08-09-2022, 04:12 PM
मेरे अंतरंग हमसफ़र
सातवा अध्याय
लंदन का प्यार का मंदिर
भाग 2
पुजारिन के उद्धारकर्ता की जय
गलीचे के साथ-साथ खड़ी हुई मैंने दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाएँ देखि। सब अठारह के आस पास लग रही थी।
ऐसी खूबसूरती मैंने पहले एक साथ इतनी तादाद में कभी नहीं देखि थी। सभी एक से बढ़ कर एक सुंदर और युवा और अगर उनमे से किसी एक को चुनना बहुत कठिन साबित होगा।और कोई अचम्भा नहीं था की यहाँ पर ऐसी खूबसूति बिखरी हुई थी क्योंकि ये सुंदरता, प्रेम और सेक्स की देवी का मंदिर था अगर ऐसे खूबसूरती यहाँ नहीं होगी तो फिर कहीं नहीं होगी।
बीच-बीच में उनके पीछे कुछ विशालकाय धातु के चमकती आँखों वाले रखवाले खड़े थे और उनके पीछे कुछ पहरेदार थे जो षंड दिख रहे थे। महिलाओं के पीछे खड़े षण्डो के पीछे सामानों से लदी कुछ बैलगाड़ियाँ थीं। कई महिलाओं ने मुझे बड़ी दिलचस्पी से देखा, कुछ ने शर्म भरे अभिवादन के इशारे किए। उनमें से कुछ ने अपने दोस्तों के साथ हसि मजाक कर रही थी।
"छात्राये, शिष्याएँ और अनुचर अधिकतर यूनान से और कई बहुत दूर-दूर से भी आये आपके देखने और मिलने को पाए हैं," सांन ने चुपचाप से मेरे कान में कहा। यहाँ सब आपसे मिलने के लिए बहुत उत्सुक हैं, मास्टर। "
जैसे ही हम मंदिर की सीढ़ियों के पास पहुँचे, मैंने देखा कि भव्य प्रवेश द्वार के रंगीन नक्काशीदार कांच के दरवाजे सबसे ऊपर खुल रहे हैं। एक महिला की आकृति उभरी और अविश्वसनीय नजाकत और कृपा के साथ धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी, लगभग तैरती हुई और उस महिला की ओर इशारा करते हुए किसी ने घोषणा की। "देखो, प्रेम के मन्दिर की पुजारिन पधार रही है।"
जैसे-जैसे पुजारिन उतरीं और जैसे-जैसे उनका रूप अधिक स्पष्ट होता गया, मुझे यकीन हो गया कि मैं अब तक की अपने जीवन की खूबसूरत महिला में से एक को-को देख रहा हूँ और उसके साथ हरआगे बढे हुए कदम पर औरमेरा ये विश्वास और अधिक निश्चित हो गया। उसके लंबे बाल थे जो हिलते-डुलते सोने और भूरे रंग के बीच की लहरों में झिलमिलाते थे। उसने पारदर्शी रेशम की एक पोशाक पहनी थी जो इतनी हल्की थी कि वह उतरते समय उसके चारों ओर की हवा में तैरती हुई प्रतीत हो रही थी। कपड़े के नीचे भी मैं देख सकता था कि उसने अपने संपूर्ण पतले शरीर पर केवल सोने के हार और गहने पहने हुए थे और कुछ बारीक सुनहरी जंजीरों के अलावा कोई अंडरगारमेंट नहीं पहना था और लबादे को लाल रंग से एक धागे से बाँधा हुआ था। जैसे ही वह हमारे साथ आई, वहाँ मौजूद लड़कियो का समूह धीरे-धीरे हमारे पास एक गोलकार चक्क्र में खड़ा हो गया।
