22-08-2022, 02:21 PM
(This post was last modified: 23-08-2022, 11:43 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दीदी ने शुरुआत कर दी...."क्या बात है.. आज तुम बैचेन से लग रहे हो....? "
"हां दीदी.... मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है.... " मेरा लन्ड खडा हुआ था.... मैं ने उसकी जांघो में हाथ फ़ेरा.... उसे सिरहन सी आ गयी.... मैं उसकी हालत समझ रहा था दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। दीदी ने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उमेरे लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। मेरे लन्ड के कड़ेपन का अहसास य्न्हे हो गया। मै ने हिम्मत की और उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हे खींच लिया। वह शायद जानकर मुझ पर लुढ़क गई.... पर झिझक के मारे वापस उठ गयी.... ।उनहे लगा कि यदि मैं बैठी रही तो कुछ गड़बड़ न हो जाये ............
रात के ११ बज रहे थे ....पर नीन्द कोसों दूर थी। वो उठी और बालकनी में आ गयी। मै ने कमरे की लाईट बुझा दी....और उनके साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था.... दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। उन्हे पति से चुदे हुए काफी अरसा हो चूका था चूत में चुल्ल उठ रही थी जिसे दबाने की बहुत कोशिश वह कर चुकी थी पर अजीब सी खुजली और चुदास दबाने से और भड़क रही थी ।
मै भी उसी आग में जल रहा था। मेर खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो मै उनके पास खड़ा रहा ....फिर उनके पीछे आ गया। मैंए उनके कन्धों पर हाथ रख दिया.... उन्होने मुझ्से कुछ नहीं कहा.... बस उन्हे झुरझुरी सी आ गयी।मेरे हाथ की गर्मी वह अपने कंधे पर महसूस कर रही थी ,अब मैं ने अपना दूसरा हाथ उनके दूसरे कंधे पर रख दिया ,ऐसा लगा कि किसी ने गरम कपड़ा उनके दूसरे कंधे पर रख दिया ,उस गर्मी ने उन्हे अन्दर से हिला दिया , मैं खुद पर नियंत्रण खोने सा लगा था .मेरे पाँव काँप रहे थे ,वह भी खुद को किसी तरह रोक कर खडी थी .तभी
मेरी हिम्मत बढ़ी और उनकी कमर में हाथ डाल करउन्हे अपनी और खींच लिया और अपने लन्ड को उनके चूतडों से सटा दिया साथ ही दूसरे हाथ से कंधे को भी खींच कर उंनका पूरा शरीर खुद से चिपका लिया
मेरे लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही उनके शरीर में सिरहन उठने लगी। मेरे लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज उनके चूतडों पर महसूस होने लगा। उनके पजामे में वो घुसा जा रहा था। वह मेरे लंड की गर्मी तथा उसके आकर को , पूरी शिद्दत से महसूस कर रही थी .लग रहा था कि इस स्थिति से वापस जानना आब मेरे और उनके बस में नहीं रह गया था उन्होने मेरी तरफ़ देखा। मै ने उनकी आंखों में देखा .... मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।
मै ने अपने हाथ उनके बोबे पर रख दिये.मै उनके आकर को अपने हाथो से महसूस करने का प्रयास ही नहीं कर रहा था बल्कि धीरे -धीरे उन्हें दबा रहा था मै ने उनके निपल्लो को टटोल कर जोर से दबा दिया साथ ही दोनों स्तनों को भी साथ ही हथेलियों से दबा ... दिये....वह हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी....वास्तव में वह हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।और हटा भी नहीं पा रही थी ,चुचुको के दबाने से वे कड़े हो कर खड़े हो चुके थे .साथ ही चुचुको के दबाने और सहलाने से उठने वाली उत्तेजना सीधे उनकी चूत से जुड़े तारों को बुरी तरह से झंकृत कर रही थी ,वह झंकार उन्हे अन्दर तक हिला रही थी .
