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बहु की योजना ( INCEST)
#8
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२५
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मैंने अपने दांतों से अपने  होंठ को कस लिया।  पर मेरी सुबकती चीत्कार उनके अगले धक्के से कमरे में गूँज उठी। 
अब उनका पूरा विकराल अमानवीय लंड मेरी चूत में गड़ा हुआ था। 
मेरी गुदाज़ बाँहों ने उनकी मर्दानी मांसल गर्दन को अपनी प्यार भरी  गिरफ्त में जकड़ लिया। 
रवि ने मेरी फड़कती नासिका को अपने मुंह  में भर कर मेरी तड़पती चूत की भीषण चुदाई प्रारम्भ कर दी। 
मेरी सिस्कारियां कमरे में गूँज उठीं। 
रवि ने अपनी लार  से मेरी फड़कती  नाक को नहला दिया। उनके भारी भरकम  विशाल मांसल पहलवानों जैसे सशक्त चूतड़ों की ताकत उनके महाकाय लंड को तीव्र गति और विध्वंसक शक्ति से मेरी चूत की संकरी कंदरा का मर्दन करने में सक्षम है।  उन्होंने जैसे हज़ारों बार पहले किया था उसी प्रेम भरी बेदर्दी से मेरी चूत का लतमर्दन प्रारम्भ कर दिया। 
मेरी सिस्कारियां और हल्की चीखें अजीब सी आवाज़ों से कमरे में गूँज रहीं थीं। मेरी चूत का दर्द शीघ्र ही मंद हो चला, पति देव के अमानवीय लंड के  सौभाग्य के सामने दर्द की क्या बिसात ? मेरी गुदाज़ गोरी बाहें उनकी गर्दन  के इर्द-गिर्द जकड़ गयीं। मेरी चूत में रति रस की बाढ़ आ गयी। 
रवि के लंड के मेरी चूत के आवागमन से उपजी अब फ़च - फ़च  - फ़च - फ़च की निर्लज्ज अश्लील ध्वनी ने मेरी वासना से लिप्त सिस्कारियों के संगीत को और भी ऊंचा उठा दिया। 
"रवी ई ईईईई ईईई आआह्ह्ह्ह्ह कितना मोटा लंड। …      हाय  मॉ  तुम मेरी चूत फाड़ डालोगे। रवि मारो मेरी चूत और ज़ोर  से मारो ," मैं मीठे दर्द भरी वासना की लहरों में डगमगा रही थी। रवि ने अपनी जीभ की नोक मेरी दोनों नासिकाओं में बारी-बारी से डाल कर उन्हें मेरी चूत की तरह चोद  रहे थे। 
हम दोनों अब कामाग्नि के ज्वर से गरम हो चले। इस चुदाई का इंतज़ार अब रवि की अधीरता का उद्योतक था।  और उनकी अधीरता आदिपुरुष की भांति सम्भोग प्रेम की  निष्ठुरता को और भी बढ़ावा देती है। 
रवि का महाकाय लिंग मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ने का प्रयास कर रहा था।  मेरी साँसे बड़ी मुश्किल से काबू  में आ पा रहीं थी। रवि ने अपना खुला मुंह मेरे हाँफते मुंह के ऊपर कस कर रख कर अपनी जीभ से मेरे मुंह की बारीक तलाशी ले रहे थे। उनकी मीठी लार मेरे मुंह में भर रही थी। 
"आअह र.… .…….……..... रवी मैं झड़ने वाली हूँ," मैंने रवि के मुंह में फुसफुसाने की कोशिश की।  उनका बालों से ढका सीना मेरे विशाल फड़कते उरोज़ों को मसल रहा था। 
उनके लंड की रफ़्तार और भी तेज़ हो गयी। मेरी आँखे कामोन्माद के अतिरेक से आधी बंद हो गयीं। मेरी चूत में मानो आग जल उठी। मीठी आनन्ददायिक अग्नि। आदि समय से स्त्री और पुरुष इस अग्नि में स्वतः जलने के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं। 