पुजारिन की उम्र को आंकना मेरे लिए असंभव था, उसका शरीर नर्तकी की तरह फिट था और उसकी हल्की सुनहरी रंग को त्वचा त्रुटिहीन और चमकदार थी। उसका चेहरा शांत था, पूरे होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थी जो दयालुता बिखेरती थी। लंबी पलकों के नीचे चमकदार नीली-हरी आंखों से लगता था कि वह दिव्य रूप लिए हुए या तो स्वर्ग से आयी थी या किसी ने दुनिया से उसे उतारा गया था।
उसने एक भव्य इशारे में अपनी बाहें उठाईं और इकट्ठे हुए लोगों से बात की। "प्यार के मंदिर में हमारे रक्षक, पुराण के उद्धारकर्ता, शांति के रक्षक, अच्छाई के रक्षक दीपक कुमार का स्वागत है। आपने प्रेम के मंदिर के भक्तों की भक्ति जीत ली है और आपका हमारे बीच होना हमे सम्मानित करना है।" गेट पर कड़ी सभी लड़किया तालियाँ बजा रही थीं।
मैं मंदिर के सभी शिष्यों, शिष्यों, अनुचरों और पुजारिनों का अभिवादन करने के लिए मुड़ा, जो सभी वहाँ खड़े थे और मैंने उस उचाई से देखा सभी असामान्य रूप से सुंदर थी, सभी विभिन्न रंगो की, पतले रेशम की विरल लेकिन रंगीन पोशाके पहने हुए थी। लेकिन किसी ने भी लाल रंग का कोई वस्त्र नहीं पहना हुआ था। वे सभी बारीक सुनहरी जंजीरों से सुशोभित थे जो धूप में उनके धड़ पर प्रकाश के धागों की तरह चमक रहे थे।
अचानक मैंने देख एक सांड जो बैलजोड़ी के साथ जूता हुआ था सम्भवता पुजारिन की पोशाक के लाल रंग के धागे को देख लाल होकर भड़क गया था और उसने जोर से झटका मारा तो जिस गाडी से वह बंधा था वह गाडी पलटी और वह आगे बढ़ा कुछ पेड़ उखड़ कर गिरे, जिससे फव्वारा टूटा, गाड़ी पलटी, ध्वस्त ढांचों के टूटे-फूटे तख्तों को उखाड़ते हुए जीव ने अपनी आहट में तबाही का निशान छोड़ दिया था। पहरेदारों के रूप में खड़े असहाय हिजड़े और इसे मोड़ने की कोशिश करने वाली बहादुर पहरेदार इस अचानक हुए घटनाक्रम में एक तरफ खिसक गए और एक षंड से बदन से खून बह रहा था, घायल हो गया था और गिर कर बेहोश हो गया था। जो दर्शको का समूह गोलाकार वृत्त में खड़ा था वह इस शोर से पलटा और उस सांड को आते देख एक तरफ हो गया और सांड ने पुजारिन की ओर छलांग लगा दी। मैंने फिर पुजारन को पीछे धकेल दिया और पागल हमलावर बैल और पुजारिन के बीच आ गया और बिजली के फ्लैश में एक विशाल धातु के रक्षक की मूर्ति की एक तलवार ली और मैंने पागल जानवर की खोपड़ी के ऊपर को घुमा दी और पुजारिन के तरफ घूम गया और वह मेरे ऊपर अपनी चलांग में मेरे तक पहुँचने में कामयाब रहा। मैं एक खून के एक तालाब में उस सांड के नीचे पुजारन के साथ गिर गया।
ढोल बजने बंद हो गए, शोर खत्म हो गया एक दम शांति छा गयी। सब को लगा की सांड ने रक्षक और पुजारिन को एक साथ मार डाला है फिर मैं उठा और अपने नीचे दबी पुजारिन को उठाया तो रक्षक जिंदाबाद, पुजारिन जिंदाबाद! । रखक की जय हो! के उद्घोष होने लगे ।
