26-05-2019, 11:38 PM
पूनम गहरी नींद में थी और उसे लग रहा था की कोई उसके बदन को सहला रहा है, लेकिन वो ज्यादा विरोध नहीं कर पा रही थी। वो बहुत गहरी नींद में थी। कल रात तो वो बिल्कुल भी नहीं सोई थी और उसके पहले भी वो काफी कम ही सो पायी थी। इस गहरी नींद में जब वो उस हाथ को हटाई और जो थोड़ी बहुत उसकी नींद खुली, तो उसे लग गया था की बंटी ही है जो उसके बदन से खेल रहा है। वो अपने बदन को ढीला छोड़ दी थी और बंटी भी धीरे धीरे उसके मादक बदन का लुत्फ़ ले रहा था।
लेकिन अगर किसी लड़की के बदन के साथ कोई आदमी कुछ करेगा तो वो कितनी ही गहरी नींद में क्यों न हो, वो जरूर जग जायेगी। धीरे धीरे करके जब पूनम थोड़ी सी जगी तो उसे अपनी हालत का पता चला। उसकी स्कर्ट पूरी तरह से ऊपर उठी हुई थी और पैंटी उसके पैरों से निकल चुकी थी। पूनम कमर के नीचे स्कर्ट के इलास्टिक से नंगी थी और उसकी चिकनी चुत और गोरी जाँघें उस कमरे की रौशनी में चमक रही थी। उसकी टॉप और ब्रा भी ऊपर थी और ब्रा का हुक खुला हुआ था।
बंटी पूरा नंगा होकर पूनम के बगल में लेटा हुआ था और निप्पल को मुँह में भरकर आहिस्ते आहिस्ते चूस रहा था और एक हाथ से उस चिकनी चूत को सहला रहा था। पूनम गरम तो तब ही हो गयी थी जब वो नींद में थी, और अब जागने के बाद तो चूत पे बंटी का हाथ रेंगता पाकर वो मचल ही गयी। उसकी नज़र दरवाज़े पर गयी तो बंटी उसे लॉक कर दिया हुआ था।
पूनम निश्चिन्त हो गयी और बंटी की तरफ करवट कर घूम गयी और उसकी मुँह को अपने चुच्ची पर दबाने लगी। उसके पैर थोड़े से फ़ैल गए थे और बंटी का हाथ अब पीछे आ गया और उसकी गांड को मसलता हुआ पूनम के बदन को अपने जिस्म से चिपका रहा था और उसका लण्ड पूनम की जाँघों के बीच में था। पूनम नींद और वासना के आगोश में बहती हुई मदहोश सी आवाज़ में बोली “ओह्ह, ऐसे क्यूँ कर रहे हो?”
बंटी थोडा ऊपर हुआ और पूनम के होठों पर अपने होठों को रखकर पूनम को अपने बदन से चिपका लिया। पूनम की गुदाज चूचियाँ बंटी के सीने से दब रही थी और बंटी पूनम की पीठ, कमर और गांड सहला रहा था। बंटी का लण्ड पूनम की जाँघों के बीच उसकी चुत के पास था। “तुम्हे अभी अच्छे से चोदना है, रात में अँधेरे में ठीक से तुम्हारे सुनहले बदन को देख नहीं पाया था।” बोलता हुआ बंटी पूनम के होठ चूसने लगा और एक चुच्ची को जोर से मसलने लगा। पूनम तो पूरी गर्म थी ही, लण्ड के चुत के पास सटते ही उसकी चुत अब खुल कर लण्ड को आमंत्रण दे रही थी।
बंटी उसी तरह पूनम को सीधा कर दिया और अब वो पूनम के ऊपर लेटा हुआ था और उसी तरह वो पूनम के होठ चूस रहा था और अब दोनों चुचियों को जोर से मसल रहा था। पूनम अपने पैर फैला दी थी ताकि बंटी का लण्ड एक बार फिर से उसकी कसी हुई चुत के अंदर आ जाये। बंटी थोड़ा नीचे हुआ और अब एक निप्पल चूसने लगा और चुत सहलाने लगा। चुत अब पूरी तरह गीली थी और तुरंत ही बंटी की एक ऊँगली रेंगती हुई अंदर पहुँच गयी। कमसिन चुत के अंदर सेक्स की भट्टी जल रही थी।
चुत के अंदर बंटी की ऊँगली की चुभन महसूस करने के बाद अब पूनम के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया। बोली "आह.. मम्मम... ये क्या कर रहे हो। वो डालो न अंदर..." बंटी उठ बैठा और पूनम की पैरों के बीच में आया और स्कर्ट को पैरों से निकाल दिया। अब पूनम नीचे से नंगी थी। पूनम की ऑंखें अब तक बंद ही थी और वो इसी तरह सेक्स के सागर में डुबकी लगा रही थी। उसने अपने पैर फैला दिए और बंटी उस कमसिन टाइट चिकनी चूत को अच्छे से देखने लगा जिसे रात में चोद कर उसके लंड में दर्द होने लगा था।
