26-08-2022, 06:16 PM
अभी में एक सीधी साधी बड़ी-बड़ी झांटे रखने वाली चुदाई ना समझने वाली एक लड़की हूँ।
मैने आजतक कभी अपनी झांटे साफ़ नहीं की है पूरा जंगलराज हो गया है अब मैं सोच रही हूँ किसी डाकू के आने के पहले जंगल काट दू, पर अक्सर मुझे डर लगता है कोई देख ना ले।
हम चार भाई बहन है मैं अकेली लड़की हूँ मेरे अम्मी अब्बू की और बाक़ी तीन भाई है, मैं तीसरे नंबर पर हूँ उम्र में पहले मेरा बड़ा भाई फेजान, दूसरा सलमान और तीसरा रेहान।
मेरी चूचियाँ बड़ी-बड़ी हो गई है और मैं कभी ब्रा नहीं पहनती शायद कभी ज़रूरत ही भी पड़ी मेरी अम्मी भी नहीं पहनती है यहाँ तक कि मेरी अम्मी तो पैंटी भी सिर्फ़ पीरियड्स में ही पहनती हैं।
हमारे घर एक माहौल खुला खुला-सा है अब्बू दिनभर बाहर रहते है और भाई फेज़ान भी, सलमान ओर रेहान पढ़ाई करते है कभी-कभी घर पर ही रुक जाते है कॉलेज नहीं जाते।
एक दिन घर में सिर्फ़ में और अम्मी ही थे अम्मी नहाने जा रही थी और मैं बैठी थी अम्मी के फ़ोन में गैम खेल रही थी इतने में पता नहीं क्या हुआ और पोर्न चालू हो गई जोरों से आवाजें आने लगी मैं देखे जा रही थी अम्मी ने मेरे हाथ से फ़ोन लेकर साइड रख दिया।
अम्मी ने कमीज़ नहीं पहनी थी उनकी चूचियाँ साफ़ नज़र आ रही थी बड़ी बड़ी। अम्मी मेरी तरफ़ देख मुस्कुरा रही थी तो मुझे समझ ही नहीं आया कब मेरे हाथ से अम्मी के दूध दन गए, अम्मी मेरी ओर देखती हुई चली गई नहाने, अक्सर अम्मी नहाते वक़्त दरवाज़े की कुण्डी नहीं लगती है आज भी नहीं लगाई थी।
मुझे अम्मी को ऐसे देखने में मज़ा आ रहा था। मेरे साथ पता नहीं क्या हुआ था मेरे पैरों के बीच कुछ गीला-सा महसूस हो रहा था।
मैने आजतक कभी अपनी झांटे साफ़ नहीं की है पूरा जंगलराज हो गया है अब मैं सोच रही हूँ किसी डाकू के आने के पहले जंगल काट दू, पर अक्सर मुझे डर लगता है कोई देख ना ले।
हम चार भाई बहन है मैं अकेली लड़की हूँ मेरे अम्मी अब्बू की और बाक़ी तीन भाई है, मैं तीसरे नंबर पर हूँ उम्र में पहले मेरा बड़ा भाई फेजान, दूसरा सलमान और तीसरा रेहान।
मेरी चूचियाँ बड़ी-बड़ी हो गई है और मैं कभी ब्रा नहीं पहनती शायद कभी ज़रूरत ही भी पड़ी मेरी अम्मी भी नहीं पहनती है यहाँ तक कि मेरी अम्मी तो पैंटी भी सिर्फ़ पीरियड्स में ही पहनती हैं।
हमारे घर एक माहौल खुला खुला-सा है अब्बू दिनभर बाहर रहते है और भाई फेज़ान भी, सलमान ओर रेहान पढ़ाई करते है कभी-कभी घर पर ही रुक जाते है कॉलेज नहीं जाते।
एक दिन घर में सिर्फ़ में और अम्मी ही थे अम्मी नहाने जा रही थी और मैं बैठी थी अम्मी के फ़ोन में गैम खेल रही थी इतने में पता नहीं क्या हुआ और पोर्न चालू हो गई जोरों से आवाजें आने लगी मैं देखे जा रही थी अम्मी ने मेरे हाथ से फ़ोन लेकर साइड रख दिया।
अम्मी ने कमीज़ नहीं पहनी थी उनकी चूचियाँ साफ़ नज़र आ रही थी बड़ी बड़ी। अम्मी मेरी तरफ़ देख मुस्कुरा रही थी तो मुझे समझ ही नहीं आया कब मेरे हाथ से अम्मी के दूध दन गए, अम्मी मेरी ओर देखती हुई चली गई नहाने, अक्सर अम्मी नहाते वक़्त दरवाज़े की कुण्डी नहीं लगती है आज भी नहीं लगाई थी।
मुझे अम्मी को ऐसे देखने में मज़ा आ रहा था। मेरे साथ पता नहीं क्या हुआ था मेरे पैरों के बीच कुछ गीला-सा महसूस हो रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
