29-08-2022, 11:37 AM
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 07
मरीना का मतलब होता है पानीदार आनंद क्षेत्र है और मुझे लगा कि यह उसके लिए रसभरा होना उपयुक्त लगा उसने एक धीमी मुस्कान दी, अपना सिर हिलाया, और मेरी दाहिनी और आ कर खड़ी हो गयी ,
भाई महाराज मुस्कुराए और हम फ्लाइट से वापस अपने पैतृक स्थान के लिए रवाना हो गए।
अपने पैतृक स्थान में आकर सबने मुझे माँ पिताजी और भाई महराज को मेरा विवाह सम्बन्ध पक्का होने पर बधाई दी . और फिर इसविषय पर चर्चा करते हुए निर्णय किया गया की मेरे विवाह से सम्बंधित सभी कार्य और आयोजन यही से किये जाएंगे .
भोजन इत्याद्दी करने के बाद भाई महाराज के कक्ष में गया और फिर भाई महाराज की सहमति लेने के बाद मैंने मरीना से कहा मुझे महाराज से कुछ अत्यंत गोपनीय बात करनी हैं इसलिए आप कुछ देर के लिए हमे अकेला छोड़ दो और मेरे कक्ष में मेरा इन्तजार करो ,
फिर मैंने महाराज के कक्ष में उन दो मूर्तिया को घुमाया तो जैसा डायरी में बताया था वैसे दो गुप्त दरवाजे खुले । एक रास्ता मुख्य भवन की और एक बायीं और थी जो की एक गुप्त रास्ता था जो घर के बाहर ले जाता था
कमरे के दायी और जो अलमारी थी नीचे जो चाबी मिली थी वो चाबी अलमारी में एक लॉकर की थी और डायरी में लिखा था की दोनों डायरी को उसी लाकर में सुरक्षित रखा जाए जब मैंने अलमारी खोल कर चाबी से लाकर खोला तो उसके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक लाकर था और सके पास ही एक पर्ची पर उसका पास वर्ड लिखा था और साथ ही पासवर्ड बदलने की जरूरी हिफ़ायते थी और साथ ही लिखा था के पासवर्ड बदलने के बाद चबा कर इस पर्ची को खा जाना । महाराज ने पासवर्ड बदला और उस पर्ची को खा कर नष्ट कर दिया
अलमारी के लाकर में कुछ नहीं था l बस केवल लक्ष्मी जी की एक मूर्ति थी l मुझे याद आया हमारे घर की ही तरह उस मूर्ति में ही आगे का राज है"l मैंने महाराज से मूर्ति छूने को कहा उन्होंने मूर्ति के चरण छुए तो मूर्ति घूम गयी और अलमारी में एक और गुप्त रास्ता खुल गया और वह रास्ता एक और तहखाने में ले गया और वहां कुछ कागजात और पुश्तैनी धन और सम्पत्ति मिली ..
तो मैं भाई महाराज ने बोला इस संपत्ति में आधा भाग तुम्हारा भी है , और वो मैं तुम्हे देना चाहता हूँ .. तो मैंने कहा आप मेरे भाग से अपने क्षेत्र की प्रजा के भले के काम कीजिये . उनके लिए हमारे पूर्वजो के नाम से कॉलेज और हॉस्पिटल बनवा दीजिये अगर चाहिए होगा तो मैं इसके अतिरिक्त और धन की व्यवस्था भी करवा दूंगा .
भाई महाराज ने खुश होकर मुझे अपने गले लगा लिया और बोले उसके लिए आप बिलकुल चिंता मत करो अपने क्षेत्र के लिए और जनता के लिए मैंने काफी व्यवस्था की हुई है और उसके लिए कभी कोई कमी नहीं आएगी ..
फिर मैं अपने कक्ष में आ गया और वहां मरीना मेरा इंतजार कर रही थी .
मेरा वो कक्ष कमरे के नाम पर पूरा एक घर था, उसके भीतर दो तीन बैडरूम थे , एक मुख्य बैडरूम था जो कि काफी बड़ा था. उसका बिस्तर इतना बड़ा था कि 7-8. लोग आराम से सो सकते थे. स्नानागार भी इतना बड़ा, जितना हम आम लोगों के घर नहीं होते थे. हर सुख सुविधा की चीजें वहां थीं. भोजन के लिए एक कमरा अलग से था जिसमे एक बड़ी टेबल लगी हुई थी . और हर कमरे में बड़ा सा टीवी भी था.
मेरे दिमाग में रीती का ख़याल आया की उसे बुलवाकर मालिश करवाई जाए तो इतने में रीती वहां आ गयी और उसने मेरी मालिश की उस जड़ी बूटियों वाले पानी से भरे टब में मैं बैठकर आराम से नहाता रहा . उस दिन मुझे स्नान करते हुए बहुत मजा आया.
फिर मैं जड़ी बूटियों वाले पानी से नहा धोकर तैयार हुआ मुझे उस दिन बहुत अच्छा लग रहा था और मैं राजकुमारी ज्योत्स्ना के सौंदर्य से बहुत प्रभावित था और खुश था की रूप और सनुदार्य का ऐसा अद्भुत खजाना कुछ ही दिन में मेरा होने वाला था और राजकुमारी की याद आने के कारण मेरा मेरा लंड तन गया.