पूनम को लगा की बंटी कुछ कर नहीं रहा है तो वो थोड़ी सी आँख खोलकर सामने देखी और बंटी को इस तरह अपनी नंगी चुत निहारते देख वो शर्मा गयी। वो अपनी जांघों को सिकोड़ने की कोशिश की, लेकिन बंटी पैरों के बीच में बैठा हुआ था और अब अपने हाथों को पूनम की जाँघों पर रख जाँघ और चुत के आसपास का हिस्सा सहला कर देखने लगा था। पूनम तो हर पल का मज़ा ले रही थी। वो फिर से आँख बंद कर ली थी।
बंटी नीचे झुक गया और अपने हाथों से चुत के छेद को फैलाकर देखने लगा। 'उफ़्फ़ ये गुलाबी कमसिन चुत...' बंटी ने चुत पर मुँह लगा दिया और चूत के दाने को मुँह में भरकर उसे बाहर की तरफ खींचता हुआ चुत का स्वाद चखने लगा। पूनम की चुत पूरी तरह बंटी अपने मुँह में भर ले रहा था और "उफ्फ्फ....." दोनों दूसरी दुनिया में पहुँच गए थे। बंटी के जीभ का स्पर्श चूत के अंदरूनी हिस्से पे लगते ही पूनम की चूत और गीली हो गयी और इस कमसिन चूत का स्वाद तो बंटी के लिए भी अनोखा था। रात से ज्यादा स्वादिष्ट थी साली की चुत अभी।
बंटी चूत को पूरी तरह मुँह में भरकर चूसने लगा और पूनम अपनी कमर को उठाते हुए "आह्ह उह्ह्ह...." करती हुई जन्नत की सैर करने लगी। पूनम होश खो रही थी। बंटी ने फिर से अपनी एक ऊँगली को चूत में थोड़ा सा अन्दर किया और मुहाने पे उसे गोल गोल घुमाने लगा और थोड़ी ही देर में पूनम की चूत कामरस का झरना बहा दी। बंटी चाटता हुआ चूसता हुआ उस रस का स्वाद लेता रहा और पूनम अपने पैर को मोड़ कर पूरा फैला ली और उसके सर को अपनी चुत पर दबा दी। वो अपने आनंद के चरम पर थी। इसी सुख के लिए तो वो या कोई भी लड़की चुदवाने के लिए रेडी हो जाती है और बंटी, गुड्डू और विक्की जैसे लोग इस सुख को देने में माहिर खिलाड़ी थे।
बंटी अब पूनम के बगल में आ गया और उसे उठा कर बिठा दिया और उसके टॉप और ब्रा को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया। अब पूनम पूरी तरह नंगी थी। नंगी तो वो रात में भी हुई थी, लेकिन उस वक़्त अँधेरा था और अभी बंटी उस सुनहले मखमली बदन को अच्छे से देख रहा था। पूनम की गोल चुचियाँ जो उसकी छोटी सी हरकत पर भी हिल जा रही थी, वो चिकना पीठ और पेट, जिसे देखकर पता नहीं रात में कितने लड़कों ने अपने बाथरूम में उसके नाम का वीर्य बहाया होगा।
पूनम फिर से लेट गयी थी। उसे अब लण्ड चाहिए था चुत के अंदर। बंटी भी पूनम के बदन से सट कर लेट गया और उसके होठ चूसते हुए उसके नंगे मखमली बदन को सहलाने लगा। उसका लण्ड पुनम के हाथ के पास था तो पूनम उसके लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. बंटी ने पूनम को उठने का इशारा किया और वो सीधा लेट गया। पूनम उठ कर बैठ गयी। वो समझ गयी की उसे क्या करना है। वो भी लंड को अच्छे से देखने लगी। देखी वो पहले भी थी, लेकिन दूर से या फिर अँधेरे में। इतने करीब से और इतने अच्छे से वो अभी ही देख रही थी।
पूनम लंड को जड़ से अपनी मुट्ठी में पकड़ी और अपने हाथ को ऊपर नीचे कर उसे सहलाने लगी। लण्ड तो पहले से ही टाइट और मोटा था, पूनम का हाथ लगते ही और बिकराल हो गया और पूरा अकड़ कर छत की तरफ तना हुआ था। लण्ड उसकी मुट्ठी में आ नहीं रहा था। पूनम भी उस लंड को अच्छे से मुँह में भरकर चूसने लगी। बंटी ने उसके सर को अपने लंड पे दबा दिया तो पूनम भी जितना लंड अपने मुँह में भर सकती थी, उतना लंड लेकर चूसने लगी। वो भी कोई कमी नहीं रहने देना चाहती थी मज़े लेने और देने में। उसे भी बंटी के लण्ड का स्वाद अच्छा लग रहा था।
