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बहु की योजना ( INCEST)
#5
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१३
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मैंने मुस्करा कर अपने सर झटका और बीते दिनों की मीठे यादों को वापस अपने मानस के पीछे हिस्सों में धकेल दिया। 
मैंने हौले से बबलू का दरवाज़ा खोला और उसके शयन-कक्ष के सुइट के बाहर  वाले हिस्से से गुजर कर उसके मुख्य शयन कक्ष में खुस गयी। 
मैं बबलू की हालत देख कर  हंस दी।  बबलू बिस्तर पर पूरा नंगा और अपने विशाल इस्पात के खम्बे जैसे खड़े लंड के ऊपर हाथ रख कर बेसब्री से मेरा इंतज़ार  कर रहा था। 
"अरे मेरे पागल देवर , यदि इतनी ही बेससबरी थी तो खुद से शुरू क्यों नहीं हो गए ?" मैंने समझते हुए भी नासमझ बनने का नाटक किया। 
"भाभी , कहाँ थी अब तक ? रोज़ तो आप नाश्ते के ठीक बाद मेरे कमरे में आ जातें हैं," बबलू ने प्यार भरा उल्हाना दिया। 
मैंने अपनी आँखें मटका कर कहा ," मैं तो तो डैडी की गोद में बैठी थी मेरे नन्हे देवर जी, " तब तक मैं बबलू के साथ बिस्तर में लेट गयी थी, "लेकिन मुझे यह बताईये मेरे नटखट बालक देवर कि आपने मुझे मेरे होठों पर कब से चूमना शुरू कर दिया ?"
बबलू का मुंह शर्म से लाल हो गया, " सॉरी भाभी, आपका सुंदर मुंह देख कर मैं कितने दिनों से सोच रहा था और आज मुझसे रुका नहीं गया। "
"मैंने यह कहाँ बोला है कि मुझे बुरा लगा।  तो फिर सॉरी किस बात की ? मैं तो सिर्फ जानना चाह रही थी कि मेरे बेटे देवर के मेधावी दिमाग में क्या हलचल चल रही है," मैंने प्यार से बबलू के शर्म से लाल गाल को चूम  लिया। 
बबलू के कद में तो तीन इंच का इज़ाफा तो हुआ ही उसके लंड में भी कम से कम दो या तीन इंच जुड़ गयीं थीं। 
"देवर जी जब कोई लड़का किसी लड़की को प्यार दिखाने  के लिए हिम्मत दिखाता है तो उसे इनाम मिलता है।  अब आप बताइये कि आपको क्या इनाम दिया जाये ," मैंने बबलू को अपनी बाँहों में भर लिया। 
"भाभी, वास्तव में आप .... मेरा मतलब है कि आप जो मैं चाहूंगा वो आप दे देंगीं," बबलू की दोनों आँखें चौड़ी हो कर फ़ैल गयीं। 
"ऊंह!…… यदि आपकी दरख्वासत ठीक-ठाक हुई तो बिलकुल जो आप चाहें ," मैंने अपना गाल बबलू के गाल से रगड़ा। 
"भाभी जब मैं मुठ मारूं  तो क्या आप आज अपने यह मुझे दिखाएंगीं ," बबलू ने मेरे उठते बैठते सीने की तरफ इंगित कर के कहा। 
"मेरे अनाड़ी देवर जी, कितने महीनों से मैं आपको सिखा रहीं हूँ ? आज आपने सारे शिक्षा की ऐसी की तैसी कर दी। इनको क्या कहते हैं ? यदि आप इनका सही नाम भी नहीं पुकार सकते तो मैं आपको यह कभी भी नहीं दिखाऊंगी ," मैं अब सिहर उठी थी।  एक ही दिन में बबलू ने दो बहुत लम्बे कदम ले लिए थे। 
"भाभी सॉरी, मुझे आज मुठ मारते हुए आपकी चूचियाँ देखनी हैं, प्लीज़," बबलू ने वंदना की। 
