05-09-2022, 01:27 AM
मैं मुस्कुराकर रह गई और बिना कुछ बोले चुपचाप कमरे मे लगे परदे के पीछे चली गई । मुझे जाते देख गुप्ता जी भी अपनी जगह से उठे और अंदर फीता लेने चले गए । परदे के पीछे जाकर मैंने अपनी साड़ी उतरनी शुरू की । साड़ी उतारकर उसे वही परदे की डोर पर लटका दिया । इतने मे गुप्ता जी आ गए और परदे के पीछे से ही मुझे अपनी आँखों से पहले की तरह निहारने लगे बिल्कुल उसी तरह जैसे पहली बार देख रहे थे । ये मैं जानती थी के गुप्ता जी पीछे से मुझे देख रहे है । साड़ी उतारकर आज मैंने खुद ही पर्दा हटा दिया और गुप्ता जी के पास जा खड़ी हुई ।
मैं आज गुप्ता जी को अपने आप को उत्तेजित करने का कोई मौका नहीं देना चाहती थी । गुप्ता जी के पास जाके मैंने उनसे कहा - मैं , तैयार हूँ गुप्ता जी ।
गुप्ता जी ने मेरी आँखों मे देखा और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए मुझे थोड़ी हैरानी हुई पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही उन्होंने मुझे कंधों से पकड़कर घूमा दिया अब मेरी बैक गुप्ता जी की नज़रों के सामने आ गई और वो उसे घूरने लगे । जब कुछ देर तक गुप्ता जी ने कुछ नहीं किया तो मैंने धीरे से पीछे पलटकर कहा - "क्या हुआ गुप्ता जी लीजिए ना नाप । "
गुप्ता जी का अचानक सपना सा टूटा और वो बोले - " हाँ ...... हाँ ....। "
फिर गुप्ता जी ने अपने हाथों मे फीता लिया और नीचे बैठ गए ,फीता खोल उन्होंने अपने हाथ आगे कर मेरी कमर के चारों ओर लपेट दिया जैसे ही गुप्ता जी के हाथ मेरी पतली नाजुक कमर से टकराए मेरे तन मे एक गुदगुदी सी हुई फिर गुप्ता जी ने अपने फ़ीते को थोड़ा कस के पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचा एकदम से ऐसे खिंचाव से मेरी स्थिति बिगड़ी और मेरे कदम थोड़ा पीछे हट गए । ऐसा होने से मेरी कमर गुप्ता जी के नाक के बिल्कुल पास सट गई और उनकी गरम साँसे मेरी कमर और पेटीकोट के अंदर मेरे नितम्बों पर टकराने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपना फीता मेरी कमर के चारों ओर से हटाया और नाप को नोट किया और फीता अलग रखकर अपने गरम हाथों से मेरी कमर के दोनों भागों को पकड़ लिया उनके ऐसा करते ही मेरी तो सिसकी ही निकल गई । "ये गुप्ता जी क्या कर रहे है ऐसे तो इन्होंने पहले कभी नाप नहीं लिया" मैं मन मे सोच रही थी । उत्सुकता की वजह से मैंने पुछा - "गुप्ता जी ये आप क्या कर ...... " । मैंने इतना ही कहा । गुप्ता जी मेरे मन की दुविधा जान गए तो उन्होंने कहा - " पदमा , अब मैं तुम्हारा नाप हाथों से लूँगा , फ़ीते से नाप लेने के बाद हाथ से लेना भी जरूरी है नहीं तो कभी-कभी सिलाई मे गड़बड़ हो जाती है ।
मैं( धीमी आवाज मे) - पर गुप्ता जी , आपने पहले ऐसा तो नहीं किया ?
गुप्ता जी - हाँ , पर पिछले कुछ समय से कुछ औरतो की शिकायत आई है की सिलाई मे कुछ दिक्कत है इसलिए अब मैं ऐसे ही माप लेता हूँ ।
गुप्ता जी की इन बातों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था तो मैं चुप ही रही , इन सब बातों के दौरान भी गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरी कमर से नहीं हटाए थे वो मेरी कमर को पकड़े हुए ही मुझसे बात कर रहे थे । फिर जब उन्हे लगा की मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो अपने हाथों को मेरी कमर के चारों ओर फिराने लगे उनके खुरदुरे हाथ मेरी कमर का पूरा-पूरा माप ले रहे थे , और पीछे से उनकी गरम साँसे मेरे नितम्बों मे टकरा रही थी जिससे साफ पता चल सकता था की वो मेरे जिस्म के बिल्कुल करीब बैठे है । जैसे-जैसे गुप्ता जी के हाथ मेरी नंगी गोरी कमर पर फिरने लगे मेरी धड़कन और साँसे दोनों तेज होने लगी । गुप्ता जी ने इत्मीनान से मेरी कमर का अपने हाथों से माप लिया और फिर एक बार ओर अपने हाथो से मेरी कमर को मजबूती से पकड़ा और अपनी ओर घूमा दिया । ऐसा करने से अब मेरा पेट उनके सामने आ गया जिससे उनकी नाक और साँसे इस बार मेरे पेट पर नाभी के आस-पास टकरा गयी । मेरी तो धीरे से सिसकी ही निकल गई - " आह .. .. " । जिसे गुप्ता जी के कानों ने भी सुना, गुप्ता जी ने अपना सर पुर उठाया और मुझसे पुछा - " क्या हुआ पदमा ? "
गुप्ता जी अच्छे से जानते थे की क्या हुआ है पर फिर भी जानबूझकर मुझसे पूछ रहे थे । मेरा रिएक्शन जानने के लिए ।
मैं ( धीरे से )- कुछ.. नहीं .. गुप्ता जी .. ।