अब बंटी ने पूनम को सीधा लिटा दिया और पूनम समझ गयी की एक बार फिर से उसकी चुदाई होने वाली है। बंटी फिर से उसके पैरों के बीच में था और पूनम भी पैर फैलाकर उस मुसल लंड को अपनी टाइट चूत में लेने के लिए रेडी हो गयी। बंटी ने पूनम के पैर को मोड़ कर पूरा फैला दिया और ऊपर की तरफ कर दिया और फिर अपने लंड को चूत के छेद पे सटा कर रगड़ रहा था। लण्ड के चुत के छेद पर सटते ही चुत और गीली होकर लण्ड के लिए रास्ता बनाने लगी। पूनम ऑंखें बंद किये लण्ड के अंदर आने का और दर्द सहने का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन बंटी लण्ड को चुत के छेद पर ही रगड़ रहा था।
पूनम से इतना इंतज़ार नहीं हो रहा था। उसे लग रहा था की जल्दी से अब ये लंड उसकी चूत में घुस कर तबाही मचा दे। “आह्ह... डालो न अन्दर....” बोलती हुई पूनम अपनी कमर को ऊपर की, लेकिन ये इतना मोटा लंड ऐसे अन्दर नहीं जानेवाला था।
बंटी ने भी अब देरी नहीं किया और पूनम के कंधे को पकड़ कर उसके ऊपर लेट गया और एक धक्का मारा। पूनम पूरी तैयार थी, लेकिन उसकी चूत लंड का धक्का बर्दाश्त नहीं कर पाई और पूनम दर्द से चीख उठी। बंटी ने बिना देरी किये फिर से धक्का मारा और लंड चूत के किले का दरवाजा तोड़ कर अन्दर घुस गया और सरकता हुआ अन्दर घाटी में उतरने लगा। लण्ड के अंदर आते ही पूनम को थोड़ी राहत मिली। अब पूनम के बदन की गर्मी और बढ़ गयी। वो अपने पैर को और फैला दी और बंटी को पकड़ कर उसे अपने अन्दर समाने लगी।
बंटी ने भी लंड को पूरा अन्दर उतार दिया और फिर फुल स्पीड में धक्के लगाने लगा। इस चूत को तो वो फाड़ देना चाहता था, लेकिन चूत और लंड की लड़ाई में अक्सर जीत चूत की ही होती है। हर धक्के के साथ पूनम "आह्ह उह्ह्ह..." करती हुई मचलने लगी और बंटी भी उसके मखमली बदन को अपनी बाहों में जकड कर मसलता हुआ चुदाई करने लगा। बंटी ने उसी तरह पूनम को ऊपर कर दिया और खुद नीचे हो गया। लण्ड अभी भी चुत के अंदर ही था और अब पूनम लंड पर सीधी होकर बैठ गयी और "आह्ह्ह उह्ह्ह्ह" करती हुई चुत को लण्ड पर रगड़ने लगी आउट फिर उठक बैठक करने लगी। बंटी का हाथ उसकी दोनों चुचियों पर था जिसे वो पूरी ताकत से मसल रहा था और पूनम को भी उतना ही मज़ा आ रहा था।
पूनम बंटी के ऊपर लेट गयी और बंटी उसकी चुच्ची को मुँह में भरकर चूसने लगा था और नीचे से धक्का लगाता हुआ उस कमसिन रांड की चुदाई कर रहा था। तुरंत ही पूनम की चूत ने फिर से कामरस बहा दिया और वो बंटी के बदन पर निढाल होकर लेट गयी। बंटी समझ गया कि क्या हुआ है और उसने तुरंत पूनम को उठाया और अपने लंड पे झुका दिया। पूनम भी लंड को चूसने लगी। अभी लंड में चुत का रस मिल जाने से उसका स्वाद और ज्यादा ही बढ़ गया था। पूनम लॉलीपॉप की तरह लंड को चूस कर साफ़ कर दी।
पूनम लेटने लगी तो बंटी ने उसे कुतिया बनाया और उसके पीछे से उसकी चूत में अपना टाइट लंड पेल दिया। आह्ह्ह.... करती हुई पूनम आगे बढ़ी, लेकिन बंटी उसकी कमर को जकड़े हुए था। लण्ड फिर पूरा अंदर उतर गया और बंटी पूनम की कमर को पकड़े उसे चोदता रहा। हर धक्के के साथ पूनम चुदाई का असली मज़ा पाती रही और फिर उसी तरह बंटी ने उस कुंवारी चूत में ही ढेर सारा वीर्य उड़ेल दिया.
