11-09-2022, 11:15 PM
अपने पति के साथ तीन बार ही चुदवाया था कि मंजु को एक ५२-५३ साल के प्यारे से चुदवाने के मौक़ा मिला । मंजु ने बिना किसी नख़रा के उससे खूब प्यार से चुदवाया । प्यारे के चुदाई से इतनी खुश हुई कि उसे अगले दिन भी बुलाया । वास्तव में, विनोद ने तीनों बार बढ़िया चोदा था । मंजु खुश भी हुई लेकिन जब प्यारे ने चोदा तो मंजु को लगा कि उसका पति बेकार है। प्यारे ने चोद कर मंजु की चुदाई की भुख नहीं मिटाई मंजु को एक नम्बर का वेशरम और चूदासी औरत बना दिया ।प्यारे के चुदाई के बाद मंजु अब हर एक मर्द को चुदाई का खिलौना समझने लगी । प्यारे ने खुश किया तो कपिल से नहीं चुदवातीं लेकिन उसे अपना घरवाला ही मान लिया । सिनेमा हॉल में भी राजीव ने जो भी कहा मंजु ने सब कुछ किया । अपने दूसरा घरवाला कपिल को नींद की गोली खिला कर सुला दिया और एक नये आदमी से चुदवाने उसके कमरे में चली गई । मंजु को राजीव का लौडा और चुदाई सब प्यारे से बढ़िया लगने लगा। प्यारे से शुरू कर एक ही दिन में तीन मर्दों से चुदवाया ही उसके पति ने अपने सामने एक वेटर कपिल को मंजु को चोदने कहा । इस बात पर भी मंजु पति से नाराज़ नहीं हुई । पति के बाद किसी दूसरे आदमी ने क्या चोदा मंजु किसी के साथ भी कहीं भी चुदवाने को तैयार थी ।
एक बड़ी कंपनी के जी एम को मंजु बहुत पसंद आई ही मंजु ने भी उसे सबसे ज़्यादा पसंद किया ।
अपनी बेटी के उम्र की लड़की से अपनी चुदाई की तारीफ़ सुन राजीव बहुत खुश हुआ। और क़रीब २० मिनट दोनों ने एक दूसरे को रगड़ते , मसलते दबाते हुए जमकर चुदाई की । फिर चुदाई की स्पीड कम कर कहानी सुनाने लगा ।
राजीव——— रानी , सिर्फ़ तुम्हारे सामने ही नहीं कह रहा हूँ , जितनी मस्ती से तुम चुदवा रही हो , जो मज़ा अभी मुझे मिल रहा है वैसा मज़ा पहले किसी के साथ नहीं आया था , संपा के साथ भी नहीं । हमारी पहली चुदाई के क़रीब एक साल बाद बड़े घुमघाम से हम दोनों की शादी हुई और अगला दस साल बहुत ही बढ़िया गुजरा । ६ साल के अंदर संपा ने मुझे दो बच्चे दिए , पहले बेटा और ३ साल बाद एक बेटी । मेरी बेटी मायुरी अभी तुम्हारी ही उम्र की , १८ साल की ही है । सब बहुत बढिया चल रहा था लेकिन एक रात सब कुछ बरबाद हो गया ।
मंजु ———क्या हुआ ? संपा किसी के साथ भाग गई क्या ?
शायद पुरानी बातें याद कर राजीव दुखी हो गया । मंजु की मस्त जवानी को राजीव का खुबसूरत, मज़बूत बॉडी और लौडा का धक्का बहुत मस्त कर रहा था लेकिन राजीव के चेहरे और ऑंखें का दर्द उसे परेशान कर रहा था । अपनी तरफ़ से मंजु , दोनों हाथो से , जाँघों से जहां भी हो सकता था खूब रगड़ रही थी लेकिन राजीव उदास ही रहा । १०-१२ मिनट फिर चुप्पी रही । मंजु ने ग़ुस्सा से ४-५ मुक्का पीठ पर ज़ोरों से मारा ।
मंजु ——- अगर उसी कुतिया के ख़्वाब में खोये रहोगे तो मुझे बाहर जाने दो जो भी कुत्ता बाहर मिलेगा चुदवा लुंगी । मंजु की ज़ोरदार आवाज़ सुन राजीव के चेहरे पर मुस्कान लौट आई।
“ ना संपा मरी ना ही किसी के साथ भागी, आज भी वो मेरे ही घर में नौकर से चुदवा रही है ।
राजीव और मंजु दोनों का ध्यान चुदाई से हटकर कहीं और, राजीव की पुरानी कहानी पर चला गया था । लौडा मंजु की चूम में मस्ती से अंदर बाहर हो रहा था ।
राजीव———- रंडी किसी के साथ भाग जाती तो बढिया ही होता । एक रात नींद खुली तो देखा कि बग़ल में संपा नहीं है । बाथरूम में देखा वहाँ भी नहीं थी । दूसरी तरफ़ गया और मुझे औरत की मस्ती की सिसकारी सुनाई दी । मैं थोड़ा और आगे बढ़ा तो लगा कि एक दूसरे रुम से आवाज़ आ रही थी । रुम का दरवाज़ा बंद था लेकिन साईड की एक खिड़की खुली थी । झॉंट कर देखा । जो देखा वो देखकर भी विश्वास नहीं हुआ ।
मंजु —— क्या देखा?
राजीव——— में ने देखा कि मेरी घरवाली बिलकुल नंगी है और वो १८-१९,साल के नौकर नंदू को उपर से चोद रही है । जब नंदू ११-१२ साल का था तब से हमारे ही घर में रह रहा था । मैंने सुना । चोदते हुए संपा नौकर से कह रहा थी कि चोरी छिपे उसके साथ अब नहीं चुदवा सकती। वो अब नंदू के साथ एक घरवाली जैसा रहना चाहती है । मंजु, जितने प्यार से सहलाते हुए दुलारते हुए नौकर को चोद रही थी वैसा प्यार मुझे कभी नहीं किया । बाद में मुझे पता चला कि जिस दिन मैंने दोनों को साथ देखा उससे क़रीब एक साल पहले से ही दोनों चुदाई कर रहे थे ।
मंजु ——- तुमने दोनों को मारा पीटा , घर से निकाल दिया ?
दोनों बातें कर रहे थे लेकिन राजीव का लंड और मंजु की चूत आपस में खुब प्यार कर रहे थे । दोनों के दोनों हाथ एक दूसरे के नंगे बदन को लगातार सहला कर प्यार का इज़हार कर रहे थे ।
राजीव——- परी , मेरा तो मन कर रहा था कि दोनों को जान से मार दूँ लेकिन मैं संपा को दुनिया की हर चीज से ज़्यादा प्यार करता था । संपा की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी थी । मैं अपने रुम में आकर रोता रहा और वो दूसरे रुम में अपने से आधे उम्र के नौकर से रात भर मस्ती मारती रही । अगले दिन सुबह वो मेरे पास आई लेकिन मैं ने उससे बात नहीं की । अगली रात से मैं बच्चों के साथ सोने लगा । तीन दिन मैंने उसकी ओर देखा भी नहीं ।
मंजु ——— तुम्हारे जैसा आदमी जिसे प्यार करे वो दूसरे आदमी की ओर देख भी कैसे देखती है?
राजीव———- चौथी सुबह रोज़ की तरह हम और संपा आमने सामने बैठ नाश्ता कर रहे थे । नंदू चाय लेकर आया और संपा ने मेरे सामने उसका हाथ पकड़ लिया और उससे सट कर खड़ी होकर बोली ,
“ राजीव, मैं जानती हूँ कि तुम हम दोनों से बेहद नाराज़ हो लेकिन अब जीते जी ना नंदू से अलग होकर जी सकती हूँ और ना अपने बच्चों से अलग रह सकती हूँ । सबसे बढिया तो यह होगा कि तुम इस बात को मान लो कि तुम्हारी तरह ये नंदू भी मेरा घरवाला है । तुम दोनों एक साथ मुझे प्यार करो । “
मंजु———— छी रंडी ने कितनी घटिया बात की । तुमने ज़रूर उस कुतिया की बात नहीं मानी होगी !
