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Incest दीदी का प्यार और चुदाई
#3
मैं अनजान बना रहा और जब मैंने 3-4 बार पूछा तो उसने वो कंडोम दिखा दिया और बोली- ये है इसकी वजह!
उस वक़्त मानो मेरे पैरों के नीचे से तो ज़मीन ही निकल गई थी। मैंने उसी वक़्त उसके पैर पकड़ लिए।

वो नहीं मान रही थी.. कह रही थी- आने दो मॉम को.. फिर वो ही तुझको माफ़ करेंगी।
मैं डर गया था.. मैंने उसको काफ़ी समझाया।

जब वो नहीं मानी तो मैं गुस्से में आ गया और उससे कहने लगा- हाँ अगर मैंने ये सब किया है तो क्या गलत किया है? सब करते हैं और तो और मॉम भी करती हैं.. तुझको क्या लगता है.. मॉम रोज किसी काम पर जाती हैं? वो रोज ये सब काम करती हैं तभी हमारे घर का गुजारा चल रहा है और जानती भी हो.. मुझको ये सब कैसे पता चला?
‘कैसे..?’

‘एक दिन मैं मॉम के ऑफिस गया था तो वहां पर मैं गेट पर खड़ा हुआ था। उधर गार्ड मॉम के बारे में बात कर रहा था.. उसको नहीं पता था कि मैं रजनी का ही बेटा हूँ। वो वहीं खड़े दूसरे गार्ड को बता रहा था कि रजनी कैसी औरत है.. पूरे स्टाफ को वो कैसे खुश रखती है और आज यहाँ के मालिक के साथ गई हुई है।’
‘फिर..?’

‘फिर मैं उनके मालिक का घर जानता था.. तो मैं वहां पहुँच गया और चुपचाप उनके घर के सामने एक पेड़ पर चढ़ कर देखा तो मॉम और उनका बॉस ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर अपने रूम में खड़े थे और मॉम ने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी। उनके मम्मे बिल्कुल नंगे थे। तब से मुझको पता है.. लेकिन मैंने कभी किसी को भी इस बात को नहीं कहा। यदि तू अब भी मॉम को बताना चाहती है.. तो बता दे।’

दीदी कुछ देर बाद शांत हो गई और उसने कहा- भैया आप ये सब क्यों करते हो.. मॉम की तो मजबूरी है।
मैंने उसको शांत किया और उससे कहा- ये तो सब करते हैं।

इस तरह धीरे-धीरे मैं दीदी से खुलने लगा और उस दिन बात यहीं ख़त्म हो गई लेकिन मेरे मन में सोनिया दीदी को चोदने का दिल करने लगा। उसका 32-28-34 का फिगर भी कमाल का था।

उसने मॉम को कुछ नहीं बताया और अब मैं रोज ही किसी ना किसी तरह उससे सेक्स की बातें करता रहता.. कभी कहता कि तू भी अपनी किसी फ्रेंड के साथ सेक्स करती होगी.. ऐसे ही उससे बातें करता रहता।

एक दिन मैं लगभग 2 बजे के आस-पास ही घर जल्दी आ गया था। उस दिन मेरा मन सोनिया को चोदने का कर रहा था। मैंने उसके कमरे में जाकर उसकी अलमारी में से उसकी ब्रा और पेंटी निकाली और उसको सूँघने लगा। आप मानो या ना मानो लेकिन उस वक़्त मैं सातवें आसमान पर था। उसमें से भीनी-भीनी सी महक आ रही थी और मैं अपनी आँखें बंद करके उसको सोचते हुए मुठ मारने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड का सारा पानी उसकी ब्रा और पेंटी में ही छोड़ दिया और वैसे ही उसकी अलमारी में रख दी.. सबसे आगे ही.. जैसे पहले पड़ी हुई थी।

शाम को मेरी दीदी जब वापिस आई तो हम दोनों थोड़ी सी बातें की और वो कहने लगी कि भैया आज मैं थकी हुई हूँ तो क्या आप घर की सफाई कर डोज?
मैंने कहा- ठीक है..

फिर वो नहाने लिए चली गई। मैं भी फटाफट मौका पा कर उसके बाथरूम की खिड़की के पास जा कर खड़ा हो गया और उसको देखने लगा। उसने अपने येलो कलर के सूट को उतारा तो मेरी आँखें चमक उठीं। दीदी की तनी हुई छाती देख कर मेरा लंड ऊपर-नीचे होने लगा। मेरे मुँह में पानी आने लगा। उसने फिर अपनी सलवार उतारी और फिर ब्रा और पेंटी.. ये देख कर तो मैं पागल सा हो गया था।

क्या बताऊं यारों.. मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहा था और वहीं अपने लंड पर थूक लगा कर मुठ मारने लगा।
पता नहीं कैसे.. मगर मेरी आहट से उसको पता चल गया कि मैं उसको देख रहा हूँ.. और उसने कहा- कौन है वहां खिड़की के पास?

इतने में मेरा पानी निकल गया था। मैंने वैसे ही अपने अंडरवियर ऊपर किया और फिर पजामा ऊपर करके दूसरी तरफ से भाग कर उसके रूम पर नॉक किया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी का प्यार और चुदाई - by neerathemall - 01-09-2022, 02:47 PM



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