैसे ही मेरा निकलने वाला था तो नयना ने बाबूलाल को दांतों में दबा लिया..
सच में दोस्तों मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं देर तक अपने बाबूलाल को वैसे ही लगाए रहा और नयना मेरे बाबूलाल का रस पीकर बहुत खुश थी।

फिर नयना ने बाबूलाल को साफ़ किया और मेरे गालों पर काट लिया।

तब मेरी आँखें खुलीं और फिर अब प्यार का मेरा नंबर था। मैं भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था।

अब मैंने नयना को बड़े ही प्यार से चूमते हुए चित्त लिटा दिया और उसकी गुलाबी पैन्टी को नीचे खींच कर उसके जिस्म से अलग कर दिया।

हय.. उसकी चिकनी चमेली ने मेरे लौड़े की हालत फिर से खराब कर दी और मेरा बाबूलाल फिर से अंगड़ाई लेने लगा।
मैंने उसकी चूत की दरार में अपनी ऊँगली डाली, वो एकदम से चिहुंक गई.. रस से सराबोर उसकी चूत में मेरी ऊँगली घुसती चली गई।

उसने मीठी सी सिसकारी लेकर मेरा हाथ पकड़ लिया।

मैंने भी उसके ऊपर झुकते हुए उसकी नाभि को चूमा और अपने होंठों को उसकी चूत की तरफ लाना आरम्भ कर दिया।

‘अमन.. गुदगुदी होती है.. आह्ह..’

‘होने दो..’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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चिकनी चमेली - by neerathemall - 15-09-2022, 03:06 PM
RE: चिकनी चमेली - by neerathemall - 15-09-2022, 03:08 PM



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