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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#76
औलाद की चाह

CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

परिधान'

Update -23


पैंटी की समस्या





गोपालजी – नही ? आपने नीचे कुछ नही पहना है ?

“ओह..नही नही. मैंने पहनी है.”

गोपालजी – आपने कहा नही. …चलो बढ़िया.

वो बातें करते हुए मेरी जवानी को देख रहा था. मैंने आश्चर्य से गोपालजी को देखा. मैंने पैंटी पहनी है तो इसमें बढ़िया क्या है , मुझे समझ नही आया.

गोपालजी – मैडम मैं अभी चेक करता हूँ. आपको फिर कभी पैंटी की समस्या नही होगी. प्लीज़ एक बार पीछे को मुड़ो.

मैं उलझन में थी. अब ये क्या करनेवाला है ? ये कैसे चेक करेगा ? मेरी पैंटी मेरी बड़ी गांड को कितना ढकती है ये चर्चा का विषय था पर क्या गोपालजी मेरी साड़ी को कमर तक उठाकर ये चेक करेगा ?

हे भगवान…. ऐसा नही हो सकता…

क्या वो मेरी साड़ी के अंदर हाथ डालकर ये चेक करेगा ? मेरे होंठ सूखने लगे थे और मुझे बहुत फिकर होने लगी थी.

गोपालजी – मैडम मैं अभी चेक करता हूँ. आपको फिर कभी पैंटी की समस्या नही होगी. प्लीज़ एक बार पीछे को मुड़ो.

मैं उलझन में थी. अब ये क्या करनेवाला है ? ये कैसे चेक करेगा ? मेरी पैंटी मेरी बड़ी गांड को कितना ढकती है ये चर्चा का विषय था पर क्या गोपालजी मेरी साड़ी को कमर तक उठाकर ये चेक करेगा ?

हे भगवान…. ऐसा नही हो सकता…

क्या वो मेरी साड़ी के अंदर हाथ डालकर ये चेक करेगा ? मेरे होंठ सूखने लगे थे और मुझे बहुत फिकर होने लगी थी.

खुशकिस्मती से ऐसा कुछ नही हुआ पर मेरे पति से फोन पे बात करने से जो खुशी मुझे मिली थी वो अब गायब होने लगी थी क्यूंकी मुझे डर सताने लगा था की टेलर फिर से मेरे साथ छेड़छाड़ करेगा.

गोपालजी – मैडम, जो समस्या आप बता रही हो, वो अभी इस समय भी हो रही है ?

“नही नही, अभी तो बिल्कुल ठीक है.”

मैंने कमज़ोर सी आवाज़ में जवाब दिया.

गोपालजी – हुह ….आपके कहने का मतलब है की आपकी पैंटी पूरी ढकी हुई है …..आपकी गांड को ?

मैं उन दोनो टेलर्स के मुँह से बार बार गांड शब्द सुनकर अजीब महसूस कर रही थी लेकिन मुझे अंदाज़ा था की ये लोवर क्लास के आदमी हैं और ऐसे शब्दों का प्रयोग बोलचाल में करते हैं.

“हाँ, मुझे ठीक लग रहा है…”

गोपालजी – लेकिन मैडम, अभी तो आपने बताया था की पहनने के कुछ समय बाद पैंटी नितंबों से खिसकने लगती है , है ना ?

“हाँ लेकिन …”

मेरे अंतर्वस्त्र के बारे में ऐसे डाइरेक्ट सवालों से मैं हकलाने लगी थी .

दीपू – गोपालजी, मेरे ख्याल से मैडम के कहने का मतलब है की पैंटी पहनने के कुछ समय बाद, अगर वो चलती है या कोई काम करती है तो उसे समस्या होने लगती है. सही कह रहा हूँ मैडम ?

“हाँ, हाँ. बिल्कुल यही मेरे कहने का मतलब था.”

गोपालजी – अच्छा. चूँकि आप इस कमरे में ज़्यादा हिली डुली नही हो तो आपको अभी पैंटी की समस्या नही है. मैडम ये बताओ की क्या पैंटी आपकी दरार में पूरी घुस जाती है ….मेरा मतलब गांड की दरार में ?

अब तो मुझे टोकना ही था. अब मैं और ज़्यादा बर्दाश्त नही कर पा रही थी.

“क्या मतलब है आपका ? ये कैसा सवाल है ?”

गोपालजी – मैडम, मैडम, प्लीज़ बुरा ना मानो. मुझे मालूम है की ये अंतरंग किस्म के सवाल हैं और आपको जवाब देने में शरम महसूस हो रही है. लेकिन अगर आप पूरी डिटेल नही बताओगी तो मैं समस्या को हल कैसे करूँगा ?

कहानी जारी रहेगी
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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 23-08-2022, 03:02 AM



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