"ठीक , भाभी नन्हे मासूम  देवर की हिम्मत से खुश  हुई। अब आप यह बताइये कि आप मेरी चूचियों को बाहर निकालेंगे कि मैं निकालूँ," बबलू के सुंदर चेहरे पे प्यार, आश्चर्य और उत्तेजना  के मिश्रण से उसकी दमक से मैं पागल सी हो गयी। 
"भाभी क्या मुझे आप इन्हें यानी अपनी चूचियों को बाहर निकालने देंगीं ?" बबलू की प्यारी नासमझी ने मेरी चूत  में हलचल मचा दी। 
मैंने साड़ी को सीने से नीचे फैंक कर बबलू को आमंत्रित किया , "चलो तो फिर नादान  देवर जी देखें आपने अपनी भाभी से कितनी शिक्षा ग्रहण की है।  यह आपकी परीक्षा है। "
समुन्द्र में तूफ़ान के लहरें सर उठा रहीं थीं। प्रकृति के अभियान के कदम अब नैसर्गिक पर अनुचित दिशाओं में बढ़ चले थे। ना तो  मुझे और ना  बबलू को किसी सामाजिक बाधाओं की फ़िक्र थी। 

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१४
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जब तक बबलू के कांपते हाथ मेरे ब्लाउज़ के बटनों तक पहुंचे मैं ने तीर मारा ,"हाँ, एक बात और, क्या मेरे देवर जी भाभी से वायदा करते हैं कि वो इस साल कॉलेज में प्रथम आयेंगें?"
बबलू ने बिना हिचक के कहा, "प्रॉमिस भाभी। "
मैंने मुस्करा कर उसके हाथ अपने ब्लाउज़ के सबसे नीचे के बटन पर रख दिए।  बबलू के कांपते हाथों में सारे बटन खोलने में बहुत समय लगाया।  उसकी उत्तेजना और लगाव से मेरी चूत में रतिरस का सैलाब उठ  गया। 
आखिरकार  बबलू ने सारे बटन खोलने सफलता पा ली।  उसकी आँखे  सफ़ेद कॉटन की ब्रा में फंसे मेरे भारी विशाल उरोज़ों के  उभार को देख कर और भी फ़ैल गयीं। 
"भाभी आप कितनी सुंदर हैं, " बबलू ने हलके से कहा पर उसके भावुकता की प्रबलता ने मुझे हिला दिया। 
"बबलू अपनी भाभी की ब्रा खोल कर उसकी चूचियाँ मुक्त कर दो ," अब मेरी भी आवाज़ कांपने  लगी। 
बबलू को तो समझ ही नहीं आया कि ब्रा कैसे उतारे।  मैंने उसके हाथों को अपने पीठ के ऊपर के बकसुए के ऊपर ले जा कर उसे उत्साहित किया। 
बबलू ने एक बार बकसुए को देखा और शीघ्र उसने उसे खोल दिया।  मेरी हल्की सी सिसकारी निकल गयी , “हाय मेरे देवर तो अब नादान नहीं रहे। "
बबलू ने धीरे-धीरे मेरी कंचुकी को अपने भार से नीचे गिरने दिया।  जैसे ही मेरे उन्नत, विशाल स्तन पूरे नग्न हुए, बबलू की सांस तेज़ तेज़ चलने लगी। 
"भाभी , भाभी ," बबलू की प्यार भरी आँखों ने और उसकी आवाक्य अवस्था ने मुझे उसके प्रेम की पूरी व्याख्या दे दी। 
"बबलू अब तुम मुठ मारनी शुरू कर दो। आज तुमने दो इनाम वाली बातें कीं हैं।  मैं तुम्हे एक और उपहार दूंगीं ," मैं मुश्किल से बोल पायी। 
मेरी आँखे बबलू के विशाल गोर चिकने झांट-विहीन लंड पे अटक गयीं।  बबलू अब बहुत लम्बे समय तक मुठ मार सकता था। 
अचानक न जाने कहाँ से मेरे मुंह से निकल पड़ा ," बबलू यदि तुम चाहो तो मेरे चूचियों से खेल सकते हो। "
