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SAAHAB, AAPKI PATNI KEE CHOOT SABSE PYARI HAI
#12
बार बार गॉंड में अंगुली घुसाने से गॉंड का छेदा खुल गया । फिर २ और बाद में तीन अंगुली एक साथ गॉंड में घुसने लगा । क़रीब २०-२२ मिनट लगातार चूत और गॉंड तक के जगह को चाटता, चूसता रहा । मुझे लगा कि लौडा अब आसानी से गॉंड में घुस जायेगा । सीधा खड़ा हुआ और एक हाथ से पकड़ लंड के टीप को गॉंड के छेद में गवाया लेकिन लौडा अंदर नहीं गया । 

एक हाथ से मंजु के एक कंधे और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ पूरी ताक़त से धक्का मारा । 

“ बाप रे मर गई “ 

मंजु की हल्की चीख मुझे बढिया लगी । पहले नहीं सोचा था लेकिन जब कपिल को अपने सामने मंजु के जॉंघों को सहलाते देखा तो अपनी चुदाई में जो मज़ा आया था उससे ज़्यादा मस्ती आने लगा । तभी मुझे लगा कि कोई भी अगर मंजु को मेरे सामने चोदेगा तो अपनी चुदाई से ज़्यादा मज़ा आयेगा । लेकिन मुझे उम्मीद थी कि मंजु बहुत हल्ला करेगी , कपिल को मारेगी , पीटेंगी । मुझे गाली देंगी । लेकिन ऐसा नहीं हुआ । उसने आसानी से कपिल के चैलेंज को मान लिया । कपिल ने पॉंच मिनट कहा था लेकिन मंजु ने उसे दस मिनट का समय दिया उसे गर्म करने के लिए । और कपिल के जाने के बाद उसने जो कहा उससे विश्वास हो गया कि मंजु बहुत ही ज़्यादा चुदासी औरत है। इसे कमाई के लिए नहीं सिर्फ़ अपनी मस्ती के लिए अलग अलग लोगों, नये लंड से मस्ती थाहिए । 

अचानक मुझे कुछ ही महिना पहले की घटना याद आई जब एक मंजु के ही उम्र की लड़की ने मुझसे कहा था कि वह मेरे साथ समय गुज़ारना चाहती है । उस समय तो मैं ने उसके टाल दिया था लेकिन अभी उसकी याद बहुत सताने लगी । उसी लड़की को याद करते हुए सटा-सट धक्का पर धक्का मारता रहा । मंजु का पूरा शरीर अकड गया । मुझे उसकी रोने की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी लेकिन मैं पूरी ताक़त से पैलता रहा । पूरे समय यही सोचता रहा कि कब और कैसे उस लड़की से मिलूँगा, उसे चोदुंगा । 

मैं पालता रहा और मंजु की आवाज़ सुनाई दी । 

“ वाह विनोद , अब बहुत बढिया लग रहा है। सच कहती हूँ, चुदाई से कम मज़ा नहीं है । अब तुमने गॉंड का दरबाजा खोल दिया है , जिसका भी लंड बढिया होगा उससे गॉंड भी मरबाउंगी । विनोद, मुझे तुम्हारे बाबू जी बहुत पसंद है । मैं उनकी मुफ़्त की रंडी बनना चाहती हूँ । क्या करु । “ 

मैं दना दन पेलता रहा । अब चूत की तरह गॉंड में भी लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था । मैंने दोनों बग़ल से दोनों हाथ नीचे किया और दोनों चूचियों को मसलने लगा । 

विनोद————- रानी , सिर्फ़ तुम्हें खुश करने के लिए नहीं कह रहा, सच मुझे बहुत ही बढ़िया लगा जब कपिल ने तुम्हारी नंगे बदन को सहलाना शुरु किया । तुम्हें चोदकर मुझे बहुत बढिया लगता है। लेकिन अब तुम मुझे घटिया आदमी कहो या नामर्द , तुम्हें दूसरे से चुदवाते देख भी मुझे वैसा ही मज़ा मिला । मुझे लगता है कि अपनी मॉं और बहनों को भी दूसरे से चुदवाते देखूँगा तो बहुत मज़ा आयेगा । तुम उन दोनों को भी दूसरे के साथ मस्ती मारने के लिए तैयार करो । 

मुझे ऐसा लगा कि बहुत देर से गॉंड में लौडा अंदर बाहर हो रहा है। झटके से लौडा बाहर खींचा और चूत में पेलने लगा । 

“ उफ़ राजा , मस्त कर दिया तुमने अपनी मंजु को ।” 

मंजु की मस्ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी । पूरी ताक़त से चोदता रहा । 

विनोद ———— रानी, कपिल ने तुझे चोदा देखकर  मुझे बहुत ही बढ़िया लगा लेकिन तुम्हारी एक बात बिल्कुल पसंद नहीं आई । 

मंजु———- कौन सी बात ? 

