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Incest दीदी का प्यार और चुदाई
#4
मैंने तेज आवाज में पूछा- क्या हुआ.. कौन है?
उसने कहा- कोई नहीं।
और जैसे ही मैं जाने लगा तो उसने फिर से आवाज़ लगाई और बाथरूम के अन्दर से ही पूछने लगी कि भैया आप मेरे रूम में गए थे क्या?
तो मैंने कहा- नहीं..

लेकिन वो समझ गई थी कि मैं ही उसके रूम में गया था और उसकी पेंटी और ब्रा पर मेरा ही माल लगा था। वो बाहर आई और उसने मेरी तरफ देखा।
बोली- आपको क्या चाहिए? आप ऐसी हरकतें क्यों करते हो.. और देखो आप का पजामा भी.. अभी भी आप ही थे ना खिड़की के पास?

तो मैंने कहा- हाँ में ही था और मैं ही तुझको देख कर मुठ मार रहा था और मैंने ही तेरी ब्रा और पेंटी पर अपना माल लगाया है।
यह बोल कर मैं रोने लगा.. उसने मुझको प्यार से अपने गले से लगा लिया और बोली- भैया मैं आपकी मदद करूँगी.. आप अपने रूम में चलो.. मैं आती हूँ।

मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये सब क्या हो रहा है और वो अब क्या करने वाली है।
मैं अपने रूम में जा कर उसके आने का इंतजार करने लगा। दीदी 10 मिनट बाद आ गई और इस वक्त उसने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी ही पहनी हुई थी।

अन्दर आते ही उसने रूम को अन्दर से लॉक कर दिया और मेरे पास आकर बैठ कर कहने लगी- भैया, मैं आप को ऐसा नहीं देख सकती।
और उसने मुझको गाल पर किस कर दिया।

मैंने भी उसको अपने गले से लगा लिया और झट से उसको लिप किस करने लगा। पहले तो उसको जरा सी झिझक सी लगी.. लेकिन कुछ ही देर में वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब मैं समझ गया था कि वो भी गरम हो गई है। मैंने उसको किस करते हुए अपने सारे कपड़े भी उतार दिए और उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
वो भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ निकाल रही थी, जिससे मेरा और जोश बढ़ रहा था।

फिर मैंने उसकी ब्रा निकाल दी। उसके बड़े-बड़े बोबे अब आज़ाद हो चुके थे और मैं उन दोनों को बारी-बारी से चूसने लगा। वो मेरे बालों को पकड़ कर और ज़ोर लगा रही थी। फिर मैंने उसकी पेंटी भी निकाल दी और दीदी की गुलाबी चुत को अपनी जीभ से चाटने लगा। वो अब एकदम मस्त हो चुकी थी। मैं उसकी गुलाबी चुत में अपनी जीभ डाल रहा था और उसके मम्मों को दबा रहा था।

फिर मैंने उसको अपना लंड चूसने के लिए कहा.. पहले तो उसने 1-2 बार मना किया लेकिन फिर लंड के टोपे पर अपनी जीभ लगाने लगी। उस वक़्त ऐसा लग रहा था मानो अगर दुनिया में कही जन्नत है तो वो यही है।

वो लंड को अपने मुँह में लेने से डर सी रही थी.. मैंने अचानक से उसके बाल पकड़े और अपने लंड की ओर दबाव लगाकर अपना पूरा लंड उसके गले तक उतार दिया। उसकी आँखों में से आँसू निकल रहे थे.. लेकिन मेरे ऊपर तो मानो भूत सा सवार था.. मैं नहीं रुका। इस तरह एक बार तो मैंने उसके मुँह में ही अपना सारा पानी निकाल दिया।

फिर वो थोड़ी सी दूर हो गई और ज़ोर-ज़ोर से सांस लेने लगी। मैं उसको किस करने लगा और उसको सीधा लिटा कर उसकी चुत को फिर से चाटने लगा।

दीदी के मुँह से आवाजें निकल रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… भैया.. ओह अब और मत तड़पाओ.. मुझको प्यास लगी है.. मेरी प्यास बुझा दो.. मैं और नहीं सह सकती।
मैंने अपने लंड का निशाना सीधा अपनी बहन की चुत पर लगाया और एक ही बार में अपना लंड का टोपा सीधा उसकी चुत के अन्दर डाल दिया।
लंड घुसते ही वो चीख उठी- ओह भैया.. इसको बाहर निकालो.. मैं मर गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी का प्यार और चुदाई - by neerathemall - 01-09-2022, 02:48 PM



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