गरमा गर्म ताज़े वीर्य की गर्मी चूत में महसूस करते ही पूनम भी फिर से झड़ गयी और दोनों निढाल होकर उसी बिस्तर पर गिर पड़े। बंटी सीधा लेटा हुआ था और पूनम पेट के बल लेटी हुई थी। पूनम बंटी की तरफ खिसकी और उसके बदन से चिपक कर गिले लंड को हाथ में पकड़ ली। लंड से अभी भी वीर्य टपक ही रहा था। पूनम की चूत से भी वीर्य रिस रहा था और बाहर चादर पर टपक रहा था। दोनों उसी तरह वीर्य टपकाए लेटे रहे। ऐसी ही चुदाई तो चाहिए थी पूनम को। फिर से वो हर तरह से चुदी थी, हर चीज़ की थी। और अभी तो उसकी चुत में वीर्य गिरा था और वो भी इतना की अभी तक उसकी चुत से टपक रहा था।
थोड़ी देर बाद बंटी उठा और अपने कपड़े पहनने लगा। पूनम का मन नहीं था की बंटी अभी जाये, लेकिन उसे भी पता था की उसे जाना ही होगा। पूनम भी मजबूरी में उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। उसे हर कपड़ा अपने बदन पर भारी लग रहा था। लेकिन उसे लगा की वो बहुत देर से यहाँ है और हो सकता है की लोग उसके बारे में पूछ रहे हों। जाते वक़्त बंटी ने पूनम को हल्का सा गाल पर चूमा और बोला “रात में छत पर आ जाना, जहाँ ज्योति आती थी।” जबतक पूनम कुछ जवाब देती, बंटी बाहर जा चूका था। थोड़ी देर बाद पूनम भी उस कमरे से बाहर आ गयी और अपनी माँ और मौसी के पास पहुँच गयी।
शाम होने से पहले ही वो लोग होटल छोड़कर घर आ गए थे। पूनम की ज्योति से बात हुई तो वो पूछी तो पूनम उसे दिन के बारे में बताई। ज्योति बोली “मुझे पता था की ऐसा ही होगा।” तो पूनम शर्माती हुई बोली की "नींद का फायदा उठाया वो।” ज्योति हंसती हुई बोली “मुझे पता है” तो दोनों बहने खिलखिला कर हंस पड़ी. पूनम उसे बंटी के रात के प्लान के बारे में भी बताई तो ज्योति उसे टिप्स भी दी की कैसे जाना है छत पर।
शाम में पूनम सबके बीच में बैठी हुई थी और बात कर रही थी तो उसके मोबाइल में गुड्डू को कॉल आया। वो छत पर जाकर गुड्डू से बात की। पूनम बहुत खुश थी बंटी से दो बार चुदवा कर और वो रात में भी बंटी से चुदवा ही लेना चाहती थी। अब उसके मन में कोई संदेह नहीं था। अब उसकी चुत खुली थी इन तीनो के लिए।
रात में पूनम ज्योति के कमरे में सो रही थी और उसके मन में बहुत डर था, लेकिन वो खुद को समझा ली की 'इसी छत पर इसी जगह पर ज्योति रोज चुदवाती थी और दो दिन तो मैं भी गयी हूँ छत पर।' करीब बारह बजे उसके मोबाइल में बंटी का फ़ोन आया और वो अपने डर के बारे में बंटी को बताई, लेकिन बंटी ने उसे समझा लिया और पूनम छत पर आ गयी।
छत पर आते ही बंटी ने देरी नहीं किया और तुरंत ही पूनम नंगी हो गयी और उसकी चुदाई होने लगी। अभी बंटी ने वीर्य पूनम के मुँह में दिया और जब पूनम कपड़े पहनकर वापस नीचे आने लगी तो बंटी ने उसे एक टेबलेट दिया खाने को। पूनम नीचे आकर टेबलेट खा ली। अब वो निश्चिन्त थी और फिर से गहरी नींद में सो गयी।
अगले दिन एक होटल में ज्योति की रिसेप्शन पार्टी थी जिसमे वो लोग गए और फिर अगली सुबह पूनम अपनी मम्मी पापा के साथ अपने घर आ गयी, रास्ते में सोचती हुई की वो गुड्डू से कब और कहाँ चुदेगी।