राजीव——— मैंने उस नौकर के सामने संपा के मॉंग में लगा सिंदूर पोंछ डाला , उसके गले से मंगलसूत्र खींच कर तोड़ डाला । मैंने कहा कि आज से अभी से जिस राजीव गुप्ता से उसने शादी की थी वो मर गया और उसे कहा कि रात से वो नंदू की घरवाली बनकर नंदू के कमरे में ही सोये । उसके बाद से मैंने अब तक उससे बात नहीं की । लेकिन उन दोनों पर कोई फर्क नहीं हुआ । सिंदूर भी लगाने लगी और नया मंगलसूत्र भी पहन लिया । हमारे मॉं बाप, बच्चों सब को मालूम है । लेकिन आज भी दोनों हमारे ही घर में एक दूसरे कमरे में सोते हैं ।
राजीव की दुखद प्रेम कहानी सुन मंजु को बहुत दुख हुआ लेकिन राजीव के ज़ोरदार धक्कों ने सब दुख दूर कर दिया ।
मंजु ——— राजा , उस रंडी को भूल जाओ और इस रंडी की जवानी में अपने को डूबा दो । तुमने चोद चोद कर मेरी चूत की हालत ख़राब कर दी है , चूत को आराम करने दो और मुझे अपना मस्त लौडा चूसने दो ।
राजीव को लग रहा था कि इससे पहले उसने कभी इतनी लंबी चुदाई नहीं की । उसकी चुदाइ २०-३० मिनट की ही होती थी । राजीव ने समय देखा । मंजु उसके कमरे में ११.३० में आई थी और उस समय रात के २ ये ज़्यादा हो गया था । मंजु ने कहा तब उसे भी लगा कि वह बहुत थक गया है ।
राजीव ——- जब तुमने सिनेमा हॉल में मेरे लौडा को २ घंटा से ज़्यादा टाईट रखा तंभी मुझे समझ जाना चाहिए था कि मेरा पाला किसी साधारण लड़की से नहीं एक शेरनी से हुआ है । मेरी प्यारी परी . इससे पहले मैं किसी के भी अंदर २५ -३० मिनट से जाना नहीं रह पाया लेकिन अभी लग रहा है कि तुमने मुझे डेढ घंटे से ज़्यादा समय से अपनी मस्त गर्म रसीली बूर ने क़ैद कर रखा है ।
बोलकर राजीव ने लौडा बाहर खींचा । ज़ोर से फचाक की आबाद हुई ।
मंजु ——- राजीव, लोग जन्नत, स्वर्ग की बातें करते हैं लेकिन वहाँ भी इतना आनंद नहीं मिलता होगा जितना तुमने मुझे अभी दिया । मुझे लौडा चूसने दो । मेरे पास आओ ।
राजीव उसके उपर से उतरा । लौडा बूर के रस से लथपथ था । बहुत ही ज़्यादा चमक रहा था । मंजु ने लेटे हुए ही मुँह पुरा खोल दिया । राजीव उकड़ूँ बैठे हुए मंजु के माथा के पास आया । राजीव ने सोचा की लड़की लौडा को किसी कपड़े से साफ़ करेगी लेकिन नहीं । उतना अपना माथा उठाया और लौडा के पास ले आई । लौडा को जड़ से पकड़ा । दूसरे हाथ से दोनों अंडो / ऑंड को पकड़ कर धीरे धीरे लौडा को चारों तरफ़ से जीभ से चाटने लगी ।
चुदाई के पहले राजीव की सभी औरतें लौडा चूसती थी । बहुत कम ही बूर से निकले लौडा पर मुँह लगाती थी लेकिन मंजु से पहले सभी लौडा को कपड़े से साफ़ कर ही थोड़ी देर के लिए मुँह में रखती थी । मंजु ने पहले तीन आदमियों से चुदवाया था लेकिन उस रात ही पहली बार लौडा चुसा था । पहले चूत में घुसने के पहले और अब अपनी ही चूत से निकले लौडा को चाट कर साफ़ कर रही थी ।
राजीव को समझते देर नहीं लगी कि ये कमसीन, जवान, खुबसूरत औरत बहुत ही सेक्सी और चुदासी औरत है । कोई भी मर्द हो इस औरत को अकेला नहीं संभांल नहीं सकता । मंजु को चोदकर देख ही लिया कि अब तक जितनी भी माल को चोदा ये मंजु सबसे बढिया है इसने सबसे ज़्यादा मस्ती ही नहीं दी सबसे ज़्यादा देर चूत में लौडा को सँभाला भी ।
राजीव ने फ़ैसला किया कि इस मंजु को कुछ समय अपने घर में रखेगा ।
“ आह परी क्या कर रही हो! “
लौडा को हर तरफ़ से चाट कर साफ़ किया और अब सिर्फ़ सुपारा को ओठों के अंदर ले चूस रही थी । राजीव झुक कर दोनों चूचियों से खेलने लगा । औरतों को चुदाई के मामले में कुछ सिखाना नहीं पड़ता । ऐक डेढ़ इंच को ही चूसती रही और साथ ही दूसरे हाथ से राजीव के बाहरी और अंदरूनी जाँघों को भी सहलाती रही ।
राजीव को लग रहा था कि लौडा फट जायेगा और वही हुआ । मंजु के मुँह में दस मिनट भी नहीं हुआ और लौडा ने पानी छोड़ना शुरू किया । राजीव ने सोचा कि दूसरी औरतों, उसकी घरबाली कि तरह मंजु लौडा को बाहर ठेल देगी , नहीं उसने लौडा के उपर ओठों को और टाईट किया और दोनों हाथों से लौडा को अपनी मुँह में दवाये रखा । राजीव अचंभित होकर देखता रहा ।
जब मंजु को लगा कि लौडा ने पानी छोड़ना बंद कर दिया तब उसने ओठों को खोला । लौडा ढीला होकर बाहर आ गया । राजीव बस देखता रहा , मंजु के जीभ पर , मुँह में लौडा का रस भरा था और मंजु ने धीरे धीरे सारा रस को अपने अंदर ले लिया । राजीव का चेहरा ऐसा था जैसे कि वो किसी अंजूवे को देख रहा हो । उसके लिये मंजु का सारा रस चूसना अचंभा ही था ।
राजीव के माथा को अपनी चूचियों पर दबाया ।
मंजु ———- तुम विश्वास नहीं करोगे अपनी ज़िंदगी की इस सातवीं चुदाई के दौड़ान ही पहली बार लौडा को चूसा । सच मुझे बहुत ही बढ़िया लगा । अभी जब तुम्हारा गर्म गर्म रस जीभ पर गिरा तो मुझे और भी बढिया लगा । मैंने पूरा रस पी लिया है । मुझे बढिया लगा , स्वाद बहुत ही बढ़िया लगा लेकिन ये कहीं मुझे नुक़सान ना पहुँचाये , राजीव , मैं कहीं बीमार न हो जाऊँ ।
राजीव ने झुक कर उसके गालों और ओंठो को बहुत चुमा ।
राजीव—— मेरी प्यारी परी , तुमसे पहले मैं ने ३०-३२ माल को चोदा है। क़रीब क़रीब सभी चुदाई के पहले लौडा चुसती है । ३-४ ने चुदाई के बाद भी लौडा चुसा लेकिन लौडा को बिना कपड़े से रगड़ रगड़ कर साफ़ किये बिना किसी ने नहीं चुसा । लेकिन इससे पहले ना कभी देखा ना ही किसी ने कहा कि कोई लड़की या औरत लौडा का रस पूरा पी जाती है । परी , तुम सब से खाश हो । अगर ५-६ घंटा में तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं हुई तो शायद बाद में भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए ।
कुछ देर चुप्पी ।
राजीव——— परी, क्या तुम मेरे साथ , मेरी उस घटिया पत्नी और बच्चों के साथ कुछ दिन , एक महिना मेरे घर में रहोगी ।
मंजु ने उसकी ऑंखें में घूर कर देखा ।
मंजु ——— हॉं , जब बोलो जितने दिन बोलो , साथ रहुंगी । अगर तुम बोलो तो विनोद को छोड़कर तुमसे शादी करने को भी तैयार हूँ । शाम को विनोद ने पहली बार गॉंड में लौढा घुसाया था , मुझे बिलकुल मज़ा नहीं आया था । अब तुम करो, हम दोनों को बहुत मज़ा आयेगा ।