चूचियों को मसलते, दनादन पेलता रहा । 

विनोद———— जानती हो , मर्दों को औरत क्यों पसंद आती है ? चेहरा, मोहरा , सुंदर बदन बढिया लगता ही है लेकिन जो चीज़ मर्दों को औरत की ओर  ज़्यादा खिंचतीं है वह है उनका नख़रा । कोई भी औरत कितनी भी गर्म हो वो जल्दी चुदाई के लिए नहीं मानती । हज़ारों नखडा करती है , वो यह देखना चाहती है कि कोई उसे कितना पसंद करता है । सिर्फ रंडी ही चुदाई के लिए तुरंत तैयार हो जाती है। हमारे कॉलेज में बहुत ही साधारण रंग रुप की एक लड़की थी लेकिन कॉलेज के सभी लड़के , टीचर भी उसकी दोस्ती के लिए मरते थे । अपने रंग रुप से नहीं अपनी अदाओं और नख़रा से सारे मर्दों को पागल कर रखा था । कपिल ने एक बार कहा और तुम तुरंत मान गई । एक बार भी मना नहीं किया । ऐसा सिर्फ़ रंडी ही करती है और रानी तुम रंडी नहीं हो । 

मैं पेलता रहा । रुम में अंधेरा छाने लगा । विनोद की बात सुन मंजु ने उस दिन की दोनों चुदाई , पहले प्यारे के साथ फिर कपिल के साथ को याद किया । प्यारे ने भी एक बार ही कहा और वो चुदाई के लिए तैयार हो गई। कपिल के साथ भी उसने कोई आना कानी नहीं की । अचानक मंजु को अपनी बड़ी भाभी की बात याद गई । भाभी ने कहा था , 

“ मंजु, तेरे भैया पहली रात से ही मुझे चोदने के लिए पागल थे । लेकिन मैं उन्हें ललचाती रही । मैं खुद भी चुदाई चाहती थी फिर भी तेरे भाई को बहुत तडपाया । सुहाग रात को उसके बहुत खुशामद करने पर कमरे में अंधेरा कर नंगी हुई , बदन को सहलाने दिया लेकिन चोदने नहीं दिया । शादी के १५ वीं रात को मैंने तेरे भैया का लंड चूत में लिया । तेरा भैया बहुत मस्त चोदता है । मज़ाक़ नहीं कर रही । कभी भी तुझे पति के अलावा दूसरे लंड की ज़रूरत हो तो तेरे भैया अपनी छोटी बहन को चोदने के लिए तैयार हैं । और अब खुद देख तेरे भैया मुझे कितना प्यार करते हैं , अब हर रात चुदवाती हूँ लेकिन मेरी खुबसूरती , तेरे सामने कुछ  नहीं हूँ, खुबसूरती ने नहीं १५ दिन के मेरे नख़रों  ने उन्हें मेरा गुलाम बना दिया है। “ 

और मंजु ने सच में विनोद की चुदाई से लेकर कपिल के साथ , कुछ भी नख़रा नहीं किया । पति के सामने दूसरे से चुदवाना मंजु को भी बढ़िया लगा । मंजु को लगा कि कपिल से चुदवाने के पहले विनोद को खुब गाली देती , झगड़ा करती , रोती और विनोद और कपिल के बहुत खुशामद करने के बाद ही चुदाई के लिए तैयार होती । 

मंजु —————- तुम बिलकुल ठीक कर रहे हो , अब तक मैं ने रंडी जैसा ही एक बार बोलने पर ही चुदवा लिया । कपिल से अब नख़रा नहीं कर सकती हूँ लेकिन अब दूसरे को बहुत ललचाने, तरसाने के बाद ही अपना खुबसूरत बदन छुने दूँगी । सच राजा तुम मेरा कितना ध्यान रखते हो । आज तुम्हें क्या हो गया ।कपिल ने भी इतनी देर नहीं  चोदा था । रुम में अंधेरा हो गया । सिनेमा नहीं दिखाओगे क्या ? निकालो जल्दी । 

विनोद और मंजु दोनों ने देखा कि एक घंटा से ज़्यादा गॉंड और चूत में लौडा रहा फिर भी विनोद नहीं झंडा । 

जल्दी जल्दी तैयार होकर दोनों बाहर निकले । नज़दीक के सिनेमा हॉल में गये । अंदर घुसे और मेन सिनेमा शुरु हुआ। हॉल में भीड़ नहीं थी । टिकट पर सीट नम्बर नहीं था । दोनों बॉलकनी के सबसे आख़िरी लाइन में बैठे । एक दूसरे का हाथ पकड़ दोनों सिनेमा देखने में ब्यस्त थे । अचानक मंजु के जाँघों पर एक हाथ फिसलने लगा । 

मंजु की ज़ुबानी———

बिनोद का हाथ अपनी हाथो में लेकर सिनेमा देख रही थी कि मेरी दाहिने जाँघ पर एक हाथ फिसलने लगा । मैंने गर्दन घुमा कर देखा । पहले मेरे बग़ल की सीट ही नहीं ५-६ सीट ख़ाली थी । लेकिन अब मेरे बग़ल में एक आदमी बैठा था और उसके बग़ल की चार सीटें ख़ाली थी । मतलब साफ़ था । जो भी था,  मेरे साथ मस्ती मारने ही बग़ल में बैठा था । 

