22-08-2022, 02:57 PM
उसके बाद तो मुझे उसकी चूत पीने और मारने दोनों की आदत सी पड़ गयी। हम दोनों पढाई भी करते थे और चुदाई भी करते थे। सुबह ५ बजे मैं उठकर चाय बना देता था और पिया को जगा देता था। चाय पीने के बाद हम दोनों ५ से ८ बजे तक इतिहास का पेपर तैयार करते थे, फिर एक बिहारी होने के कारण हम नास्ते में सत्तू और दही खाते थे। मुझे और पिया दोनों को ये बहुत पसंद था। वो इसे बिहारियों का होर्लिक्स कहती थी। उसके बाद नहाधोकर हम कोचिंग चले जाते थे और ११ से १ बजे तक कोचिंग पढ़ते थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
