01-09-2022, 03:33 PM
अब जय का लंड मेरी चुत में सटासट अन्दर बाहर होने लगा था. जय की स्पीड भी अब बहुत तेज हो चुकी थीं. सारा बेड जोर जोर से हिल रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे रूम में तूफान आ गया हो. मैं भी जोश में आ कर अपने चूतड़ उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन जय ने मुझे इतनी बुरी तरह से जकड़ रखा था कि मैं चाह कर भी अपने चूतड़ नहीं उठा पा रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
