08-09-2022, 11:40 PM
अब आगे की कहानी मंजु की जवानी ।
“ मैं मनोहर कहानियाँ में एक बहु और ससुर के बीच नाजायज रिश्ते की कहानी पढ़ रही थी । दरवाज़ा पर आहट सुन मैं ने दरवाज़ा खोला तो देखा कि ५०-५२ साल का एक साधारण सा दिखने बाला आदमी एक गंदा सा बैग लेकर खड़ा है। मेरे पुछने पर उसने बताया कि वो बाल दाढ़ी काटने के साथ साथ मालिश भी करता है । उसने कहा कि वह हर रोज़ हर कमरे में जाकर काम ढूँढता है। मैं ने बार बार कहा कि मेरे पास उसके लायक काम नहीं है। वह खुशामद करता रहा और मैं ने उससे कहा कि अगले दिन मेरे पति रहेंगे तो कल आ जाये । फिर भी वो खड़ा रहा ।बाद में मेरे पूछने पर अपना नाम “प्यारेलाल “ बताया । मैं मुस्कुराई क्यों कि जो कहानी में पढ़ रही थी उसमें भी ससुर का नाम प्यारेलाल ही था ।
प्यारे———— मालकिन आप बहुत दयालु दिखती हैं । इस ग़रीब पर तरस खाईये । एक घंटा से ज़्यादा हो गया एक रुपये की भी कमाई नहीं हुई है।
पता नहीं क्यों मुझे उस पर तरस आ गया । मैं अंदर गई और अपने बैग से ५०/- रुपया निकाल उसे देने लगी लेकिन उसने नहीं लिया ।
प्यारे———— मालकिन, मैं भिखारी नहीं हूँ । काम का ही पैसा लेता हूँ । पुरे बदन की मालिश का २००/- लेता हूँ । आप सिर्फ़ अपना हाथ पॉंव दबाने दीजिए । ख़ुशी ख़ुशी आप जो देंगी मैं रख लुंगा । भगवान आपको , आपके सपरिवार के सदा सुखी सम्पन्न रखें , आप दूधोॉ नहाये , पुतो फले ।
प्यारे की बहु मंजु से क़रीब १० साल बड़ी थी । लेकिन मंजु को इतने सामने से देख कर , कमरे में अकेली देख कर भी उसके दिल या लंड में भी मंजु को चोदने का ख़्याल नहीं आया था ।
मैं मना करती रही लेकिन वो ज़िद्द करता ही रहा ।
प्यारे——— मालकिन आप डर रही हैं कि आपको अकेले देख मैं कुछ ग़लत करुंगा । आप होटल के लोगों से पूछ लें । मैं ५ साल से इस होटल में यही काम कर रहा हूँ । आपको विश्वास नहीं होगा । इस होटल में मैं ने २०० से ज़्यादा औरतों के बदन पर तेल मालिश की है , पुरा नंगा हो कर ही तेल मालिश होती है लेकिन भगवान जानता है कि मैं ने किसी को चोदा नहीं ।
“ नंगा कर पुरे बदन की मालिश की , किसी को चोदा नहीं “ सुनकर मेरा पुरा शरीर सिहर गया ।
प्यारे ————— मालकिन, मैं आपको नंगा होने भी नहीं बोल रहा हूँ । सिर्फ आपके हाथ पॉंव ही दबाऊँगा । मुझ गरीब पर दया कीजिए ।
और सच मुझे इस ग़रीब पर दया आ गई । मैं ने सोचा कि ५-७ मिनट इससे हाथ पॉंव दबबा कर १००/- देकर रुम के बाहर कर दूँगी । मुखिया की लाड़ली बेटी थी । मैं ने उसे डपट कर कहा कि अगर उसने थोड़ा भी इधर किया तो ज़िंदगी भर के लिए जेल में डबवा दूँगी ।
उस समय तक प्यारे के दिमाग़ में इस खुबसूरत कमसीन माल को चोदने का ख़्याल नहीं आया था ।
