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बहु की योजना ( INCEST)
#4
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१०
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बबलू ने मुझे गम्भीरता से देखा और उसका सुंदर चेहरे पर हल्की सी घनी छाया आ गयी ," भाभी आपको अपना वचन याद है ? आप नाराज़ तो नहीं होंगीं ?
मुझे लगा कि मेरी आवाज़ शायद ठीक से न निकले इसीलिए मैंने सिर्फ  अपना सर हिला दिया। 
बबलू ने मेरे   से  बाहें दूर कर धीरे -धीरे तकिये के नीचे से तस्वीर निकाल कर मुझे  देदी। 
मैंने धड़कते दिल से उल्टी दी हुई तस्वीर को पलटा और मेरी सांस मानो  रुक गयी।  जब बबलू अपने लंड को  सहला रहा था  उसके हाथ में मेरी फ़ोटो थी। यह फ़ोटो गलती से शादी के एल्बम में आ गयी थी। मैं शादी के कपडे पहनने के लिए तैयार थी और इस में मैं सिर्फ  पेटीकोट और ब्रा पहने हुए थी। हम सब तीन हफ्ते पहले शादी के एल्बम और  डीवीडी देख रहे थे सब लोग इसे देख कर हंस दिए थे और मैंने शर्मा कर उसे उल्टा कर अलग मेज़ पर रख दिया था पर बातचीत में मैं उस तस्वीर को उठाना बिलकुल भूल गयी। बबलू ने प्रत्यक्ष रूप से उसे उठा लिया था। 
"भाभी मैंने इसे चुराया नहीं।  जब सब लोग चले गए और आपने इसकी खोज नहीं की मैंने इसे उठा लिया। सॉरी," बबलू का मासूम ,सुंदर चेहरा रोने जैसा हो गया। 
मैंने एक क्षण में निर्णय ले लिया और अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ कर कहा, "इसमें सॉरी कि क्या बात।  हम दोनों पहले से ही वायदा कर चुके हैं, " फिर मैंने धड़कते हुए दिल से बबलू पूछा, "तो जब तुम अपना पीनिस  अं  .... छू रहे थे तो तुम क्या सोच रहे थे ?"
बबलू के चेहरे पर कोई भी कपट , या प्रवंचना नहीं थी ," भाभी मैं  इसे रोज़ देखता था पर और मुझे अपने पीअं  … ,"
मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे मुंह से ये शब्द निकल गए, "बबलू अब तुम इसे नए नाम से पुकार सकते हो। "
बबलू ने मासूमियत से पूछा ,"भाभी कौनसा  नाम यूज़ करूँ ?"
मेरी आवाज़ मानो गहरे कुँए से आ रही थी , "जो तुम्हे अच्छा लगे। "
मैं  अपने आप को ऊंची पहाड़ी के कगार पे खड़ा महसूस सा कर रही थी। 
"भाभी आपको सबसे अच्छा कौनसा नाम लगता है ," बबलू ने एक बार फिर से सरल निष्कपट बालकपन के भाव से मुझसे पूछा। 
मुझे अब भरोसा नहीं था कि मेरे हलक से कोई  आवाज़ भी निकल पायेगी , "मुझे लंड और फिर लौड़ा सबसे अच्छे लगतें हैं। "
मेरी आवाज़ अब रुक-रुक कर निकल रही थी। 
"बबलू अब बताओ नए नाम को इस्तेमाल करके कि तुम क्या कर रहे थे. देखो तुमने वायदा किया है ," मैं मुश्किल से बोल पायी। 
"भाभी मैं आपकी फोटो रोज़ देखता था और फिर कुछ देर में मेरा अँ  …अँ मेरा लंड अजीब सा हो जाता है। पहले तो मुझे समझ नहीं आया।  पर इसमें बड़ी अजीब सी  कुछ कुछ खुजली जैसी फीलिंग होने लगी " बबलू को काश पता होता कि उसका हर शब्द मेरे पर क्या कयामत धा रहा था। 
"बबलू तो तुमने कभी  मास्टरबेट नहीं किया। " मैं मुश्किल से अपना सवाल मुंह से निकाल पाई। 
"नहीं भाभी, बस मेरा दिल किया कि मैं इसे हाथ से सहलायूं तो मैं करने लगा तभी आप अमआप आ गयीं। " बबलू का चेहरा इतना मासूम  और  निष्कपट था कि मुझे रोना सा आने लगा। 
मैंने सारे पूर्वविधान और सावधानी को खिड़की के बाहर फैंक दिया, "बबलू मैं तुम्हे मास्टरबेट करना सिखाऊं? सब लड़के करतें हैं और उन्हें बहुत अच्छा लगता है। "
"भाभी क्या आप भी करतीं हैं?” अब मेरे डूबने में कोई देर नहीं थी। 
"बबलू लड़कियां भी मास्टरबेट करती हैं पर मुझे तुम्हारे भैया ....... बबलू तुम्हे सीखना है ?" मैंने ध्यान से बबलू का एकागर्ता  में डूबा चेहरा गौर से देखा। 