मेरा रति रस रवि की बलशाली चुदाई से मेरी चूत से बाहर रिसने लगा। 
मैं भरभरा के झड़ गयी। "आन्न्न्न्न्न्ह् ऊऊओ माँ ह्हन्न्न्न्न्न र्र्र्र्र्र्र वीईईईए ," मैं रवि के मुंह में चीखी जैसे ही मेरे कामोन्माद ने  मेरे शरीर को जकड़ कर कमान की तरह मड़ोड़ने लगा। 
मेरे पतिदेव ने मेरी चीखें और मेरे  गुदाज़ बदन की तड़पन को अनदेखा  करके मेरी चूत का  अपने लंड से सटासट सटासट मर्दन करते रहे।  मेरी चूत में उनके लंड के मंथन से फचक फचक फचक के  अव्वाज़ेँ निकलने लगीं। 

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२६
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मैं ना जाने कितनी बार झड़ गयी पर मेरे बलशाली पतिदेव मेरी चूत की धज्जियां उड़ाने के लिए मानों वचनबद्ध थे। मेरे चूचियों  उनके बड़े मज़बूत हांथों में भिंच कर दर्द भी करती और उनके मर्दन की लालसा भी उपज रहीं थीं। 
रवि ने मेरे हाँफते  अधखुले मुंह के ऊपर अपने मुंह को कस कर दबा कर मुझे निरंतर आदिकालीन वहशीपन से चोदते रहे। मैं झड़ जाती और सुबक कर रवि के लंड की दासी बनने की गुहार लगाती  
जब मैं थकने लगी और  उनके झड़ने का कोई आस नहीं लग रही थी तो मैं वासना भरी आवाज़ में फुफुसाई , "रवि क्या होली पर अपनी सलहज को चोदने  के विचार से अपनी पत्नी की चूत फाड़ने लग गए। स्वामी होली बहुत दूर…………………  “  
रवि ने अपने विशाल लंड से एक  जानलेवा धक्का लगाया और मेरी बोलती बंद हो गयी और चीख उबल उठी ,"रानी, होली पर जब मैं तुम्हारी नन्द की चूत तो तभी मारूंगा जब तुम अपनी  चूत में मेरे जीजा का लंड अंदर ले लोगी "
मेरे दिल में जलतरंग बज उठी। रवि अपनी बहन और सलहज की चुदाई के विचार से अग्रस्त हो चले थे। 
मैंने सुबकते हांफते हुए बुदबुदाया , " मैं तो अपने स्वामी के आनंद  के लिए गली के कुत्ते का लंड भी अपनी चूत में ले लूंगीं। हाय थोड़ा धीरे चोदिये ना। .......  उउउन्न्न्न्न मेरी चूचियाँ मेरी छाती से  उखाड़ने का इरादा है क्या आज ? "
रवि ने मेरी चुदाई की रफ़्तार और भी तेज़ कर दी थी।  मेरी कामवासना हर सीमा को फलांग गयी , " चोदिये मुझे ज़ोर से उउन्न्न्न आअरर्र्र्र्   रवि आप कहो तो  मैं कुत्ते का ही नहीं गली के हर गधे, घोड़े का लंड भी अपनी चूत में ले लूंगीं।  हाय मार डाला आपने। चोदिये और मुझे।
मेरी चूत का मर्दन अब पहाड़ की चोटी बन चला था। रवि के हलक से गुर्राने की हल्की हल्की आवाज़ें उबलने लगीं थीं। 
उनका महाकाय लंड पूरी ताकत से मेरे गर्भाशय को और भी अंदर धकेल रहा था। जब कामोन्मांद के आवेश में उबलती स्त्री के गर्भाशय के ऊपर मोटे लम्बे लंड की ठोकरें चुदाई के समय लगतीं है उसके चरम-आनंद की कोई सीमा नहीं रहती। 
मैं लगातार भरभरा कर झड़ रही थी। 