प्यारे को अंदर आने बोल मैं ने दरवाज़ा को हल्के से ढकेला कि बरामदे पर आते जाते लोगों को हम नज़र ना आयें । प्यारे ने मुझे पेट के बल लेटने को कहा ।
प्यारे ———- मालकिन , कपड़े में तेल लग जायेगा तो जल्दी साफ़ नहीं होगा । मैं सिर्फ़ आपके घुटनों तक ही हाथ ले जाऊँगा । आप साड़ी उतार देंगी तो ख़राब नहीं होगा ।
उसकी बात मुझे बढिया लगी । मेरे पति जैसा बिना मुझसे पुछे अगर ये आदमी भी मेरा साड़ी खोल देता तो क्या मैं किसी से कुछ बोल पाती ? सब मुझे ही गाली देते कि जब मैं कमरे में अकेली थी फिर किसी को अंदर क्यों आने दिया ।
मंजु ———— नहीं , साड़ी खोलने की जरुरत नहीं । जल्दी अपना काम करो ।
ना वो कुछ बोला ना ही कुछ पुछा । वो खड़ा था । मैं देखती रही । पहले उसने अपना क़मीज़ उतारा फिर पैंट भी बाहर निकाल दिया ।
मंजु ———- जब सिर्फ़ मेरा हाथ पॉंव ही दबाओगे तो सब खोलने की क्या जरुरत थी ।
प्यारे———- मालकिन , हाथ पॉंव में भी तेल लगाउँगा तो कपड़ों में भी तेल लग सकता है । आप अमीर है , एक साड़ी ख़राब होगा तो आपके घरवाले दस ख़रीद देंगे । हम एक क़मीज़ और पैंट को पुरा हप्ता पहनते हैं ।
मैं अब बुरी तरह से फँस चूकी थी । मेरे कमरे में एक बुजुर्ग आदमी , मेरे पिताजी से कम से कम १० साल बड़ा आदमी सिर्फ़ एक कपड़ों का बना हुआ अंडरवियर पहन कर खड़ा था । लेकिन मेरे लिए ये कोई नयी बात नहीं थी । बचपन से ही घर के मर्दों को सिर्फ़ एक कच्छा पहन कसरत करते देखा है।
मैं ने अंडरवियर को ध्यान से देखा । लंड का कोई हलचल नहीं दिखा । प्यारे काफ़ी लंबा था , क़रीब ६ फ़ीट लंबा । मैं सिर्फ़ ५ फ़ीट ४ इंच लम्बी थी । माथा के आधे से ज़्यादा बाल सफ़ेद हो गये थे लेकिन गर्दन के नीचे सब कुछ किसी जवान आदमी जैसा ही था । गठीला बदन , बाहों और जॉंघो की मॉंस पेशियों बहुत ही कसी हुई दीख रही थी । मुझे विश्वास था कि मेरे घर के लोगों जैसा यह भी ज़रूर कसरत करता होगा ।
मैं उल्टा लेती थी । माथा को तकिया पर ऐसा रखा था कि मुझे उसकी हर एक हरकत दिखाई देती रहे । वो मेरे पॉंव के पास , बिलकुल मेरे सामने खड़ा हुआ।
उसने एक एक हाथ से एक एक पॉंव की अंगुलियों को एक साथ दबाना शुरु किया और मेरे पुरे बदन में सुस्ती छाने लगी । क़रीब दस मिनट उसने पॉंव की मालिश की और मेरे ऑंख बंद होने लगे । पुरी ताक़त से ऑंख खुला रखने की कोशिश करने लगी । उसके दोनों हाथ , एक पॉंव पर एक हाथ , मेरे पॉंव पर आगे बढने लगे । सिर्फ आगे नहीं बढ़े . पैरों की मॉंस पेशियों को बहुत ही प्यार से मसलते सहलाते हुए उपर बढ़ रहे थे ।
जैसे जैसे उसके हाथ मेरे पॉंव पर उपर बढ़ रहे थे मेरे उपर नशा भी बढ़ता जा रहा था । प्यारे का हाथ मेरे शरीर पर १५ मिनट से ही था लेकिन मुझे अलग अलग मर्द के प्यार करने के तरीक़ों में फ़र्क़ साफ़ मालूम परने लगा था । विनोद ने तीन रात लगातार चोदा था । रात रात भर उसका हाथ नेरे अंग अंग को मसलता दबाता था लेकिन कभी वैसा आनंद नहीं आया जो प्यारे का हाथ कपड़ों के उपर से ही दे रहा था । इसने कहा था कि तेल मालिश करेगा लेकिन तब तक इसने तेल की शीशी भी नहीं निकाली थी ।