मैंने उसे रोका टोका नहीं । १५-२० मिनट वह वैसे ही जाँघों को सहलाता रहा । अचानक एक हाथ मेरी चूचियों को मसलने लगे,  चूचियों को मसलते हए उसे लगा होगा कि ब्लाउज़ का बटन आगे नहीं पीठ पर है । जो हाथ चूची को मसल रहा था वो हाथ वहीं अपना काम करता रहा लेकिन जो दूसरा हाथ जॉंघ पर था वह हटा । उसके तरफ़ जो मेरा पैर था उसे अपने तरफ़ खिंचा और अपने एक घुटने के उपर रख लिया । 

फिर मेरा हाथ जो उसकी तरफ़ था उसे खींच अपने तरफ़ किया और मैं अपना हाथ वहॉं से नहीं हटा सका। प्यारे और कपिल के लंड के बाद एक और लंड मेरी मुट्ठी में था । लम्बा मोटा तो था ही बहुत ही टाईट था । अपने को रोक नहीं पाई बिना यह सोचे कि बग़ल में पति बैठा है , लंड को मुठियाने लगी । लंड को मेरे हाथ में देकर उसने अपना हाथ मेरे पीठ पर रखा और एक ही हाथ से उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये । 

ब्लाउज़ के बटन खुले और सामने बाले हाथ ने ब्रा के कप को उपर उठाकर नंगी चूचियों को दबाने लगा । अचानक हॉल में लाईट हुई । इन्चरभल हुआ लेकिन मेरे बग़ल बाले ने ना चूची से ही हाथ हटाया ना ही पीठ से । मैंने ऑंख नीचे किया तो देखा कि मेरे ही साड़ी के पल्लू से उसने लंड को ढक लिया था । उसका लौडा मुझे बढिया लग रहा था कि मैं ने लौडा को छोड़ा नहीं । 

बिनोद ने हमारी तरफ़ देखा । उसने क्या देखा क्या नहीं मुझे नहीं मालूम । यह बोलकर कि वो बाथरूम जा रहा है विनोद नीचे चला गया । मैंने लौडा को पूरी ताकत से दबाये हुआ पुछा कि वो मुझे क्यों तंग कर रहा है । 

वो आदमी ———- क्यों कि रानी मैं ने अब तक तुम्हारी जैसी बढिया माल नहीं देखी । पति या दोस्त जो भी है उसे छोड़ो । थोड़े ही दूर पर मेरा होटल है चलो , मेरे साथ पूरी रात रहो । सुबह इतना दूँगा कि वह देखकर पति पूछेगा ही नहीं कि रात भर तुम कहॉं थी । अपना चुत्तर उपर उठाओ । 

शाम को विनोद ने जो ज्ञान दिया था सब भूल गई। सीट का हैंड रेस्ट पकड़ कर चुत्तर उपर उठाया और उस आदमी ने साड़ी साया उपर खींच कर कमर के उपर उठाया । मैं लंड छोड़ साड़ी से अपने सामने की टॉंगों को ढकने का कोशिश करने लगी और उसका हाथ चूत के उपर फिसलने लगा । चूत में अंगुली पेलते हुए बोला कि रानी तुम बहुत ही मस्त माल हो । पूरी रात का २००००/- दूँगा  । 

मंजु ———- मैं रंडी नहीं है । बहुत मस्ती हो गया अब तुम कहीं और जाकर दूसरा माल ढूडो। मुझे आराम से सिनेमा देखने दो । 

मैंने नहीं देखा लेकिन उसने शायद मेरे पति को वापस आते देख लिया था । 

“ जैसी हो वैसे ही बैठी रहो । अगर कपड़ा नीचे किया तो इस बार पूरा नंगा कर दूँगा । “ 

बोलकर वो एक तरफ़ गया और दूसरी तरफ़ से विनोद आ गया । मेरे बग़ल में बैठा और पुछा कि सिनेमा कैसा है । 

मंजु ——- राजा , इस से बढिया सिनेमा तो मैं रुम में ही दिखा देती । तुम किसी नये आदमी को रुम में लाते और तुम्हें मुफ़्त का रंगीन सिनेमा देखने को मिल जाता । चलो होटल . और कोई नहीं तो अपना कपिल है ही । 

विनोद——— उसके लिए पूरी रात बाक़ी है । अभी सिनेमा देखो । 

हॉल का लाईट फिर बंद हुआ और मैंने झटके से ब्रा का हुक खोल चूची को आज़ाद कर दिया । विनोद की तरफ़ हाथ बढ़ाया और पैंट के बटन खोलती हुए बोली कि जल्दी से लौडा मेरे हाथ में दे । 

और दो मिनट भी नहीं हुआ विनोद ने मेरा हाथ अपने लंड पर रखा लेकिन लौडा ढीला था । फिर भी मैं उसे पकड़ सहलाती रही । सिनेमा दुबारा शुरु हुए क़रीब १० मिनट हो गया लेकिन मेरे बग़ल बाली सीट ख़ाली रही । मैं विनोद का लंड पकड़े हुए सिनेमा देखने में तल्लीन हो गई । बढिया गाना चल रहा था । मेरा ध्यान तब टूटा जब किसी ने मेरी एक चूची को चूसना शुरू किया । समझ गई कि मेरा पड़ोसी वापस आ गया है। मैंने दूसरा हाथ उसकी ओर बढ़ाया । दिल ख़ुश हो गया । अगर प्यारे से बड़ा नहीं तो उसके लंड जैसा ही लम्बा और मोटा लौडा मेरे हाथ में था । १५ मिनट से सहला रही थी  फिर भी विनोद का लौडा टाईट नहीं हुआ था । 