इतना सुनकर गुप्ता जी ने अपना सिर नीचे किया और अपने काम मे लग गए उन्होंने अपने फ़ीते को मेरे पेट पर नाभी के पास लपेटा और उसे भी पहली बार की तरह कसकर पकड़ा और अपनी और खींचा , एक बार फिर अचानक से हुए इस हमले से मैं संभाल ना सकी और मेरे कदम गुप्ता जी की ओर बढ़ गए इस बार गुप्ता जी की नाक के साथ-साथ उनके होंठ भी मेरी नाभी से जा टकराए ओर जाने-अनजाने मे उन्होंने मेरी नाभी को चूम लिया । " आह ...... " - एक बार फिर मेरी आह निकली जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ्न किया कहीं गुप्ता जी ना सुन ले । मेरी साँसे अब ओर भी भारी होने लगी थी । इधर अब गुप्ता जी ने मेरे पेट से अपना फीता हटाया और उसके हटते ही अपने हाथ मेरे पेट पर रख दिए मैं समझ गई के अब गुप्ता जी हाथों से पेट का नाप लेंगे और हुआ भी वही गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट पर फिराने शुरू कर दिए और मेरी नाभी के आस-पास अपनी उँगलिया घुमाने लगे । गुप्ता जी हर स्पर्श मेरे अंदर रोमांच और डर दोनों पैदा कर रहा था इस भाव को मैं बयां नहीं कर सकती पर आलम ये था के धड़कने तेज हो गई थी ओर उसके साथ-साथ मेरे ब्लाउज मे कैद बूब्स भी तनाव ने आने लगे थे , तेज होती साँसों के साथ बूब्स लगातार ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ तो हीटर से गरम वो कमरा कुछ गुप्ता जी की साँसों की गर्मी मेरे माथे पर पसीना आने लगा और गुप्ता जी नीचे अपने काम मे लगे हुए थे । उनकी साँसे हर पल के साथ मुझे मेरी नाभी पर ओर करीब महसूस होने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट से हटाए । एक पल को मुझे चैन आया पर अगले ही पल उन्होंने अपना फीता फिर उठाया और अपने हाथ पीछे ले जाकर उसे मेरे नितम्बों पर लपेट दिया और फ़ीते को कसकर खींचा ,मेरे बड़े-बड़े नितम्ब गुप्ता जी के फ़ीते से दाब गए । गुप्ता जी ने एक झटका दिया और मैं इनके और करीब आ गई और गुप्ता जी का चेहरा मेरी योनि और उसकी आस पास की जगहों से जा टकराया जैसे ही गुप्ता जी की साँसे मेरी योनि तक पहुँची मेरे जिस्म मे एक मीठी लहर दौड़ गई अपनी सिसकी को रोकने के लिए मैंने अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए
पर जिस्म मे बूब्स के तनाव और साँसों की रफ्तार को ना रोक सकी मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी जिस्म भी भट्टी की तरह तपने लगा । गुप्ता जी ने अपने फ़ीते से मेरे नितम्बों का नाप लिया और उसे नोट करके रख दिया फिर उसके बाद उन्होंने अपने हाथ मेरे नितम्बों पर पीछे रख दिए । मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और गुप्ता जी के हाथ नितम्बों पर पड़ते ही अपनी कामुक उत्तेजना मे काँपती हुई आवाज मे मैं उनसे बोली - " गुप्ता जी .. .. ये .. ये .. रहने दीजिए ... ... .. ना ... । "
गुप्ता जी कहाँ रुकने वाले थे उनके पास मेरे इस सवाल का भी जवाब तैयार था । गुप्ता जी ने अपना सर ऊपर उठाया शर्म से मैंने अपनी आंखे बंद कर ली मैं गुप्ता जी की कातिल निगाहों का सामना नहीं कर सकती थी । गुप्ता जी बोले - " पदमा माप अच्छे से लेना जरूरी है नहीं तो पेटीकोट की फिटिंग खराब हो जाएगी । "
इतना बोलकर गुप्ता जी ने फिर से मेरे नितम्बों पर अपनी पकड़ बना की पर , इस बार उनकी पकड़ ओर भी ज्यादा मजबूत थी । मैं तो कुछ बोल ना पायी पर मेरा जिस्म आग उगलने लगा । मेरे निप्पलस तनकर बिल्कुल कड़े हो चुके थे धड़कन तो इतनी तेज थी के दिल बाहर निकालने को आ रहा था तेज साँसों के साथ बूब्स भी तेज-तेज हवा मे उछल रहे थे ये सब कम नहीं था नीचे से मेरी योनि पर गुप्ता जी की लगातार गरम साँसे ,पीछे नितम्बों को मसलते उनके मजबूत खुरदुरे हाथ और फिर अचानक गुप्ता जी ने मेरी ओर एक सवाल दाग दिया ।
गुप्ता जी - पदमा !
मैं (वासना से भारी हुई कांपती आवाज मे )- हाँ ...... गुप्ता .... जी .. ।
गुप्ता जी - तुमसे एक बात कहूँ ?
मैं - जी .... बोलिए .... ।
गुप्ता जी - बुरा तो नहीं मानोगी ?
मैं - नहीं .. .. .. .. ।
गुप्ता जी - मेरे पास जितनी भी औरते आती है ना अपने कपड़े सिलवाने उनमे से तुम्हारे जैसा कोई नहीं ।
एक तो गुप्ता जी ने वैसे ही मुझे कामअग्नि मे जला रखा था ऊपर से उनके ये सवाल-जवाब उस आग मे घी का काम कर रहे थे ।
मैं - अच्छा ....... पर .. ऐसा .. क्यूँ .. गुप्ता जी .. आह .. ( मेरी कामुकता मे आह निकल गई)
गुप्ता जी - क्योंकि तुम बोहोत सुंदर हो पदमा । तुम्हारे जैसी सुंदर औरत तो पूरी कालोनी मे एक भी नहीं ।
ये सब बाते बोलते हुए गुप्ता जी लगातार मेरे नितम्बों को अपने हाथों से रगड़ रहे थे और मेरी योनि पर अपनी साँसे छोड़ रहे थे जिससे मेरी योनि मे भी अब गीलापन आने लगा था , इससे मेरा बदन जैसे टूटने लगा । अपनी तारीफ़ सुनकर मेरी हवस और भी भड़क गई उत्तेजना के कारण मैं ठिक से बोल भी नहीं पा रही थी बस धीमी-धीमी आहें निकल रही थी होंठों से
मैं - आह .. .. नहीं .. गुप्ता जी ... .. आप .. झूठ बोल रहे ... है .. मैं .. इतनी सुंदर .. कहाँ ..?