प्यारे ने खुद कहा था कि वो सिर्फ़ घुटनों तक ही सहलायेगा । लेकिन २०-२२ मिनट के बाद उसका दोनों हाथ मेरी जाँघों पर था । कपड़ों के उपर से ही मसल कर , दबा कर , कहीं कहीं अंगुलियों से ज़्यादा दबाव देकर दबाता था । मैं दिवाल घड़ी की ओर भी देख रही थी । उसने मेरे पॉंव को दस बजने में बीस मिनट बाक़ी था तब छुआ था और दस बज कर बीस मिनट पर उसके दोनों हाथ मेरी चुत्तरो से खेल रहे थे ।
मेरी ऐसी हालत हो गई थी कि वो अगर मुझे नंगा कर चूत में लंड पेल देता को मैं उसे मना नहीं करती । सच तो यह था कि वो जल्दी से मुझे नंगा कर जमकर चोदना शुरु कर दे । ४५ मिनट से हम दोनों चुप थे । इतनी देर से वो फ़र्श पर खड़ा होकर ही मुझे पागल कर रहा था । अचानक उसने दोनों हाथों को नीचे किया और एक ही झटके में मेरी साड़ी और साया को एक साथ घुटनों के उपर , आधी जाँघ तक ले गया । अब मेरी आधी जाँघ नंगी थी । मेरे दोनों नंगे जाँघों को दबा कर बंदर की तरह तेज़ी से उछला और अपने घुटनों से मेरे घुटनों को दबाता गया । घुटनों को इतना दबाया की मेरे दोनों पैर पंलग के किनारे पर आ गये । मेरे पैरों में तनाव आ गया लेकिन मैं चुप रही ।
ये उस समय की बात है जब औरतों में पीछे बटन बाली ब्लाउज़ और सामने हुक बाली ब्रा पहनने का चलन था । उस समय मैं भी वैसा ही पहनती थी । बिना कुछ बोले उसने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिए । उसकी मंशा ब्रा खोलने की थी लेकिन खोलता कैसे । हुक तो आगे था । उसने दोनों हाथों से पकड़ ब्रा के पट्टी को चार बार जितना हो सकता था उपर तक खींचा लेकिन पट्टी टूटी नहीं । लेकिन उसके इस हरकत ने मुझे बहुत गर्म कर दिया ।
अचानक मुझे लगा कि कोई गर्म रॉड मेरी चुत्तरों को दवा रहा है । दोनों हाथों से नंगी पीठ को सहलाते हुए एक घंटा के बाद बोला ,
प्यारे————- मालकिन, २०० से ज़्यादा औरतों की नंगी जवानी को सहलाया है लेकिन आपके जैसा मक्खन जैसा चिकना बदन किसी का नहीं , किसी का हो ही नहीं सकता ।
बोलते हुए उसके दोनों हाथ ब्रा के पट्टी के नीचे से होते हुए आगे बढ़े और मेरी ३२ इंच की चुचियों को मसलने सहलाने लगे । सहलाने में भी फ़र्क़ साफ़ था। विनोद सिर्फ़ दबाता था लेकिन प्यारे धीरे धीरे मसलते हुए सहला रहा था ।
मंजु ————- और तुम्हारे जैसा बेटी चोद पूरी दुनिया में और कोई नहीं होगा । एक मासूम लड़की को अकेली देख झूठ बोलकर फुसला लिया और अब उसे बर्बाद कर रहे हो। चुची की दोनों घुंडियों को मसलते हुए धीरे से बोला ।
प्यारे————- मालकिन, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा ।