मैं ने एक फुसफुसाहट सुनी 

“ खुबसूरत परी , मेरी तरफ़ झूक जाओ “ 

मैंने सोच लिया विनोद देखता है तो देखे । मैंने उसकी तरफ़ का पॉंव उठाया और उसके जॉंघो पर रख दिया और जितना हो सकता था उसकी तरफ़ झुक गई । मैं यह देखकर मुस्कुराई कि उसने मेरे और अपनी जॉंघो  को एक चादर से ढक दिया था और मेरी साड़ी और पेटीकोट को बिलकुल उपर उठा दिया था । चादर के नीचे मैं बिलकुल नंगी थी । क़रीब सवाघंटा ( ७५ मिनट ) वह लगातार मेरी एक चूची चुसता रहा और दूसरे हाथ से नंगी जॉंघों और बूर को सहलाता रहा । पूरे समय विनोद का लंड मेरे हाथ में रहा लेकिन एक बार भी वैसा टाईट नहीं हुआ जैसा टाईट लौडा मेरे दूसरे हाथ में था । 

“ अब विनोद की तरफ़ घुम जाओ , पूरा पीठ मेरी तरफ़ करो । “  

मैंने पड़ोसी की धीमी आवाज़ सुनी और मैं विनोद के तरफ़ घुम गई । उसने पीछे ब्लाउज़ के पल्ले को खिंचा और पीछे से दोनों हाथ घुसाकर ब्रा कप को चूचियों के उपर रखा । मैंने ब्रा का हुक बंद किया और उस आदमी ने ब्लाउज़ के बटन बंद किए । 

“ ५ मिनट में सिनेमा ख़त्म होगा. साड़ी ठीक कर लो । मैं संगम होटल के कमरा नंबर १५ में हूँ, तुम्हारे कमरे से तीसरा कमरा । तुम्हारे बैग में कुछ टैबलेट हैं , सिर्फ़ एक टैबलेट पानी के साथ विनोद को दे देना । वह सुबह तक आराम से सोयेगा और हम दोनों पूरी रात प्यार करेंगे । ज़रूर आना । तुम बहुत अच्छी , सबसे अच्छी हो मंजु । “ 

मैंने उसकी एक एक बात सुनी । वो हमारे बारे में सबकुछ जानता था । साड़ी साया को नीचे करते हुए मैं उसकी और घुमी । उसने मेरे गालों को दोनों हाथ से दबाया और होंठों को चूमा । उसके बाद अपना चादर समेट कर एक ओर चला गया । मैं उसे जाते हुए देखती ही रही । हॉल में लाईट हुआ । विनोद ने झटपट लौडा अंदर किया और पैंट को ठीक किया । 

होटल के रास्ते मैं हमने खाना खाया और १० बजने  के पहले हम अपने रुम में १७ नबंर में आ गये । मैंने ध्यान दिया , १५  नम्बर रुम का दरवाज़ा बाहर से लॉक नहीं था । कमरा में आने के बाद भी मैं बग़ल के सीट में बैठे हुए आदमी. उसकी हरकतों और उसकी हिम्मत को भूल नहीं  पाई । २ घंटे से ज़्यादा मैं ने उसके कड़क मस्त लौडा को सहलाया लेकिन वो झड़ा नहीं । बेशर्म जैसा मैं उससे चूची और चूत मसलवाती रही । क़रीब पूरे समय उसने मुझे नंगा ही रखा लेकिन सिनेमा ख़त्म होने के पहले ही उसने मुझे शरीफ़ औरत बना दिया । उसने मुझे अपने रुम में आने कहा लेकिन विनोद और कपिल के रहते कैसे जा सकती थी । विनोद मुझे रात में चोदे ना चोदे लेकिन कपिल ज़रूर पूरी रात मेरी मारेगा ही । 

अचानक मुझे उसकी बात याद आई । मैंने अपना हैंड बैग खोला और तुरंत बंद कर दिया । बैग लेकर ही बाथरूम में गई। दरवाज़ा अंदर से बंद किया और बैग खोला । उसमें एक टैबलेट का स्ट्रीप था । एक कार्ड भी था । कुछ और भी था । कार्ड को उलट पलट कर पढ़ा लेकिन पढ़ कर भी विश्वास नहीं हुआ । किसी बड़ी कम्पनी का नाम लिखा था । 

कम्पनी के नाम के उपर 

“ राजीव गुप्ता, 
जी एम , मार्केटिंग “ 

लिखा था । मुझे नहीं मालूम था कि ये जी एम , मार्केटिंग क्या होता है । जो भी हो , मुझे इस राजीव से बहुत ज़्यादा प्यार हो गया , विनोद, कपिल और प्यारे से भी ज़्यादा प्यार हो गया । 

लेकिन ये राजीव है कौन ? 

