26-12-2018, 10:16 AM
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उसके घर की कुटिया में एक मिट्टी की सुराही रखी हुई थी जिसमें पानी था, उसने पहले सुराई के अंदर झांक के देखा कि पानी है कि नहीं... उसमें पानी था फिर उसने पास रखे एक लोटे को उठाया उसके अंदर देखा और फिर उसने उस लोटे में सुराही से पानी डाला और मेरे पास ले आया|
मैं उकड़ू होकर जमीन पर बैठ गई और फिर प्लास्टिक के बैग में से बोतल निकाली और फिर प्लास्टिक के गिलास में भिखारी के लिए थोड़ी ज्यादा शराब डाली और अपने लिए थोड़ी कम, फिर उसने पानी मिलाया और भिखारी का गिलास मैंने उसकी तरफ बढ़ा दिया| भिखारी भी मेरे सामने उकड़ू होकर बैठ गया और उसने मेरे हाथ से गिलास लिया| मैंने उसकी तरफ गिलास उठाकर कहा, “चियर्स..”
भिखारी मुस्कुराया और उसने दोबारा अपनी रूखी-सूखी उंगली से मेरी यौनांग में हाथ फेरा| इस बार मेरे पूरे बदन में एक गुदगुदी सी महसूस हुई मेरे अंदर सेक्स चढ़ता जा रहा था... लेकिन मेरी अंतरात्मा बार बार मुझसे कह रही थी, ‘अरे पगली इस भिखारी को शराब पिला पिला कर बेहोश कर दे और भाग जा यहाँ से... यह अपने लंड से तुझे फाड़ कर तेरे दो टुकड़े कर डालेगा...’
मैंने शराब के गिलास से घूँट ली और भिखारी एक ही बार में करीब आधा गिलास शराब गटक गया... पर शराब का घूँट पीते ही मुझे उल्टी सी आने को हुई... ऐसा पहले कभी नही हुआ था... मैने प्लास्टिक के पैकेट से सिगरेट और माचिस निकाल कर एक सिगरेट जलाई| भखारी ने कहा, “यह सिगरेट मुझे दे दे... इसको तूने खुद अपने होठों से लगा कर जलाया है...”
मैने सिगरेट का एक लंबा सा काश लिया और सिगरेट उसको थमा दी, और पैकेट में से दूसरी सिगतेर निकाल कर उसे जलाया और एक लंबा सा काश लिया|
भिखारी भी सिगरेट के लंबे लंबे काश ले रहा था| उसने हाथ बढ़ा कर मेरे स्तनों को सहलाने लगा... और हल्के हल्के दबा दबा कर देखने लगा... मुझे यह सब अच्छा ही लग रहा था... फिर बोला, “तू पी क्यों नही रही?”
“जी, कुछ नही, ऐसे ही”, मैने प्लास्टिक में से निरोध का पैकेट निकाल कर उसकी तरफ़ फैंका... और मैने भी शराब का बड़ा सा घूँट पिया| इस बार दुबारा मुझे फिर उल्टी सी आने को हुई और मेरा सर चकराने लगा... इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मुझे लगा की पूरी दुनिया मेरे आँखों के सामने घूम रही है और मैं धड़ाम से फर्श पर लुढ़क गई…
उसके बाद मैने देखा कि भखारी मुस्कुरा रहा था और बड़े मज़े से सिगरेट का काश और शराब पिए जा रहा था| उसने अपना गिलास ख़तम किया और फिर उसने शराब की बोतल उठाई और उसमें अपना मूह लगा कर एक ही साँस में काफ़ी सारा शराब यूँ ही पी गया| उसके बाद वह घुटनों के बल रेंगते हुए मेरी तरफ बढ़ने लगा... कहाँ तो मैं इस भिखारी को बेवकूफ़ समझ रही थी और इसको थोड़ा बहला फुसला कर थोडी मस्ती लेना चाहती थी... पर यह क्या हुआ?
मेरे अंदर जो बची खुची चेतना थी उसको इकठ्ठा करके इसबार उठ कर भागने को हुई... पर मैं उठ नही पा रही थी...बस मुझे सिर्फ़ इतना याद है कि मैने देखा भखारी निरोध का पैकेट फाड़ कर अपने लिंग पर चढ़ा रहा था... उसके बाद मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया...