लेकिन अगर किसी लड़की के बदन के साथ कोई आदमी कुछ करेगा तो वो कितनी ही गहरी नींद में क्यों न हो, वो जरूर जग जायेगी। धीरे धीरे करके जब पूनम थोड़ी सी जगी तो उसे अपनी हालत का पता चला। उसकी स्कर्ट पूरी तरह से ऊपर उठी हुई थी और पैंटी उसके पैरों से निकल चुकी थी। पूनम कमर के नीचे स्कर्ट के इलास्टिक से नंगी थी और उसकी चिकनी चुत और गोरी जाँघें उस कमरे की रौशनी में चमक रही थी। उसकी टॉप और ब्रा भी ऊपर थी और ब्रा का हुक खुला हुआ था।
बंटी पूरा नंगा होकर पूनम के बगल में लेटा हुआ था और निप्पल को मुँह में भरकर आहिस्ते आहिस्ते चूस रहा था और एक हाथ से उस चिकनी चूत को सहला रहा था। पूनम गरम तो तब ही हो गयी थी जब वो नींद में थी, और अब जागने के बाद तो चूत पे बंटी का हाथ रेंगता पाकर वो मचल ही गयी। उसकी नज़र दरवाज़े पर गयी तो बंटी उसे लॉक कर दिया हुआ था।
पूनम निश्चिन्त हो गयी और बंटी की तरफ करवट कर घूम गयी और उसकी मुँह को अपने चुच्ची पर दबाने लगी। उसके पैर थोड़े से फ़ैल गए थे और बंटी का हाथ अब पीछे आ गया और उसकी गांड को मसलता हुआ पूनम के बदन को अपने जिस्म से चिपका रहा था और उसका लण्ड पूनम की जाँघों के बीच में था। पूनम नींद और वासना के आगोश में बहती हुई मदहोश सी आवाज़ में बोली “ओह्ह, ऐसे क्यूँ कर रहे हो?”
बंटी थोडा ऊपर हुआ और पूनम के होठों पर अपने होठों को रखकर पूनम को अपने बदन से चिपका लिया। पूनम की गुदाज चूचियाँ बंटी के सीने से दब रही थी और बंटी पूनम की पीठ, कमर और गांड सहला रहा था। बंटी का लण्ड पूनम की जाँघों के बीच उसकी चुत के पास था। “तुम्हे अभी अच्छे से चोदना है, रात में अँधेरे में ठीक से तुम्हारे सुनहले बदन को देख नहीं पाया था।” बोलता हुआ बंटी पूनम के होठ चूसने लगा और एक चुच्ची को जोर से मसलने लगा। पूनम तो पूरी गर्म थी ही, लण्ड के चुत के पास सटते ही उसकी चुत अब खुल कर लण्ड को आमंत्रण दे रही थी।
बंटी उसी तरह पूनम को सीधा कर दिया और अब वो पूनम के ऊपर लेटा हुआ था और उसी तरह वो पूनम के होठ चूस रहा था और अब दोनों चुचियों को जोर से मसल रहा था। पूनम अपने पैर फैला दी थी ताकि बंटी का लण्ड एक बार फिर से उसकी कसी हुई चुत के अंदर आ जाये। बंटी थोड़ा नीचे हुआ और अब एक निप्पल चूसने लगा और चुत सहलाने लगा। चुत अब पूरी तरह गीली थी और तुरंत ही बंटी की एक ऊँगली रेंगती हुई अंदर पहुँच गयी। कमसिन चुत के अंदर सेक्स की भट्टी जल रही थी।
चुत के अंदर बंटी की ऊँगली की चुभन महसूस करने के बाद अब पूनम के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया। बोली "आह.. मम्मम... ये क्या कर रहे हो। वो डालो न अंदर..." बंटी उठ बैठा और पूनम की पैरों के बीच में आया और स्कर्ट को पैरों से निकाल दिया। अब पूनम नीचे से नंगी थी। पूनम की ऑंखें अब तक बंद ही थी और वो इसी तरह सेक्स के सागर में डुबकी लगा रही थी। उसने अपने पैर फैला दिए और बंटी उस कमसिन टाइट चिकनी चूत को अच्छे से देखने लगा जिसे रात में चोद कर उसके लंड में दर्द होने लगा था।
पूनम को लगा की बंटी कुछ कर नहीं रहा है तो वो थोड़ी सी आँख खोलकर सामने देखी और बंटी को इस तरह अपनी नंगी चुत निहारते देख वो शर्मा गयी। वो अपनी जांघों को सिकोड़ने की कोशिश की, लेकिन बंटी पैरों के बीच में बैठा हुआ था और अब अपने हाथों को पूनम की जाँघों पर रख जाँघ और चुत के आसपास का हिस्सा सहला कर देखने लगा था। पूनम तो हर पल का मज़ा ले रही थी। वो फिर से आँख बंद कर ली थी।
