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Incest दीदी का प्यार और चुदाई
#2
मेरी माँ हर रोज की तरह काम पर गई हुई थीं.. उस दिन मेरा कॉलेज जाने का मन नहीं था.. तो मैं घर पर ही रुक गया। मॉम काम पर गई थीं और सोनिया अपने कॉलेज चली गई थी। वो फाइनल ईयर में थी और मैं फर्स्ट ईयर में था।

मॉम रात को लेट ही आती थीं इसलिए घर का सारा काम सोनिया दीदी ही करती थी कॉलेज से आने के बाद!

हम दोनों अलग अलग कॉलेज में पढ़ते थे। दीदी रोज 4 बजे आती थी और मैं 5 बजे आता था। वो आने के बाद रोज नहाती थी.. फिर घर का सारा काम करती थी। जैसे ख़ाना बनाना, सफाई करना.. ये सब उसे ही करना पड़ता था क्योंकि मॉम थकी हुई आती थीं इसलिए मॉम ज़्यादा कुछ नहीं करती थीं।

इसी तरह हमारी जिंदगी चल रही थी।

उस दिन मैं घर पर अकेला था और बोर हो रहा था। मेरा रूम अलग था और मेरी दीदी और मॉम का अलग रूम था।
मैं बोर हो रहा था तो सोचा क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए। मैंने अपने रूम में जा कर ब्लूफिल्म की सीडी टीवी पर लगा ली और देखने लगा।

लगभग 12 बजे का टाइम रहा होगा और फिर मैं कंडोम पहन कर मुठ मारने लगा।

करीब 5 मिनट बाद मैं फारिग हो गया और ऐसे ही कंडोम साइड में टेबल पर रख कर अपने कपड़े पहन कर बाहर चला गया। मैंने सोचा आकर फेंक दूँगा। बाद में जब मैं 30 मिनट बाद घर आया तो मुझको याद नहीं रहा और मैं सो गया।

मेरे घर की 3 चाभियां हैं.. मतलब सबके पास एक-एक है। मैं सो रहा था मेरी दीदी ने दरवाजे पर दस्तक दी। लेकिन मैं थका हुआ था तो गेट नहीं खोला। तो उसने ही अपनी चाभी से गेट ओपन कर लिया और अन्दर आ गई, मुझको उसके आने का पता भी नहीं चला।

उसने अन्दर आकर रोज की तरह कपड़े चेंज किए और सब्जी आदि काटी ताकि रात के खाने की तैयारी कर सके।

फिर वो सफाई करने में लग गई। इतने में मेरी नींद भी खुल गई.. तब तक वो अपने और मॉम के कमरे की सफाई कर चुकी थी। मैं उठ कर बाथरूम में गया और उसी वक्त वो मेरे कमरे में सफाई करने चली आई।

मुझको याद ही नहीं रहा कि मेरे कमरे में टेबल पर मेरे माल से भरा हुआ कंडोम रखा हुआ है। उसने पूरे कमरे की सफाई की और जब मैं आया तब तक वो रसोई में जा चुकी थी। मुझको अपने रूम में आते ही याद आया कि मेरा कंडोम तो यहीं रखा हुआ था। मैंने जल्दी से देखा तो वो वहां नहीं था। मैंने टेबल के चारों तरफ देखा और समझ गया कि मेरी बहन को वो दिख गया था और उसने फेंक दिया होगा।

यह सोच कर तो मेरी हालत खराब होने लगी। मैं डर के मारे दीदी से पूछने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहा था लेकिन पूछना भी ज़रूरी था कहीं वो ग़लती से भी मॉम को ना बता दे।

मैं डरते-डरते उसके पास गया तो वो मुझको गुस्से से देखने लगी।
मैंने पूछ लिया- क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो?
उसने कहा- भैया, आपको नहीं पता मैं क्यों देख रही हूँ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी का प्यार और चुदाई - by neerathemall - 01-09-2022, 02:47 PM



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