बबलू का सीधा हाथ अपने मोटे लम्बे लंड के ऊपर तीव्र गति से चल रहा था पर उसने अपने बायें हाथ से मेरी दायीं चूची को  सहलाने लगा। 
मेरी ज़ोर से सिसकारी निकल गयी।  मेरी चूत रति-रस से सराबोर हो चली। बबलू का हाथ मेरे सख्त चूचुक को  पंख से भी कोमल अंदाज़ में सेहला रहा था। बबलू का सीधा हाथ बिजली की तेज़ी से अपने लंड को मथने लगा। 
मैं अगले आधे घंटे में चार बार झड़ गयी।  बबलू के मासूम  हाथ ने मेरी दोनों चूचियों को सहला कर मुझे पागल कर दिया। 
"बबलू, जब तुम झड़ने वाले हो तो मुझे बता देना," मैं मुश्किल से बोल पायी। 
बबलू भी अब तक आनंद की गहरी झील में गोते लगा रहा था और सिर्फ सर हिलाने के सिवाय कुछ न बोल सका। 
मेरे दोनों उरोज़ भड़क उठे बबलू के हाथ के कोमल स्पर्श से। 
मेरी चूत नादीदे पन से फिर से झड़ पड़ी। लगभग आधे घंटे के बाद बबलू अचानक ज़ोर से बोला , "भाभी मैं झड़ने वाला हूँ। "
जो मैंने तब किया उसे आज तक बबलू याद करता है। मैंने जल्दी से झुक कर अपना खुला मुंह बबलू के सुपाड़े के ऊपर स्थिर कर दिया। 
बबलू की भौचक्के आँखों ने उसके गरम गाढ़े वीर्य की पहली बौछार को मेरे खुले मुंह में जाते हुए देखा। 
उसका  हाथ अब बेतरतीबी से मुठ मार रहा था। बबलू की अगली धार हिल कर मेरे माथे और नाक पर फ़ैल गयी।  मैंने बेसबरी से बबलू के  उबलते  सुपाड़े को अपने  मुंह में ले लिया। 
बबलू के मुंह से ज़ोर की सिसकारी निकल गयी ," आह भाभी। "
उसकी आनंदमयी सिसकारी मेरा उपहार थी। बबलू के लंड ने कम से कम दस बारह बार मेरे भूखे मुंह में गाढ़े वीर्य की बौछारों से भर दिया।  मैं जितनी तेज़ हो सकता था बबलू के लंड के मलाई को निगल गयी।
 
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१५
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मैंने अपना मुंह तब तक नहीं उठाया जब तक बबलू ने लंड बिलकुल ठंडा नहीं हो गया। 
बबलू हांफता हुआ बिस्तर पर ढलक गया। मेरी साँसे भी मुश्किल से मेरे काबू में थीं। 
"भाभी, थैंक यू। आप को मैं कैसे बताऊँ कि मैं आपसे …… ओह भाभी आई लव यू सो मच, " बबलू ने मुड़ कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़  लिया और अपने खुले मुंह को  मेरे हाँफते खुले मुंह से कस कर चुपके दिया।  अब मुझसे भी बस नहीं हुई और मेरे बाहें उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द फ़ैल गयी और मैंने अपनी जीभ बबलू के मुंह के अंदर घुसा दी।  बबलू को अपने वीर्य का मीठा नमकीन स्वाद अच्छा  लगा ही होगा क्यों की उसने अपना मुंह और भी बेदर्दी से मेरे मुंह के ऊपर  दबा दिया। 
हमरा खुले मुंह का गीला चुम्बन बड़ी देर तक चला। 
"अब देखो देवर जी अपनी भाभी की लाज रखना और अपने दिए हुए वचन को पूरा करना ," मैंने मुश्किल से अपना मुंह बबलू के मीठे मुंह से अलग किया। 
बबलू ने भावुक स्वर में कहा , "भाभी मैं आपको कभी भी लज्जित नहीं होने दूंगा। "