गुप्ता जी - झुठ नहीं , बिल्कुल सच बोल रहा हूँ पदमा । ( इसी दौरान गुप्ता जी ने मेरे नितम्बों को अपने हाथों से आजाद किया और अपने हाथ आगे लाने लगे , हाथों को आगे लाते हुए गुप्ता जी का एक हाथ मेरे मेरे पेटीकोट के नाड़े मे उलझ गया । गुप्ता जी ने एक पल को अपना सर उठाकर मेरे चेहरे की ओर देखा मैंने धीरे से अपनी आंखे खोली मेरी आँखों मे गुप्ता जी डर , शर्म , हवस और रोमांच सब कुछ दिखाई पड़ा जबकि उनकी आँखों मे सिर्फ मेरे बदन को पाने की हवस और प्यास थी । गुप्ता जी आगे बोले - ) तुम्हारा तो नाम ही इतना कामुक है पदमा की कोई एक बार सुन ले तो तुम्हें देखे बगैर रह ना पाए और अब मैं भी नहीं रह सकता ।
इसके साथ ही गुप्ता जी ने मेरे पेटीकोट के नाड़े को खिंच दिया , पेटीकोट सररररर.. से सरकता हुआ नीचे जा गिरा और मेरे कुछ बोलने से पहले ही गुप्ता जी अपना मुहँ खोला और मेरी नाभी को उसमे भरकर उसकी चुसाई शुरू कर दी ।
एक पल को लगा जैसे सब कुछ रुक गया हो मैं जैसे हवा मे उड़ने लगी मानो सदियों से प्यासे मेरे जिस्म पर बरसात की बूंदे गिर रही हो । मैं - "आह ... गुप्ता जी ... नहीं .. छोड़ दीजिए ....... मुझे ..... आहं ....॥ " बस इतना ही कह पाई पर गुप्ता जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा उल्टा उन्होंने मुझे ओर जोर से अपनी बाहों मे जकड़कर जोर जोर से मेरे पेट को चूमने लगे । मैंने गुप्ता जी की पकड़ से छूटने की भी कोशिश की पर उनकी मजबूत पकड़ के आगे मेरी एक ना चली । पेटीकोट के नीचे गिरने के साथ ही मैं बस पेन्टी मे रह गई और वो छोटी सी पेन्टी मेरे बड़े-बड़े नितम्बों मे फँस कर रह गई मेरे नितम्ब अब आधे से ज्यादा नंगे थे जिन्हे गुप्ता जी अपनी मनमर्जी से मसल रहे थे । वासना की आग मे जल रहे मेरे जिस्म पर गुप्ता जी का हर वार आग मे घी का काम कर रहा था और मेरी योनि अब जमकर पानी छोड़ रही थी । होंठों से बस कामुक आहें और छूटने के शब्द निकल रहे थे - " प्लीज..... गुप्ता जी ...... आहं .... नहीं ... ओह ...... जाने दीजिए ....... .. मुझे ..... आहं.... नहीं .... मुझे मत ..... चूमिए ....... ओह ....... छोड़ दीजिए ........ ना ....... । "तुम्हारा जिस्म बोहोत सेक्सी है पदमा मैं इसे भोगना चाहता हूँ । "- गुप्ता जी एक बार को मुझसे बोले और फिर से मेरे पेट को चूमते हुए ऊपर की ओर आने लगे और रास्ते मे मिलने वाले मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमने लगे जब गुप्ता जी मेरे ब्लाउज तक आए तो ब्लाउज के ऊपर से ही वहाँ मेरे बूब्स को चूमने लगे।
मैं - "आहं.....नहीं ........ गुप्ता जी .. आपके ...... होंठ ..... आह ..... मुझ पर नशा........ कर ....... रहे ...... है ........ प्लीज मुझे ..... मत ...... चूमिए ...... ओह ...... ।" गुप्ता जी नहीं रुकने वाले ये मैं भी जान गई थी वो आगे बढ़े और मेरे गले पर भी अपने होंठों की मुहर लगा
दी वो पूरे जोश मे मेरे गले और उसके आस-पास चूमने लगे जैसे ही गुप्ता जी सीधे हुए उनका तना हुआ कडा लिंग बिल्कुल मेरी योनि से टकरा गया । गुप्ता जी के लिंग के अपनी योनि से टकराते ही मैं गुप्ता जी की बाहों मे मचल उठी और एक बार को उन्हे कसकर अपनी बाहों मे जकड़ लिया । गुप्ता जी समझ रहे थे की अब मैं भी हवस मे पागल होने लगी हूँ उन्होंने मुझे मेरे बालों से जोर से पकड़ा और अपने सूखे होंठ ,मेरे गरम रसीले होंठों पर रख दिए और मेरे लबों को अपने लबों मे भरकर जोर से चूसने लगे उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ को मेरे बूब्स पर रख उसे कसकर मसलने लगे । गुप्ता जी बोहोत देर तक मेरे होंठों को चूसते रहे मेरे होंठों का सारा रस पीने के बाद ही उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ा, मेरी आँखे हवस की आग मे लाल हो गई थी । फिर गुप्ता जी मेरे पीछे गए और मुझे पीछे से बाहों मे भरकर बेतहाशा चूमने लगे
अपने हाथ आगे लेजाकर उन्होंने मेरे तने हुए बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ लिया और उन्हे मनमर्जी से मसलने लगे , रगड़ने लगे , दबाने लगे उनके जो मन मे आ रहा था वो वैसे ही कर रहे थे । मैं - " आह ....... गुप्ता जी ....... इन्हे छोड़ ...... दीजिए ........ आहं ........ नहीं ....... ओह ..... दर्द ..... होता है ...।" गुप्ता जी मेरे बदन को पीछे से चूमते हुए ही बोले - " किसे छोंडू पदमा ?" "आह ... ये गुप्ता जी मुझसे क्या पूछ रहे है अब मैं अपने मुहँ से उन्हे कैसे बताऊ कि मेरे बूब्स को छोड़ दे" मैं - " इन्हे ...... आह ....... गुप्ता जी ........ जिनको ..... ओह ... आपने पकड़ा ...... है ...... आहं...... नहीं ...... जिनको आप ...... मसल....... रहे है..... ... आहं ...... । " गुप्ता जी - " मैंने किसको पकड़ा है पदमा नाम बताओ ?" अब मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैंने बोल दिया - " मेरे ..... बूब्स ...... को.. आह ......... छोड़ ...... दीजिए ....... गुप्ता जी ......... दर्द ....... होता है ..... ओह ...प्लीज ..... । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरे बूब्स पर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी इससे मुझे कुछ राहत मिली , पर अब उन्हे मेरा ये ब्लाउज रास नहीं आ रहा था उन्होंने हाथ आगे बढ़ा कर मेरे ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए । मैंने गुप्ता जी को रोकने की कोशिश की और अपने हाथ से उनके हाथ पकड़कर कहा - " नहीं ...गुप्ता जी ..... प्लीज....... इसे मत...... उतारिए ........ । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरा कान अपने होंठों मे भरकर उसे चूसने लगे और पीछे से मेरे नितम्बों पर धक्के लगाने लगे । इससे मिलने वाले मजे से मैं पस्त हो गई और मेरी पकड़ गुप्ता जी के हाथों पर ढीली पड़ गई । गुप्ता जी समझ गए की मैं अब विरोध करने की स्थिति मे नहीं हूँ वो मेरे कान मे बोले - " पदमा तुम्हारी गाँड़ बोहोत सेक्सी है मैं इसे मैं इसे चोदना चाहता हूँ । " "हे भगवान ! गुप्ता जी मुझसे कितनी गंदी भाषा मे बात कर रहे है ऐसा तो कभी अशोक ने भी मुझे नहीं बोला " मैं - आहं ..... गुप्ता जी ...... ये आप...... क्या बोल ......... रहे है ....... प्लीज......... ऐसी....... बाते....... मत कीजिए ........मुझे कुछ ....... कुछ....... होता है ...। " मेरी बात का गुप्ता जी ने कोई जवाब तो नहीं दिया पर एक झटके के साथ मुझे कपड़ों के ढेर के पास पड़े एक गद्दे पर खेन्च लिया और मेरे ऊपर आकर मुझे फिर से चूमने लगे वो लगातार मुझे कंधों पर गर्दन पर चूमे जा रहे थे
और मैं जोर जोर से आहे भरने लगी । फिर गुप्ता जी ने मेरे अधखुले ब्लाउज को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एकदम से खेन्चकर उसे निकाल दिया और वही कपड़ों के ढेर पर फेंक दिया और मेरी कमर पर चूमते हुए पीछे से मेरी ब्रा के हूँ भी खोल दिए ब्रा के हुक खुलते ही मैंने अपने हाथों से अपने बूब्स को ढकने की कोशिश की पर गुप्ता जी ने मुझे इसका भी मौका नहीं दिया और मुझे पलटकर सीधा कर दिया और मेरे बूब्स को अपने होंठों मे भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगे । बूब्स के गुप्ता जी के होंठों मे जाते ही मैं जल बिन मछली की तरह मचले लगी, मेरी योनि जमकर पानी बरसाने लगी । गुप्ता जी मेरे बूब्स को तो चूस ही रहे थे साथ ही साथ मेरे निप्पलस को भी अपनी जीभ से छेड़ रहे थे उनकी ये हरकते मुझे पागल कीये जा रही थी । मैं हवस मे अंधी हो चुकी थी अपने हाथों से मैंने गुप्ता जी का सर अपने बूब्स पर दबा दिया ।
मैं - " आह .... गुप्ता जी ....... निचोड़ लीजिए ....... इनका ....... सारा ....... दूध ....... आहं ...... मत छोड़िएगा ...... इन्हे ..... ओह ." । मेरे मुहँ से ये सब शब्द सुनकर गुप्ता जी और भी जोश मे आ गए और, ओर भी जोर जोर से मेरे बूब्स को चूसने लगे उन्हे पीने लगे फिर वो मेरे बूब्स को छोड़ मुझे चूमते हुए नीचे की ओर आए ओर मेरे पैर को अपने हाथों मे लेकर उसे चूसने लगे , गुप्ता जी मेरे पैर की एक-एक उंगली को अपने होंठों मे लेकर चूस रहे थे ।
मेरे लिए ये अनुभव बिल्कुल नया था जीवन मे मेरे साथ ऐसा पहले कभी किसी ने नहीं किया था गुप्ता जी का ये हमला मेरे लिए सबसे घातक साबित हुआ और मेरा सब्र जवाब दे गया । अपनी सभी मर्यादाओ , सीमाओं और धर्म को भूलकर मैं अपने जिस्म की गर्मी की गुलाम बन गई और वासना की आग मे बोल उठी - "आह ..... गुप्ता जी ....... अब .... और मत ...... तड़पाइए ...... प्लीज ....... जो आह ........ भी ...... करना ...... है ... ओह .... जल्दी कीजिए....... " मेरी ये बात गुप्ता जी के लिए खुला निमंत्रण थी गुप्ता जी ने मेरा पैर छोड़ा और ऊपर की ओर आए ओर मेरे नितम्बों के पास आकर उन्हे अपने हाथों मे भर लिया ओर जोर से हिलाया । मेरे मांसल नितम्ब एक दूसरे से टकराकर हिलने लगे फिर गुप्ता जी ने अपनी जीब बाहर निकाली ओर मेरे नितंबों को उन्हे जोर-जोर चाटने लगे वो उन्हे पूरा अपने मुहँ मे भरने की कोशिश कर रहे थे ।
फिर गुप्ता जी ने उन्हे छोड़ा ओर अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी पेन्टी को नीचे खिसकाने की कोशिश करने लगे तो मैंने अपनी पेन्टी को अपने हाथों से मजबूती से पकड़ लिया और गुप्ता जी से कहा - " प्लीज गुप्ता जी ....... इसे मत उतारिए .... आप ऊपर से ..... ही कर लीजिए ....... । " गुप्ता जी के लिए भी अब 1 सेकंड रुकना मुश्किल था उन्होंने पेन्टी को यूँही छोड़ अपनी पेंट से अपना लिंग बाहर निकाला और उसे मेरे नितम्बों पर सटा कर मेरे ऊपर लेट गए और धक्के मारने लगे । गुप्ता जी के हर धक्के के साथ मेरी योनि ओर भी पानी छोड़ने लगी मुझे गुप्ता जी का लिंग अपने नितम्बों पर चुभता हुए महसूस हो रहा था और अपने आकार को भी बयां कर रहा था । गुप्ता जी के धक्के पेन्टी के ऊपर से ही मुझे असीम सुख दे रहे थे और मैं उनके नीचे लेटी हुई जोर-जोर से आहें भर थी ।