“ मैं मनोहर कहानियाँ में एक बहु और ससुर के बीच नाजायज रिश्ते की कहानी पढ़ रही थी । दरवाज़ा पर आहट सुन मैं ने दरवाज़ा खोला तो देखा कि ५०-५२ साल का एक साधारण सा दिखने बाला आदमी एक गंदा सा बैग लेकर खड़ा है। मेरे पुछने पर उसने बताया कि वो बाल दाढ़ी काटने के साथ साथ मालिश भी करता है । उसने कहा कि वह हर रोज़ हर कमरे में जाकर काम ढूँढता है। मैं ने बार बार कहा कि मेरे पास उसके लायक काम नहीं है। वह खुशामद करता रहा और मैं ने उससे कहा कि अगले दिन मेरे पति रहेंगे तो कल आ जाये । फिर भी वो खड़ा रहा ।बाद में मेरे पूछने पर अपना नाम “प्यारेलाल “ बताया । मैं मुस्कुराई क्यों कि जो कहानी में पढ़ रही थी उसमें भी ससुर का नाम प्यारेलाल ही था ।
प्यारे———— मालकिन आप बहुत दयालु दिखती हैं । इस ग़रीब पर तरस खाईये । एक घंटा से ज़्यादा हो गया एक रुपये की भी कमाई नहीं हुई है।
पता नहीं क्यों मुझे उस पर तरस आ गया । मैं अंदर गई और अपने बैग से ५०/- रुपया निकाल उसे देने लगी लेकिन उसने नहीं लिया ।
प्यारे———— मालकिन, मैं भिखारी नहीं हूँ । काम का ही पैसा लेता हूँ । पुरे बदन की मालिश का २००/- लेता हूँ । आप सिर्फ़ अपना हाथ पॉंव दबाने दीजिए । ख़ुशी ख़ुशी आप जो देंगी मैं रख लुंगा । भगवान आपको , आपके सपरिवार के सदा सुखी सम्पन्न रखें , आप दूधोॉ नहाये , पुतो फले ।
प्यारे की बहु मंजु से क़रीब १० साल बड़ी थी । लेकिन मंजु को इतने सामने से देख कर , कमरे में अकेली देख कर भी उसके दिल या लंड में भी मंजु को चोदने का ख़्याल नहीं आया था ।
मैं मना करती रही लेकिन वो ज़िद्द करता ही रहा ।
प्यारे——— मालकिन आप डर रही हैं कि आपको अकेले देख मैं कुछ ग़लत करुंगा । आप होटल के लोगों से पूछ लें । मैं ५ साल से इस होटल में यही काम कर रहा हूँ । आपको विश्वास नहीं होगा । इस होटल में मैं ने २०० से ज़्यादा औरतों के बदन पर तेल मालिश की है , पुरा नंगा हो कर ही तेल मालिश होती है लेकिन भगवान जानता है कि मैं ने किसी को चोदा नहीं ।
“ नंगा कर पुरे बदन की मालिश की , किसी को चोदा नहीं “ सुनकर मेरा पुरा शरीर सिहर गया ।
प्यारे ————— मालकिन, मैं आपको नंगा होने भी नहीं बोल रहा हूँ । सिर्फ आपके हाथ पॉंव ही दबाऊँगा । मुझ गरीब पर दया कीजिए ।
और सच मुझे इस ग़रीब पर दया आ गई । मैं ने सोचा कि ५-७ मिनट इससे हाथ पॉंव दबबा कर १००/- देकर रुम के बाहर कर दूँगी । मुखिया की लाड़ली बेटी थी । मैं ने उसे डपट कर कहा कि अगर उसने थोड़ा भी इधर किया तो ज़िंदगी भर के लिए जेल में डबवा दूँगी ।
उस समय तक प्यारे के दिमाग़ में इस खुबसूरत कमसीन माल को चोदने का ख़्याल नहीं आया था ।
प्यारे को अंदर आने बोल मैं ने दरवाज़ा को हल्के से ढकेला कि बरामदे पर आते जाते लोगों को हम नज़र ना आयें । प्यारे ने मुझे पेट के बल लेटने को कहा ।