पुजारिन बिलकुल सुरक्षित थी क्योंकि उनके ऊपर जो वार सांड के किया था वह मैंने अपने ऊपर ले लिया था और सौभाग्य से मैं भी केवल कुछ चोटों के साथ सुरक्षित थाऔर लाल लहू में नहाया हुआ था । वहाँ उपस्थित लड़किया और महिलाये और षंड मेरी बहादुरी के लिए तालियाँ बजा कर जय घोष कर रहे थे। जश्न मनाने के बजाय, मुझे अपने घावों पर ध्यान देने के लिए सम्बंधित युवतियों द्वारा तुरंत चिकित्सा के कमरे में ले जाया गया। वे कुछ हर्बल क्रीम और एक पेय के साथ आयी। पेय और हर्बल क्रीम ने एक मिनट के बाद मेरे सारे दर्द को शांत कर दिया।
फिर कुछ देर बाद मैंने देखा कि पुजारिन नीले-हरे रेशमी लबादे में सुनहरे रूपांकनों के साथ धीरे-धीरे अंदर आ रही थी। उसके फूलों के मुकुट और पारदर्शी नक़ाब से चेहरे को ढंकने के कारण वह लगभग दुल्हन की तरह लग रही थी। वह बहुत खूबसूरत थी और कमरे की मीठी सुनहरी रौशनी में उसका चलना ऐसा महसूस होता था जैसे वह सुनहरी झील में तैर रही हो, हंस की तरह, शांत और सुखदायक। उसके साथ दो अनुचर लड़कियाँ भी थीं। ? मैं उसके सम्मान में बैठने लगा तो उसने मुझे लेटे रहने का इशारा किया।
वह करीब आ गई। उसके साथ आयी दोनों लड़कियों ने उसका लबादा ले लिया। एक और लड़की ने उसके चेहरे से नक़ाब हटाया। वह शर्मा रही थी मैंने नीचे देखा, उसका शरीर चमक रहा था और उसके सुनहरे बाल ठंडी हवा के साथ धीरे-धीरे नाच रहे थे। उसने अपने शरीर का कोई अंग किसी वस्त्र से छिपाया नहीं था, उसने अपने संपूर्ण पतले शरीर पर केवल सोने के हार और गहने पहने हुए थे और कुछ बारीक सुनहरी जंजीरों के अलावा उसका सुंदर नग्न बदन देखना मेरे लिए आनंद का सबब था। अन्य महिलाओं ने पुजारिन की वेदी पर कदम रखने में मदद की।
पुजारिन ने धीरे से मेरे पास आकर बैठींऔर मेरे सिर लेटने के लिए अपनी गोद में रख दिया। और फिर देवी की मूर्ति की ओर देखा, अपनी आँखें बंद कर लीं और प्रार्थना की। मैंने उसके कोमल और दीप्तिमान नग्न शरीर को देखा। उसने आँखें खोलीं और मेरी ओर देखा। उसकी आँखें नीले और हरे रंग का मिश्रण थीं, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
बाहर भीड़ में मेरे पराक्रम के चर्चे हो रहे थे। वे मेरी, पुजारिन के उद्धारकर्ता की जय, शांति के रक्षक की जय, अच्छाई के रक्षक की जय के नारो को आवाज सुनायी दे रही थी। मैंने एलेन और सां की तरफ देखा तो दोनों मुझ पर मुस्कराने लगी।
पुजारन ने अपनी आवाज को सामान्य मात्रा से भी कम किया और बोली। "मैं जीवा हूँ, प्रेम के मंदिर की पुजारिन, आपने दो बार अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए मेरी रक्षा की है" "अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं।"