बंटी नीचे झुक गया और अपने हाथों से चुत के छेद को फैलाकर देखने लगा। 'उफ़्फ़ ये गुलाबी कमसिन चुत...' बंटी ने चुत पर मुँह लगा दिया और चूत के दाने को मुँह में भरकर उसे बाहर की तरफ खींचता हुआ चुत का स्वाद चखने लगा। पूनम की चुत पूरी तरह बंटी अपने मुँह में भर ले रहा था और "उफ्फ्फ....." दोनों दूसरी दुनिया में पहुँच गए थे। बंटी के जीभ का स्पर्श चूत के अंदरूनी हिस्से पे लगते ही पूनम की चूत और गीली हो गयी और इस कमसिन चूत का स्वाद तो बंटी के लिए भी अनोखा था। रात से ज्यादा स्वादिष्ट थी साली की चुत अभी।
बंटी चूत को पूरी तरह मुँह में भरकर चूसने लगा और पूनम अपनी कमर को उठाते हुए "आह्ह उह्ह्ह...." करती हुई जन्नत की सैर करने लगी। पूनम होश खो रही थी। बंटी ने फिर से अपनी एक ऊँगली को चूत में थोड़ा सा अन्दर किया और मुहाने पे उसे गोल गोल घुमाने लगा और थोड़ी ही देर में पूनम की चूत कामरस का झरना बहा दी। बंटी चाटता हुआ चूसता हुआ उस रस का स्वाद लेता रहा और पूनम अपने पैर को मोड़ कर पूरा फैला ली और उसके सर को अपनी चुत पर दबा दी। वो अपने आनंद के चरम पर थी। इसी सुख के लिए तो वो या कोई भी लड़की चुदवाने के लिए रेडी हो जाती है और बंटी, गुड्डू और विक्की जैसे लोग इस सुख को देने में माहिर खिलाड़ी थे।
बंटी अब पूनम के बगल में आ गया और उसे उठा कर बिठा दिया और उसके टॉप और ब्रा को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया। अब पूनम पूरी तरह नंगी थी। नंगी तो वो रात में भी हुई थी, लेकिन उस वक़्त अँधेरा था और अभी बंटी उस सुनहले मखमली बदन को अच्छे से देख रहा था। पूनम की गोल चुचियाँ जो उसकी छोटी सी हरकत पर भी हिल जा रही थी, वो चिकना पीठ और पेट, जिसे देखकर पता नहीं रात में कितने लड़कों ने अपने बाथरूम में उसके नाम का वीर्य बहाया होगा।
पूनम फिर से लेट गयी थी। उसे अब लण्ड चाहिए था चुत के अंदर। बंटी भी पूनम के बदन से सट कर लेट गया और उसके होठ चूसते हुए उसके नंगे मखमली बदन को सहलाने लगा। उसका लण्ड पुनम के हाथ के पास था तो पूनम उसके लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. बंटी ने पूनम को उठने का इशारा किया और वो सीधा लेट गया। पूनम उठ कर बैठ गयी। वो समझ गयी की उसे क्या करना है। वो भी लंड को अच्छे से देखने लगी। देखी वो पहले भी थी, लेकिन दूर से या फिर अँधेरे में। इतने करीब से और इतने अच्छे से वो अभी ही देख रही थी।
पूनम लंड को जड़ से अपनी मुट्ठी में पकड़ी और अपने हाथ को ऊपर नीचे कर उसे सहलाने लगी। लण्ड तो पहले से ही टाइट और मोटा था, पूनम का हाथ लगते ही और बिकराल हो गया और पूरा अकड़ कर छत की तरफ तना हुआ था। लण्ड उसकी मुट्ठी में आ नहीं रहा था। पूनम भी उस लंड को अच्छे से मुँह में भरकर चूसने लगी। बंटी ने उसके सर को अपने लंड पे दबा दिया तो पूनम भी जितना लंड अपने मुँह में भर सकती थी, उतना लंड लेकर चूसने लगी। वो भी कोई कमी नहीं रहने देना चाहती थी मज़े लेने और देने में। उसे भी बंटी के लण्ड का स्वाद अच्छा लग रहा था।