"प्लीज़ भाभी , मुझे अच्छा लग रहा था ,” बबलू ने बच्चों जैसी मासूमियत  से कहा। 
"बबलू अपने हाथ को अपने लंड पर लगाओ और लंड की  त्वचा को ऊपर नीचे करो।  पहले धीरे धीरे फिर जब तुम्हे जितना अच्छा लगे उतनी तेज़ी से कर सकते हो,”  मेरी भारी आवाज़ मुझे भी अपरिचित लगी। 

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११
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बबलू ने अपना बड़ा हाथ  से अपने सख्त होते लंड को पकड़ लिया।  मेरी आँखे फट कर खुल गयीं।  बबलू का कमसिन लंड अब विशाल लग रहा था।  बबलू का  बड़ा  चौड़ा  हाथ  भी उसके आधे सख्त लंड की पूरे घेरे को पकड़ नहीं पा रहा था। अभी उसका लंड पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था। 
बबलू ने मेरी ओर देखा और मुझसे मानो पूछा कि वो सही तरीके से मुठ मार रहा था। 
मुझसे अब रुका नहीं गया।  मैंने अपना हाथ बबलू बड़े हाथ के ऊपर रख कर उसे अपने लंड की त्वचा को ऊपर नीचे करने में मदद करने लगी। 
बबलू की हल्की भूरी आँखे मेरी आँखों से उलझ गयीं।  मेरे पास अब कोई और चारा नहीं रहा।  मैंने अपने दोनों हाथों से बबलू के लंड के मोटे घेरे को पकड़ लिया।  बबलू का हाथ अब मेरे हाथों के भीतर था।  
मैंने उसके लंड को थोड़े ज़यादा ज़ोर से उसकी मुठ मारने लगी।  बबलू के मुंह से सिसकारी उबल उठी। 
"भाभी प्लीज़, यह तो बहुत  अच्छा लग रहा है , प्लीज़ भाभी ……  उउन्न्ह ," उस प्यारे बालक की सिसकारी मेरे कानों में संगीत के सुर बजाने लगी। 
"बबलू तुम जितने ज़ोर और तेज़ी से चाहो उतने ज़ोर और तेज़ी से मुठ मार सकते हो ," मैंने शुष्क आवाज़ में फुसफुसाई। 
"भाभी आप ही कीजिये।  आपके हाथ मुझे बहुत अच्छे लग रहें है ,"  बबलू ने  घुटी घुटी आवाज़ में कहा। 
अब मुझसे रुका नहीं गया।  मैंने अपने दोनों हाथों से बबलू का हाथ दबा कर उसके मीठे चिकने लंड की मुठ मारने लगी। 
उसका गुलाबी सूपड़ा उसके लंड के विसर्जन के पहले रस से भीग गया। मेरा मन कर रहा था कि बबलू का रसीला लंड अपने मुंह में ले लूं। पर मैंने अपनी अतार्किक इच्छा पर किसी तरह से काबू पा लिया। 
बबलू का लंड अब पूरा लोहे की तरह सख्त हो गया था।  उसकी लम्बाई और चौड़ाई दोनों और भी बड़ गए। 
मेरी हालत बेडौल हो गयी।  इतनी छोटी उम्र के बालक के इतने वृहत लंड को अपने हाथों में पा कर मैं तो पागल हो चली थी। 
"भाभी , भाभी ," बबलू ने घुटी अव्वाज में मुझे पुकारा और अपने मीठे मुंह को मेरे सीने में छुपा लिया। 
मेरे भारी विशाल उरोज़ों पर बबलू के मुंड के दवाब से मेरी चूत छटपटा उठी। मेरी चूत अब  लबालब भर गयी थी। 
मेरे  हाथों ने बबलू के हाथ को मार्गदर्शक दे कर उसे और भी तीव्रता से मुठ मारने के लिए उत्तेजित कर दिया। 
मैं तो अवाक रह गयी इतने नाबालिग लड़के की सहन-शक्ति से।  अब तक बहुत से मर्द झड़ चुके होते। 
बबलू की सिस्कारियां  मेरे कानों में मीठे सुर भर रहीं थी। 
"बबलू क्या तुम झड़ने  वाले हो ?" मैंने भारी आवाज़  में उस से पूछा। 
"भाभी झड़ना  क्या होता है ?” बबलू ने किसकिसाते हुए पूछा। 
मैं उसके भोलेपन से इतनी प्रभावित हुई कि बिना अपनी चूत छुए मैं झड़ गयी। मेरी सिस्कारियां बबलू की सिस्कारियों से मिल कर कमरे में एक नया पर अनुचित संगीत बजाने लगीं। 
"भाभी आह भाभी मेरे लंड में कुछ हो रहा है ," बबलू ने अपने  दाँतों को भींच कर सुसकारते हुए कहा। 
 मैं अभी भी अपने रति-निष्पति से उलझ रही थी पर मुझे इस बालक की तरफ़ अपने कर्तव्य का ध्यान आ गया। 
"बबलू तुम निश्चिन्त रहो। यह सब प्राकर्तिक आभास हैं। तुम्हारा कामोन्माद होने वाला है।  इस मीठे दर्द का आनंद उठाओ। बबलू तुम्हारी भाभी तुमहे  कोई  भी क्षति नहीं होने देगी। " मैंने बबलू के माथे को चूम कर उसे सांत्वना दी। 