मैं भी भावुक हो उठी और मैंने बबलू के मुंह के ऊपर अपने खुले होंठ चिपका दिए। 
मैंने बबलू को कॉलेज के होम-वर्क की शुरूआत करा कर अपने कपड़े ठीक उसके कमरे से बाहर निकल पड़ी। 

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  १६ 
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मैं हलके पावों से नीलू के सुइट की ओर बड़  चली। 
नीलू ने अपने कॉलेज के कपडे उतार दिए थे और नहा चुकी थी।  उसके गीले लम्बे घुंगराले बाल उसे और भी सुंदर बना रहे थे। 
नीलू हर रोज़ की तरह अपनी छाती को आदमकद के शीशे में देख रही थी। 
"क्या हुआ ननद रानी क्या तुम्हारी एक चूची खो गयी है ?” मैंने भीतर जा कर नीलू को अपनी बाँहों में पकड़ लिया। 
"भाभी आप भी मेरा मज़ाक उड़ा लीजिये।  देखिये मेरी चूचियाँ बिलकुल नहीं उग रहीं हैं।  आपकी और कम्मो दीदी की चूचियाँ कितनी बड़ी हैं ," नीलू ने ठमक कर मुझसे शिकायत की। 
" अरे भोले भाली नन्ही सी गुड़िया ननंद  रानी अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है। तुम्हारी उम्र की लड़कियों की छाती लड़कों जैसी समतल होती हैं।  तुम्हारे तो देखो आखिरी कुछ महीनों में ही उलटे कप के सामान इतने सुंदर स्तन उभर आयें हैं, " मैंने नीलू के दोनों कच्चे उरोज़ों को अपने हाथों में भर कर कस कर मसल दिया। 
"ऊई भाभी दर्द होता है ," नीलू सिसकते हुए चीखी। 
"अरे इन्हे मसलवाने से ही तो ये बड़ी होंगीं। कोई लड़का है तुम्हारी नज़र में जो इन्हें रोज़ ज़ोर से मसले," मेरे अश्लील मज़ाक से नीलू शर्मा गयी। 
"भाभी मुझे किसी लड़के में रूचि नहीं है।  यदि मसलवाने से ही मेरी चूचियां बड़ी होंगी तो फिर तो मुझे छोटी चूचियों के साथ ही  जीना पड़ेगा ," मेरी मुश्किल कुछ महीनों से से किशोरावस्था में प्रविष्ट हुई बालिका की मुश्किल सुन कर हसने का मन कर रहा था। 
पर मुझे नीलू के मन की संवेदनशीलता का अहसास था इसलिए मैंने  भी गम्भीर हाव भाव बना लिया। 
" हूँ तो देखें कि हम कैसे इस समस्या का क्या हल निकाल  सकते हैं," मैं बिस्तर पर बैठ गयी और मैंने प्यार से नीलू को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया।  
 नीलू ने अपनी बाहें मेरे इर्द-गिर्द फैला दीं। 
"भाभी और क्या कर सकते हैं इन्हें बड़ा करने के लिए ," नीली ने थोडा इंतज़ार कर के बेसब्री से पूछा। 
"पहले तो हम इनको 'इन्हें' कहने के बजाय चूचियां कह सकते हैं," मैंने प्यार से नीलू को होंठो पर चूमा, “और मैंने तुम्हारे भैया से बात की है।  वो तैयार हैं अपनी बहिन की चूचियाँ मसलने को ," नीलू शर्मा गयी और उसने अपना मुंह मेरे उरोज़ों के बीच छुपा लिया ,"यदि हमारी नन्ही ननद चाहे तो वो और भी  कुछ मसलने को तैयार हैं। "
"भाभी आप कैसी बातें करती हैं। भैया से मैं कैसे चूचियाँ मसलवा सकती हूँ ?,  नीलू ने भोलेपन से कहा ,"भाभी वास्तव में लड़कों से मसलवाने से चूचिया बड़ी हो जातीं  हैं?"