राजीव इस लड़की को देखता ही रहा ।चूत में बहुत दे तक लौडा था और साफ़ लग रहा था कि इसने बहुत ही कम चुदवाया था । मंजूँ का अंग अंग टाईट था बहुत टाईट । राजीव के जैसा चूद्दकर थक गया था लेकिन अब ये लड़की गॉंड भी मरवाना चाहती थी । ३०-३२ माल से राजीव चोद रहा था लेकिन ना उसने कभी किसी की गॉंड मारी ना किसी ने गॉंड मारने के लिए कहा ही । लेकिन ये लड़की खुद कह रही थी कि राजीव उसकी मॉड में लौडा पेले ।
राजीव—- एक तो मैंने अब तक किसी की गॉंड में लौडा पेला ही नहीं और वैसे भी गॉंड मरवाने बढिया नहीं होता है । गंदी बात है ।
मंजु झट उसक उपर आ गई । गालों, ओठों को चूमा ।
मंजु —— शादी के पहले न मैंने किसी से चुदवाया , आज के पहले ना लौडा को कभी चूसा ना ही रस पिसा । लेकिन भगवान क़सम सब मुझे बहुत ही बढ़िया लगा । कल विनोद ने पहली बार गॉंड का दरवाज़ा खोला । उस समय मुझे वही बढ़िया लगा था । लेकिन आज तुम्हारा लौडा सहला कर , चुदवा कर , चूस कर मुझे विश्वास हो गया है कि भगवान ने मुझे बिलकुल मेरे लायक़ आदमी और लौडा भेज दिया है । मेरी चूत , मुँह और गॉंड में जाने लायक़ बस एक यही एक लौडा सबसे बढिया है । मेरी गॉंड मारो यार , रात का तीन बज रहा है थोड़ी देर सोना भी ज़रूरी है।
राजीव बार बार मना करता रहा लेकिन मंजु गॉंड मनवाने की ज़िद्द पर अड़ी रही । आख़िर राजीव को मानना ही पड़ा । पिछली शाम जैसा मंजु ने बेड के बिलकुल किनारे अपने को कुतिया के पोज में किया । राजीव उसके पीछे खड़ा हुआ और एक बार फिर राजीव को मानना पड़ा कि मंजु बहुत ही ज़्यादा मस्त माल है । चुत्तरों को सहलाते धूरा हुए चूत की घु्ंडी से लेकर गॉंड के छेद तक जीभ को उपर नीचे चलाता रहा । राजीव को नहीं मालूम था कि गॉंड मारने से पहले , गॉंड में लौडा पेलने के पहले मॉंड को गीला करना चाहिए । ना ही मंजु ने ही उससे कुछ कहा । वास्तव में गॉंड में मोटा और लंबा लौडा घुसने से जो दर्द होता उसे मंजु महसूस करना चाहती थी ।
१०-१२ मिनट ही चूसने चाटने के बाद लौडा टाईट हो गया । राजीव ने लौडा के टीप को गॉंड के छेद से सटाया । चुत्तरों को टाईटली पकड़ पूरी ताक़त से धक्का मारा लेकिन गॉंड का छेद खुला ही नहीं । यह देख राजीव को बहुत ग़ुस्सा आया और वो लगातार धक्का मारता रहा । ७-८ धक्का के बात छेद खुला और लौडा धीरे धीरे अंदर जाने लगा । पहली ही बार गॉंड में लौडा पेल रहा था , राजीव ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया कि मंजु का पूरा बॉडी अकड़ गया है । दर्द से उसकी जान निकल रही है , ऑंखें से लगातार ऑंसू बह रहे हैं ।
राजीव—————- परी , किसी भी कुँवारी लड़की के चूत से ज़्यादा टाईट और गर्म है तुम्हारी ये गॉंड । तुम्हारी चूत ने चुदाई की सबसे ज़्यादा ख़ुशी दी है और तुम्हारी इस कच्ची गॉंड में लौडा पेलकर बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है । खुश रह रानी सदा ख़ुश रह ।
राजीव लगातार पेलता रहा और गॉंड बहुत ही धीरे धीरे खुलने लगा । मंजु का दर्द भी कम होने लगा था । १५ मिनट हुआ और पिछली शाम जैसा ही लौडा गॉंड के अंदर बाहर वैसे ही होने लगा जैसे चूत में हुआ था । मंजु ने एक शब्द भी नहीं का । जब लौडा फ्रीली गॉंड में अंदर बाहर होने लगा तो राजीव का ज़ोश बढ़ने लगा और २०-२२ मिनट होते होते गॉंड की गरमी और टाईटनेस से राजीव बर्दाश्त नहीं कर सका और गॉंड के अंदर ही झड़ने लगा औ मंजु को भी शॉंति मिली ।
राजीव ने लौडा बाहर खींचा, बेड पर लेट कर मंजु को अपने उपर खिंच कर लिटाया । तब उसकी नज़र मंजु के गालों पर के कई ऑंसुओ के घार पर गई जो सुख गई थी लेकिन दाग छोड़ गई थी । राजीव ने उसे अपनी बाँहों में बॉंध बेतहाशा चुमा ।
राजीव——-परी, तुम्हें इतना दर्द हुआ तो मुझे रोका क्यों नहीं ।
मंजु ——— दर्द नहीं राजा जान निकल गई थी । जैसे तुम्हारे लौडे ने मुझे चूत की मस्ती का एक नया मज़ा , सबसे ज़्यादा मज़ा दिया वैसे ही मैं अपनी गाॉंड में भी सबसे बढिया लौडा से ही मस्ती चाहती थी । थैंक्यू राजा , तुमने अपनी परी को सब कुछ दे दिया । ३.३० हो गया है । हम ४ घंटा से मस्ती मार रहे हैं । अब हमें थोड़ी देर सोना चाहिए लेकिन उससे पहले मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ , बोलुं ? “
राजीव——— परी , मुझे नहीं मालूम था कि मुझे तुम्हारी जैसी प्यारी लड़की कभी मिल सकती है । संपा के बाद मैं ने ३०-३२ माल को चोदा । उनमें से किसी को भी अपने पास २ घंटा -भी नहीं रखा । एक-दो बार चोद कर बाहर निकाल देता था ! तुम्हारे साथ भी यही सोचा था कि एक -दो बार चोदकर कुछ रुपये देकर बाहर निकाल दूँगा । लेकिन रानी , तुम सबसे अलग हो । संपा की वेवफाई देखने के बाद उससे कभी बात करने का भी मन नहीं किया लेकिन अब मैं तुमसे अलग कैसे रह पाउगॉं । बोलो , क्या बोलना है।
मंजु——- तुमने कहा कि तुम्हारे बच्चे भी अपनी मॉं के रंडीपना के बारे में जानते है । शायद तुम्हें बुरा लगे लेकिन मैं विश्वास के साथ कहती हूँ कि संपा ने अपनी नंगी जवानी दिखाकर ही बेटे को अपने वश में किया होगा । हो सकता है कि मौक़ा पाकर बेटे से भी चुदवाती भी हो। तुम्हारी बेटी भी जवान हो गई है । अगर नंदू ने लड़की को अब तक नहीं चोदा है तो मॉं खुद ही पूरी कोशिश कर रही होगी कि उसकी बेटी भी मॉं के यार से चुदवाए । क्यों कि एक बार अगर बेटी भी मॉं के यार से चुदवाने लगी और मॉं की जवानी बेटे को खाने के लिए मिलने लगी तो वे चारों मिलकर तुम्हारा ख़ून कर देंगे । नंदू की शादी तुम्हारी बेटी से करवाने के बाद तीनों मॉं , बेटी और नंदू आराम से रहेंगे ।
मंजु की बात सुन राजीव बेड से नीचे आकर खड़ा हो गया और मंजु को रुम से बाहर जाने कहा । मंजु भी चुपचाप अपने कपड़े उठाकर रुम से निकल गई और अपने रुम का दरवाज़ा खोला । अंदर घुसी , डोर को बोल्ट कर पेशाब किया और कपिल से लिपट कर ऑंख बंद कर ली । राजीव ने बहुत ज़्यादा थका दिया था । वो जल्दी सो गई ।
क्या मंजु की बातों ने राजीव को ग़ुस्सा दिलाया ?