" हाय रवि , अब खोल  दो अपने लंड मेरी चूत में। भर दो अपनी बीवी की  चूत को  अपने वीर्य से ," मेरे गर्भित होने की इच्छा सर उठाने लगी। 
रवि ने मेरे दोनों उरोज़ों को और भी बेदर्दी  से मसलते हुए अपने महा-लंड से मेरी चूत का लतमर्दन की लय को अचानक तोड़ कर अपना लगभग पूरा लंड चूत के द्वार तक निकल कर पूरे ताकत से एक बार में ही जड़ तक ठूंसने लगे।  उनके इस नए चुदाई आक्रमण से मैं बिलबिला उठी। और फिर उन्होंने अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल  कर मुझे कस कर पकड़ लिया।  उनके मुंह मेरे खुले हाँफते मुंह से चिपक गया, मेरी गुदाज़ बाँहों ने उनकी गर्दन जकड़  ली। रवि के लंड से उबलते जनक्षम, उर्वर गरम वीर्य की बौछार जब मेरे गर्भाशय पर शुरू हुई तो मैं फिर से झड़ गयी।  मैं काम-आनंद के अतिरेक से शिथिल हो गयी। रवि का लंड न जाने कब तक मेरी चूत के भीतर फड़क फड़क कर वीर्य  के फव्वारे मारता  रहा।  अपने प्रेमी की विशाल शरीर के नीचे दबे, मैंने अपने शरीर को नीचे शिथिल छोड़ दिया। इस प्रेम के आनंद के उपसंहार का कोई भी साधारण विवरण संभावित नहीं है।  इसे बस हृदय की  तीव्र गति, सांसों के हड़बड़ाहट, मस्तिष्क और बुद्धि  के  पूरे  समर्पण में ही स्पर्श कर सकते हैं। 

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     २७ 
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रवि बड़ी देर तक अपना थोड़ा सा ही शिथिल हुए वृहत लंड को मेरी रस से भरी चूत में बसाये हुए मेरे ऊपर पड़े रहे।  उन्हें पता है की मुझे ज़बरदस्त चुदाई के बाद उनके भारी-भरकम शरीर के नीचे दबे रहना बहुत आनंददायक लगता है। 
" सुनिए, रज्जो की शिकायत है।  मम्मी ने आज जब फोन किया तो कहा की रज्जो आपसे बहुत नाराज़ है। " मैंने स्त्री नियम और अधिकार का पूरा इस्तमाल करने का निर्णय कर रखा था। आखिर अपने स्वामी से हां बुलवाने का चुदाई के ठीक बाद से और कौनसा अच्छा मौका हो सकता है। 
" भाई मैंने अपनी इकलौती परियों जैसी सुंदर साली को कैसे नाराज़ कर दिया।  मैं तो अपनी साली के लिए कुछ भी कर सकता हूँ ," रवि ने मेरे हँसते होंठो को दातों से चुभलाते हुए पूछा। 
" अरे आप भूल गए जब हम शादी के बाद मेरे घर गए थे तो आपने रज्जो की खूब रगड़ाई की थी।  उसको कितना मसला था पर काम अधूरा छोड़ दिया था, " मैंने उनके लंड की थिरकन अपनी चूत में महसूस की , " बस उसे लगा की आप अपनी साली को बहुत पसंद नहीं करते। वरना  उसे बिना चोदे कैसे छोड़ दिया आपने ?" मैं वास्तव में सच बोल रही थी।  रज्जो वाकई उनसे थोड़ी सी नाराज़ थी। 
" शालू भाई, मैंने तो बड़ी कोशिश की।  पर जब भी मुझे मौका मिलता तो मैं आगे  बढ़ता पर मंजिल से पहुँचने से पहले कोई न कोई बाधा  आ जाती।  आखिर मैं अपनी साली को अपनी सासु माँ , बहन या जीजा के सामने तो नहीं चोद  सकता। " मुझे अपने सीधे पति पर बड़ा प्यार आया। 
