22-08-2022, 03:46 PM
मैं किसी भी हालत में पिया के कुदरती इलाहाबादी अमरुद का अपमान नही कर सकता था। इसलिए मैंने उसके दूध को तुरंत हाथ में ले लिया और कसकर अमरुद दबाने लगा। उफफ्फ्फ्फ़…इतनी बड़ी बड़ी रसीली सफ़ेद चिकनी छातियाँ मैंने आजतक नही देखी थी। मैंने मजे से गोपाल की बहन पिया के मस्त मस्त अमरुद दबाने लगा और फिर लेटकर उसके दूध पीने लगा। जरुर पिया को उपरवाले ने बड़ी फुर्सत से बनाया होगा। इससे पहले इसकी कहीं शादी वादी हो, मुझे इसको जी भर के चोद लेना चाहिए। मैंने सोचा और मैं तेज तेज पिया के दूध दबाने लगा और मुंह में लेकर पीने लगा। बड़ी देर तक मैंने उसके दूध दबाए, फिर उसकी पेंटी मैंने उपर से ही चाटने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