सुबह साक्षात्कार के समय जिस आदमी ने विनोद से कुरेद कुरेद कर उसकी नई नवेली दुल्हन के बारे में पूछ रहा था यही राजीव था । विनोद ने अपनी नई नवेली दुल्हन की इतनी तारीफ़ की कि राजीव ने फ़ैसला कर लिया कि विनोद की नई नवेली दुल्हन को एक बार ज़रूर देखेगा । विनोद ऑफिस से बाहर निकला और राजीव ने एक पिऊन से ये पता करने कहा कि विनोद कहॉं रुका है । उस पिऊन ने बातों बातों में विनोद से ही सब मालूम किया । उसने राजीव को तुरंत सब बताया और यह भी कहा कि विनोद अपनी पत्नी के साथ होटल में है । 

राजीव ५ बजे के बाद होटल आया और क़िस्मत से उसे १५  नम्बर का रुम मिल गया । राजीव तैयार होकर नीचे आया और कुछ ही देर बाद विनोद और मंजु सिनेमा के लिए निकले । मंजु पर नज़र पड़ते ही उसे लगा कि विनोद ने जो कहा वह कुछ भी नहीं , मंजु कहीं ज़्यादा ही खुबसूरत और मस्त माल है । विनोद और मंजु के पीछे राजीव ने भी रिक्शा लिया । फिर क्या हुआ वो आप पढ़ चुके हैं । इन्टरभल में राजीव वापस होटल आया । एक चादर के साथ और ज़रूरी चीज लिया और वापस मंजु के बग़ल में बैठा । राजीव ने जितना सोचा था मंजु ने बैठे बैठे ही उसे कहीं ज़्यादा मस्ती दी । राजीव को विश्वास था कि मंजु उसके रुम में ज़रूर आयेगी ।

हमारे  रुम में घुसने के ५ मिनट बाद ही एक वेटर अफ़ज़ल आया और विनोद को बाहर बुलाकर कुछ कहा ।  ये वही वेटर था जिसने कपिल के जाने के बाद विनोद को बाहर बुला कर कुछ कहा था । मंजु ने पुछा नहीं कि वेटर ने क्या कहा । उसे राजीव के पास जाने की बेचैनी थी । एक ही दिन में तीसरे नये लंड को चूत में लेने की जल्दी थी । 

क़रीब १० मिनट बाद ही कपिल कमरे में आया और रुम को अंदर से बंद करने लगा । 

विनोद———- कपिल , मैंने कहा था ना कि अगर तुम मुझे अपनी रानी को चोदने दोगे तो आज पूरी रात सिर्फ़ तुम ही अपनी रानी को अकेले प्यार करोगे । तुम्हारे जाने के बाद मंजु ने बहुत प्यार से चुदवाया, बहुत ही मस्त किया । अब रात भर तुम अकेले ही अपनी रंडी को सँभालो । मैं अपनी रंडी के पास जा रहु

विनोद और कपिल बात कर रहे थे और मंजु ने दो ग्लास में पानी भरा । एक में राजीव ने जो टैबलेट दिया था वो डाला । जब उसने देखा कि टैबलेट घुल गया है तो वो ग्लास कपिल को दिया और दूसरा ग्लास से खुद पानी पिया । कपिल भी पुरा पानी पी गया । मंजु ने धक्का देकर विनोद को रुम से बाहर निकालते हुऐ कहा कि रात में आकर उन्हें डिस्टर्ब ना करे । 

मंजु———— सुबह ७ बजे के बाद ही आना । 

विनोद के बाहर जाते ही रुम को अंदर से बोल्ट किया और कपिल को नंगा करने लगी । कपिल नंगा हुआ । मंजु की बेचैनी देख बह बहुत गर्म हो गया । साड़ी साया को कमर के उपर उठाया । ब्लाउज़ के उपर से चूची को मसलते हुए चूत में लौडा पेलने लगा और पहले जैसा ही खुब रगड़ रगड़ कर चोदा । मंजु की हरकतों ने ज़्यादा बेचैन कर दिया था । ४० नहीं २५ मिनट की चुदाई होते होते झड़ गया । 

लेकिन मंजु ने चुदाई की बहुत तारीफ़ की । 

मंजु ————— कपिल, विनोद से मेरी शादी हुई है लेकिन मेरा असल घरवाला तु ही है। विनोद को चोदना आता ही नहीं लेकिन राजा तु ने मस्त कर दिया । अभी थोड़ा देर आराम कर लें फिर और भी मज़ा दूँगी । 

मंजु बात करते हुए कपिल को सहलाती रही और कपिल सो गया । दस मिनट बाद उसे बहुत हिला डुला कर  देखा । सॉंस चल रही थी दिल दौड़ रहा था वाक़ी कोई और हरकत नहीं । 

निश्चित कर कि कपिल सो गया है बाथरूम जाकर चूत को बढिया से साफ़ किया । नया सेट कपड़े निकाल कर पहने । थोड़ा मेकअप किया । ११.३० हो रहा था । बाहर निकल चारों ओर देखा कहीं कोई नहीं था । एक बार फिर कपिल को हिलाया लेकिन वो बेहोश था । 

मैं बाहर निकली और बाहर से लॉक लगाया । और किसी ने मुझे गोदी में उठा लिया । 

मैंने देखा राजीव था बिलकुल नंगा ।

मंजु ——— हमेशा ऐसे ही नंगा रहते हो ! और अगर विनोद मर जायेगा तो मैं कहॉं जाऊँगी ? 