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 १७ 
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"नन्ही ननंद रानी, मसलवाने सो तो वास्तव में बड़ी हो जातीं हैं पर अगर चुदाई भी साथ में हो जाये तो और भी जल्दी और भी बड़ी हो जाएंगीं।  देख लो मैं तुम्हारी सिफारिश  तुम्हारे बड़े भैय्या से लगा सकती हूँ," मैंने एक बार फिर से नीलू के उगते हुए उरोज़ों को कस कर दबोचा और मसल दिया।  नीलू फिर से सिसक उठी। 
"भाभी सच में! चुदवाने से चूचिया बड़ी हो जातीं हैं ?," नीलू का सुंदर चेहरा इस ख्याल की  एकगर्ता में डूब गया। 
"ननंद बेटी सिर्फ चुदवाने और मसलवाने से ही नहीं दोनों इकठ्ठे करवाने से असर और भी तीव्र और फलदायक हो जाता है ," मैं अब नीलू के दोनों कच्चे उरोज़ों को बेदर्दी से मसल रही थी।  नीलू ने दर्द भरी  सिस्कारिया तो छोड़ीं पर मुझे रुकने के लिए नहीं कहा। 
"भाभी आप और दीदी किस से चुदवातीं  थीं जो आप दोनों की चूचियां इतनी बड़ी और भारी हो गयीं। " नीलू ने अपने कमर मेरे उरोज़ों पर दबा दी। 
"कम्मो दीदी ने तो मेरे भैय्या से चुदाई करवाई और मैंने तुम्हारे भैय्या से ," मैंने नीलू के मटर के दानों जैसे चूचुकों को उंगली और अंगूठे ले ले कर निर्ममता से मसल दिया। 
नीलू सिसक उठी और उसने अपनी कमर मेरे वक्षस्थल के ऊपर दबा दी। मेरे हाथों ने उस नाबालिग किशोरी कन्या की दोनों कच्ची उभारों को कस कर मसलना प्रारम्भ कर दिया।  नीलू की सिकारियां कमरे में गूंजने लगीं। मैंने उसके मटर के दानों जैसे चूचुकों को फिर से उंगली और अंगूठे में दबा कर पहले तो मड़ोड़ा फिर उनकों बेदर्दी से खींच कर नीलू की छाती से दूर ले गयी और अचानक उन्हें छोड़ दिया। नीलू के अविकसित उरोज़ थरथरा उठे और उसके चीख निकल गयी , "भाभी! आह भाभी दर्द हो रहा है। "
मैंने नीलू के लाल सूजे हुए कच्चे उरोज़ों को फिर से अपने हाथों में भर कर कस कर उमेठा और फिर पहले की तरह मसलने लगी , "नन्ही नादान ननद रानी इन बच्ची चूचियों को लड़कियों के चूचीयां बनाने के लिए कुछ तो यतन करने ही पड़ेंगें। 
'भाभी, आप कितना दर्द करती हो मेरी चूचियाँ मसलते हुए।  क्या मेरे बड़े भैया भी आपकी चूचियाँ इतने बेदर्दी से मसलते हैं ?" नीलू ने सिस्कार मार कर पूछा। 
"मेरे प्यारी ननंद तुम्हारे भैया न केवल मेरी दोनों चूचियों को इस से भी ज़यादा बेदर्दी से मसलते उसके ऊपर वो मुझे अपने मूसल जैसे लंड से ठोक कर मेरी चूत का बाजा बजा देतें हैं," मैंने नीलू के उभरते स्तनों का बिना रुके मर्दन  करते हुए कहा। 
"भाभी क्या बड़े भैय्या का बहुत बड़ा है?" नीलू की सिकारियां उसे मुश्किल से अपना वाक्य समाप्त करने दे पा रहीं थीं  
सीमा सिंह 
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RE: बहु की योजना - by SEEMA SINGH - 03-09-2022, 04:23 PM



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