09-09-2022, 05:09 PM
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 18
अंतरंग हमसफ़र
नाश्ता ख़त्म करने के बाद हमने मंदिर में जाने का फ़ैसला किया और महर्षि अमर मुनि गुरूजी की आज्ञा अनुसार दूध और दही से लिंग महाराज और कुलदेव का विधि पूर्वक पूजन किया और गऊ के लिए रोटी, चींटी के लिए आटा और अनाज दाल, पक्षियों के लिए अनाज और आटे की गोली और कुछ रोटी घी और चीनी इस सभी का दान दिया ।
मंदिर से आते हुए मैं सोच ही रहा था ... मेरी पहले अन्य महबूबाओं के अतिरिक्त मेरी चार स्थायी प्रेमिकाए पहले ही हैं रोज़ी रूबी मोना और टीना—इनकी कहानी आप मेरी इस फोरम पर अन्य कहानी मेरे अंतरंग हमसफ़र में पढ़ ही रहे हैं और गुजरात आने के बाद मेरे सेक्स जीवन ने कैसी जबरदस्त करवट ली है
सबसे पहले यहाँ मेरे सम्बन्ध मेरे सेविका आशा से बने ... फिर मानवी भाभी उसके बाद मेरे सम्बन्ध रुसी सुंदरी ऐना से बने, फिर मैंने रुपाली भाबी, ईशा। चेरी और हेमंती और कामिनी के साथ सम्भोग किया
और अभी मुझसे चुदने को कामिनी की तीनो बहने जो वृद्ध हीरा की पत्निया थी, हेमा, रीती, मरीना, लिली, डेजी, रीती, प्रियंवदा, ऐश्वर्या भाभी और अन्य चारो भाभियाँ हैं ...
वापिस आये तो मैंने कामिनी और उसकी तीनो बहनो रजनी चांदनी और मोहिनी तथा बाबा की चारो बेटिया मीना, मधु सोना और सबसे छोटी रौशनी का परिचय माँ। पिताजी, महाराज और ताईजी से करवाया और उनको बताया कैसे इनकी जिम्मेदारी बाबा ने मुझे सौंप दी है और अब ये मेरे साथ ही रहेंगी ... इससे पहले की घर का कोई सदस्य कुछ कहता मैंने उन सबको मानसिक तौर पर इनका परिवार में स्वागत करने को त्यार कर दिया और सभी मेरे पास खड़ी हो गयी ... तो मैंने ईशारा किया तो सबने माँ। पिताजी, महाराज और ताईजी के चरण छू कर अभिनन्दन किया और आशीर्वाद लिया ... तो मैंने कहा हम एक बार हॉस्पिटल में उन वृद्ध हीरा की तबीयत के बारे में पता करने के बाद बाज़ार हो कर आते हैं, मैं इन्हे कपडे और ड्रेसेस दिलवा देता हूँ
यदि मेरे प्रवृति जैसे किसी को ऐसी शक्तिया मिले तो उसे सबसे पहला ख़्याल क्या आएगा । मैं ये ही सोच रहा था की इस बीच राजमाता कामिनी उसकी बहनो और लड़कियों को बोली आप सभी अस्पताल जाने से पहले अपने वस्त्र बदल ले उनकी व्यवस्था कुमार की सचिव हेमा कर देगी । और उनके ठहरने की व्यबस्था रानीवास में करने का निर्देश मेरी सचिव को और महाराज के सचिव को दे दिया ...
तो पिता महाराज बोले आप हॉस्पिटल और बाज़ार बाद में चले जाना अभी राज पुरोहित जी आ रहे हैं आज विवाह संकल्प लिया जाना है और उसके बाद कुछ ज़रूरी पारिवारिक रस्मे जो विवाह के समय करनी होती हैं उन्हें पूरा कर लेंगे और उनमे सभी की उपस्थिति ज़रूरी होगी ।
उसके बाद राज पौरोहित ने छोटा-सा यज्ञ कर पिताजी और महाराज से विवाह संकल्प करवाया और सब परिवार वालो ने पूजा की और उसके बाद सब महिलाओ ने कुछ रीती रिवाज़ पूरे किये ... शेष रीती रिवाज़ सायकाल में किये जाने थे जिसमे मेरी उपस्थिति परिवार का सदस्य होने के नाते आवश्यक थी ...