मैंने कहा "मैं बेहतर महसूस कर रहा हूँ कि जादुई क्रीम के लेप से सभी दर्द और घाव दूर हो गए हैं।" और उठा कर बैठ गया ।
तो पुजारन खड़ी हो गयी और-और अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया। अब क्या करना है कैसे करना है प्रोटोकॉल के बारे में अनिश्चितऔर अनभिज्ञ मैंने उसका हाथ थाम लिया और उसने सम्मान के प्रतीक में जैसा की पुरानी ग्रीक फिल्मो, नाटकों इत्यादि में देखा था घुटने टेकने लगा, लेकिन सान ने अपनी आँखों से मुझे संकेत देने की जल्दी की और मुझे रुकने का ईशारा किया और मैं रुक कर इंतज़ार करने लगा।
फिर पुजारिन ने अपनी उँगलियाँ मेरी कलाई पर लपेट लीं और मेरा हाथ ऊपर उठाकर अपने स्तनों के बीच की नंगी त्वचा पर सपाट रख दिया। उसने मेरी तरफ देखा और धीरे से बोली। "धन्यवाद, मुझे फिर से बचाने के लिए और मैं आपकी सेवा में हूँ।"
अब मेरे सहित किसी के पास अभी के लिए कोई और प्रश्न नहीं था, या कम से कम कोई भी ऐसा नहीं था जो वे पूछने को तैयार थे। कुछ समय बाद, मुझे कमरे से सटी एक बालकनी में ले जाया गया, जिसके सामने भीड़ ने मेरी उपस्थिति पर जय-जयकार की। उन्होंने हमारी पुजारिन के उद्धारकर्ता, शांति के रक्षक, अच्छाई के रक्षक के रूप में मेरे वीरतापूर्ण कार्य के लिए मेरी जयजयकार की और मैंने अपना हाथ उठाया और प्रेम की देवी की जय-जयकार की। "प्रेम की देवी की जय हो" और पुजारिन जिंदाबाद और सब प्रे की देवी की जयकार करने लगे
यह कार्यवाही महिलाओं की भीड़ में एक उल्लासपूर्ण प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए लग रही थी, कुछ उत्साह के साथ उछली, जिनमें एलेन और सान भी शामिल थे और फिर फूलो की वर्षा फिर से शुरू हो गयी। उत्सव के बीच, मेरी निगाहें अभी भी पुजारिन गीवा पर टिकी हुई थीं क्योंकि मैंने महसूस किया कि उसकी छाती उसकी सांस के साथ उठ और गिर रही थी। मुझे लगा कि शायद मुझे उससे और उसे मुझसे प्यार हो गया है।
एक पल के बाद गिवा ने मेरा हाथ छुड़ाया और मैं धीरे-धीरे पीछे हट गया। वह सान से बात करने के लिए मुड़ी। "कृपया देखें कि मास्टर का अत्यधिक आतिथ्य के साथ स्वागत किया जाए। मुझे यकीन है कि अब उन्हें स्नान की आवश्यक है क्योंकि वह अभी भी उस जीब के रक्त से भीगे हुए हैं अगर वह चाहें तो उन्हें इस शौर्य यात्रा के बाद वह स्नान को काफी स्फूर्तिदायक पाएंगे। इसके बाद, हम नाश्ते की दावत के लिए महान गुंबद में मिलेंगे।" उसने एलेना की ओर देखा, "क्या आपने मास्टर के लिए स्नान करने वाली साथिन का चयन किया है?"