"पहले तो मेरे पीहर में आपकी कोई  बहन नहीं है। हाँ वहां आपकी सलहज है।  देखिये, यदि आपकी सासु माँ या सलहज या जीजू आपको रज्जो को चोदते  देख भी लेते तो आँखें बंद करके दूर चले जाते। आखिर छह महीनें हो गए  हैं हमारी शादी को और रज्जो ने अभी तक अपने जीजू का लंड भी नहीं देखा।  कितने शर्म की बात है यह ?" मैंने उलहना लगाने में की कसर नहीं छोड़ी। 
मैंने आगे बात बड़ाई , "वैसे भी यदि आपकी सासु माँ यदि आपके पहलवानी लंड से अपनी छोटी बेटी को चुदते देख लेतीं तो शर्त लगतीं हूँ वो भी मुग्ध हो कर आपके पीछे पड़ जातीं। "
मैंने रवि के लंड की दूसरी ठरकन  महसूस की अपनी चूत में। 
"वाकई शालू, क्या सही में सासु माँ। ... मुझे तो विश्वास नहीं होता।  तुम हमेशा की तरह मज़ाक में मिला कर बातें बोल रही हो ," रवि ने मेरे चुचूक मड़ोड़ दिए बेदर्दी  से। 
" उईईईईईई दर्द होता है।  अरे सासु माँ के ऊपर दिल आ गया है तो उसकी बेटी को क्यों सता  रहे हो।  जब ससुराल जाओ तो उन्हें पकड़ कर उन्हीं को सीधे सीधे बता देना।  मुझे नहीं लगता की वो अपने इकलौते दामाद को ना कर सकतीं हैं। " मैंने रवि को प्यार से चूम कर कहा। 
"शालू होली में यदि कम्मो मेरी सलहज बन गयी तो मैं सासु माँ को ज़रूर अकेला ढूंढ कर  कुछ प्रयास करूंगा।  तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ? " रवि के दिल की बात का मुझे पूरा आश्वासन हो चला था। 
" मैं कौन होती हूँ साली और जीजू या सास और दामाद के बीच में आने वाली ?" मैंने अपने नरम नन्हे हाथों से रवि की पीठ सहलाते हुए अपने नाखूनों से हलके से खरोंच दिया। 
"और सुनिये आप जय चाचू की बेटी को भी नहीं भूलना। रूचि ठीक नीलू की उम्र की हो गयी है। और होली पे आपके आने का बेसब्री से इन्तिज़ार कर रही है ," मैंने रवि की मोहक नासिका की नोक को चूमते हुए बात आगे बड़ाई। 
" शालू मैं न जाने तुम्हे कितना प्यार करता हूँ।  कभी कभी तो मेरे सांस रुक जाती है तुम्हे हँसते देख कर ," रवि ने प्यार से मुझे होंठों पर चूमते हुए भावुक अंदाज़ में कहा। 
" मेरे हृदय में भी आपके लिए प्यार का अथाह सागर है," मैं भी भावुक हो चली.
हम  दोनों कुछ देर तक एक दुसरे के लिए असीमित प्रेम के आवेश के अतिरेक से  निःशब्द हो गए। 

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२८ 
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जब इतना प्यार हो और शारीरिक सानिध्य हो तो वासना प्रेम का दूसरा रूप बन जाती है। 
रवि के चुम्मनों और उनके मेरे चूचियों की खिलवाड़ में धीरे धीरे तीव्रता आने लगी। उनका लंड मेरी चूत में अब तनतना कर शीघ्र आने वाले हमले का आगाह  करने लगा। 
मैंने अचानक अपने दिमाग एक अनोखे विचार से प्रभावित हो कर उनसे पूछा , " सुनिए, एक बात बताइये हमें।  हमें  एक उलझन है आप मदद करेंगें हमारी?"