हॉं बहुत ही ज़्यादा ग़ुस्सा दिलाया था । लेकिन वो ग़ुस्सा मंजु पर नहीं अपने आप पर था । राजीव ने अपनी बीबी को छोड़ दिया था फिर भी वो अपने प्रेमी नौकर के साथ राजीव के ही साथ रहती थी । संपा के मॉं बाप ही अपनी बेटी और नौकर दामाद का खर्चा उठाते थे । राजीव के दोनों बच्चे कोलकाता में पढ़ते थे और होस्टल में रहते थे । कई महीने पहले से राजीव देख रहा था कि दोनों बच्चे जब होस्टल से आते थे तो ज़्यादा समय पिता जी के साथ नहीं मॉं और उसके प्रेमी नौकर के साथ ही गुज़ारते थे । राजीव को लगा कि मंजु ने जो कहा वह सच ही कहा । नंदू के साथ साथ संपा अपने बेटे से चुदवाती है और नंदू अपनी मालकिन प्रेमिका के साथ मालकिन की बेटी को भी चोदता है ।
राजीव इसी उधेड़बुन में रात भर सो नहीं पाया ।
इधर दूसरे कमरे में कपिल से चिपकते ही मंजु सो गई । लेकिन जब उसकी नींद खुली तो देखा कि कंधें को पकड़ कपिल उसे दनादन पेल रहा है। मंजु ने अपने दोनों बाँहों और जाँघों से कपिल को बॉंघा लेकिन पकड़ ढीला ही रखा । राजीव की बात उसे याद थी ।
मंजु ——— हरामी , बहनचोद तेरे सामने नंगा होकर , तुझसे चुदवा कर मैंने बहुत बड़ी गलती की । क्या खाकर आया है मादरचोद , तेरे तीन बार के लगातार चुदाई के बाद मुश्किल से सोईं थी लेकिन राजा तुने फिर पेल दिया । तेरी रानी तेरी चुदाई से , तेरे प्यार से बहुत खुश है । कितना बज गया ?
“ पौने छह ( ५.४५) . “
बोल कर कपिल धक्का मारता रहा और क़रीब १५ मिनट और पेलने के बाद वो झड़ गया । सारा पानी चूत में ही गिराया ।
२-३ मिनट की चुम्मा चाटी के बाद मंजु ने कपिल को जाने कहा ।
मंजु ——— राजा , तेरी रानी में अब कोई दम नहीं है । तु बाहर जा और मेरे लिए अदरक बाला एक गरम चाय भेज दे और तु अब इस कमरे में तीन बजे के पहले मत आना । रात जाने के पहले कल जैसा उस नामर्द के सामने फिर एक बार अपने राजा से प्यार करूँगी।
कपिल ने कपड़े पहने और मंजु नंगी ही उसे डोर तक छोड़ने आई। कपिल को जाते देखते रही लेकिन मंजु को नंगा देखने बाला कोई नहीं था ।
मंजु बाथरूम गई और फ़्रेश होते हुए पिछले दिन से सुबह कपिल के साथ तक की चुदाई के बारे में सोचा । उसे लगा कि चुदाई का ही नहीं , तन बदन और दिलों दिमाग़ को भी सिर्फ़ राजीव के साथ ही संतुष्टि मिली । मंजु ने खुद से कई बार पूछा की राजीव के साथ मस्ती भरी चुदाई के बाद भी कपिल के साथ क्यों बढिया लगा । मुँह हाथ धोकर बाहर आई तो देखा कि बीच रुम में चाय का एक गर्म गिलास लेकर एक दूसरा वेटर अफ़ज़ल खड़ा है ।
मंजु एक ही दिन में पहले प्यारे. कपिल और राजीव के सामने सिर्फ़ नंगी ही नहीं हुई तीनों से जमकर चुदवाया भी । एक और वेटर के सामने नंगा रहने में उसे कोई शर्म नहीं आई । कपिल के जाने के बाद बाथरूम नंगी ही गई थी और नंगी ही बाहर आई ।
यही अफ़ज़ल रात में विनोद को ले जाने आया था । उसके हाथ से चाय का ग्लास ले एक घुंट पिया ।
मंजु——- तुमने चाय बनाया ? !
१८-१९ साल के लड़के ने हॉं कहा।
अफ़ज़ल—— वैसे हमारा किचन ७ के बाद शुरु होता है लेकिन कपिल ने खुशामद किया इसलिए खुद स्पेशल बना कर लाया हूँ । रात में मैं उपर आया था लेकिन आपका कमरा बाहर से लॉक था ।
मंजु—— किसी को , साहब को भी मत बोलना। तुम मेरे पति को किसी रंडी के पास ले गये । कुछ ही देर बाद एक बहुत खुबसूरत, जवान आदमी मेरे पास आया और मैंने पूरी रात उसके साथ ही गुज़ारी । रुम का ताला खोल रही थी कि कपिल दिख गया तो उसे चाय के लिए कहा । मेरे पास कुछ देर रहना चाहते हो तो दरवाज़ा की कुंडी को लगा दो । कोई मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नंगा देखेगा तो कुछ और ही समझेगा ।
अफ़ज़ल ने दरबाजा का कुंडी लगाया और मंजु के बिलकुल पास आ गया । मंजु बेड पर बैठ गई और पीछे की तरफ़ झूक कर चाय पीते हुए अफ़ज़ल की ऑंखें में देखने लगी । मंजु ने दोनों जाँघों को पूरा फैला दिया जिस से कि लड़के को चूत बढिया से दिखाई दे ।
मंजु —— अब बाहर जाकर सबको बोलोगे कि तुमने १७ नम्बर बाली औरत को नंगा ही नहीं देखा , उसे चोदा । वो भी रंडी है , रात में दूसरे के रुम में थी ।
अफ़ज़ल और आगे आया और मंजु के दोनों कंधों पर अपना हाथ रखा ।
अफ़ज़ल———- मालकिन, आप कितनी भी बढिया औरत है लेकिन अगर आप अगर इस होटल में रुकी हैं तो भले ही आप किसी से मत चुदवाओ सब आपको रंडी ही समझेंगे । कल सुबह जब से आप आई है बहुत से लोग मैनेजर से , हमसे आप का रेट पुछ चुके हैं ।
मैंने चाय पी लिया तो उसने कप मेरे हाथ से ले लिया और टेबल पर रखा ।
अफ़ज़ल——- यहॉ की रंडियों का रेट ३०० /- रुपया घंटा है । मुझसे जिस ने भी पुछा मैं ने कह दिया कि आप रंडी नहीं है । अपने पति के साथ आई हैं और गलती से यहॉं रूकी हैं ।
उसकी बातों से मैं बहुत खुश हो गई । दस मिनट से ज़्यादा समय से वह मुझे नंगा देख ही रहा था । मैं ने उसे ध्यान से देखा । कपिल से एक -दो इंच लम्बा था और उससे बढिया पर्सनालिटी थी । लेकिन चेहरे में कोई आकर्षण नहीं था । कपिल खुबसूरत था ।
मंजु———— तुमने मेरे बारे में बढ़िया बात कही तो मैंने भी तुम्हें कितनी देर से अपना खुबसूरत बदन दिखा रही हूँ । पसंद है ।
अफ़ज़ल और सामने आया । मैं बेड पर पॉंव लटका कर बैठी थी और वो मेरे सामने खड़ा था मेरा चेहरा उसके पेट से बस २-३ इंच की दूरी पर था । मैं इस लड़के से भी चुदवाने के तैयार थी लेकिन शुरूवात इक्के तरफ़ से चाहती थी । उसने देर नहीं की ।
अफ़ज़ल ———- मालकिन, अभी सबा छह ही हुआ है । सात बजे के बाद ही यहॉ हलचल शुरू होती है । मालकिन, इस से पहले आप जैसी हसीन औरत नहीं देखी । आप कोई इस धरती की जन्नत की हूर हैं आगे आप से कब मुलाक़ात होगी उसकी कोई उम्मीद नहीं । आप अनमोल हैं । मुझे एक बार प्यार करने दीजिए, आपका भगवान और हमारा अल्लाह आपको दुनिया की सारी ख़ुशियाँ देगा । प्यान करने दीजिए मालकिन ।
कपिल के बाद एक और वेटर मंजु की प्यारी चूत के अंदर घुसना चाहता था ,,,,,, अगले भाग में।।।
एक बड़ी कंपनी के जी एम को मंजु बहुत पसंद आई ही मंजु ने भी उसे सबसे ज़्यादा पसंद किया ।
अपनी बेटी के उम्र की लड़की से अपनी चुदाई की तारीफ़ सुन राजीव बहुत खुश हुआ। और क़रीब २० मिनट दोनों ने एक दूसरे को रगड़ते , मसलते दबाते हुए जमकर चुदाई की । फिर चुदाई की स्पीड कम कर कहानी सुनाने लगा ।
राजीव——— रानी , सिर्फ़ तुम्हारे सामने ही नहीं कह रहा हूँ , जितनी मस्ती से तुम चुदवा रही हो , जो मज़ा अभी मुझे मिल रहा है वैसा मज़ा पहले किसी के साथ नहीं आया था , संपा के साथ भी नहीं । हमारी पहली चुदाई के क़रीब एक साल बाद बड़े घुमघाम से हम दोनों की शादी हुई और अगला दस साल बहुत ही बढ़िया गुजरा । ६ साल के अंदर संपा ने मुझे दो बच्चे दिए , पहले बेटा और ३ साल बाद एक बेटी । मेरी बेटी मायुरी अभी तुम्हारी ही उम्र की , १८ साल की ही है । सब बहुत बढिया चल रहा था लेकिन एक रात सब कुछ बरबाद हो गया ।
मंजु ———क्या हुआ ? संपा किसी के साथ भाग गई क्या ?