"हाँ डेल्फी (बड़ी बहन) ।" अलीना ने अपनी उंगलियाँ थपथपाते हुए जवाब दिया। इसके साथ ही एक दर्जन या उससे अधिक युवतियों का एक समूह इकट्ठी हुई कतारों से अलग हो गया और तेजी से मंदिर की सीढ़ियों के रास्ते से ऊपर आने लगा। एलेन aने मुझे बांह से पकड़ लिया और मुझे उसी दिशा में ले गया। सान पुजारिन से बात करती रही। मैंने अपने कंधे के ऊपर से पुजारन जीवा की सुंदरता को मंत्रमुग्ध हो कर देखा। मेरे जाते समय जीवा की निगाहें भी मेरा पीछा कर रही थीं।
कहानी जारी रहेगी
सातवा अध्याय
लंदन का प्यार का मंदिर
भाग 2
पुजारिन के उद्धारकर्ता की जय
गलीचे के साथ-साथ खड़ी हुई मैंने दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाएँ देखि। सब अठारह के आस पास लग रही थी।
ऐसी खूबसूरती मैंने पहले एक साथ इतनी तादाद में कभी नहीं देखि थी। सभी एक से बढ़ कर एक सुंदर और युवा और अगर उनमे से किसी एक को चुनना बहुत कठिन साबित होगा।और कोई अचम्भा नहीं था की यहाँ पर ऐसी खूबसूति बिखरी हुई थी क्योंकि ये सुंदरता, प्रेम और सेक्स की देवी का मंदिर था अगर ऐसे खूबसूरती यहाँ नहीं होगी तो फिर कहीं नहीं होगी।
बीच-बीच में उनके पीछे कुछ विशालकाय धातु के चमकती आँखों वाले रखवाले खड़े थे और उनके पीछे कुछ पहरेदार थे जो षंड दिख रहे थे। महिलाओं के पीछे खड़े षण्डो के पीछे सामानों से लदी कुछ बैलगाड़ियाँ थीं। कई महिलाओं ने मुझे बड़ी दिलचस्पी से देखा, कुछ ने शर्म भरे अभिवादन के इशारे किए। उनमें से कुछ ने अपने दोस्तों के साथ हसि मजाक कर रही थी।
"छात्राये, शिष्याएँ और अनुचर अधिकतर यूनान से और कई बहुत दूर-दूर से भी आये आपके देखने और मिलने को पाए हैं," सांन ने चुपचाप से मेरे कान में कहा। यहाँ सब आपसे मिलने के लिए बहुत उत्सुक हैं, मास्टर। "
जैसे ही हम मंदिर की सीढ़ियों के पास पहुँचे, मैंने देखा कि भव्य प्रवेश द्वार के रंगीन नक्काशीदार कांच के दरवाजे सबसे ऊपर खुल रहे हैं। एक महिला की आकृति उभरी और अविश्वसनीय नजाकत और कृपा के साथ धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी, लगभग तैरती हुई और उस महिला की ओर इशारा करते हुए किसी ने घोषणा की। "देखो, प्रेम के मन्दिर की पुजारिन पधार रही है।"
जैसे-जैसे पुजारिन उतरीं और जैसे-जैसे उनका रूप अधिक स्पष्ट होता गया, मुझे यकीन हो गया कि मैं अब तक की अपने जीवन की खूबसूरत महिला में से एक को-को देख रहा हूँ और उसके साथ हरआगे बढे हुए कदम पर औरमेरा ये विश्वास और अधिक निश्चित हो गया। उसके लंबे बाल थे जो हिलते-डुलते सोने और भूरे रंग के बीच की लहरों में झिलमिलाते थे। उसने पारदर्शी रेशम की एक पोशाक पहनी थी जो इतनी हल्की थी कि वह उतरते समय उसके चारों ओर की हवा में तैरती हुई प्रतीत हो रही थी। कपड़े के नीचे भी मैं देख सकता था कि उसने अपने संपूर्ण पतले शरीर पर केवल सोने के हार और गहने पहने हुए थे और कुछ बारीक सुनहरी जंजीरों के अलावा कोई अंडरगारमेंट नहीं पहना था और लबादे को लाल रंग से एक धागे से बाँधा हुआ था। जैसे ही वह हमारे साथ आई, वहाँ मौजूद लड़कियो का समूह धीरे-धीरे हमारे पास एक गोलकार चक्क्र में खड़ा हो गया।