राजीव मुझे गोदी में उठाये अपने रुम में ले गया । मुझे बेड पर बिठाया और रुम को अंदर से बंद किया । मेरी गोदी में अपना माथा रखा । 

राजीव—————- एक तो उस एक गोली से कोई नहीं मरता । लेकिन अगर तुम्हें विनोद को कभी मारना ही तो ८-१० गोली एक साथ खिला देना । २-३ घंटा मे ही मर जायेगा । अगर एक ही गोली खिलाया है तो कम से कम ७ घंटा गहरी नींद में सोयेगा । इतना ही नहीं सुबह तुम उसे जो बोलोगी सब मान लेगा । अगर कहोगी कि उसने तुम्हें लगातार २-३ घंटा चोदा , गॉंड मारी सब मान लेगा । रानी तुम से बढिया लड़की अब तक मैं ने नहीं देखी । 

मंजु बहुत प्यार से राजीव के बालों में अपनी अंगुलियों को चला रही थी । 

मंजु ———— तुम्हें इतने बड़े शहर में अपनी बेटी ही मिली बरबाद करने के लिए , तुम मेरे बाबूजी से भी २-३ साल बड़े होंगे । अभी मेरी शादी को एक महिना भी …..

राजीव———- एक महिना नहीं , सिर्फ़ १५ रात पहले ही शादी हुई है । 

मंजु———— राजीव, मैं तुम्हें अभी पहली बार ही ठीक से देख रही हूँ । तुम्हें  नहीं पहचानती फिर तुम हमारा नाम, कब शादी हुई सब जानते हो कैसे ? 

राजीव——— खुबसूरत परी , हम दोनों का जन्म जन्म का रिश्ता है । जल्दी तुम्हें सब मालूम हो जायेगा । अब समय मत बरबाद करो मुझे प्यार करने दो मुझे प्यार करो । आज सिनेमा हॉल में तुमने जो मस्ती दी वो मेरी पत्नी ने हमारी शादी के २० सालों में भी नहीं दी । 

मंजु ————- सिनेमा में मैंने कुछ नहीं किया जो किया सब तुमने किया । मुझे तुमसे कोई प्यार-वार नहीं हो गया , तुम्हारी हिम्मत ही मुझे यहाँ इस रुम में ले आई । जैसा तुमने मेरे साथ किया वैसा अगर तुम अपनी बेटी या बहन या किसी के भी साथ करते तो वो भी तुम्हारे रुम में आ जाती । हर औरत हिम्मत दिखाने बाले मर्दों को सबसे ज़्यादा पसंद करती है । 

मंजु ने जब कहा कि वो उससे प्यार नहीं करती तो राजीव को दुख हुआ । 

राजीव—।  ठीक है मुझे प्यार नहीं करती तो मत करो लेकिन बंद कमरे में औरत जो मर्दों के साथ करती है वो तो करो । अगर नहीं कुछ करना है तो विनोद के पास वापस जाओ । मुझे जो करना था वो मैंने हॉल में कर दिया । अब तुम्हारी मर्ज़ी । 

पति के अलावा २ और लंड से चुदवाया था लेकिन थी तो मासूम । 

मंजु ———— तुम्हारी हिम्मत और हरकतों ने मुझे इतना प्रभावित किया कि पति को ज़हर खिलाकर तुम्हारे पास आई । मुझे मर्द और औरत के बीच एक ही बात मालूम है जो विनोद करता है । मुझे नहीं मालूम कि औरत बंद कमरे में मर्द के साथ और क्या करती है । 

राजीव समझ गया कि इसकी शादी हो गई है लेकिन लंड और बूर के सिवा इसे और कुछ नहीं मालूम । मंजु के माथा को दोनों हाथों से पकड़ कर झुकाया और तीन चार बार होंठों को खुब बढिया से चूसा , चूमा । 

मंजु ने धीरे से कहा - 

“ विनोद ने कभी ऐसा नहीं किया बहुत बढिया किया तुमने , फिर से चुम्मा लो । “ 
 
राजीव ने सही समझा  कि चुदाई के सिबा इस लड़की को सेक्स का और कोई अनुभव नहीं है । 

राजीव——- इस कमरे में सिर्फ़ हम दो हैं । मैं ने भी तुम्हारे नंगे बदन को सहलाया और तुमने भी । हम दोनों पति पत्नी जैसे ही है । शरम मत करो । बिनोद ने अब तक तुम्हारे साथ क्या क्या किया है?  