" हाँ ..... गुप्ता जी ..... ऐसे ही ....... करते रहिए ...... आह ..... हाँ ... हाँ ..... अब ..... ओह .... हाँ .... रुकिएगा नहीं ....... हाँ ऐसे ही ....... हाँ वही ...... पर ....... धक्के ... मारिए ..... आह..।" मैं ऐसे ही चिल्लाती रही जब तक गुप्ता जी ने आगे बढ़कर मेरे होंठों को अपने होंठों मे लेकर चुप नहीं करवा दिया गुप्ता जी मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगे मैं भी उनका साथ देने लगी और उनके होंठों को चूसने लगी । फिर उन्होंने अपना हाथ नीचे लेजाकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उनका मान-मर्दन अपनी इच्छानुसार करने लगे । ऊपर से गुप्ता जी के कातिल धक्के , होंठ उनके होंठों मे , बूब्स उनके हाथों मे जितना मज़ा मुझे उस समय मिल रहा था उससे पहले कभी नहीं मिला । अशोक की तो क्या ही कहूँ इतना मजा तो उस दिन नितिन के साथ भी नहीं आया जितना आज गुप्ता जी मुझे मज़ा दे रहे थे । इतने मजे को सहन करने की शक्ति मुझमे नहीं थी और मेरे अंदर एक सैलाब आने लगा गुप्ता जी की साँसे भी अब उखड़ रही थी उन्होंने भी मेरे होंठों को छोड़ दिया और अपना लिंग मेरे दोनों नितम्बों के बीच फसाकर गहरे-2 धक्के लगाने लगे इन धक्कों की चोट सीधे मेरी योनि तक जा रही थी मैंने गद्दे के दोनों किनारों को अपने हाथों से जोर से पकड़ लिया और अपने होंठ को दाँतों तले दबा लिया और फिर एक लंबी आह - " आह ............. ............. ............. " और इसी के साथ मेरी पेन्टी मेरी योनि के बोहोत सारे चुतरस से भीग गई और ढेर सारा चुतरस गुप्ता जी के गद्दे पर बिखर गया । उधर गुप्ता जी की भी हालत अब खराब हो गई और एक कराह " आह ...... पदमा ........ " के साथ उन्होंने अपना बोहोत सारा वीर्य मेरे नितम्बों पर बिखेर दिया और मेरे ऊपर ही लेट गए। हम दोनों की साँसे बोहोत तेज-2 चल रही थी , शरीर पसीने से भीग चुके थे , कितनी ही देर तक हम दोनों ऐसे ही आँखे बंद कीये लेटे रहे ।
मैं आज गुप्ता जी को अपने आप को उत्तेजित करने का कोई मौका नहीं देना चाहती थी । गुप्ता जी के पास जाके मैंने उनसे कहा - मैं , तैयार हूँ गुप्ता जी ।
गुप्ता जी ने मेरी आँखों मे देखा और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए मुझे थोड़ी हैरानी हुई पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही उन्होंने मुझे कंधों से पकड़कर घूमा दिया अब मेरी बैक गुप्ता जी की नज़रों के सामने आ गई और वो उसे घूरने लगे । जब कुछ देर तक गुप्ता जी ने कुछ नहीं किया तो मैंने धीरे से पीछे पलटकर कहा - "क्या हुआ गुप्ता जी लीजिए ना नाप । "
गुप्ता जी का अचानक सपना सा टूटा और वो बोले - " हाँ ...... हाँ ....। "
फिर गुप्ता जी ने अपने हाथों मे फीता लिया और नीचे बैठ गए ,फीता खोल उन्होंने अपने हाथ आगे कर मेरी कमर के चारों ओर लपेट दिया जैसे ही गुप्ता जी के हाथ मेरी पतली नाजुक कमर से टकराए मेरे तन मे एक गुदगुदी सी हुई फिर गुप्ता जी ने अपने फ़ीते को थोड़ा कस के पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचा एकदम से ऐसे खिंचाव से मेरी स्थिति बिगड़ी और मेरे कदम थोड़ा पीछे हट गए । ऐसा होने से मेरी कमर गुप्ता जी के नाक के बिल्कुल पास सट गई और उनकी गरम साँसे मेरी कमर और पेटीकोट के अंदर मेरे नितम्बों पर टकराने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपना फीता मेरी कमर के चारों ओर से हटाया और नाप को नोट किया और फीता अलग रखकर अपने गरम हाथों से मेरी कमर के दोनों भागों को पकड़ लिया उनके ऐसा करते ही मेरी तो सिसकी ही निकल गई । "ये गुप्ता जी क्या कर रहे है ऐसे तो इन्होंने पहले कभी नाप नहीं लिया" मैं मन मे सोच रही थी । उत्सुकता की वजह से मैंने पुछा - "गुप्ता जी ये आप क्या कर ...... " । मैंने इतना ही कहा । गुप्ता जी मेरे मन की दुविधा जान गए तो उन्होंने कहा - " पदमा , अब मैं तुम्हारा नाप हाथों से लूँगा , फ़ीते से नाप लेने के बाद हाथ से लेना भी जरूरी है नहीं तो कभी-कभी सिलाई मे गड़बड़ हो जाती है ।
मैं( धीमी आवाज मे) - पर गुप्ता जी , आपने पहले ऐसा तो नहीं किया ?
गुप्ता जी - हाँ , पर पिछले कुछ समय से कुछ औरतो की शिकायत आई है की सिलाई मे कुछ दिक्कत है इसलिए अब मैं ऐसे ही माप लेता हूँ ।
गुप्ता जी की इन बातों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था तो मैं चुप ही रही , इन सब बातों के दौरान भी गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरी कमर से नहीं हटाए थे वो मेरी कमर को पकड़े हुए ही मुझसे बात कर रहे थे । फिर जब उन्हे लगा की मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो अपने हाथों को मेरी कमर के चारों ओर फिराने लगे उनके खुरदुरे हाथ मेरी कमर का पूरा-पूरा माप ले रहे थे , और पीछे से उनकी गरम साँसे मेरे नितम्बों मे टकरा रही थी जिससे साफ पता चल सकता था की वो मेरे जिस्म के बिल्कुल करीब बैठे है । जैसे-जैसे गुप्ता जी के हाथ मेरी नंगी गोरी कमर पर फिरने लगे मेरी धड़कन और साँसे दोनों तेज होने लगी । गुप्ता जी ने इत्मीनान से मेरी कमर का अपने हाथों से माप लिया और फिर एक बार ओर अपने हाथो से मेरी कमर को मजबूती से पकड़ा और अपनी ओर घूमा दिया । ऐसा करने से अब मेरा पेट उनके सामने आ गया जिससे उनकी नाक और साँसे इस बार मेरे पेट पर नाभी के आस-पास टकरा गयी । मेरी तो धीरे से सिसकी ही निकल गई - " आह .. .. " । जिसे गुप्ता जी के कानों ने भी सुना, गुप्ता जी ने अपना सर पुर उठाया और मुझसे पुछा - " क्या हुआ पदमा ? "