पुजारिन की उम्र को आंकना मेरे लिए असंभव था, उसका शरीर नर्तकी की तरह फिट था और उसकी हल्की सुनहरी रंग को त्वचा त्रुटिहीन और चमकदार थी। उसका चेहरा शांत था, पूरे होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थी जो दयालुता बिखेरती थी। लंबी पलकों के नीचे चमकदार नीली-हरी आंखों से लगता था कि वह दिव्य रूप लिए हुए या तो स्वर्ग से आयी थी या किसी ने दुनिया से उसे उतारा गया था।
उसने एक भव्य इशारे में अपनी बाहें उठाईं और इकट्ठे हुए लोगों से बात की। "प्यार के मंदिर में हमारे रक्षक, पुराण के उद्धारकर्ता, शांति के रक्षक, अच्छाई के रक्षक दीपक कुमार का स्वागत है। आपने प्रेम के मंदिर के भक्तों की भक्ति जीत ली है और आपका हमारे बीच होना हमे सम्मानित करना है।" गेट पर कड़ी सभी लड़किया तालियाँ बजा रही थीं।
मैं मंदिर के सभी शिष्यों, शिष्यों, अनुचरों और पुजारिनों का अभिवादन करने के लिए मुड़ा, जो सभी वहाँ खड़े थे और मैंने उस उचाई से देखा सभी असामान्य रूप से सुंदर थी, सभी विभिन्न रंगो की, पतले रेशम की विरल लेकिन रंगीन पोशाके पहने हुए थी। लेकिन किसी ने भी लाल रंग का कोई वस्त्र नहीं पहना हुआ था। वे सभी बारीक सुनहरी जंजीरों से सुशोभित थे जो धूप में उनके धड़ पर प्रकाश के धागों की तरह चमक रहे थे।
अचानक मैंने देख एक सांड जो बैलजोड़ी के साथ जूता हुआ था सम्भवता पुजारिन की पोशाक के लाल रंग के धागे को देख लाल होकर भड़क गया था और उसने जोर से झटका मारा तो जिस गाडी से वह बंधा था वह गाडी पलटी और वह आगे बढ़ा कुछ पेड़ उखड़ कर गिरे, जिससे फव्वारा टूटा, गाड़ी पलटी, ध्वस्त ढांचों के टूटे-फूटे तख्तों को उखाड़ते हुए जीव ने अपनी आहट में तबाही का निशान छोड़ दिया था। पहरेदारों के रूप में खड़े असहाय हिजड़े और इसे मोड़ने की कोशिश करने वाली बहादुर पहरेदार इस अचानक हुए घटनाक्रम में एक तरफ खिसक गए और एक षंड से बदन से खून बह रहा था, घायल हो गया था और गिर कर बेहोश हो गया था। जो दर्शको का समूह गोलाकार वृत्त में खड़ा था वह इस शोर से पलटा और उस सांड को आते देख एक तरफ हो गया और सांड ने पुजारिन की ओर छलांग लगा दी। मैंने फिर पुजारन को पीछे धकेल दिया और पागल हमलावर बैल और पुजारिन के बीच आ गया और बिजली के फ्लैश में एक विशाल धातु के रक्षक की मूर्ति की एक तलवार ली और मैंने पागल जानवर की खोपड़ी के ऊपर को घुमा दी और पुजारिन के तरफ घूम गया और वह मेरे ऊपर अपनी चलांग में मेरे तक पहुँचने में कामयाब रहा। मैं एक खून के एक तालाब में उस सांड के नीचे पुजारन के साथ गिर गया।
ढोल बजने बंद हो गए, शोर खत्म हो गया एक दम शांति छा गयी। सब को लगा की सांड ने रक्षक और पुजारिन को एक साथ मार डाला है फिर मैं उठा और अपने नीचे दबी पुजारिन को उठाया तो रक्षक जिंदाबाद, पुजारिन जिंदाबाद! । रखक की जय हो! के उद्घोष होने लगे ।