"भैय्या.... हाय रे.... मत कर ना...." उन्होने मेरी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा....और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये.... नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।
"दीदीऽऽऽऽऽऽ........" कह कर उसने अपने लन्ड का जोरसे उनकी गान्ड पर लगा दिया....उनके स्तन जोर से दबा दिये।
"हां दीदी.... मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है.... " मेरा लन्ड खडा हुआ था.... मैं ने उसकी जांघो में हाथ फ़ेरा.... उसे सिरहन सी आ गयी.... मैं उसकी हालत समझ रहा था दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। दीदी ने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उमेरे लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। मेरे लन्ड के कड़ेपन का अहसास य्न्हे हो गया। मै ने हिम्मत की और उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हे खींच लिया। वह शायद जानकर मुझ पर लुढ़क गई.... पर झिझक के मारे वापस उठ गयी.... ।उनहे लगा कि यदि मैं बैठी रही तो कुछ गड़बड़ न हो जाये ............
रात के ११ बज रहे थे ....पर नीन्द कोसों दूर थी। वो उठी और बालकनी में आ गयी। मै ने कमरे की लाईट बुझा दी....और उनके साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था.... दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। उन्हे पति से चुदे हुए काफी अरसा हो चूका था चूत में चुल्ल उठ रही थी जिसे दबाने की बहुत कोशिश वह कर चुकी थी पर अजीब सी खुजली और चुदास दबाने से और भड़क रही थी ।
मै भी उसी आग में जल रहा था। मेर खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो मै उनके पास खड़ा रहा ....फिर उनके पीछे आ गया। मैंए उनके कन्धों पर हाथ रख दिया.... उन्होने मुझ्से कुछ नहीं कहा.... बस उन्हे झुरझुरी सी आ गयी।मेरे हाथ की गर्मी वह अपने कंधे पर महसूस कर रही थी ,अब मैं ने अपना दूसरा हाथ उनके दूसरे कंधे पर रख दिया ,ऐसा लगा कि किसी ने गरम कपड़ा उनके दूसरे कंधे पर रख दिया ,उस गर्मी ने उन्हे अन्दर से हिला दिया , मैं खुद पर नियंत्रण खोने सा लगा था .मेरे पाँव काँप रहे थे ,वह भी खुद को किसी तरह रोक कर खडी थी .तभी
मेरी हिम्मत बढ़ी और उनकी कमर में हाथ डाल करउन्हे अपनी और खींच लिया और अपने लन्ड को उनके चूतडों से सटा दिया साथ ही दूसरे हाथ से कंधे को भी खींच कर उंनका पूरा शरीर खुद से चिपका लिया
मेरे लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही उनके शरीर में सिरहन उठने लगी। मेरे लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज उनके चूतडों पर महसूस होने लगा। उनके पजामे में वो घुसा जा रहा था। वह मेरे लंड की गर्मी तथा उसके आकर को , पूरी शिद्दत से महसूस कर रही थी .लग रहा था कि इस स्थिति से वापस जानना आब मेरे और उनके बस में नहीं रह गया था उन्होने मेरी तरफ़ देखा। मै ने उनकी आंखों में देखा .... मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।
मै ने अपने हाथ उनके बोबे पर रख दिये.मै उनके आकर को अपने हाथो से महसूस करने का प्रयास ही नहीं कर रहा था बल्कि धीरे -धीरे उन्हें दबा रहा था मै ने उनके निपल्लो को टटोल कर जोर से दबा दिया साथ ही दोनों स्तनों को भी साथ ही हथेलियों से दबा ... दिये....वह हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी....वास्तव में वह हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।और हटा भी नहीं पा रही थी ,चुचुको के दबाने से वे कड़े हो कर खड़े हो चुके थे .साथ ही चुचुको के दबाने और सहलाने से उठने वाली उत्तेजना सीधे उनकी चूत से जुड़े तारों को बुरी तरह से झंकृत कर रही थी ,वह झंकार उन्हे अन्दर तक हिला रही थी .
"भैय्या.... हाय रे.... मत कर ना...." उन्होने मेरी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा....और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये.... नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।
"दीदीऽऽऽऽऽऽ........" कह कर उसने अपने लन्ड का जोरसे उनकी गान्ड पर लगा दिया....उनके स्तन जोर से दबा दिये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.