पूजा समाप्त होने के बाद कामिनी मेरे पास आयी और बोली हम सब हॉस्पिटल में बाबा से एक बार मिलने के बाद अपने निवास स्थान वापिस जा कर अपना कुछ सामान लाना चाहती हैं और जैसा की बाबा ने निर्देश दिया था आपको भी एक बार वहाँ आना होगा ... उस समय भाई महाराज भी मेरे समीप ही खड़े थे ...
वो स्थान सूरत के पास था जहाँ जाने में सड़क मार्ग से लगभग 2-3 घंटे लगते थे और फिर वापिस आने के लिए आज समय अपर्याप्त लग रहा था तो मैंने उन्हें सुझाव दिया वह आज दोपहर में चली जाए मैं कुछ देर बाद रस्मे पूरी करके साय काल में उन्हें लेने आ जाऊँगा ... और इसकी व्यवस्था करने के लिए मैंने हेमा को बुलाया तो भाई महाराज बोले आने जाने की व्यवस्था हम हेलीकाप्टर से करवा देते हैं ... आप साथ ही चले जाओ और जल्दी से लौट आओ ...
हेमा मेरे पास आ कर बोली ... जब आप लोग पूजा कर रहे थे तो हॉस्पिटल से आपके लिए फ़ोन आया था और उन्होंने बताया हीरा बाबा अब काफ़ी स्वस्थ हो गए थे और वह छुट्टी करवा कर चले गए हैं और उन्होंने अपने परिवार को बोला है मेरी चिंता मत करो अब मैं अपनी साधना करूंगा और आप दीपक के साथ ही रहना और मेरे लिए सन्देश भेजा हैं की मुझे एक बार इनके साथ बाबा के निवास पर जाना होगा ... ये सन्देश सुन कर भी उनका पूरा परिवार शांत रहा
मैं सोचने लगा किसी ने के साथ यदि ऐसा होता तो वह कितना आंदोलित होता परेशान होता और उसकी पत्नि और बेटिया तो निश्चित तौर पर रोने लगती क्योंकि उनका पति और पिता अब उन्हें हनेशा के लिए छोड़ कर चला गया था ... पर वह सब की सब शांत थी ... निश्चित तौर पर हीरा बाबा ने उन्हें अंगूठी के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पहले ही मानसिक तौर पर इसके लिए त्यार कर दिया था ...
फिर मैंने जब पिताजी और भाई महाराज से प्रस्थान की आज्ञा मांगी तो पिताजी ने आज्ञा दे दी और अपने माँ पिताजी और राजमाता अपने कक्ष में विश्राम के लिए चले गए
भाई महाराज एकांत में मुझे बोलै की ये सब लड़किया बहुत सुन्दर हैं और मुझे उन्हें अपने पास ही रखना चाहिए ... ऐसा निर्मल और कोमल सौंदर्य अन्यत्र ढूँढने के लिए मुझे काफ़ी प्रयत्न करना होगा और अब मुझे अपने लिए रानिवास (हरम) भी बनवा लेना चाहिए और इसके लिए मुझे जो भी धन चाहिए वह कोषाध्यक्ष से लेने की आज्ञा दी ...
और फिर महाराज ने आज्ञा दी की अपनी सचिव हेमा और- अंगरक्षिका मरीना को भी साथ ले कर जाओ और सांयकाल से पहले लौट आना ... और कुछ अन्य सेवक भी ले जाओ
तो इस पर कामिनी बोली अन्य सेवको की आवश्यकता नहीं है ... वहाँ सब व्यवस्था है और उसने महाराज को भी वहाँ पधारने के लिए आमंत्रित किया ...
जिस पर महाराज बोले विवाह संकल्प लेने के बाद हमारे परिवार की परम्परा में वर को अन्य कार्य करने निषिद्ध हैं । बाद में कभी मेरे साथ अवश्य आएंगे.
उसके बाद मैं अपनी सचिव हेमा अंगरक्षिका मरीना और हीरा की पत्नियों और पुत्रियों के साथ विमान की और रवाना हो गया.
अब मुझे अंगूठी की शक्तियों का क्या, कैसे और किस पर प्रयोग करना चाहिए । मैं रास्ते में ये ही सोच रहा था ... वायु मार्ग से कामिनी ने जो रास्ता बताया वह छोटा ही था ... जल्द ही हम वृद्ध हीरा के निवास के पास पहुँच गए ...
