22-08-2022, 01:48 PM
(This post was last modified: 23-08-2022, 11:19 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
इस बिच मैं दीदी को काफी समझ चूका था. पर मैं कुछ कर नहीं सकता था. एक दिन की बात है, दीदी एक किट्टी पार्टी में गई थी. आपको तो पता होगा किट्टी पार्टी, उस पार्टी में सिर्फ औरतें थी. पार्टी बड़ी ही रॉयल थी. दिन में ही दीदी का फ़ोन आया था जब मैं ऑफिस में था, की मैं शाम को पार्टी में जाउंगी, और रात लेट आउंगी तुम कहना बाहर ही खा लेना, मैंने कहा ठीक है दीदी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.