अब बंटी ने पूनम को सीधा लिटा दिया और पूनम समझ गयी की एक बार फिर से उसकी चुदाई होने वाली है। बंटी फिर से उसके पैरों के बीच में था और पूनम भी पैर फैलाकर उस मुसल लंड को अपनी टाइट चूत में लेने के लिए रेडी हो गयी। बंटी ने पूनम के पैर को मोड़ कर पूरा फैला दिया और ऊपर की तरफ कर दिया और फिर अपने लंड को चूत के छेद पे सटा कर रगड़ रहा था। लण्ड के चुत के छेद पर सटते ही चुत और गीली होकर लण्ड के लिए रास्ता बनाने लगी। पूनम ऑंखें बंद किये लण्ड के अंदर आने का और दर्द सहने का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन बंटी लण्ड को चुत के छेद पर ही रगड़ रहा था।
पूनम से इतना इंतज़ार नहीं हो रहा था। उसे लग रहा था की जल्दी से अब ये लंड उसकी चूत में घुस कर तबाही मचा दे। “आह्ह... डालो न अन्दर....” बोलती हुई पूनम अपनी कमर को ऊपर की, लेकिन ये इतना मोटा लंड ऐसे अन्दर नहीं जानेवाला था।
बंटी ने भी अब देरी नहीं किया और पूनम के कंधे को पकड़ कर उसके ऊपर लेट गया और एक धक्का मारा। पूनम पूरी तैयार थी, लेकिन उसकी चूत लंड का धक्का बर्दाश्त नहीं कर पाई और पूनम दर्द से चीख उठी। बंटी ने बिना देरी किये फिर से धक्का मारा और लंड चूत के किले का दरवाजा तोड़ कर अन्दर घुस गया और सरकता हुआ अन्दर घाटी में उतरने लगा। लण्ड के अंदर आते ही पूनम को थोड़ी राहत मिली। अब पूनम के बदन की गर्मी और बढ़ गयी। वो अपने पैर को और फैला दी और बंटी को पकड़ कर उसे अपने अन्दर समाने लगी।
बंटी ने भी लंड को पूरा अन्दर उतार दिया और फिर फुल स्पीड में धक्के लगाने लगा। इस चूत को तो वो फाड़ देना चाहता था, लेकिन चूत और लंड की लड़ाई में अक्सर जीत चूत की ही होती है। हर धक्के के साथ पूनम "आह्ह उह्ह्ह..." करती हुई मचलने लगी और बंटी भी उसके मखमली बदन को अपनी बाहों में जकड कर मसलता हुआ चुदाई करने लगा। बंटी ने उसी तरह पूनम को ऊपर कर दिया और खुद नीचे हो गया। लण्ड अभी भी चुत के अंदर ही था और अब पूनम लंड पर सीधी होकर बैठ गयी और "आह्ह्ह उह्ह्ह्ह" करती हुई चुत को लण्ड पर रगड़ने लगी आउट फिर उठक बैठक करने लगी। बंटी का हाथ उसकी दोनों चुचियों पर था जिसे वो पूरी ताकत से मसल रहा था और पूनम को भी उतना ही मज़ा आ रहा था।
पूनम बंटी के ऊपर लेट गयी और बंटी उसकी चुच्ची को मुँह में भरकर चूसने लगा था और नीचे से धक्का लगाता हुआ उस कमसिन रांड की चुदाई कर रहा था। तुरंत ही पूनम की चूत ने फिर से कामरस बहा दिया और वो बंटी के बदन पर निढाल होकर लेट गयी। बंटी समझ गया कि क्या हुआ है और उसने तुरंत पूनम को उठाया और अपने लंड पे झुका दिया। पूनम भी लंड को चूसने लगी। अभी लंड में चुत का रस मिल जाने से उसका स्वाद और ज्यादा ही बढ़ गया था। पूनम लॉलीपॉप की तरह लंड को चूस कर साफ़ कर दी।
पूनम लेटने लगी तो बंटी ने उसे कुतिया बनाया और उसके पीछे से उसकी चूत में अपना टाइट लंड पेल दिया। आह्ह्ह.... करती हुई पूनम आगे बढ़ी, लेकिन बंटी उसकी कमर को जकड़े हुए था। लण्ड फिर पूरा अंदर उतर गया और बंटी पूनम की कमर को पकड़े उसे चोदता रहा। हर धक्के के साथ पूनम चुदाई का असली मज़ा पाती रही और फिर उसी तरह बंटी ने उस कुंवारी चूत में ही ढेर सारा वीर्य उड़ेल दिया.
