01-09-2022, 03:30 PM
जय बोला- भाभी, निशा ठीक कह रही है. पहले मुझे इसकी चुदाई कर लेने दो. उसके बाद जब मैं तुम्हारी चुदाई करूँगा तब तुम्हें खूब मजा आएगा.
मैंने कहा- जैसा तुम ठीक समझो वैसा करो.
जय ने निशा से कपड़े उतारने को कहा तो उसने अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगी हो गई. निशा का बदन एकदम गोरा था और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत थी.
मैंने जय से कहा- तुम्हारी पसंद तो बहुत ही अच्छी है.
निशा जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. थोड़ी ही देर में जय का लंड खड़ा हो गया. मेरी चुत भी जोश के मारे फिर से गीली होने लगी. मैं भी जल्दी से जल्दी जय से चुदवाना चाहती थी.
मैं जानती थी कि जय से चुदवाने में मुझे खूब मजा आएगा. अगर निशा नहीं आई होती तो अब तक जय मेरी चुदाई कर चुका होता.
निशा डॉगी स्टाइल में हो गई तो जय उसके पीछे आ गया. जय ने अपना लंड निशा की चुत में घुसाना शुरू कर दिया. निशा के मुँह सा जरा सी भी आवाज नहीं निकल रही थी. देखते ही देखते जय का पूरा का पूरा लंड उसकी चुत में समा गया. मैं आँखें फाड़े निशा को देखती रही.
पूरा लंड घुसा देने के बाद जय ने निशा की कमर को जोर से पकड़ लिया और बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा. अब हर धक्के के साथ निशा के मुँह से “ओह्ह.. आह..” की आवाज निकलने लगी.
दो मिनट में ही निशा पूरी तरह से मस्त हो गई और उसने “और तेज.. और तेज… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह फाड़ दो मेरी चुत को..” कहते हुए जय से चुदवाना शुरू कर दिया. वो अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए जय का साथ देने लगी थी.
जय भी पूरी ताकत के साथ बहुत जोर जोर के धक्के लगा रहा था. जय का 8″ लम्बा और खूब मोटा लंड निशा की चुत में सटासट अन्दर बाहर हो रहा था. उसकी चुत की फांकों ने जय के लंड को जकड़ रखा था.
जय ने मुझसे पूछा- भाभी, कैसा लग रहा है. अच्छी तरह से चोद रहा हूँ ना?
मैंने कहा- तुम्हारा तो जवाब नहीं है. तुम तो बहुत ही अच्छी तरह से निशा की चुदाई कर रहे हो. मेरी भी चुदाई इसी तरह करना.
जय ने कहा- भाभी, अभी तुमने पूरी तरह से निशा की चुदाई कहाँ देखी है. अब देखो कि मैं निशा के साथ क्या करता हूँ.
अब तक 10 मिनट गुजर चुके थे. निशा अब तक एक बार झड़ चुकी थी.. निशा भी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी.
मैंने कहा- जैसा तुम ठीक समझो वैसा करो.
जय ने निशा से कपड़े उतारने को कहा तो उसने अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगी हो गई. निशा का बदन एकदम गोरा था और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत थी.
मैंने जय से कहा- तुम्हारी पसंद तो बहुत ही अच्छी है.
निशा जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. थोड़ी ही देर में जय का लंड खड़ा हो गया. मेरी चुत भी जोश के मारे फिर से गीली होने लगी. मैं भी जल्दी से जल्दी जय से चुदवाना चाहती थी.
मैं जानती थी कि जय से चुदवाने में मुझे खूब मजा आएगा. अगर निशा नहीं आई होती तो अब तक जय मेरी चुदाई कर चुका होता.
निशा डॉगी स्टाइल में हो गई तो जय उसके पीछे आ गया. जय ने अपना लंड निशा की चुत में घुसाना शुरू कर दिया. निशा के मुँह सा जरा सी भी आवाज नहीं निकल रही थी. देखते ही देखते जय का पूरा का पूरा लंड उसकी चुत में समा गया. मैं आँखें फाड़े निशा को देखती रही.
पूरा लंड घुसा देने के बाद जय ने निशा की कमर को जोर से पकड़ लिया और बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा. अब हर धक्के के साथ निशा के मुँह से “ओह्ह.. आह..” की आवाज निकलने लगी.
दो मिनट में ही निशा पूरी तरह से मस्त हो गई और उसने “और तेज.. और तेज… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह फाड़ दो मेरी चुत को..” कहते हुए जय से चुदवाना शुरू कर दिया. वो अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए जय का साथ देने लगी थी.
जय भी पूरी ताकत के साथ बहुत जोर जोर के धक्के लगा रहा था. जय का 8″ लम्बा और खूब मोटा लंड निशा की चुत में सटासट अन्दर बाहर हो रहा था. उसकी चुत की फांकों ने जय के लंड को जकड़ रखा था.
जय ने मुझसे पूछा- भाभी, कैसा लग रहा है. अच्छी तरह से चोद रहा हूँ ना?
मैंने कहा- तुम्हारा तो जवाब नहीं है. तुम तो बहुत ही अच्छी तरह से निशा की चुदाई कर रहे हो. मेरी भी चुदाई इसी तरह करना.
जय ने कहा- भाभी, अभी तुमने पूरी तरह से निशा की चुदाई कहाँ देखी है. अब देखो कि मैं निशा के साथ क्या करता हूँ.
अब तक 10 मिनट गुजर चुके थे. निशा अब तक एक बार झड़ चुकी थी.. निशा भी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