प्यारे ———- मालकिन , कपड़े में तेल लग जायेगा तो जल्दी साफ़ नहीं होगा । मैं सिर्फ़ आपके घुटनों तक ही हाथ ले जाऊँगा । आप साड़ी उतार देंगी तो ख़राब नहीं होगा ।
उसकी बात मुझे बढिया लगी । मेरे पति जैसा बिना मुझसे पुछे अगर ये आदमी भी मेरा साड़ी खोल देता तो क्या मैं किसी से कुछ बोल पाती ? सब मुझे ही गाली देते कि जब मैं कमरे में अकेली थी फिर किसी को अंदर क्यों आने दिया ।
मंजु ———— नहीं , साड़ी खोलने की जरुरत नहीं । जल्दी अपना काम करो ।
ना वो कुछ बोला ना ही कुछ पुछा । वो खड़ा था । मैं देखती रही । पहले उसने अपना क़मीज़ उतारा फिर पैंट भी बाहर निकाल दिया ।
मंजु ———- जब सिर्फ़ मेरा हाथ पॉंव ही दबाओगे तो सब खोलने की क्या जरुरत थी ।
प्यारे———- मालकिन , हाथ पॉंव में भी तेल लगाउँगा तो कपड़ों में भी तेल लग सकता है । आप अमीर है , एक साड़ी ख़राब होगा तो आपके घरवाले दस ख़रीद देंगे । हम एक क़मीज़ और पैंट को पुरा हप्ता पहनते हैं ।
मैं अब बुरी तरह से फँस चूकी थी । मेरे कमरे में एक बुजुर्ग आदमी , मेरे पिताजी से कम से कम १० साल बड़ा आदमी सिर्फ़ एक कपड़ों का बना हुआ अंडरवियर पहन कर खड़ा था । लेकिन मेरे लिए ये कोई नयी बात नहीं थी । बचपन से ही घर के मर्दों को सिर्फ़ एक कच्छा पहन कसरत करते देखा है।
मैं ने अंडरवियर को ध्यान से देखा । लंड का कोई हलचल नहीं दिखा । प्यारे काफ़ी लंबा था , क़रीब ६ फ़ीट लंबा । मैं सिर्फ़ ५ फ़ीट ४ इंच लम्बी थी । माथा के आधे से ज़्यादा बाल सफ़ेद हो गये थे लेकिन गर्दन के नीचे सब कुछ किसी जवान आदमी जैसा ही था । गठीला बदन , बाहों और जॉंघो की मॉंस पेशियों बहुत ही कसी हुई दीख रही थी । मुझे विश्वास था कि मेरे घर के लोगों जैसा यह भी ज़रूर कसरत करता होगा ।
मैं उल्टा लेती थी । माथा को तकिया पर ऐसा रखा था कि मुझे उसकी हर एक हरकत दिखाई देती रहे । वो मेरे पॉंव के पास , बिलकुल मेरे सामने खड़ा हुआ।
उसने एक एक हाथ से एक एक पॉंव की अंगुलियों को एक साथ दबाना शुरु किया और मेरे पुरे बदन में सुस्ती छाने लगी । क़रीब दस मिनट उसने पॉंव की मालिश की और मेरे ऑंख बंद होने लगे । पुरी ताक़त से ऑंख खुला रखने की कोशिश करने लगी । उसके दोनों हाथ , एक पॉंव पर एक हाथ , मेरे पॉंव पर आगे बढने लगे । सिर्फ आगे नहीं बढ़े . पैरों की मॉंस पेशियों को बहुत ही प्यार से मसलते सहलाते हुए उपर बढ़ रहे थे ।
जैसे जैसे उसके हाथ मेरे पॉंव पर उपर बढ़ रहे थे मेरे उपर नशा भी बढ़ता जा रहा था । प्यारे का हाथ मेरे शरीर पर १५ मिनट से ही था लेकिन मुझे अलग अलग मर्द के प्यार करने के तरीक़ों में फ़र्क़ साफ़ मालूम परने लगा था । विनोद ने तीन रात लगातार चोदा था । रात रात भर उसका हाथ नेरे अंग अंग को मसलता दबाता था लेकिन कभी वैसा आनंद नहीं आया जो प्यारे का हाथ कपड़ों के उपर से ही दे रहा था । इसने कहा था कि तेल मालिश करेगा लेकिन तब तक इसने तेल की शीशी भी नहीं निकाली थी ।
