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Adultery बीवियोँ की अदला -बदली {दोस्त}
#36
उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद अनिल ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। अनिल की पत्नी अनीता और मेरी पत्नी नीना दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।

हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं अनीता करीब जाने के लिए लालायित था और अनिल नीना की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। अनिल और मैं मिलते तो थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
अनिल मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी नीना उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। अनिल जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो नीना मुझे अनिल के आने के बारे में बता देती थी।
एक बार नीना ने मुझे कहा की अनिल की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। नीना को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया। यदि अनिल मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे।
एक तो यह की अनिल का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था नीना के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही।यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और अनिल के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी अनिल से काफी प्रभावित तो थी परन्तु वह अनिल को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी, ।
एक दिन मेरी अनुपस्थिति में अनिल ने मेरी पत्नी नीना को एक उपहार देना चाहा। नीना ने उसे लेने से सख्ती से इन्कार कर दिया। अनिल मायूस सा हो गया। जब हम अगली बार मिले तो मैंने उसे दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। अनिल ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर नीना ने उसे हड़का दिया।
अनिल ने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा अनिल से काफी घुलमिल गया था। अनिल चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह नीना से डरता था। तब मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा की उस रात को मैं नीना से बात करूँगा।
उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने नीना से उस बात को छेड़ा। मैंने कहा, “नीना डार्लिंग, आपने अनिल का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
यह सुन नीना खिसिया गयी और बोली, “मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।”
मैंने कहा, “नहीं, ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ कुछ आकर्षित तो है, पर उसमे उसका कोई दोष नहीं। भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा? तुम इतनी सेक्सी जो हो।” ऐसा कह कर मैंने बात बात में नीना को यह कह दिया की अनिल उसके प्रति आकर्षित है।
नीना ने थोड़ा शर्मा कर कहा, “ठीक है बाबा, गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो अबसे मैं ध्यान रखूंगी तुम्हारे दोस्तका। उसे दुखी नहीं करुँगी, बस? अब तो खुश?” मैंने नीना के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने अनिल को डांट दिया।
नीना ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, “तुम बहुत ही भले इंसान और एक संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे अनिल का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?“
एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मेरी पत्नी ने अपनी नाराजगी और असहायता प्रगट की। फिर उस ने आँख नचाते हुए कहा, “मेरी राय में तो ऐसे दोस्त को प्रोत्साहन देना ठीक नहीं , कहीं ऐसा न हो की वह तुम्हारी बीबी को वशमें कर ले और तुम हाथ मलते रह जाओ।“
मैं कहाँ चुप रहने वाला था। मैंने भी नीना से उसी लहजे में कहा, “डार्लिंग तुम अपने आप को जानती हो उससे मैं तुम्हे ज्यादा अच्छा जानता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम पर कोई कितने ही डोरे डाले या ऐसा हो जाए की आवेश में तुम किसी के साथ कुछ कर भी लो फिर भी तुम मेरी ही रहोगी। हमारे तन मात्र की ही शादी नहीं हुयी, शादी हमारे मन की और परिवार की भी तो हुयी है , सही है या गलत?”
मेरी सीधी सादी बीबी कुछ सोचमें पड़ गयी और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, “हाँ तुम सही कह रहे हो।” फिर वह मुझसे लिपट गयी और बोली, “डार्लिंग क्या सच में तुम्हें तुम्हारी पत्नी पर इतना विश्वास है?
उस वक्त ही मैं समझ गया की मेरी घरेलु वफादार पत्नी असमंजस में तो है परंतु थोड़ी सी पिघली भी है।
मैंने नीना को बाँहों में और करीब दबाते उसके ब्लाउज में हाथ डाला। उसके रसीले स्तन युगल को बारी बारी दबाते और उसकी निप्पल को सहलाते और दबाते हुए और भी छेड़ा। मैंने कहा, “एक बात तो तुमने ठीक कही। अनिल तुम पर फ़िदा तो है। तुम्हारे लताड़ने पर बेचारा बहुत दुखी था। वह जब तुम को देखता है तो उसकी आँखे बार बार तुम्हारे स्तन पर ही टिक जाती है।”
नीना एकदम सहम सी गयी। थोड़ी पीछे हट कर उस ने मेरी बात को खारिज करते हुए कहा, “ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मर्दों को तो सेक्स के अलावा और कुछ सूझता ही नहीं। परन्तु अनिल ऐसा नहीं लगता।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बीवियोँ की अदला -बदली {दोस्त} - by neerathemall - 02-09-2022, 03:13 PM



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