09-09-2022, 03:30 PM
रक्षाबंधन के दिन बहन की चुदाई की सच्ची कहानी
रक्षाबंधन आने वाला था और एक हफ्ते पहले ही मेरी चाची का फोन आ गया था।“बेटा प्रीतम… याद से रक्षाबंधन वाले दिन घर पर सुबह ९ बजे तक आ जाना। देखो भूलना मत!!” मेरी खुशमिजाज चाची बोली.“ठीक है चाची!! मैं समय पर आ जाऊंगा!!” मैंने कहा और फोन काट दिया
चाची से बात करते ही किम्मी का चेहरे मेरो आँखों के सामने आ गया। २४ साल की मेरी जवान चचेरी बहन। ये बात एक राज थी की किम्मी मुझसे पटी हुई थी। उसे ३ ४ बार मैं चोद भी चुका था। पर जादा दिनों के लिए चाची के घर मुझे रहने को नही मिलता था। मेरा बी.टेक चल रहा था, इसलिए मेरे पास जादा लौंडियाबाजी करने का वक़्त नही था। उपर से मेरा बाप पढाई को लेकर मेरे पीछे पड़ा रहता था और जल्दी मुझे कहीं भेजता नही था।
र अब तो मुझे किम्मी से मिलना का मौक़ा मिल गया था। मेरी चाची का घर मेरे घर से १० किमी दूर था। मैंने बस पकड़ ली और मिठाई के कुछ डिब्बे मैंने साथ ले लिए जो मेरी माँ ने मुझे दिए थे। मैंने चाची के पैर छुए और लॉबी में सोफे पर जाकर बात करने लगा। मुझे हवा लग सके इसलिए चाची ने कूलर का पंखा मेरी तरह मोड़ दिया। कुछ देर में जैसी ही किम्मी वहां आई। मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा।
“कैसी हो बहन…..???” मैंने हंसकर पूछा। सिर्फ ये बात हम दो ही जानते थे की मैं कितना बड़ा बहनचोद था। कुछ देर में चाची खाना बनाने चली गयी और हम दोनों इकदम अकेले हो गये। मैंने किम्मी को पकड़ लिया और किस करने लगा
कैसी हो बहन…..???” मैंने हंसकर पूछा। सिर्फ ये बात हम दो ही जानते थे की मैं कितना बड़ा बहनचोद था। कुछ देर में चाची खाना बनाने चली गयी और हम दोनों इकदम अकेले हो गये। मैंने किम्मी को पकड़ लिया और किस करने लगा।
“छोड़ो प्रीतम अगर मम्मी आ गयी तो….???” किम्मी घबराने लगी
मैंने उसे कमर से कपड लिया और एक दो चुम्मा मैंने उसके गाल का ले लिया। डर था की कहीं चाची वहाँ ना आ जाए, इसलिए मैंने किम्मी को छोड़ दिया। हम दोनों दूर दूर बैठकर भाई बहनों को तरह बात करने लगे।
“चलो भाई……राखी बाँधते है!!” किम्मी बोली
“एक शर्त पर की तू मुझे आज चूत देगी!!” मैंने कहा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.