22-08-2022, 02:51 PM
मैंने कुछ नही कहा. कोई जवाब नही दिया. कुछ दिन बाद मैं फिर अमित के घर गया तो मनोरमा फिर दिख गयी. अकेले में उसने मुझे पाया तो अपने कमरे में ले गयी और पीछे से उसने मुहे पकड़ लिया. ‘चंदर !! मेरी जान! मेरी मुहब्बत. कहाँ थे तुम इतने दिन से?? आये क्यूँ नही??’ मनोरमा जैसे पागल हो गयी थी. मैंने उससे साफ़ साफ़ ख दिया की मैं उससे शादी नही कर पाउँगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.