पुजारिन बिलकुल सुरक्षित थी क्योंकि उनके ऊपर जो वार सांड के किया था वह मैंने अपने ऊपर ले लिया था और सौभाग्य से मैं भी केवल कुछ चोटों के साथ सुरक्षित थाऔर लाल लहू में नहाया हुआ था । वहाँ उपस्थित लड़किया और महिलाये और षंड मेरी बहादुरी के लिए तालियाँ बजा कर जय घोष कर रहे थे। जश्न मनाने के बजाय, मुझे अपने घावों पर ध्यान देने के लिए सम्बंधित युवतियों द्वारा तुरंत चिकित्सा के कमरे में ले जाया गया। वे कुछ हर्बल क्रीम और एक पेय के साथ आयी। पेय और हर्बल क्रीम ने एक मिनट के बाद मेरे सारे दर्द को शांत कर दिया।
फिर कुछ देर बाद मैंने देखा कि पुजारिन नीले-हरे रेशमी लबादे में सुनहरे रूपांकनों के साथ धीरे-धीरे अंदर आ रही थी। उसके फूलों के मुकुट और पारदर्शी नक़ाब से चेहरे को ढंकने के कारण वह लगभग दुल्हन की तरह लग रही थी। वह बहुत खूबसूरत थी और कमरे की मीठी सुनहरी रौशनी में उसका चलना ऐसा महसूस होता था जैसे वह सुनहरी झील में तैर रही हो, हंस की तरह, शांत और सुखदायक। उसके साथ दो अनुचर लड़कियाँ भी थीं। ? मैं उसके सम्मान में बैठने लगा तो उसने मुझे लेटे रहने का इशारा किया।
वह करीब आ गई। उसके साथ आयी दोनों लड़कियों ने उसका लबादा ले लिया। एक और लड़की ने उसके चेहरे से नक़ाब हटाया। वह शर्मा रही थी मैंने नीचे देखा, उसका शरीर चमक रहा था और उसके सुनहरे बाल ठंडी हवा के साथ धीरे-धीरे नाच रहे थे। उसने अपने शरीर का कोई अंग किसी वस्त्र से छिपाया नहीं था, उसने अपने संपूर्ण पतले शरीर पर केवल सोने के हार और गहने पहने हुए थे और कुछ बारीक सुनहरी जंजीरों के अलावा उसका सुंदर नग्न बदन देखना मेरे लिए आनंद का सबब था। अन्य महिलाओं ने पुजारिन की वेदी पर कदम रखने में मदद की।
पुजारिन ने धीरे से मेरे पास आकर बैठींऔर मेरे सिर लेटने के लिए अपनी गोद में रख दिया। और फिर देवी की मूर्ति की ओर देखा, अपनी आँखें बंद कर लीं और प्रार्थना की। मैंने उसके कोमल और दीप्तिमान नग्न शरीर को देखा। उसने आँखें खोलीं और मेरी ओर देखा। उसकी आँखें नीले और हरे रंग का मिश्रण थीं, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
बाहर भीड़ में मेरे पराक्रम के चर्चे हो रहे थे। वे मेरी, पुजारिन के उद्धारकर्ता की जय, शांति के रक्षक की जय, अच्छाई के रक्षक की जय के नारो को आवाज सुनायी दे रही थी। मैंने एलेन और सां की तरफ देखा तो दोनों मुझ पर मुस्कराने लगी।
पुजारन ने अपनी आवाज को सामान्य मात्रा से भी कम किया और बोली। "मैं जीवा हूँ, प्रेम के मंदिर की पुजारिन, आपने दो बार अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए मेरी रक्षा की है" "अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं।"
मैंने कहा "मैं बेहतर महसूस कर रहा हूँ कि जादुई क्रीम के लेप से सभी दर्द और घाव दूर हो गए हैं।" और उठा कर बैठ गया ।