शायद पुरानी बातें याद कर राजीव दुखी हो गया । मंजु की मस्त जवानी को राजीव का खुबसूरत, मज़बूत बॉडी और लौडा का धक्का बहुत मस्त कर रहा था लेकिन राजीव के चेहरे और ऑंखें का दर्द उसे परेशान कर रहा था । अपनी तरफ़ से मंजु , दोनों हाथो से , जाँघों से जहां भी हो सकता था खूब रगड़ रही थी लेकिन राजीव उदास ही रहा । १०-१२ मिनट फिर चुप्पी रही । मंजु ने ग़ुस्सा से ४-५ मुक्का पीठ पर ज़ोरों से मारा ।
मंजु ——- अगर उसी कुतिया के ख़्वाब में खोये रहोगे तो मुझे बाहर जाने दो जो भी कुत्ता बाहर मिलेगा चुदवा लुंगी । मंजु की ज़ोरदार आवाज़ सुन राजीव के चेहरे पर मुस्कान लौट आई।
“ ना संपा मरी ना ही किसी के साथ भागी, आज भी वो मेरे ही घर में नौकर से चुदवा रही है ।
राजीव और मंजु दोनों का ध्यान चुदाई से हटकर कहीं और, राजीव की पुरानी कहानी पर चला गया था । लौडा मंजु की चूम में मस्ती से अंदर बाहर हो रहा था ।
राजीव———- रंडी किसी के साथ भाग जाती तो बढिया ही होता । एक रात नींद खुली तो देखा कि बग़ल में संपा नहीं है । बाथरूम में देखा वहाँ भी नहीं थी । दूसरी तरफ़ गया और मुझे औरत की मस्ती की सिसकारी सुनाई दी । मैं थोड़ा और आगे बढ़ा तो लगा कि एक दूसरे रुम से आवाज़ आ रही थी । रुम का दरवाज़ा बंद था लेकिन साईड की एक खिड़की खुली थी । झॉंट कर देखा । जो देखा वो देखकर भी विश्वास नहीं हुआ ।
मंजु —— क्या देखा?
राजीव——— में ने देखा कि मेरी घरवाली बिलकुल नंगी है और वो १८-१९,साल के नौकर नंदू को उपर से चोद रही है । जब नंदू ११-१२ साल का था तब से हमारे ही घर में रह रहा था । मैंने सुना । चोदते हुए संपा नौकर से कह रहा थी कि चोरी छिपे उसके साथ अब नहीं चुदवा सकती। वो अब नंदू के साथ एक घरवाली जैसा रहना चाहती है । मंजु, जितने प्यार से सहलाते हुए दुलारते हुए नौकर को चोद रही थी वैसा प्यार मुझे कभी नहीं किया । बाद में मुझे पता चला कि जिस दिन मैंने दोनों को साथ देखा उससे क़रीब एक साल पहले से ही दोनों चुदाई कर रहे थे ।
मंजु ——- तुमने दोनों को मारा पीटा , घर से निकाल दिया ?
दोनों बातें कर रहे थे लेकिन राजीव का लंड और मंजु की चूत आपस में खुब प्यार कर रहे थे । दोनों के दोनों हाथ एक दूसरे के नंगे बदन को लगातार सहला कर प्यार का इज़हार कर रहे थे ।
राजीव——- परी , मेरा तो मन कर रहा था कि दोनों को जान से मार दूँ लेकिन मैं संपा को दुनिया की हर चीज से ज़्यादा प्यार करता था । संपा की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी थी । मैं अपने रुम में आकर रोता रहा और वो दूसरे रुम में अपने से आधे उम्र के नौकर से रात भर मस्ती मारती रही । अगले दिन सुबह वो मेरे पास आई लेकिन मैं ने उससे बात नहीं की । अगली रात से मैं बच्चों के साथ सोने लगा । तीन दिन मैंने उसकी ओर देखा भी नहीं ।
मंजु ——— तुम्हारे जैसा आदमी जिसे प्यार करे वो दूसरे आदमी की ओर देख भी कैसे देखती है?
राजीव———- चौथी सुबह रोज़ की तरह हम और संपा आमने सामने बैठ नाश्ता कर रहे थे । नंदू चाय लेकर आया और संपा ने मेरे सामने उसका हाथ पकड़ लिया और उससे सट कर खड़ी होकर बोली ,
“ राजीव, मैं जानती हूँ कि तुम हम दोनों से बेहद नाराज़ हो लेकिन अब जीते जी ना नंदू से अलग होकर जी सकती हूँ और ना अपने बच्चों से अलग रह सकती हूँ । सबसे बढिया तो यह होगा कि तुम इस बात को मान लो कि तुम्हारी तरह ये नंदू भी मेरा घरवाला है । तुम दोनों एक साथ मुझे प्यार करो । “
मंजु———— छी रंडी ने कितनी घटिया बात की । तुमने ज़रूर उस कुतिया की बात नहीं मानी होगी !