"शालू तुम तो हमारी जान हो मरना भी पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगें , " रवि ने मेरे घुंडियों को मसलते हुए कहा। 
"हाय राम कैसी बातें करने लग जाते हैं आप। मरे हमारे दुश्मन।  आपको तो मैं अपनी ज़िंदगी भी दे  दूंगीं।  सुनिए, मैं यह सोच रही थी की नीलू अपने जीजू के आने से बहुत बेसब्र है। लेकिन बेचारी को  थोड़ा सा भी अनुभव नहीं है।  मैंने तो उसे दावत दी थी की अपने भाई से चुदवा कर अपने जीजू के लिए तैयार हो जाये पर वो बहुत शर्माती है अपने बड़े भाई से। " मैंने अपना राम-बाण दाग दिया। 
"अरे शालू नीलू तो अभी बच्ची है।  और बड़ा भाई कैसे अपनी नन्ही  बहन को चोद सकता है ?" रवि के होंठ चाहे कुछ भी कह रहें हों पर उनका लंड मेरी चूत में ज़ोर से फड़क उठा। 
" आप भी ना कितने पुराने विचारों के हैं।  आपकी नन्ही बहन यदि जीजू से चुद सकती है या बाहर के किसी और से तो क्या बहतर नहीं है कि  अपने घर में अपने सुंदर मर्दाने भाई से वो रतिक्रिया के गुर सीखे ?" मैंने उनके मोटे भीमकाय लंड को अपनी चूत की दीवारों में भींचने का अनर्थक प्रयास किया। 
" वैसे भी नीलू आपसे बहुत शर्माती है अभी।  लेकिन यह बताईये  क्या आपको बहुत एतराज़ होगा यदि मैं उसको हमारे कमरे में छुपा कर उसे हम दोनों की चुदाई देखने दूँ? उसे नहीं बताऊंगीं कि आपको उपस्थिति का आभास है। और आप भी उसे कभी भी नहीं बताइयेगा की मैंने आपको इस बात के लिए शामिल किया है ," मैंने रवि के खुले होंठों को चूम चूम कर अपनी नन्द की खातिर गिड़गिड़ाई। 
" शालू मैं तो पहले ही हर बात मानने का वायदा कर चूका हूँ। जो तुम्हें ठीक लगे वो करो। " रवि ने मेरे उरोज़ों को निर्ममता से मसलते हुए कहा। 
"हाय देखिये तो छोटी नन्द  के सामने अपनी बीवी को चोदने के विचार से ही आपका लंड कितना थरथरा रहा है। जरा सोचिये की जब उसे असलियत में चोदने  का समय आएगा तो इस बेचारे की तन्न्नाहट का तो कोई अंत ही नहीं होगा।" मैंने ताना  मारा। 
"शालू अब अपनी नन्द का किस्सा बंद करो ,” रवि ने गुर्रा कर अपना लंड बाहर निकला और एक भीषण धक्के में फिर से  ठूंस दिया। 
मैं बिलबिला उठी उनके भीमकाय लंड के आक्रमण से , " हाय माँ मैं मर गयी। ....... यह नन्द की चुदाई को सोच से मेरी चूत की कुटाई कितनी बेदर्दी से करतें हैं,"
मेरे हलक से निकलने वाले यह आखिरी समझने योग्य शब्द थे।  जब उन्होंने मेरी चूत को प्रेम भरी निर्ममता  शुरू किया तो बस  मैं पहले बिलबिलायी , फिर सिस्कारियां मारने  के अलावा कुछ भी नहीं बोल पायी। 
रवि ने मेरे उरोज़ों को मसलते हुए मेरी चूत में दनादन अपना लंड अंदर-बाहर  करने लगे। 
शीघ्र ही मेरी गीली चूत पूरी तरह पानी छोड़ने लगी।  उनके लंड के घर्षण से मेरी चूत में से फचक फचक की चुदाई की मनोहक आवाज़ें कमरे में गूँज उठी। 
रवि ने मुझे तीन बार झड़ कर अपना लंड मेरी फड़कती चूत में से बाहर निकाल  लिया।  इस से पहले कि मैं कुछ बोल पाती रवि ने बेदर्दी से मुझे पट्ट लिटा दिया। फिर मेरे फूले फूले गुदाज़ चुत्तड़ों को हवा में उठा दिया।  मैं अब मुंह बिस्तर पर और गांड हवा में उठाये उनके लंड के अपने दुसरे छेद  के ऊपर के आक्रमण के लिए तैयार करी जा रही थी। रवि अब मेरी गांड का मलीदा  बनाने के इच्छुक थे। 
सीमा सिंह 
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RE: बहु की योजना - by SEEMA SINGH - 03-09-2022, 04:25 PM



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