22-08-2022, 02:58 PM
“पिया…..ऐसे ही सूखे सूखे….चूत दो ना यार!! सुबह से इतनी पढाई की है, कुछ मौजमस्ती तो होनी ही चाहिए” मैंने कहा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.

पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
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