22-08-2022, 02:41 PM
(This post was last modified: 29-04-2024, 03:54 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
"भैय्या.... मर गयी .... हाऽऽऽय...." मेरा लन्ड उनके पीचे से ही उंकी गान्ड में घुसा जा रहा था। मैँ ने उंका ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। वह बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मैँ ने अपने पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे....वह तो खुशी से मरी जा रही थी.... हाय उनकी चूत में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा.... वह भैया से चुद जाऊंगी.... मैँ ने अपने लन्ड को उनकी गान्ड पर रगड़ कर धीरे से चूत के मुहँ पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा उनकी चूत मे घुस पडा। वह आनन्द से कराह उठी।
"भैय्या.... हाय मत कर ना........ ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है...."
"जाने दे बहना.... आज इसे जाने दे.... वर्ना मै मर जाऊंगा.... दीदी .... प्लीज...."
उनकी सिसकारी निकल पडी....मेरा लन्ड उनकी चूत में प्रवेश कर चुका था। उंके बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। मेरा लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था मेरे बलिष्ठ हाथों का कसाव उंके शरीर पर बढता ही जा रहा था। मेरा लन्ड उनकी चूत में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। उन्हे दर्द होने लगा था.... पर मैने कुछ कहा नहीं.... ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई....मैं ने उनकी चूत पर अपने थूक लगाया.... और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे .... मेरे होंठ उंनके होंठों को बार बार चूम रहे थे।
" दीदी.... आप कितनी अच्छी है.... हाय....मुझे कितना मजा आ रहा है...." मैँ मस्ती में लन्ड पेल रहा था। उनकी चूत में अब दर्द तो नहीं हो रहा था.... पर उनकी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी....
"भैय्या .... अब छोड दो ना प्लीज़.... आगे भी तो आग लगी है उन्होने मेरे से विनती की।
"भैया.... देखो वह झड़ जाऊंगी.... प्लीज़.... अब लन्ड को चूत में आगे से घुसेड़ दो ना....।"
मैँ ने एक बार फिर से उंनके बोबे दाब कर आगे से ही उनकी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।
गली में सन्नाटा था.... बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे....कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । उनकी चूत एकदम गीली थी .... लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी.... मन में कसक सी उठी.... और एक हूक सी उठी.... एक सिसकारी निकल पड़ी।
"चोद दे मुझे .... चोद दे.... अपनी बहन को चोद दे.... आज मुझे निहाल कर दे........" वह सिसकते हुए बोली।
"हाय दीदी....इसमें इतना मजा आता है.... मुझे नहीं मालूम था.... हाय दीदी...." मैँ ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। वह भी सुख के सागर में गोते लगाने लगी.... शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध.... गलत काम .... चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था........ जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।
"वह !हाय तेरा मोटा लन्ड रे.... कितना मजा आ रहा है....फ़ाड दे रे मेरी चूत...."
"दीदी रे.... हां मेरी दीदी........ खा ले तू भी आज भैया का लन्ड........ मुझे तो दीदी.... स्वर्ग का मजा दे दिया...."
उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी.... मुझे कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था.... उंनके मन की इच्छा निकलती जा रही थी...”. आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया.... उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।“
"अब जोर से चोद दे भैय्या .... दे लन्ड.... और जोर से लन्ड मार .... उनकी चूत पानी छोड़ रही है....ऊऊऊउईईईई.... दे ....और दे.... चोद दे मैँ...."
उनकी चरमसीमा आ रही थी.... वह बेहाल हो उठी थी.... मुझे लग रहा था मैँ और चोदू... इतना चोदू कि.... बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे .... और और.... अति उत्तेजना से वह स्खलित होने लगी। वह झड़ने लगी........वह रोकने कि कोशिश करती रही पर.... मेरा रोकना किसी काम ना आया.... बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया.... मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा.... एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा.... मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। वह धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। वह मेरे का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर मेरा शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। मेरालन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था.... लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था.... उनकी चूत में अब चोट लगने लगी थी....
"भैया....छोड़ दो अब.... हाय लग रही है........"