कहानी जारी रहेगी
VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 07
मरीना का मतलब होता है पानीदार आनंद क्षेत्र है और मुझे लगा कि यह उसके लिए रसभरा होना उपयुक्त लगा उसने एक धीमी मुस्कान दी, अपना सिर हिलाया, और मेरी दाहिनी और आ कर खड़ी हो गयी ,
भाई महाराज मुस्कुराए और हम फ्लाइट से वापस अपने पैतृक स्थान के लिए रवाना हो गए।
अपने पैतृक स्थान में आकर सबने मुझे माँ पिताजी और भाई महराज को मेरा विवाह सम्बन्ध पक्का होने पर बधाई दी . और फिर इसविषय पर चर्चा करते हुए निर्णय किया गया की मेरे विवाह से सम्बंधित सभी कार्य और आयोजन यही से किये जाएंगे .
भोजन इत्याद्दी करने के बाद भाई महाराज के कक्ष में गया और फिर भाई महाराज की सहमति लेने के बाद मैंने मरीना से कहा मुझे महाराज से कुछ अत्यंत गोपनीय बात करनी हैं इसलिए आप कुछ देर के लिए हमे अकेला छोड़ दो और मेरे कक्ष में मेरा इन्तजार करो ,
फिर मैंने महाराज के कक्ष में उन दो मूर्तिया को घुमाया तो जैसा डायरी में बताया था वैसे दो गुप्त दरवाजे खुले । एक रास्ता मुख्य भवन की और एक बायीं और थी जो की एक गुप्त रास्ता था जो घर के बाहर ले जाता था
कमरे के दायी और जो अलमारी थी नीचे जो चाबी मिली थी वो चाबी अलमारी में एक लॉकर की थी और डायरी में लिखा था की दोनों डायरी को उसी लाकर में सुरक्षित रखा जाए जब मैंने अलमारी खोल कर चाबी से लाकर खोला तो उसके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक लाकर था और सके पास ही एक पर्ची पर उसका पास वर्ड लिखा था और साथ ही पासवर्ड बदलने की जरूरी हिफ़ायते थी और साथ ही लिखा था के पासवर्ड बदलने के बाद चबा कर इस पर्ची को खा जाना । महाराज ने पासवर्ड बदला और उस पर्ची को खा कर नष्ट कर दिया
अलमारी के लाकर में कुछ नहीं था l बस केवल लक्ष्मी जी की एक मूर्ति थी l मुझे याद आया हमारे घर की ही तरह उस मूर्ति में ही आगे का राज है"l मैंने महाराज से मूर्ति छूने को कहा उन्होंने मूर्ति के चरण छुए तो मूर्ति घूम गयी और अलमारी में एक और गुप्त रास्ता खुल गया और वह रास्ता एक और तहखाने में ले गया और वहां कुछ कागजात और पुश्तैनी धन और सम्पत्ति मिली ..
तो मैं भाई महाराज ने बोला इस संपत्ति में आधा भाग तुम्हारा भी है , और वो मैं तुम्हे देना चाहता हूँ .. तो मैंने कहा आप मेरे भाग से अपने क्षेत्र की प्रजा के भले के काम कीजिये . उनके लिए हमारे पूर्वजो के नाम से कॉलेज और हॉस्पिटल बनवा दीजिये अगर चाहिए होगा तो मैं इसके अतिरिक्त और धन की व्यवस्था भी करवा दूंगा .
भाई महाराज ने खुश होकर मुझे अपने गले लगा लिया और बोले उसके लिए आप बिलकुल चिंता मत करो अपने क्षेत्र के लिए और जनता के लिए मैंने काफी व्यवस्था की हुई है और उसके लिए कभी कोई कमी नहीं आएगी ..
फिर मैं अपने कक्ष में आ गया और वहां मरीना मेरा इंतजार कर रही थी .
मेरा वो कक्ष कमरे के नाम पर पूरा एक घर था, उसके भीतर दो तीन बैडरूम थे , एक मुख्य बैडरूम था जो कि काफी बड़ा था. उसका बिस्तर इतना बड़ा था कि 7-8. लोग आराम से सो सकते थे. स्नानागार भी इतना बड़ा, जितना हम आम लोगों के घर नहीं होते थे. हर सुख सुविधा की चीजें वहां थीं. भोजन के लिए एक कमरा अलग से था जिसमे एक बड़ी टेबल लगी हुई थी . और हर कमरे में बड़ा सा टीवी भी था.
मेरे दिमाग में रीती का ख़याल आया की उसे बुलवाकर मालिश करवाई जाए तो इतने में रीती वहां आ गयी और उसने मेरी मालिश की उस जड़ी बूटियों वाले पानी से भरे टब में मैं बैठकर आराम से नहाता रहा . उस दिन मुझे स्नान करते हुए बहुत मजा आया.
फिर मैं जड़ी बूटियों वाले पानी से नहा धोकर तैयार हुआ मुझे उस दिन बहुत अच्छा लग रहा था और मैं राजकुमारी ज्योत्स्ना के सौंदर्य से बहुत प्रभावित था और खुश था की रूप और सनुदार्य का ऐसा अद्भुत खजाना कुछ ही दिन में मेरा होने वाला था और राजकुमारी की याद आने के कारण मेरा मेरा लंड तन गया.
कहानी जारी रहेगी