मंजु कुछ देर राजीव को देखते हुए विनोद, प्यारे और कपिल से साथ हुई चुदाई को याद किया । थोड़ी बदन मालिश के अलावा तीनों ने सिर्फ़ चूत में लंड ही पेला । 

मंजु ने आँचल से चेहरा ढक लिया और धीरे से बोली , 

मंजु————- तुम बहुत ही बेशर्म आदमी हो , तुम्हें सब मालूम है फिर भी पूछ रहे हो । मुझे भी अपने जैसा ही बेशर्म बना रहे हो । जैसा सब मर्द करते हैं विनोद भी वही करता है । चूत में लंड पेलता है , थोड़ा चूची मसलता है और चुम्मा लेता है लेकिन तुम्हारे जैसा नहीं । तुमने चुम्मा लिया तो बहुत ही बढ़िया लगा । 

राजीव———- और कुछ नहीं करता , तुम कुछ नहीं करती ! 

मंजु ने सर हिलाकर कहा “नहीं “ ! 

मंजु——— मैंने कभी नहीं सुना कि औरत भी कुछ करती है । 

राजीव चुप रहा और धीरे धीरे मंजु के कपड़े खोलने लगा । मंजु चुप चाप लेटी रही । सारे कपड़े उतार कर खुद उसके बग़ल में लेट गया । 

राजीव——- अब बहुत ही धीरे-धीरे मुझे नंगा करो । नंगा करते करते जहां भी चाहो, जैसा चाहो मेरे बदन को सहलाओ, सहलाती रहो  । 

उसकी बात सुन मैं बहुत ज़ोर से हंसी । उसके लौडा को खुब ज़ोर से दवाती रही । 

मंजु ———— बेटीचोद , आधा घंटा से अपना मुसल  जैसा लौडा दिखाकर डरा रहे हो और अब बोलते हो की नंगा कर दो । चाकू निकालो , चमड़ी छील कर और नंगा कर देती हूँ । 

मालूम नहीं मुझे क्या हुआ । शायद उसके खुबसूरत लौडा ने मुझे आकर्षित किया या मैं खुद चाहती थी , लौडा को नीचे से पकड़ उसके उपरी हिस्से को अपने दोनों होंठों के बीच क़रीब एक मिनट ही रखा और फिर अपने ही हाथों से अपना चेहरा ढक लिया । 

मंजु की खिलखिलाहट सुन राजीव का दिल बाग बाग हो गया । दिल ख़ुश हो गया । मंजु ने जो चमड़ी छिलने की बात की वह मज़ाक़ भी बढिया लगा और अभी एक मिनट लौडा चुस कर मुँह ढकने की अदा ने राजीव को मंजु का दिवाना बना दिया । राजीव ने सही समझा कि मंजु ने पहली बार ही लौडा को मुँह में लिया । वो बिस्तर पर सीधा लेटा और मंजु को अपने उपर लिया । दोनों हाथों और जाँघों से मंजु को क़रीब २ मिनट तक खुब कस कर बाँध कर रखा । 

“ आह, मर गई “ 

अपनी पकड़ ढीली की । 

मंजु ——— सिर्फ़ देखने में ही नहीं सच बहुत ताक़तवर हो । सारीं हड्डी पसली टूट गई । 

राजीव——— जब मैं कॉलेज में था तभी मुझे अपने ही क्लास की एक लड़की से दोस्ती हो गई । हम बड़े होते गये और हमारी दोस्ती प्यार में बदल गया । एक दूसरे को चुमने भी लगे । हम साथ ही कॉलेज से पास हुए । मैं ने मैनेजमेंट का कोर्स शुरू किया लेकिन रोज़ उसके घर जाता रहा । मैं ने उसके मॉं बाप से कह दिया कि मैं संपा से ही शादी करुगॉं । हमें मौक़ा मिला ।उस दिन घर में और कोई नही था ।  हम दोनों नंगे हुए और पहली बार में ही संपा ने मेरा लौडा आधा घंटा से ज़्यादा चूसा , मैं ने भी उसकी झॉंटों भरी चूत को बहुत देर तक चूसा चाटा और उसके बाद हमने पहले ही दिन उसके घर में ही दो बार चुदाई कि । फिर अगले ६ महिना तक उसके घर में सब रहते थे फिर भी महिना में २-३ बार हम खुब मस्ती मारते थे । हमारा बूर और लौडा चुसने का समय बढ़ता गया । ६ महिना होते होते वो एक घंटा से ज़्यादा लौडा चुसती थी और मुझे भी बहुत बहुत देर तक बूर चूसने में मज़ा आने लगा । 

मुझे उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ । तीनों आदमी ने , जिसने मुझे चोदा , ना किसी ने चूत ही चाटी  ना ही किसी ने लौडा चूसने ही कहा । मैं राजीव के उपर से उतर बग़ल में लेट गई । 

मंजु ——— एक नम्बर के झूठे हो । एक घंटा क्या कोई एक मिनट भी बूर को चूस नहीं सकता । कितना गंदा गंध होता है , और लौडा भी कोई चूसती है क्या ? पता नहीं मैंने क्यों इस लौडा में मुँह लगाया । 

राजीव ने उसकी बात सुनी । बिना कुछ बोले मंजु के जॉंघों के बीच बैठा । झॉंट को अंगुली से फैला कर दॉंत से चूत की घुंडी को पकड़ कर उपर खिंचा । मंजु सिसकारी नहीं रोक पाई । 