गुप्ता जी अच्छे से जानते थे की क्या हुआ है पर फिर भी जानबूझकर मुझसे पूछ रहे थे । मेरा रिएक्शन जानने के लिए ।
मैं ( धीरे से )- कुछ.. नहीं .. गुप्ता जी .. ।
इतना सुनकर गुप्ता जी ने अपना सिर नीचे किया और अपने काम मे लग गए उन्होंने अपने फ़ीते को मेरे पेट पर नाभी के पास लपेटा और उसे भी पहली बार की तरह कसकर पकड़ा और अपनी और खींचा , एक बार फिर अचानक से हुए इस हमले से मैं संभाल ना सकी और मेरे कदम गुप्ता जी की ओर बढ़ गए इस बार गुप्ता जी की नाक के साथ-साथ उनके होंठ भी मेरी नाभी से जा टकराए ओर जाने-अनजाने मे उन्होंने मेरी नाभी को चूम लिया । " आह ...... " - एक बार फिर मेरी आह निकली जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ्न किया कहीं गुप्ता जी ना सुन ले । मेरी साँसे अब ओर भी भारी होने लगी थी । इधर अब गुप्ता जी ने मेरे पेट से अपना फीता हटाया और उसके हटते ही अपने हाथ मेरे पेट पर रख दिए मैं समझ गई के अब गुप्ता जी हाथों से पेट का नाप लेंगे और हुआ भी वही गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट पर फिराने शुरू कर दिए और मेरी नाभी के आस-पास अपनी उँगलिया घुमाने लगे । गुप्ता जी हर स्पर्श मेरे अंदर रोमांच और डर दोनों पैदा कर रहा था इस भाव को मैं बयां नहीं कर सकती पर आलम ये था के धड़कने तेज हो गई थी ओर उसके साथ-साथ मेरे ब्लाउज मे कैद बूब्स भी तनाव ने आने लगे थे , तेज होती साँसों के साथ बूब्स लगातार ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ तो हीटर से गरम वो कमरा कुछ गुप्ता जी की साँसों की गर्मी मेरे माथे पर पसीना आने लगा और गुप्ता जी नीचे अपने काम मे लगे हुए थे । उनकी साँसे हर पल के साथ मुझे मेरी नाभी पर ओर करीब महसूस होने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट से हटाए । एक पल को मुझे चैन आया पर अगले ही पल उन्होंने अपना फीता फिर उठाया और अपने हाथ पीछे ले जाकर उसे मेरे नितम्बों पर लपेट दिया और फ़ीते को कसकर खींचा ,मेरे बड़े-बड़े नितम्ब गुप्ता जी के फ़ीते से दाब गए । गुप्ता जी ने एक झटका दिया और मैं इनके और करीब आ गई और गुप्ता जी का चेहरा मेरी योनि और उसकी आस पास की जगहों से जा टकराया जैसे ही गुप्ता जी की साँसे मेरी योनि तक पहुँची मेरे जिस्म मे एक मीठी लहर दौड़ गई अपनी सिसकी को रोकने के लिए मैंने अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए
पर जिस्म मे बूब्स के तनाव और साँसों की रफ्तार को ना रोक सकी मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी जिस्म भी भट्टी की तरह तपने लगा । गुप्ता जी ने अपने फ़ीते से मेरे नितम्बों का नाप लिया और उसे नोट करके रख दिया फिर उसके बाद उन्होंने अपने हाथ मेरे नितम्बों पर पीछे रख दिए । मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और गुप्ता जी के हाथ नितम्बों पर पड़ते ही अपनी कामुक उत्तेजना मे काँपती हुई आवाज मे मैं उनसे बोली - " गुप्ता जी .. .. ये .. ये .. रहने दीजिए ... ... .. ना ... । "
गुप्ता जी कहाँ रुकने वाले थे उनके पास मेरे इस सवाल का भी जवाब तैयार था । गुप्ता जी ने अपना सर ऊपर उठाया शर्म से मैंने अपनी आंखे बंद कर ली मैं गुप्ता जी की कातिल निगाहों का सामना नहीं कर सकती थी । गुप्ता जी बोले - " पदमा माप अच्छे से लेना जरूरी है नहीं तो पेटीकोट की फिटिंग खराब हो जाएगी । "
इतना बोलकर गुप्ता जी ने फिर से मेरे नितम्बों पर अपनी पकड़ बना की पर , इस बार उनकी पकड़ ओर भी ज्यादा मजबूत थी । मैं तो कुछ बोल ना पायी पर मेरा जिस्म आग उगलने लगा । मेरे निप्पलस तनकर बिल्कुल कड़े हो चुके थे धड़कन तो इतनी तेज थी के दिल बाहर निकालने को आ रहा था तेज साँसों के साथ बूब्स भी तेज-तेज हवा मे उछल रहे थे ये सब कम नहीं था नीचे से मेरी योनि पर गुप्ता जी की लगातार गरम साँसे ,पीछे नितम्बों को मसलते उनके मजबूत खुरदुरे हाथ और फिर अचानक गुप्ता जी ने मेरी ओर एक सवाल दाग दिया ।
गुप्ता जी - पदमा !
मैं (वासना से भारी हुई कांपती आवाज मे )- हाँ ...... गुप्ता .... जी .. ।
गुप्ता जी - तुमसे एक बात कहूँ ?
मैं - जी .... बोलिए .... ।
गुप्ता जी - बुरा तो नहीं मानोगी ?
मैं - नहीं .. .. .. .. ।
गुप्ता जी - मेरे पास जितनी भी औरते आती है ना अपने कपड़े सिलवाने उनमे से तुम्हारे जैसा कोई नहीं ।
एक तो गुप्ता जी ने वैसे ही मुझे कामअग्नि मे जला रखा था ऊपर से उनके ये सवाल-जवाब उस आग मे घी का काम कर रहे थे ।
मैं - अच्छा ....... पर .. ऐसा .. क्यूँ .. गुप्ता जी .. आह .. ( मेरी कामुकता मे आह निकल गई)
गुप्ता जी - क्योंकि तुम बोहोत सुंदर हो पदमा । तुम्हारे जैसी सुंदर औरत तो पूरी कालोनी मे एक भी नहीं ।
ये सब बाते बोलते हुए गुप्ता जी लगातार मेरे नितम्बों को अपने हाथों से रगड़ रहे थे और मेरी योनि पर अपनी साँसे छोड़ रहे थे जिससे मेरी योनि मे भी अब गीलापन आने लगा था , इससे मेरा बदन जैसे टूटने लगा । अपनी तारीफ़ सुनकर मेरी हवस और भी भड़क गई उत्तेजना के कारण मैं ठिक से बोल भी नहीं पा रही थी बस धीमी-धीमी आहें निकल रही थी होंठों से
मैं - आह .. .. नहीं .. गुप्ता जी ... .. आप .. झूठ बोल रहे ... है .. मैं .. इतनी सुंदर .. कहाँ ..?