क्रमश:
उसके घर की कुटिया में एक मिट्टी की सुराही रखी हुई थी जिसमें पानी था, उसने पहले सुराई के अंदर झांक के देखा कि पानी है कि नहीं... उसमें पानी था फिर उसने पास रखे एक लोटे को उठाया उसके अंदर देखा और फिर उसने उस लोटे में सुराही से पानी डाला और मेरे पास ले आया|
मैं उकड़ू होकर जमीन पर बैठ गई और फिर प्लास्टिक के बैग में से बोतल निकाली और फिर प्लास्टिक के गिलास में भिखारी के लिए थोड़ी ज्यादा शराब डाली और अपने लिए थोड़ी कम, फिर उसने पानी मिलाया और भिखारी का गिलास मैंने उसकी तरफ बढ़ा दिया| भिखारी भी मेरे सामने उकड़ू होकर बैठ गया और उसने मेरे हाथ से गिलास लिया| मैंने उसकी तरफ गिलास उठाकर कहा, “चियर्स..”
भिखारी मुस्कुराया और उसने दोबारा अपनी रूखी-सूखी उंगली से मेरी यौनांग में हाथ फेरा| इस बार मेरे पूरे बदन में एक गुदगुदी सी महसूस हुई मेरे अंदर सेक्स चढ़ता जा रहा था... लेकिन मेरी अंतरात्मा बार बार मुझसे कह रही थी, ‘अरे पगली इस भिखारी को शराब पिला पिला कर बेहोश कर दे और भाग जा यहाँ से... यह अपने लंड से तुझे फाड़ कर तेरे दो टुकड़े कर डालेगा...’
मैंने शराब के गिलास से घूँट ली और भिखारी एक ही बार में करीब आधा गिलास शराब गटक गया... पर शराब का घूँट पीते ही मुझे उल्टी सी आने को हुई... ऐसा पहले कभी नही हुआ था... मैने प्लास्टिक के पैकेट से सिगरेट और माचिस निकाल कर एक सिगरेट जलाई| भखारी ने कहा, “यह सिगरेट मुझे दे दे... इसको तूने खुद अपने होठों से लगा कर जलाया है...”
मैने सिगरेट का एक लंबा सा काश लिया और सिगरेट उसको थमा दी, और पैकेट में से दूसरी सिगतेर निकाल कर उसे जलाया और एक लंबा सा काश लिया|
भिखारी भी सिगरेट के लंबे लंबे काश ले रहा था| उसने हाथ बढ़ा कर मेरे स्तनों को सहलाने लगा... और हल्के हल्के दबा दबा कर देखने लगा... मुझे यह सब अच्छा ही लग रहा था... फिर बोला, “तू पी क्यों नही रही?”
“जी, कुछ नही, ऐसे ही”, मैने प्लास्टिक में से निरोध का पैकेट निकाल कर उसकी तरफ़ फैंका... और मैने भी शराब का बड़ा सा घूँट पिया| इस बार दुबारा मुझे फिर उल्टी सी आने को हुई और मेरा सर चकराने लगा... इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मुझे लगा की पूरी दुनिया मेरे आँखों के सामने घूम रही है और मैं धड़ाम से फर्श पर लुढ़क गई…
उसके बाद मैने देखा कि भखारी मुस्कुरा रहा था और बड़े मज़े से सिगरेट का काश और शराब पिए जा रहा था| उसने अपना गिलास ख़तम किया और फिर उसने शराब की बोतल उठाई और उसमें अपना मूह लगा कर एक ही साँस में काफ़ी सारा शराब यूँ ही पी गया| उसके बाद वह घुटनों के बल रेंगते हुए मेरी तरफ बढ़ने लगा... कहाँ तो मैं इस भिखारी को बेवकूफ़ समझ रही थी और इसको थोड़ा बहला फुसला कर थोडी मस्ती लेना चाहती थी... पर यह क्या हुआ?
मेरे अंदर जो बची खुची चेतना थी उसको इकठ्ठा करके इसबार उठ कर भागने को हुई... पर मैं उठ नही पा रही थी...बस मुझे सिर्फ़ इतना याद है कि मैने देखा भखारी निरोध का पैकेट फाड़ कर अपने लिंग पर चढ़ा रहा था... उसके बाद मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया...
क्रमश:
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