राजीव——— मैंने उस नौकर के सामने संपा के मॉंग में लगा सिंदूर पोंछ डाला , उसके गले से मंगलसूत्र खींच कर तोड़ डाला । मैंने कहा कि आज से अभी से जिस राजीव गुप्ता से उसने शादी की थी वो मर गया और उसे कहा कि रात से वो नंदू की घरवाली बनकर नंदू के कमरे में ही सोये । उसके बाद से मैंने अब तक उससे बात नहीं की । लेकिन उन दोनों पर कोई फर्क नहीं हुआ । सिंदूर भी लगाने लगी और नया मंगलसूत्र भी पहन लिया । हमारे मॉं बाप, बच्चों सब को मालूम है । लेकिन आज भी दोनों हमारे ही घर में एक दूसरे कमरे में सोते हैं ।
राजीव की दुखद प्रेम कहानी सुन मंजु को बहुत दुख हुआ लेकिन राजीव के ज़ोरदार धक्कों ने सब दुख दूर कर दिया ।
मंजु ——— राजा , उस रंडी को भूल जाओ और इस रंडी की जवानी में अपने को डूबा दो । तुमने चोद चोद कर मेरी चूत की हालत ख़राब कर दी है , चूत को आराम करने दो और मुझे अपना मस्त लौडा चूसने दो ।
राजीव को लग रहा था कि इससे पहले उसने कभी इतनी लंबी चुदाई नहीं की । उसकी चुदाइ २०-३० मिनट की ही होती थी । राजीव ने समय देखा । मंजु उसके कमरे में ११.३० में आई थी और उस समय रात के २ ये ज़्यादा हो गया था । मंजु ने कहा तब उसे भी लगा कि वह बहुत थक गया है ।
राजीव ——- जब तुमने सिनेमा हॉल में मेरे लौडा को २ घंटा से ज़्यादा टाईट रखा तंभी मुझे समझ जाना चाहिए था कि मेरा पाला किसी साधारण लड़की से नहीं एक शेरनी से हुआ है । मेरी प्यारी परी . इससे पहले मैं किसी के भी अंदर २५ -३० मिनट से जाना नहीं रह पाया लेकिन अभी लग रहा है कि तुमने मुझे डेढ घंटे से ज़्यादा समय से अपनी मस्त गर्म रसीली बूर ने क़ैद कर रखा है ।
बोलकर राजीव ने लौडा बाहर खींचा । ज़ोर से फचाक की आबाद हुई ।
मंजु ——- राजीव, लोग जन्नत, स्वर्ग की बातें करते हैं लेकिन वहाँ भी इतना आनंद नहीं मिलता होगा जितना तुमने मुझे अभी दिया । मुझे लौडा चूसने दो । मेरे पास आओ ।
राजीव उसके उपर से उतरा । लौडा बूर के रस से लथपथ था । बहुत ही ज़्यादा चमक रहा था । मंजु ने लेटे हुए ही मुँह पुरा खोल दिया । राजीव उकड़ूँ बैठे हुए मंजु के माथा के पास आया । राजीव ने सोचा की लड़की लौडा को किसी कपड़े से साफ़ करेगी लेकिन नहीं । उतना अपना माथा उठाया और लौडा के पास ले आई । लौडा को जड़ से पकड़ा । दूसरे हाथ से दोनों अंडो / ऑंड को पकड़ कर धीरे धीरे लौडा को चारों तरफ़ से जीभ से चाटने लगी ।
चुदाई के पहले राजीव की सभी औरतें लौडा चूसती थी । बहुत कम ही बूर से निकले लौडा पर मुँह लगाती थी लेकिन मंजु से पहले सभी लौडा को कपड़े से साफ़ कर ही थोड़ी देर के लिए मुँह में रखती थी । मंजु ने पहले तीन आदमियों से चुदवाया था लेकिन उस रात ही पहली बार लौडा चुसा था । पहले चूत में घुसने के पहले और अब अपनी ही चूत से निकले लौडा को चाट कर साफ़ कर रही थी ।
राजीव को समझते देर नहीं लगी कि ये कमसीन, जवान, खुबसूरत औरत बहुत ही सेक्सी और चुदासी औरत है । कोई भी मर्द हो इस औरत को अकेला नहीं संभांल नहीं सकता । मंजु को चोदकर देख ही लिया कि अब तक जितनी भी माल को चोदा ये मंजु सबसे बढिया है इसने सबसे ज़्यादा मस्ती ही नहीं दी सबसे ज़्यादा देर चूत में लौडा को सँभाला भी ।
राजीव ने फ़ैसला किया कि इस मंजु को कुछ समय अपने घर में रखेगा ।
“ आह परी क्या कर रही हो! “
लौडा को हर तरफ़ से चाट कर साफ़ किया और अब सिर्फ़ सुपारा को ओठों के अंदर ले चूस रही थी । राजीव झुक कर दोनों चूचियों से खेलने लगा । औरतों को चुदाई के मामले में कुछ सिखाना नहीं पड़ता । ऐक डेढ़ इंच को ही चूसती रही और साथ ही दूसरे हाथ से राजीव के बाहरी और अंदरूनी जाँघों को भी सहलाती रही ।
राजीव को लग रहा था कि लौडा फट जायेगा और वही हुआ । मंजु के मुँह में दस मिनट भी नहीं हुआ और लौडा ने पानी छोड़ना शुरू किया । राजीव ने सोचा कि दूसरी औरतों, उसकी घरबाली कि तरह मंजु लौडा को बाहर ठेल देगी , नहीं उसने लौडा के उपर ओठों को और टाईट किया और दोनों हाथों से लौडा को अपनी मुँह में दवाये रखा । राजीव अचंभित होकर देखता रहा ।
जब मंजु को लगा कि लौडा ने पानी छोड़ना बंद कर दिया तब उसने ओठों को खोला । लौडा ढीला होकर बाहर आ गया । राजीव बस देखता रहा , मंजु के जीभ पर , मुँह में लौडा का रस भरा था और मंजु ने धीरे धीरे सारा रस को अपने अंदर ले लिया । राजीव का चेहरा ऐसा था जैसे कि वो किसी अंजूवे को देख रहा हो । उसके लिये मंजु का सारा रस चूसना अचंभा ही था ।
राजीव के माथा को अपनी चूचियों पर दबाया ।
मंजु ———- तुम विश्वास नहीं करोगे अपनी ज़िंदगी की इस सातवीं चुदाई के दौड़ान ही पहली बार लौडा को चूसा । सच मुझे बहुत ही बढ़िया लगा । अभी जब तुम्हारा गर्म गर्म रस जीभ पर गिरा तो मुझे और भी बढिया लगा । मैंने पूरा रस पी लिया है । मुझे बढिया लगा , स्वाद बहुत ही बढ़िया लगा लेकिन ये कहीं मुझे नुक़सान ना पहुँचाये , राजीव , मैं कहीं बीमार न हो जाऊँ ।
राजीव ने झुक कर उसके गालों और ओंठो को बहुत चुमा ।
राजीव—— मेरी प्यारी परी , तुमसे पहले मैं ने ३०-३२ माल को चोदा है। क़रीब क़रीब सभी चुदाई के पहले लौडा चुसती है । ३-४ ने चुदाई के बाद भी लौडा चुसा लेकिन लौडा को बिना कपड़े से रगड़ रगड़ कर साफ़ किये बिना किसी ने नहीं चुसा । लेकिन इससे पहले ना कभी देखा ना ही किसी ने कहा कि कोई लड़की या औरत लौडा का रस पूरा पी जाती है । परी , तुम सब से खाश हो । अगर ५-६ घंटा में तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं हुई तो शायद बाद में भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए ।
कुछ देर चुप्पी ।
राजीव——— परी, क्या तुम मेरे साथ , मेरी उस घटिया पत्नी और बच्चों के साथ कुछ दिन , एक महिना मेरे घर में रहोगी ।
मंजु ने उसकी ऑंखें में घूर कर देखा ।
मंजु ——— हॉं , जब बोलो जितने दिन बोलो , साथ रहुंगी । अगर तुम बोलो तो विनोद को छोड़कर तुमसे शादी करने को भी तैयार हूँ । शाम को विनोद ने पहली बार गॉंड में लौढा घुसाया था , मुझे बिलकुल मज़ा नहीं आया था । अब तुम करो, हम दोनों को बहुत मज़ा आयेगा ।