गरमा गर्म ताज़े वीर्य की गर्मी चूत में महसूस करते ही पूनम भी फिर से झड़ गयी और दोनों निढाल होकर उसी बिस्तर पर गिर पड़े। बंटी सीधा लेटा हुआ था और पूनम पेट के बल लेटी हुई थी। पूनम बंटी की तरफ खिसकी और उसके बदन से चिपक कर गिले लंड को हाथ में पकड़ ली। लंड से अभी भी वीर्य टपक ही रहा था। पूनम की चूत से भी वीर्य रिस रहा था और बाहर चादर पर टपक रहा था। दोनों उसी तरह वीर्य टपकाए लेटे रहे। ऐसी ही चुदाई तो चाहिए थी पूनम को। फिर से वो हर तरह से चुदी थी, हर चीज़ की थी। और अभी तो उसकी चुत में वीर्य गिरा था और वो भी इतना की अभी तक उसकी चुत से टपक रहा था।
थोड़ी देर बाद बंटी उठा और अपने कपड़े पहनने लगा। पूनम का मन नहीं था की बंटी अभी जाये, लेकिन उसे भी पता था की उसे जाना ही होगा। पूनम भी मजबूरी में उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। उसे हर कपड़ा अपने बदन पर भारी लग रहा था। लेकिन उसे लगा की वो बहुत देर से यहाँ है और हो सकता है की लोग उसके बारे में पूछ रहे हों। जाते वक़्त बंटी ने पूनम को हल्का सा गाल पर चूमा और बोला “रात में छत पर आ जाना, जहाँ ज्योति आती थी।” जबतक पूनम कुछ जवाब देती, बंटी बाहर जा चूका था। थोड़ी देर बाद पूनम भी उस कमरे से बाहर आ गयी और अपनी माँ और मौसी के पास पहुँच गयी।
शाम होने से पहले ही वो लोग होटल छोड़कर घर आ गए थे। पूनम की ज्योति से बात हुई तो वो पूछी तो पूनम उसे दिन के बारे में बताई। ज्योति बोली “मुझे पता था की ऐसा ही होगा।” तो पूनम शर्माती हुई बोली की "नींद का फायदा उठाया वो।” ज्योति हंसती हुई बोली “मुझे पता है” तो दोनों बहने खिलखिला कर हंस पड़ी. पूनम उसे बंटी के रात के प्लान के बारे में भी बताई तो ज्योति उसे टिप्स भी दी की कैसे जाना है छत पर।
शाम में पूनम सबके बीच में बैठी हुई थी और बात कर रही थी तो उसके मोबाइल में गुड्डू को कॉल आया। वो छत पर जाकर गुड्डू से बात की। पूनम बहुत खुश थी बंटी से दो बार चुदवा कर और वो रात में भी बंटी से चुदवा ही लेना चाहती थी। अब उसके मन में कोई संदेह नहीं था। अब उसकी चुत खुली थी इन तीनो के लिए।
रात में पूनम ज्योति के कमरे में सो रही थी और उसके मन में बहुत डर था, लेकिन वो खुद को समझा ली की 'इसी छत पर इसी जगह पर ज्योति रोज चुदवाती थी और दो दिन तो मैं भी गयी हूँ छत पर।' करीब बारह बजे उसके मोबाइल में बंटी का फ़ोन आया और वो अपने डर के बारे में बंटी को बताई, लेकिन बंटी ने उसे समझा लिया और पूनम छत पर आ गयी।
छत पर आते ही बंटी ने देरी नहीं किया और तुरंत ही पूनम नंगी हो गयी और उसकी चुदाई होने लगी। अभी बंटी ने वीर्य पूनम के मुँह में दिया और जब पूनम कपड़े पहनकर वापस नीचे आने लगी तो बंटी ने उसे एक टेबलेट दिया खाने को। पूनम नीचे आकर टेबलेट खा ली। अब वो निश्चिन्त थी और फिर से गहरी नींद में सो गयी।
अगले दिन एक होटल में ज्योति की रिसेप्शन पार्टी थी जिसमे वो लोग गए और फिर अगली सुबह पूनम अपनी मम्मी पापा के साथ अपने घर आ गयी, रास्ते में सोचती हुई की वो गुड्डू से कब और कहाँ चुदेगी।