“ आह “ 

राजीव बहुत खेला खाया आदमी था । कमसिन, मंजु जैसी जवान लड़की से लेकर ५० साल की औरतों के साथ खेलता था । और चुदाई से ज़्यादा उसे बूर चूसना, लौडा चूसाना ज़्यादा पसंद था । एक घंटा बूर चूसना उसके लिए एक खेल था । अपने काम में माहिर था । अंगुलियों से, जीभ से, ओंठों से मंजु के चुत से खेलने लगा । दस मिनट होते होते मंजु साँप के जैसा आवाज़ निकालने लगी । उसकी पूरा बदन मस्ती की हिलकोरे  लेने लगा । राजीव ने जब चूत की पत्तियों को चुभलाते हुए दो अंगुली एक साथ चूत में घुसाकर बहुत तेज़ी से चोदने लगा तो मंजु अपना होसो हवास खो बैठी । ज़ोर से चिल्ला कर बोली , 

“ सारी मस्ती तुम ही लोगे क्या ? अगर तुम्हारी घर बाली को लौडा चूसना बढिया लगता है तो मुझे भी लगेगा । अपना लौडा चूसने दो । “ 

बिना चूत से मुँह हटाये राजीव उल्टा हुआ , मंजु के मुँह पर ८ इंच से ज़्यादा लंबा और प्यारे के लंड से भी मोटा लौडा झलने लगा । मंजु ने देर नहीं की । एक हाथ से पकड़ लौडा के उपरी २-३ इंच लम्बाई को चूसने लगी और ५-७ मिनट के अंदर ही पूरा लौडा को मुँह में भरा । जब उसका दम घुटने लगा तो आँधी लंबाई को बाहर निकाला । कुछ देर लौडा को ऐसे ही अंदर बाहर करती रही फिर ओठों से लौडा को पकड़ उपरी ३-४ इंच लम्बाई को प्यार से चूसने लगी । मंजु ने १०-१२ मिनट ही चूसा होगा कि राजीव को लगा कि लौडा पर मंजु के ओंठों की पकड़ दूसरी किसी भी औरत से ज़्यादा है । उसे लगा कि वह झड़ जायेगा । 

मंजु के मुँह से लौडा अलग किया , उसके बॉडी पर सीधा हुआ । एक हाथ से लौडा को बूर के छेद पर दबाया और दूसरे हाथ से मंजु के एक कंधा को पकड़ पूरी ताक़त से पेला । 

“ उई मॉं मर गई .. मज़ा आ गया । “ 

राजीव ने धक्का लगाते हुऐ मंजु के चेहरे और ऑंखों में देखा । चेहरे पर मुस्कुराहट और ऑंखों में मस्ती के लाल डोरे तैर रहे थे । साफ़ दिख रहा था कि मंजु बहुत ही ज़्यादा खुश है । राजीव पूरी ताक़त से लेकिन आराम से पेलता रहा । 

राजीव——- खुबसूरत परी, बहुत ही प्यारी हो रानी । 

मंजु भी चुत्तर उचका कर हर धक्कों का जबाब दे रही थी । 

मंजु—— और तुम दुनिया के सबसे बड़े हरामी बेटी चोद हो । आज अपनी बेटी के उम्र की लड़की को चोद कर मस्त कर रहे हो तो कल जरुर ही अपनी सगी बेटी को भी चोदोगे। तुम दोनों ने शादी की कि नहीं या उसे बर्बाद करके छोड़ दिया ।उफ़ राजीव, मस्त कर दिया तुमने । ये मेरी सॉंतवीं चुदाई है लेकिन लगता है कि पहली बार ही लौडा चूत में घुसा है । बहुत मज़ा आ रहा है यार । 

अपनी बेटी के उम्र की लड़की सेअपनी चुदाई की तारीफ़ सुन राजीव बहुत खुश हुआ। और क़रीब २० मिनट दोनों ने एक दूसरे को रगड़ते , मसलते दबाते हुए जमकर चुदाई की । फिर चुदाई की स्पीड कम कर कहानी सुनाने लगा । 

राजीव——— रानी , सिर्फ़ तुम्हारे सामने ही नहीं कह रहा हूँ , जितनी मस्ती से तुम चुदवा रही हो , जो मज़ा अभी मुझे मिल रहा है वैसा मज़ा पहले किसी के साथ नहीं आया था , संपा के साथ भी नहीं । हमारी पहली चुदाई के क़रीब एक साल बाद बड़े घुमघाम से हम दोनों की शादी हुई और अगला दस  साल बहुत ही बढ़िया गुजरा । ६ साल के अंदर संपा ने मुझे दो बच्चे दिए , पहले बेटा और ३ साल बाद एक बेटी । मेरी बेटी मायुरी अभी तुम्हारी ही उम्र की , १८ साल की ही है । सब बहुत बढिया चल रहा था लेकिन एक रात सब कुछ बरबाद हो गया । 

आगे और भी है,,,, अगले भाग में 



 
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RE: SAAHAB, AAPKI PATNI KEE CHOOT SABSE PYARI HAI - by bhukhalund - 10-09-2022, 11:38 PM



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