01-09-2022, 02:51 PM
फिर हम दोनों एक दूसरे का कपडे उतारने लगे. और फिर दोनों नंगे होके कभी वो मेरे ऊपर चढ़ रही थी और कभी मैं उनके ऊपर चढ़ रहा था. और मैं उनकी चूचियों को पकड़ कर अपने मुझे में ले लिया और उनके निप्पल को दांत से काटने लगा. वो इस इस इस कर रही थी. उनके बगल से पसीने की खुशबु मुझे और भी मदहोश कर रही थी. मैंने उन हाथ को ऊपर उठा दिया और उनके बगल को चाटने लगा. वो अंगड़ाइयां लेने लगी. उनकी चूचियाँ बड़ी बड़ी और टाइट हो गई. मैंने उनकी चूचियों को सहलाने लगा. फिर मैं निचे सरक कर चला गया और दोनों पैरों को अलग अलग करके, मैंने उनकी खूबसूरत बिना बालों बाली चूत को अपने जीभ से चाटने लगा. वो भी रह रह कर अपने चूत को मेरे मुंह में रगड़ देती.दोस्तों उसके बाद दीदी पसीने पसीने हो गई. और मेरी भी धड़कन तेज हो गई. दीदी बोली कुणाल अब रहा नहीं जा रहा था मेरी चूत की गर्मी को शांत कर दे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.