गुप्ता जी - झुठ नहीं , बिल्कुल सच बोल रहा हूँ पदमा । ( इसी दौरान गुप्ता जी ने मेरे नितम्बों को अपने हाथों से आजाद किया और अपने हाथ आगे लाने लगे , हाथों को आगे लाते हुए गुप्ता जी का एक हाथ मेरे मेरे पेटीकोट के नाड़े मे उलझ गया । गुप्ता जी ने एक पल को अपना सर उठाकर मेरे चेहरे की ओर देखा मैंने धीरे से अपनी आंखे खोली मेरी आँखों मे गुप्ता जी डर , शर्म , हवस और रोमांच सब कुछ दिखाई पड़ा जबकि उनकी आँखों मे सिर्फ मेरे बदन को पाने की हवस और प्यास थी । गुप्ता जी आगे बोले - ) तुम्हारा तो नाम ही इतना कामुक है पदमा की कोई एक बार सुन ले तो तुम्हें देखे बगैर रह ना पाए और अब मैं भी नहीं रह सकता ।
इसके साथ ही गुप्ता जी ने मेरे पेटीकोट के नाड़े को खिंच दिया , पेटीकोट सररररर.. से सरकता हुआ नीचे जा गिरा और मेरे कुछ बोलने से पहले ही गुप्ता जी अपना मुहँ खोला और मेरी नाभी को उसमे भरकर उसकी चुसाई शुरू कर दी ।
एक पल को लगा जैसे सब कुछ रुक गया हो मैं जैसे हवा मे उड़ने लगी मानो सदियों से प्यासे मेरे जिस्म पर बरसात की बूंदे गिर रही हो । मैं - "आह ... गुप्ता जी ... नहीं .. छोड़ दीजिए ....... मुझे ..... आहं ....॥ " बस इतना ही कह पाई पर गुप्ता जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा उल्टा उन्होंने मुझे ओर जोर से अपनी बाहों मे जकड़कर जोर जोर से मेरे पेट को चूमने लगे । मैंने गुप्ता जी की पकड़ से छूटने की भी कोशिश की पर उनकी मजबूत पकड़ के आगे मेरी एक ना चली । पेटीकोट के नीचे गिरने के साथ ही मैं बस पेन्टी मे रह गई और वो छोटी सी पेन्टी मेरे बड़े-बड़े नितम्बों मे फँस कर रह गई मेरे नितम्ब अब आधे से ज्यादा नंगे थे जिन्हे गुप्ता जी अपनी मनमर्जी से मसल रहे थे । वासना की आग मे जल रहे मेरे जिस्म पर गुप्ता जी का हर वार आग मे घी का काम कर रहा था और मेरी योनि अब जमकर पानी छोड़ रही थी । होंठों से बस कामुक आहें और छूटने के शब्द निकल रहे थे - " प्लीज..... गुप्ता जी ...... आहं .... नहीं ... ओह ...... जाने दीजिए ....... .. मुझे ..... आहं.... नहीं .... मुझे मत ..... चूमिए ....... ओह ....... छोड़ दीजिए ........ ना ....... । "तुम्हारा जिस्म बोहोत सेक्सी है पदमा मैं इसे भोगना चाहता हूँ । "- गुप्ता जी एक बार को मुझसे बोले और फिर से मेरे पेट को चूमते हुए ऊपर की ओर आने लगे और रास्ते मे मिलने वाले मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमने लगे जब गुप्ता जी मेरे ब्लाउज तक आए तो ब्लाउज के ऊपर से ही वहाँ मेरे बूब्स को चूमने लगे।
मैं - "आहं.....नहीं ........ गुप्ता जी .. आपके ...... होंठ ..... आह ..... मुझ पर नशा........ कर ....... रहे ...... है ........ प्लीज मुझे ..... मत ...... चूमिए ...... ओह ...... ।" गुप्ता जी नहीं रुकने वाले ये मैं भी जान गई थी वो आगे बढ़े और मेरे गले पर भी अपने होंठों की मुहर लगा
दी वो पूरे जोश मे मेरे गले और उसके आस-पास चूमने लगे जैसे ही गुप्ता जी सीधे हुए उनका तना हुआ कडा लिंग बिल्कुल मेरी योनि से टकरा गया । गुप्ता जी के लिंग के अपनी योनि से टकराते ही मैं गुप्ता जी की बाहों मे मचल उठी और एक बार को उन्हे कसकर अपनी बाहों मे जकड़ लिया । गुप्ता जी समझ रहे थे की अब मैं भी हवस मे पागल होने लगी हूँ उन्होंने मुझे मेरे बालों से जोर से पकड़ा और अपने सूखे होंठ ,मेरे गरम रसीले होंठों पर रख दिए और मेरे लबों को अपने लबों मे भरकर जोर से चूसने लगे उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ को मेरे बूब्स पर रख उसे कसकर मसलने लगे । गुप्ता जी बोहोत देर तक मेरे होंठों को चूसते रहे मेरे होंठों का सारा रस पीने के बाद ही उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ा, मेरी आँखे हवस की आग मे लाल हो गई थी । फिर गुप्ता जी मेरे पीछे गए और मुझे पीछे से बाहों मे भरकर बेतहाशा चूमने लगे
अपने हाथ आगे लेजाकर उन्होंने मेरे तने हुए बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ लिया और उन्हे मनमर्जी से मसलने लगे , रगड़ने लगे , दबाने लगे उनके जो मन मे आ रहा था वो वैसे ही कर रहे थे । मैं - " आह ....... गुप्ता जी ....... इन्हे छोड़ ...... दीजिए ........ आहं ........ नहीं ....... ओह ..... दर्द ..... होता है ...।" गुप्ता जी मेरे बदन को पीछे से चूमते हुए ही बोले - " किसे छोंडू पदमा ?" "आह ... ये गुप्ता जी मुझसे क्या पूछ रहे है अब मैं अपने मुहँ से उन्हे कैसे बताऊ कि मेरे बूब्स को छोड़ दे" मैं - " इन्हे ...... आह ....... गुप्ता जी ........ जिनको ..... ओह ... आपने पकड़ा ...... है ...... आहं...... नहीं ...... जिनको आप ...... मसल....... रहे है..... ... आहं ...... । " गुप्ता जी - " मैंने किसको पकड़ा है पदमा नाम बताओ ?" अब मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैंने बोल दिया - " मेरे ..... बूब्स ...... को.. आह ......... छोड़ ...... दीजिए ....... गुप्ता जी ......... दर्द ....... होता है ..... ओह ...प्लीज ..... । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरे बूब्स पर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी इससे मुझे कुछ राहत मिली , पर अब उन्हे मेरा ये ब्लाउज रास नहीं आ रहा था उन्होंने हाथ आगे बढ़ा कर मेरे ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए । मैंने गुप्ता जी को रोकने की कोशिश की और अपने हाथ से उनके हाथ पकड़कर कहा - " नहीं ...गुप्ता जी ..... प्लीज....... इसे मत...... उतारिए ........ । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरा कान अपने होंठों मे भरकर उसे चूसने लगे और पीछे से मेरे नितम्बों पर धक्के लगाने लगे । इससे मिलने वाले मजे से मैं पस्त हो गई और मेरी पकड़ गुप्ता जी के हाथों पर ढीली पड़ गई । गुप्ता जी समझ गए की मैं अब विरोध करने की स्थिति मे नहीं हूँ वो मेरे कान मे बोले - " पदमा तुम्हारी गाँड़ बोहोत सेक्सी है मैं इसे मैं इसे चोदना चाहता हूँ । " "हे भगवान ! गुप्ता जी मुझसे कितनी गंदी भाषा मे बात कर रहे है ऐसा तो कभी अशोक ने भी मुझे नहीं बोला " मैं - आहं ..... गुप्ता जी ...... ये आप...... क्या बोल ......... रहे है ....... प्लीज......... ऐसी....... बाते....... मत कीजिए ........मुझे कुछ ....... कुछ....... होता है ...। " मेरी बात का गुप्ता जी ने कोई जवाब तो नहीं दिया पर एक झटके के साथ मुझे कपड़ों के ढेर के पास पड़े एक गद्दे पर खेन्च लिया और मेरे ऊपर आकर मुझे फिर से चूमने लगे वो लगातार मुझे कंधों पर गर्दन पर चूमे जा रहे थे