प्यारे ने खुद कहा था कि वो सिर्फ़ घुटनों तक ही सहलायेगा । लेकिन २०-२२ मिनट के बाद उसका दोनों हाथ मेरी जाँघों पर था । कपड़ों के उपर से ही मसल कर , दबा कर , कहीं कहीं अंगुलियों से ज़्यादा दबाव देकर दबाता था । मैं दिवाल घड़ी की ओर भी देख रही थी । उसने मेरे पॉंव को दस बजने में बीस मिनट बाक़ी था तब छुआ था और दस बज कर बीस मिनट पर उसके दोनों हाथ मेरी चुत्तरो से खेल रहे थे ।
मेरी ऐसी हालत हो गई थी कि वो अगर मुझे नंगा कर चूत में लंड पेल देता को मैं उसे मना नहीं करती । सच तो यह था कि वो जल्दी से मुझे नंगा कर जमकर चोदना शुरु कर दे । ४५ मिनट से हम दोनों चुप थे । इतनी देर से वो फ़र्श पर खड़ा होकर ही मुझे पागल कर रहा था । अचानक उसने दोनों हाथों को नीचे किया और एक ही झटके में मेरी साड़ी और साया को एक साथ घुटनों के उपर , आधी जाँघ तक ले गया । अब मेरी आधी जाँघ नंगी थी । मेरे दोनों नंगे जाँघों को दबा कर बंदर की तरह तेज़ी से उछला और अपने घुटनों से मेरे घुटनों को दबाता गया । घुटनों को इतना दबाया की मेरे दोनों पैर पंलग के किनारे पर आ गये । मेरे पैरों में तनाव आ गया लेकिन मैं चुप रही ।
ये उस समय की बात है जब औरतों में पीछे बटन बाली ब्लाउज़ और सामने हुक बाली ब्रा पहनने का चलन था । उस समय मैं भी वैसा ही पहनती थी । बिना कुछ बोले उसने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिए । उसकी मंशा ब्रा खोलने की थी लेकिन खोलता कैसे । हुक तो आगे था । उसने दोनों हाथों से पकड़ ब्रा के पट्टी को चार बार जितना हो सकता था उपर तक खींचा लेकिन पट्टी टूटी नहीं । लेकिन उसके इस हरकत ने मुझे बहुत गर्म कर दिया ।
अचानक मुझे लगा कि कोई गर्म रॉड मेरी चुत्तरों को दवा रहा है । दोनों हाथों से नंगी पीठ को सहलाते हुए एक घंटा के बाद बोला ,
प्यारे————- मालकिन, २०० से ज़्यादा औरतों की नंगी जवानी को सहलाया है लेकिन आपके जैसा मक्खन जैसा चिकना बदन किसी का नहीं , किसी का हो ही नहीं सकता ।
बोलते हुए उसके दोनों हाथ ब्रा के पट्टी के नीचे से होते हुए आगे बढ़े और मेरी ३२ इंच की चुचियों को मसलने सहलाने लगे । सहलाने में भी फ़र्क़ साफ़ था। विनोद सिर्फ़ दबाता था लेकिन प्यारे धीरे धीरे मसलते हुए सहला रहा था ।
मंजु ————- और तुम्हारे जैसा बेटी चोद पूरी दुनिया में और कोई नहीं होगा । एक मासूम लड़की को अकेली देख झूठ बोलकर फुसला लिया और अब उसे बर्बाद कर रहे हो। चुची की दोनों घुंडियों को मसलते हुए धीरे से बोला ।
प्यारे————- मालकिन, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा ।
‘LIVE LIFE CHAMPA STYLE