जारी रहेगी
VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 18
अंतरंग हमसफ़र
नाश्ता ख़त्म करने के बाद हमने मंदिर में जाने का फ़ैसला किया और महर्षि अमर मुनि गुरूजी की आज्ञा अनुसार दूध और दही से लिंग महाराज और कुलदेव का विधि पूर्वक पूजन किया और गऊ के लिए रोटी, चींटी के लिए आटा और अनाज दाल, पक्षियों के लिए अनाज और आटे की गोली और कुछ रोटी घी और चीनी इस सभी का दान दिया ।
मंदिर से आते हुए मैं सोच ही रहा था ... मेरी पहले अन्य महबूबाओं के अतिरिक्त मेरी चार स्थायी प्रेमिकाए पहले ही हैं रोज़ी रूबी मोना और टीना—इनकी कहानी आप मेरी इस फोरम पर अन्य कहानी मेरे अंतरंग हमसफ़र में पढ़ ही रहे हैं और गुजरात आने के बाद मेरे सेक्स जीवन ने कैसी जबरदस्त करवट ली है
सबसे पहले यहाँ मेरे सम्बन्ध मेरे सेविका आशा से बने ... फिर मानवी भाभी उसके बाद मेरे सम्बन्ध रुसी सुंदरी ऐना से बने, फिर मैंने रुपाली भाबी, ईशा। चेरी और हेमंती और कामिनी के साथ सम्भोग किया
और अभी मुझसे चुदने को कामिनी की तीनो बहने जो वृद्ध हीरा की पत्निया थी, हेमा, रीती, मरीना, लिली, डेजी, रीती, प्रियंवदा, ऐश्वर्या भाभी और अन्य चारो भाभियाँ हैं ...
वापिस आये तो मैंने कामिनी और उसकी तीनो बहनो रजनी चांदनी और मोहिनी तथा बाबा की चारो बेटिया मीना, मधु सोना और सबसे छोटी रौशनी का परिचय माँ। पिताजी, महाराज और ताईजी से करवाया और उनको बताया कैसे इनकी जिम्मेदारी बाबा ने मुझे सौंप दी है और अब ये मेरे साथ ही रहेंगी ... इससे पहले की घर का कोई सदस्य कुछ कहता मैंने उन सबको मानसिक तौर पर इनका परिवार में स्वागत करने को त्यार कर दिया और सभी मेरे पास खड़ी हो गयी ... तो मैंने ईशारा किया तो सबने माँ। पिताजी, महाराज और ताईजी के चरण छू कर अभिनन्दन किया और आशीर्वाद लिया ... तो मैंने कहा हम एक बार हॉस्पिटल में उन वृद्ध हीरा की तबीयत के बारे में पता करने के बाद बाज़ार हो कर आते हैं, मैं इन्हे कपडे और ड्रेसेस दिलवा देता हूँ
यदि मेरे प्रवृति जैसे किसी को ऐसी शक्तिया मिले तो उसे सबसे पहला ख़्याल क्या आएगा । मैं ये ही सोच रहा था की इस बीच राजमाता कामिनी उसकी बहनो और लड़कियों को बोली आप सभी अस्पताल जाने से पहले अपने वस्त्र बदल ले उनकी व्यवस्था कुमार की सचिव हेमा कर देगी । और उनके ठहरने की व्यबस्था रानीवास में करने का निर्देश मेरी सचिव को और महाराज के सचिव को दे दिया ...
तो पिता महाराज बोले आप हॉस्पिटल और बाज़ार बाद में चले जाना अभी राज पुरोहित जी आ रहे हैं आज विवाह संकल्प लिया जाना है और उसके बाद कुछ ज़रूरी पारिवारिक रस्मे जो विवाह के समय करनी होती हैं उन्हें पूरा कर लेंगे और उनमे सभी की उपस्थिति ज़रूरी होगी ।
उसके बाद राज पौरोहित ने छोटा-सा यज्ञ कर पिताजी और महाराज से विवाह संकल्प करवाया और सब परिवार वालो ने पूजा की और उसके बाद सब महिलाओ ने कुछ रीती रिवाज़ पूरे किये ... शेष रीती रिवाज़ सायकाल में किये जाने थे जिसमे मेरी उपस्थिति परिवार का सदस्य होने के नाते आवश्यक थी ...