"भाभी प्लीज़ और ज़ोर से करो ," बबलू की आँखें बंद थीं पर उसके सुंदर लाल चेहरे पर पसीने की बूँदें प्रगट हो चलीं थी।
मैंने अब बबलू के हाथ को और भी तेज़ी से उसके लंड की मुठ मारने के लिए पथप्रदर्शन करने लगी। 
बबलू ने अचानक ऐंठ कर  सिसकारी मारी और उसके वृहत लंड के पेशाब के छिद्र से गाड़ा सफ़ेद वीर्य उबाल पड़ा। बबलू के वीर्य की बौछार कई फूट तक ऊपर जा कर मेरे हाथों और उसके पेट और झाँगों पे बिखर गयी। 
बबलू ने मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया और उसका मीठा हांफता मुंह मेरे गाल से चिपक गया ,"ओह भाभी उउन्न्ह भाभी। "
उसका मुझे पुकारना इतना मीठा लगा कि मैं फिर से झड़ गयी। 
बबलू के लंड ने अनेको बार गाढ़े  वीर्य की पिचकारी मारी। मेरे दोनों हाथ,उसका पेट सफ़ेद मलाई की तह से  ढक गए। 

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१२
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  बबलू मेरे ऊपर अपने पूरे वज़न से ढलक गया मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और जैसे-तैसे बिस्तर में नीचे खिसक कर सीधे लेट गयी। मैंने निष्चल  बबलू के माथे को चूमा।  फिर उसकी हांफती हुई सुंदर नासिका को प्यार से चूम कर उसके तेज़ी से उठते बैठते सीने के ऊपर अपने होंठ चिपका कर आँखे बंद करके उसके जागने का इंतज़ार करने लगी। 

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बबलू ने जब होश सम्भाला तो मुझसे ज़ोरों से लिपट गया ," भाभी आई  लव यू भाभी। "
उसकी प्यार की पुकार ने मेरे ह्रदय  की हर तरंग को जगा दिया ,"अब तो बोलेगे ही। पर क्या कल भी तुम अपने भाभी को इतना ही  'आई  लव यू ' करोगे ?"
बबलू ने मुझे और भी सख्ती से भींच  लिया , " भाभी आप और मम्मी को मैं मरते दम तक प्यार करूंगा। "
मेरी तरुणा का द्वार पूरा खुल गया। बबलू ने मेरे प्यार को अपनी माँ के प्यार से तुलना कर मुझे बिलकुल जीत लिया। 
मैंने उसके गाल को चूम कर भावना के अतिरेक से  अभिभूत हो फुसफुसाई , "मेरा प्यारा बेटा देवर आई विल आलवेज़ लव यू विद  माई लाइफ। "
बबलू की तब तक आँखे बंद हो गयीं थी और उसकी गहरी साँसों  ने मुझे बताया कि मेरा नन्हा प्यारा देवर बेटा  सो गया था। 
मैंने रवि से सम्भोग की हिंदी और अंग्रेजी की किताबे और डीवीडी मंगवा कर बबलू को दे दीं। रवि ने मुझे इंटरनेट पर कुछ साइट्स के लिंक भी दे दिए पर मैं नहीं चाहती थी कि बबलू इंटरनेट से  सम्भोग की शिक्षा ले। 
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उस दिन से मैं रोज़ बबलू के कॉलेज होम-वर्क की मदद करने के लिए उसे मुठ मारने में मदद करती रहीं हूँ। बबलू अब रात में और अलग समय में अपने आप मुठ मारने लगा था।  पर वो हमेशा कॉलेज के बाद मेरा इंतज़ार करता था। उसके हिसाब से जब वो मेरे सामने मुठ मरता था तो मेरा चेहरा देख कर उसे और भी आनन्द मिलता था।  मैं कई बार अपने को रोक नहीं पाती थी और अपने दोनों नाज़ुक हाथों के उसके हाथ के ऊपर रख कर उसके विशाल लंड की मुठ मारने में मदद कर देती थी।  मुझे अपनी चूत को छूने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती थी झड़ने के लिए। अब उसकी शब्दावली मेरे शब्दकोष के बराबर हो चली थी।  हम दोनों खुल कर हर अश्लील शब्द का इस्तेमाल करने लगे। 
मुझे दो हफ्ते बाद ही बबलू ने बताया कि नीलू भी उन किताबों में खो गयी थी। 
सीमा सिंह 
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RE: बहु की योजना - by SEEMA SINGH - 03-09-2022, 04:23 PM



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