राजीव इस लड़की को देखता ही रहा ।चूत में बहुत दे तक लौडा था और साफ़ लग रहा था कि इसने बहुत ही कम चुदवाया था । मंजूँ का अंग अंग टाईट था बहुत टाईट । राजीव के जैसा चूद्दकर थक गया था लेकिन अब ये लड़की गॉंड भी मरवाना चाहती थी । ३०-३२ माल से राजीव चोद रहा था लेकिन ना उसने कभी किसी की गॉंड मारी ना किसी ने गॉंड मारने के लिए कहा ही । लेकिन ये लड़की खुद कह रही थी कि राजीव उसकी मॉड में लौडा पेले ।
राजीव—- एक तो मैंने अब तक किसी की गॉंड में लौडा पेला ही नहीं और वैसे भी गॉंड मरवाने बढिया नहीं होता है । गंदी बात है ।
मंजु झट उसक उपर आ गई । गालों, ओठों को चूमा ।
मंजु —— शादी के पहले न मैंने किसी से चुदवाया , आज के पहले ना लौडा को कभी चूसा ना ही रस पिसा । लेकिन भगवान क़सम सब मुझे बहुत ही बढ़िया लगा । कल विनोद ने पहली बार गॉंड का दरवाज़ा खोला । उस समय मुझे वही बढ़िया लगा था । लेकिन आज तुम्हारा लौडा सहला कर , चुदवा कर , चूस कर मुझे विश्वास हो गया है कि भगवान ने मुझे बिलकुल मेरे लायक़ आदमी और लौडा भेज दिया है । मेरी चूत , मुँह और गॉंड में जाने लायक़ बस एक यही एक लौडा सबसे बढिया है । मेरी गॉंड मारो यार , रात का तीन बज रहा है थोड़ी देर सोना भी ज़रूरी है।
राजीव बार बार मना करता रहा लेकिन मंजु गॉंड मनवाने की ज़िद्द पर अड़ी रही । आख़िर राजीव को मानना ही पड़ा । पिछली शाम जैसा मंजु ने बेड के बिलकुल किनारे अपने को कुतिया के पोज में किया । राजीव उसके पीछे खड़ा हुआ और एक बार फिर राजीव को मानना पड़ा कि मंजु बहुत ही ज़्यादा मस्त माल है । चुत्तरों को सहलाते धूरा हुए चूत की घु्ंडी से लेकर गॉंड के छेद तक जीभ को उपर नीचे चलाता रहा । राजीव को नहीं मालूम था कि गॉंड मारने से पहले , गॉंड में लौडा पेलने के पहले मॉंड को गीला करना चाहिए । ना ही मंजु ने ही उससे कुछ कहा । वास्तव में गॉंड में मोटा और लंबा लौडा घुसने से जो दर्द होता उसे मंजु महसूस करना चाहती थी ।
१०-१२ मिनट ही चूसने चाटने के बाद लौडा टाईट हो गया । राजीव ने लौडा के टीप को गॉंड के छेद से सटाया । चुत्तरों को टाईटली पकड़ पूरी ताक़त से धक्का मारा लेकिन गॉंड का छेद खुला ही नहीं । यह देख राजीव को बहुत ग़ुस्सा आया और वो लगातार धक्का मारता रहा । ७-८ धक्का के बात छेद खुला और लौडा धीरे धीरे अंदर जाने लगा । पहली ही बार गॉंड में लौडा पेल रहा था , राजीव ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया कि मंजु का पूरा बॉडी अकड़ गया है । दर्द से उसकी जान निकल रही है , ऑंखें से लगातार ऑंसू बह रहे हैं ।
राजीव—————- परी , किसी भी कुँवारी लड़की के चूत से ज़्यादा टाईट और गर्म है तुम्हारी ये गॉंड । तुम्हारी चूत ने चुदाई की सबसे ज़्यादा ख़ुशी दी है और तुम्हारी इस कच्ची गॉंड में लौडा पेलकर बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है । खुश रह रानी सदा ख़ुश रह ।
राजीव लगातार पेलता रहा और गॉंड बहुत ही धीरे धीरे खुलने लगा । मंजु का दर्द भी कम होने लगा था । १५ मिनट हुआ और पिछली शाम जैसा ही लौडा गॉंड के अंदर बाहर वैसे ही होने लगा जैसे चूत में हुआ था । मंजु ने एक शब्द भी नहीं का । जब लौडा फ्रीली गॉंड में अंदर बाहर होने लगा तो राजीव का ज़ोश बढ़ने लगा और २०-२२ मिनट होते होते गॉंड की गरमी और टाईटनेस से राजीव बर्दाश्त नहीं कर सका और गॉंड के अंदर ही झड़ने लगा औ मंजु को भी शॉंति मिली ।
राजीव ने लौडा बाहर खींचा, बेड पर लेट कर मंजु को अपने उपर खिंच कर लिटाया । तब उसकी नज़र मंजु के गालों पर के कई ऑंसुओ के घार पर गई जो सुख गई थी लेकिन दाग छोड़ गई थी । राजीव ने उसे अपनी बाँहों में बॉंध बेतहाशा चुमा ।
राजीव——-परी, तुम्हें इतना दर्द हुआ तो मुझे रोका क्यों नहीं ।
मंजु ——— दर्द नहीं राजा जान निकल गई थी । जैसे तुम्हारे लौडे ने मुझे चूत की मस्ती का एक नया मज़ा , सबसे ज़्यादा मज़ा दिया वैसे ही मैं अपनी गाॉंड में भी सबसे बढिया लौडा से ही मस्ती चाहती थी । थैंक्यू राजा , तुमने अपनी परी को सब कुछ दे दिया । ३.३० हो गया है । हम ४ घंटा से मस्ती मार रहे हैं । अब हमें थोड़ी देर सोना चाहिए लेकिन उससे पहले मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ , बोलुं ? “
राजीव——— परी , मुझे नहीं मालूम था कि मुझे तुम्हारी जैसी प्यारी लड़की कभी मिल सकती है । संपा के बाद मैं ने ३०-३२ माल को चोदा । उनमें से किसी को भी अपने पास २ घंटा -भी नहीं रखा । एक-दो बार चोद कर बाहर निकाल देता था ! तुम्हारे साथ भी यही सोचा था कि एक -दो बार चोदकर कुछ रुपये देकर बाहर निकाल दूँगा । लेकिन रानी , तुम सबसे अलग हो । संपा की वेवफाई देखने के बाद उससे कभी बात करने का भी मन नहीं किया लेकिन अब मैं तुमसे अलग कैसे रह पाउगॉं । बोलो , क्या बोलना है।
मंजु——- तुमने कहा कि तुम्हारे बच्चे भी अपनी मॉं के रंडीपना के बारे में जानते है । शायद तुम्हें बुरा लगे लेकिन मैं विश्वास के साथ कहती हूँ कि संपा ने अपनी नंगी जवानी दिखाकर ही बेटे को अपने वश में किया होगा । हो सकता है कि मौक़ा पाकर बेटे से भी चुदवाती भी हो। तुम्हारी बेटी भी जवान हो गई है । अगर नंदू ने लड़की को अब तक नहीं चोदा है तो मॉं खुद ही पूरी कोशिश कर रही होगी कि उसकी बेटी भी मॉं के यार से चुदवाए । क्यों कि एक बार अगर बेटी भी मॉं के यार से चुदवाने लगी और मॉं की जवानी बेटे को खाने के लिए मिलने लगी तो वे चारों मिलकर तुम्हारा ख़ून कर देंगे । नंदू की शादी तुम्हारी बेटी से करवाने के बाद तीनों मॉं , बेटी और नंदू आराम से रहेंगे ।
मंजु की बात सुन राजीव बेड से नीचे आकर खड़ा हो गया और मंजु को रुम से बाहर जाने कहा । मंजु भी चुपचाप अपने कपड़े उठाकर रुम से निकल गई और अपने रुम का दरवाज़ा खोला । अंदर घुसी , डोर को बोल्ट कर पेशाब किया और कपिल से लिपट कर ऑंख बंद कर ली । राजीव ने बहुत ज़्यादा थका दिया था । वो जल्दी सो गई ।
क्या मंजु की बातों ने राजीव को ग़ुस्सा दिलाया ?