पूजा समाप्त होने के बाद कामिनी मेरे पास आयी और बोली हम सब हॉस्पिटल में बाबा से एक बार मिलने के बाद अपने निवास स्थान वापिस जा कर अपना कुछ सामान लाना चाहती हैं और जैसा की बाबा ने निर्देश दिया था आपको भी एक बार वहाँ आना होगा ... उस समय भाई महाराज भी मेरे समीप ही खड़े थे ...
वो स्थान सूरत के पास था जहाँ जाने में सड़क मार्ग से लगभग 2-3 घंटे लगते थे और फिर वापिस आने के लिए आज समय अपर्याप्त लग रहा था तो मैंने उन्हें सुझाव दिया वह आज दोपहर में चली जाए मैं कुछ देर बाद रस्मे पूरी करके साय काल में उन्हें लेने आ जाऊँगा ... और इसकी व्यवस्था करने के लिए मैंने हेमा को बुलाया तो भाई महाराज बोले आने जाने की व्यवस्था हम हेलीकाप्टर से करवा देते हैं ... आप साथ ही चले जाओ और जल्दी से लौट आओ ...
हेमा मेरे पास आ कर बोली ... जब आप लोग पूजा कर रहे थे तो हॉस्पिटल से आपके लिए फ़ोन आया था और उन्होंने बताया हीरा बाबा अब काफ़ी स्वस्थ हो गए थे और वह छुट्टी करवा कर चले गए हैं और उन्होंने अपने परिवार को बोला है मेरी चिंता मत करो अब मैं अपनी साधना करूंगा और आप दीपक के साथ ही रहना और मेरे लिए सन्देश भेजा हैं की मुझे एक बार इनके साथ बाबा के निवास पर जाना होगा ... ये सन्देश सुन कर भी उनका पूरा परिवार शांत रहा
मैं सोचने लगा किसी ने के साथ यदि ऐसा होता तो वह कितना आंदोलित होता परेशान होता और उसकी पत्नि और बेटिया तो निश्चित तौर पर रोने लगती क्योंकि उनका पति और पिता अब उन्हें हनेशा के लिए छोड़ कर चला गया था ... पर वह सब की सब शांत थी ... निश्चित तौर पर हीरा बाबा ने उन्हें अंगूठी के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पहले ही मानसिक तौर पर इसके लिए त्यार कर दिया था ...
फिर मैंने जब पिताजी और भाई महाराज से प्रस्थान की आज्ञा मांगी तो पिताजी ने आज्ञा दे दी और अपने माँ पिताजी और राजमाता अपने कक्ष में विश्राम के लिए चले गए
भाई महाराज एकांत में मुझे बोलै की ये सब लड़किया बहुत सुन्दर हैं और मुझे उन्हें अपने पास ही रखना चाहिए ... ऐसा निर्मल और कोमल सौंदर्य अन्यत्र ढूँढने के लिए मुझे काफ़ी प्रयत्न करना होगा और अब मुझे अपने लिए रानिवास (हरम) भी बनवा लेना चाहिए और इसके लिए मुझे जो भी धन चाहिए वह कोषाध्यक्ष से लेने की आज्ञा दी ...
और फिर महाराज ने आज्ञा दी की अपनी सचिव हेमा और- अंगरक्षिका मरीना को भी साथ ले कर जाओ और सांयकाल से पहले लौट आना ... और कुछ अन्य सेवक भी ले जाओ
तो इस पर कामिनी बोली अन्य सेवको की आवश्यकता नहीं है ... वहाँ सब व्यवस्था है और उसने महाराज को भी वहाँ पधारने के लिए आमंत्रित किया ...
जिस पर महाराज बोले विवाह संकल्प लेने के बाद हमारे परिवार की परम्परा में वर को अन्य कार्य करने निषिद्ध हैं । बाद में कभी मेरे साथ अवश्य आएंगे.
उसके बाद मैं अपनी सचिव हेमा अंगरक्षिका मरीना और हीरा की पत्नियों और पुत्रियों के साथ विमान की और रवाना हो गया.
अब मुझे अंगूठी की शक्तियों का क्या, कैसे और किस पर प्रयोग करना चाहिए । मैं रास्ते में ये ही सोच रहा था ... वायु मार्ग से कामिनी ने जो रास्ता बताया वह छोटा ही था ... जल्द ही हम वृद्ध हीरा के निवास के पास पहुँच गए ...
जारी रहेगी