और मैं जोर जोर से आहे भरने लगी । फिर गुप्ता जी ने मेरे अधखुले ब्लाउज को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एकदम से खेन्चकर उसे निकाल दिया और वही कपड़ों के ढेर पर फेंक दिया और मेरी कमर पर चूमते हुए पीछे से मेरी ब्रा के हूँ भी खोल दिए ब्रा के हुक खुलते ही मैंने अपने हाथों से अपने बूब्स को ढकने की कोशिश की पर गुप्ता जी ने मुझे इसका भी मौका नहीं दिया और मुझे पलटकर सीधा कर दिया और मेरे बूब्स को अपने होंठों मे भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगे । बूब्स के गुप्ता जी के होंठों मे जाते ही मैं जल बिन मछली की तरह मचले लगी, मेरी योनि जमकर पानी बरसाने लगी । गुप्ता जी मेरे बूब्स को तो चूस ही रहे थे साथ ही साथ मेरे निप्पलस को भी अपनी जीभ से छेड़ रहे थे उनकी ये हरकते मुझे पागल कीये जा रही थी । मैं हवस मे अंधी हो चुकी थी अपने हाथों से मैंने गुप्ता जी का सर अपने बूब्स पर दबा दिया ।
मैं - " आह .... गुप्ता जी ....... निचोड़ लीजिए ....... इनका ....... सारा ....... दूध ....... आहं ...... मत छोड़िएगा ...... इन्हे ..... ओह ." । मेरे मुहँ से ये सब शब्द सुनकर गुप्ता जी और भी जोश मे आ गए और, ओर भी जोर जोर से मेरे बूब्स को चूसने लगे उन्हे पीने लगे फिर वो मेरे बूब्स को छोड़ मुझे चूमते हुए नीचे की ओर आए ओर मेरे पैर को अपने हाथों मे लेकर उसे चूसने लगे , गुप्ता जी मेरे पैर की एक-एक उंगली को अपने होंठों मे लेकर चूस रहे थे ।
मेरे लिए ये अनुभव बिल्कुल नया था जीवन मे मेरे साथ ऐसा पहले कभी किसी ने नहीं किया था गुप्ता जी का ये हमला मेरे लिए सबसे घातक साबित हुआ और मेरा सब्र जवाब दे गया । अपनी सभी मर्यादाओ , सीमाओं और धर्म को भूलकर मैं अपने जिस्म की गर्मी की गुलाम बन गई और वासना की आग मे बोल उठी - "आह ..... गुप्ता जी ....... अब .... और मत ...... तड़पाइए ...... प्लीज ....... जो आह ........ भी ...... करना ...... है ... ओह .... जल्दी कीजिए....... " मेरी ये बात गुप्ता जी के लिए खुला निमंत्रण थी गुप्ता जी ने मेरा पैर छोड़ा और ऊपर की ओर आए ओर मेरे नितम्बों के पास आकर उन्हे अपने हाथों मे भर लिया ओर जोर से हिलाया । मेरे मांसल नितम्ब एक दूसरे से टकराकर हिलने लगे फिर गुप्ता जी ने अपनी जीब बाहर निकाली ओर मेरे नितंबों को उन्हे जोर-जोर चाटने लगे वो उन्हे पूरा अपने मुहँ मे भरने की कोशिश कर रहे थे ।
फिर गुप्ता जी ने उन्हे छोड़ा ओर अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी पेन्टी को नीचे खिसकाने की कोशिश करने लगे तो मैंने अपनी पेन्टी को अपने हाथों से मजबूती से पकड़ लिया और गुप्ता जी से कहा - " प्लीज गुप्ता जी ....... इसे मत उतारिए .... आप ऊपर से ..... ही कर लीजिए ....... । " गुप्ता जी के लिए भी अब 1 सेकंड रुकना मुश्किल था उन्होंने पेन्टी को यूँही छोड़ अपनी पेंट से अपना लिंग बाहर निकाला और उसे मेरे नितम्बों पर सटा कर मेरे ऊपर लेट गए और धक्के मारने लगे । गुप्ता जी के हर धक्के के साथ मेरी योनि ओर भी पानी छोड़ने लगी मुझे गुप्ता जी का लिंग अपने नितम्बों पर चुभता हुए महसूस हो रहा था और अपने आकार को भी बयां कर रहा था । गुप्ता जी के धक्के पेन्टी के ऊपर से ही मुझे असीम सुख दे रहे थे और मैं उनके नीचे लेटी हुई जोर-जोर से आहें भर थी ।
" हाँ ..... गुप्ता जी ..... ऐसे ही ....... करते रहिए ...... आह ..... हाँ ... हाँ ..... अब ..... ओह .... हाँ .... रुकिएगा नहीं ....... हाँ ऐसे ही ....... हाँ वही ...... पर ....... धक्के ... मारिए ..... आह..।" मैं ऐसे ही चिल्लाती रही जब तक गुप्ता जी ने आगे बढ़कर मेरे होंठों को अपने होंठों मे लेकर चुप नहीं करवा दिया गुप्ता जी मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगे मैं भी उनका साथ देने लगी और उनके होंठों को चूसने लगी । फिर उन्होंने अपना हाथ नीचे लेजाकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उनका मान-मर्दन अपनी इच्छानुसार करने लगे । ऊपर से गुप्ता जी के कातिल धक्के , होंठ उनके होंठों मे , बूब्स उनके हाथों मे जितना मज़ा मुझे उस समय मिल रहा था उससे पहले कभी नहीं मिला । अशोक की तो क्या ही कहूँ इतना मजा तो उस दिन नितिन के साथ भी नहीं आया जितना आज गुप्ता जी मुझे मज़ा दे रहे थे । इतने मजे को सहन करने की शक्ति मुझमे नहीं थी और मेरे अंदर एक सैलाब आने लगा गुप्ता जी की साँसे भी अब उखड़ रही थी उन्होंने भी मेरे होंठों को छोड़ दिया और अपना लिंग मेरे दोनों नितम्बों के बीच फसाकर गहरे-2 धक्के लगाने लगे इन धक्कों की चोट सीधे मेरी योनि तक जा रही थी मैंने गद्दे के दोनों किनारों को अपने हाथों से जोर से पकड़ लिया और अपने होंठ को दाँतों तले दबा लिया और फिर एक लंबी आह - " आह ............. ............. ............. " और इसी के साथ मेरी पेन्टी मेरी योनि के बोहोत सारे चुतरस से भीग गई और ढेर सारा चुतरस गुप्ता जी के गद्दे पर बिखर गया । उधर गुप्ता जी की भी हालत अब खराब हो गई और एक कराह " आह ...... पदमा ........ " के साथ उन्होंने अपना बोहोत सारा वीर्य मेरे नितम्बों पर बिखेर दिया और मेरे ऊपर ही लेट गए। हम दोनों की साँसे बोहोत तेज-2 चल रही थी , शरीर पसीने से भीग चुके थे , कितनी ही देर तक हम दोनों ऐसे ही आँखे बंद कीये लेटे रहे ।