हॉं बहुत ही ज़्यादा ग़ुस्सा दिलाया था । लेकिन वो ग़ुस्सा मंजु पर नहीं अपने आप पर था । राजीव ने अपनी बीबी को छोड़ दिया था फिर भी वो अपने प्रेमी नौकर के साथ राजीव के ही साथ रहती थी । संपा के मॉं बाप ही अपनी बेटी और नौकर दामाद का खर्चा उठाते थे । राजीव के दोनों बच्चे कोलकाता में पढ़ते थे और होस्टल में रहते थे । कई महीने पहले से राजीव देख रहा था कि दोनों बच्चे जब होस्टल से आते थे तो ज़्यादा समय पिता जी के साथ नहीं मॉं और उसके प्रेमी नौकर के साथ ही गुज़ारते थे । राजीव को लगा कि मंजु ने जो कहा वह सच ही कहा । नंदू के साथ साथ संपा अपने बेटे से चुदवाती है और नंदू अपनी मालकिन प्रेमिका के साथ मालकिन की बेटी को भी चोदता है ।
राजीव इसी उधेड़बुन में रात भर सो नहीं पाया ।
इधर दूसरे कमरे में कपिल से चिपकते ही मंजु सो गई । लेकिन जब उसकी नींद खुली तो देखा कि कंधें को पकड़ कपिल उसे दनादन पेल रहा है। मंजु ने अपने दोनों बाँहों और जाँघों से कपिल को बॉंघा लेकिन पकड़ ढीला ही रखा । राजीव की बात उसे याद थी ।
मंजु ——— हरामी , बहनचोद तेरे सामने नंगा होकर , तुझसे चुदवा कर मैंने बहुत बड़ी गलती की । क्या खाकर आया है मादरचोद , तेरे तीन बार के लगातार चुदाई के बाद मुश्किल से सोईं थी लेकिन राजा तुने फिर पेल दिया । तेरी रानी तेरी चुदाई से , तेरे प्यार से बहुत खुश है । कितना बज गया ?
“ पौने छह ( ५.४५) . “
बोल कर कपिल धक्का मारता रहा और क़रीब १५ मिनट और पेलने के बाद वो झड़ गया । सारा पानी चूत में ही गिराया ।
२-३ मिनट की चुम्मा चाटी के बाद मंजु ने कपिल को जाने कहा ।
मंजु ——— राजा , तेरी रानी में अब कोई दम नहीं है । तु बाहर जा और मेरे लिए अदरक बाला एक गरम चाय भेज दे और तु अब इस कमरे में तीन बजे के पहले मत आना । रात जाने के पहले कल जैसा उस नामर्द के सामने फिर एक बार अपने राजा से प्यार करूँगी।
कपिल ने कपड़े पहने और मंजु नंगी ही उसे डोर तक छोड़ने आई। कपिल को जाते देखते रही लेकिन मंजु को नंगा देखने बाला कोई नहीं था ।
मंजु बाथरूम गई और फ़्रेश होते हुए पिछले दिन से सुबह कपिल के साथ तक की चुदाई के बारे में सोचा । उसे लगा कि चुदाई का ही नहीं , तन बदन और दिलों दिमाग़ को भी सिर्फ़ राजीव के साथ ही संतुष्टि मिली । मंजु ने खुद से कई बार पूछा की राजीव के साथ मस्ती भरी चुदाई के बाद भी कपिल के साथ क्यों बढिया लगा । मुँह हाथ धोकर बाहर आई तो देखा कि बीच रुम में चाय का एक गर्म गिलास लेकर एक दूसरा वेटर अफ़ज़ल खड़ा है ।
मंजु एक ही दिन में पहले प्यारे. कपिल और राजीव के सामने सिर्फ़ नंगी ही नहीं हुई तीनों से जमकर चुदवाया भी । एक और वेटर के सामने नंगा रहने में उसे कोई शर्म नहीं आई । कपिल के जाने के बाद बाथरूम नंगी ही गई थी और नंगी ही बाहर आई ।
यही अफ़ज़ल रात में विनोद को ले जाने आया था । उसके हाथ से चाय का ग्लास ले एक घुंट पिया ।
मंजु——- तुमने चाय बनाया ? !
१८-१९ साल के लड़के ने हॉं कहा।
अफ़ज़ल—— वैसे हमारा किचन ७ के बाद शुरु होता है लेकिन कपिल ने खुशामद किया इसलिए खुद स्पेशल बना कर लाया हूँ । रात में मैं उपर आया था लेकिन आपका कमरा बाहर से लॉक था ।
मंजु—— किसी को , साहब को भी मत बोलना। तुम मेरे पति को किसी रंडी के पास ले गये । कुछ ही देर बाद एक बहुत खुबसूरत, जवान आदमी मेरे पास आया और मैंने पूरी रात उसके साथ ही गुज़ारी । रुम का ताला खोल रही थी कि कपिल दिख गया तो उसे चाय के लिए कहा । मेरे पास कुछ देर रहना चाहते हो तो दरवाज़ा की कुंडी को लगा दो । कोई मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नंगा देखेगा तो कुछ और ही समझेगा ।
अफ़ज़ल ने दरबाजा का कुंडी लगाया और मंजु के बिलकुल पास आ गया । मंजु बेड पर बैठ गई और पीछे की तरफ़ झूक कर चाय पीते हुए अफ़ज़ल की ऑंखें में देखने लगी । मंजु ने दोनों जाँघों को पूरा फैला दिया जिस से कि लड़के को चूत बढिया से दिखाई दे ।
मंजु —— अब बाहर जाकर सबको बोलोगे कि तुमने १७ नम्बर बाली औरत को नंगा ही नहीं देखा , उसे चोदा । वो भी रंडी है , रात में दूसरे के रुम में थी ।
अफ़ज़ल और आगे आया और मंजु के दोनों कंधों पर अपना हाथ रखा ।
अफ़ज़ल———- मालकिन, आप कितनी भी बढिया औरत है लेकिन अगर आप अगर इस होटल में रुकी हैं तो भले ही आप किसी से मत चुदवाओ सब आपको रंडी ही समझेंगे । कल सुबह जब से आप आई है बहुत से लोग मैनेजर से , हमसे आप का रेट पुछ चुके हैं ।
मैंने चाय पी लिया तो उसने कप मेरे हाथ से ले लिया और टेबल पर रखा ।
अफ़ज़ल——- यहॉ की रंडियों का रेट ३०० /- रुपया घंटा है । मुझसे जिस ने भी पुछा मैं ने कह दिया कि आप रंडी नहीं है । अपने पति के साथ आई हैं और गलती से यहॉं रूकी हैं ।
उसकी बातों से मैं बहुत खुश हो गई । दस मिनट से ज़्यादा समय से वह मुझे नंगा देख ही रहा था । मैं ने उसे ध्यान से देखा । कपिल से एक -दो इंच लम्बा था और उससे बढिया पर्सनालिटी थी । लेकिन चेहरे में कोई आकर्षण नहीं था । कपिल खुबसूरत था ।
मंजु———— तुमने मेरे बारे में बढ़िया बात कही तो मैंने भी तुम्हें कितनी देर से अपना खुबसूरत बदन दिखा रही हूँ । पसंद है ।
अफ़ज़ल और सामने आया । मैं बेड पर पॉंव लटका कर बैठी थी और वो मेरे सामने खड़ा था मेरा चेहरा उसके पेट से बस २-३ इंच की दूरी पर था । मैं इस लड़के से भी चुदवाने के तैयार थी लेकिन शुरूवात इक्के तरफ़ से चाहती थी । उसने देर नहीं की ।
अफ़ज़ल ———- मालकिन, अभी सबा छह ही हुआ है । सात बजे के बाद ही यहॉ हलचल शुरू होती है । मालकिन, इस से पहले आप जैसी हसीन औरत नहीं देखी । आप कोई इस धरती की जन्नत की हूर हैं आगे आप से कब मुलाक़ात होगी उसकी कोई उम्मीद नहीं । आप अनमोल हैं । मुझे एक बार प्यार करने दीजिए, आपका भगवान और हमारा अल्लाह आपको दुनिया की सारी ख़ुशियाँ देगा । प्यान करने दीजिए मालकिन ।
कपिल के बाद एक और वेटर मंजु की प्यारी चूत के अंदर घुसना चाहता था ,,,,,, अगले भाग में।।।
‘LIVE LIFE CHAMPA STYLE