परमेरा मोटा लन्ड लग रहा था उनकी चूत को फ़ाड डालेगा.... ओह ओह ये क्या.... मैँ ने अपने लन्ड उनकी चूत में जोर से गड़ा दिया.... वह छटपटा उठी.... तेज अन्दर दर्द हुआ.... शायद जड़ तक को चीर दिया था....
"भैय्या.... हाय मत कर ना........ ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है...."
"जाने दे बहना.... आज इसे जाने दे.... वर्ना मै मर जाऊंगा.... दीदी .... प्लीज...."
उनकी सिसकारी निकल पडी....मेरा लन्ड उनकी चूत में प्रवेश कर चुका था। उंके बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। मेरा लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था मेरे बलिष्ठ हाथों का कसाव उंके शरीर पर बढता ही जा रहा था। मेरा लन्ड उनकी चूत में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। उन्हे दर्द होने लगा था.... पर मैने कुछ कहा नहीं.... ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई....मैं ने उनकी चूत पर अपने थूक लगाया.... और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे .... मेरे होंठ उंनके होंठों को बार बार चूम रहे थे।
" दीदी.... आप कितनी अच्छी है.... हाय....मुझे कितना मजा आ रहा है...." मैँ मस्ती में लन्ड पेल रहा था। उनकी चूत में अब दर्द तो नहीं हो रहा था.... पर उनकी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी....
"भैय्या .... अब छोड दो ना प्लीज़.... आगे भी तो आग लगी है उन्होने मेरे से विनती की।
"भैया.... देखो वह झड़ जाऊंगी.... प्लीज़.... अब लन्ड को चूत में आगे से घुसेड़ दो ना....।"
मैँ ने एक बार फिर से उंनके बोबे दाब कर आगे से ही उनकी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।
गली में सन्नाटा था.... बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे....कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । उनकी चूत एकदम गीली थी .... लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी.... मन में कसक सी उठी.... और एक हूक सी उठी.... एक सिसकारी निकल पड़ी।
"चोद दे मुझे .... चोद दे.... अपनी बहन को चोद दे.... आज मुझे निहाल कर दे........" वह सिसकते हुए बोली।
"हाय दीदी....इसमें इतना मजा आता है.... मुझे नहीं मालूम था.... हाय दीदी...." मैँ ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। वह भी सुख के सागर में गोते लगाने लगी.... शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध.... गलत काम .... चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था........ जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।
"वह !हाय तेरा मोटा लन्ड रे.... कितना मजा आ रहा है....फ़ाड दे रे मेरी चूत...."
"दीदी रे.... हां मेरी दीदी........ खा ले तू भी आज भैया का लन्ड........ मुझे तो दीदी.... स्वर्ग का मजा दे दिया...."
उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी.... मुझे कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था.... उंनके मन की इच्छा निकलती जा रही थी...”. आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया.... उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।“
"अब जोर से चोद दे भैय्या .... दे लन्ड.... और जोर से लन्ड मार .... उनकी चूत पानी छोड़ रही है....ऊऊऊउईईईई.... दे ....और दे.... चोद दे मैँ...."
उनकी चरमसीमा आ रही थी.... वह बेहाल हो उठी थी.... मुझे लग रहा था मैँ और चोदू... इतना चोदू कि.... बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे .... और और.... अति उत्तेजना से वह स्खलित होने लगी। वह झड़ने लगी........वह रोकने कि कोशिश करती रही पर.... मेरा रोकना किसी काम ना आया.... बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया.... मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा.... एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा.... मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। वह धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। वह मेरे का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर मेरा शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। मेरालन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था.... लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था.... उनकी चूत में अब चोट लगने लगी थी....
"भैया....छोड़ दो अब.... हाय लग रही है........"
परमेरा मोटा लन्ड लग रहा था उनकी चूत को फ़ाड डालेगा.... ओह ओह ये क्या.... मैँ ने अपने लन्ड उनकी चूत में जोर से गड़ा दिया.... वह छटपटा उठी.... तेज अन्दर दर्द हुआ.... शायद जड़ तक को चीर दिया था....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.