तो पुजारन खड़ी हो गयी और-और अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया। अब क्या करना है कैसे करना है प्रोटोकॉल के बारे में अनिश्चितऔर अनभिज्ञ मैंने उसका हाथ थाम लिया और उसने सम्मान के प्रतीक में जैसा की पुरानी ग्रीक फिल्मो, नाटकों इत्यादि में देखा था घुटने टेकने लगा, लेकिन सान ने अपनी आँखों से मुझे संकेत देने की जल्दी की और मुझे रुकने का ईशारा किया और मैं रुक कर इंतज़ार करने लगा।
फिर पुजारिन ने अपनी उँगलियाँ मेरी कलाई पर लपेट लीं और मेरा हाथ ऊपर उठाकर अपने स्तनों के बीच की नंगी त्वचा पर सपाट रख दिया। उसने मेरी तरफ देखा और धीरे से बोली। "धन्यवाद, मुझे फिर से बचाने के लिए और मैं आपकी सेवा में हूँ।"
अब मेरे सहित किसी के पास अभी के लिए कोई और प्रश्न नहीं था, या कम से कम कोई भी ऐसा नहीं था जो वे पूछने को तैयार थे। कुछ समय बाद, मुझे कमरे से सटी एक बालकनी में ले जाया गया, जिसके सामने भीड़ ने मेरी उपस्थिति पर जय-जयकार की। उन्होंने हमारी पुजारिन के उद्धारकर्ता, शांति के रक्षक, अच्छाई के रक्षक के रूप में मेरे वीरतापूर्ण कार्य के लिए मेरी जयजयकार की और मैंने अपना हाथ उठाया और प्रेम की देवी की जय-जयकार की। "प्रेम की देवी की जय हो" और पुजारिन जिंदाबाद और सब प्रे की देवी की जयकार करने लगे
यह कार्यवाही महिलाओं की भीड़ में एक उल्लासपूर्ण प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए लग रही थी, कुछ उत्साह के साथ उछली, जिनमें एलेन और सान भी शामिल थे और फिर फूलो की वर्षा फिर से शुरू हो गयी। उत्सव के बीच, मेरी निगाहें अभी भी पुजारिन गीवा पर टिकी हुई थीं क्योंकि मैंने महसूस किया कि उसकी छाती उसकी सांस के साथ उठ और गिर रही थी। मुझे लगा कि शायद मुझे उससे और उसे मुझसे प्यार हो गया है।
एक पल के बाद गिवा ने मेरा हाथ छुड़ाया और मैं धीरे-धीरे पीछे हट गया। वह सान से बात करने के लिए मुड़ी। "कृपया देखें कि मास्टर का अत्यधिक आतिथ्य के साथ स्वागत किया जाए। मुझे यकीन है कि अब उन्हें स्नान की आवश्यक है क्योंकि वह अभी भी उस जीब के रक्त से भीगे हुए हैं अगर वह चाहें तो उन्हें इस शौर्य यात्रा के बाद वह स्नान को काफी स्फूर्तिदायक पाएंगे। इसके बाद, हम नाश्ते की दावत के लिए महान गुंबद में मिलेंगे।" उसने एलेना की ओर देखा, "क्या आपने मास्टर के लिए स्नान करने वाली साथिन का चयन किया है?"
"हाँ डेल्फी (बड़ी बहन) ।" अलीना ने अपनी उंगलियाँ थपथपाते हुए जवाब दिया। इसके साथ ही एक दर्जन या उससे अधिक युवतियों का एक समूह इकट्ठी हुई कतारों से अलग हो गया और तेजी से मंदिर की सीढ़ियों के रास्ते से ऊपर आने लगा। एलेन aने मुझे बांह से पकड़ लिया और मुझे उसी दिशा में ले गया। सान पुजारिन से बात करती रही। मैंने अपने कंधे के ऊपर से पुजारन जीवा की सुंदरता को मंत्रमुग्ध हो कर देखा। मेरे जाते समय जीवा की निगाहें भी मेरा पीछा कर रही थीं।
कहानी जारी रहेगी