22-08-2022, 01:40 PM
अभय ने फिर से अपना लौड़ा मेरी चूत में डालकर पेलने लगा। इस बार मैंने धीऱे धीऱे सिसकारियां लेकर चुदवाने लगी। मै अब धीऱे धीरे सिसक रही थी। मेरी मुँह से अब “ओह्ह माँ…..ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ…..अअअअअ आ आ आ आ…” की सिसकारियां भर रही थी। अभय मेरी चूत में अपना लंड लगातार पलटा रहा। मै सिसकती रही। मेरी चूत में उसका लंड लपा लप अंदर बाहर हो रहा था। अभय की चुदाई कीस्पीड बढ़ती ही जा रही थी। वो अपना पूरा लंड मेरी चूत ने डाल रहा था। उसकी दोनों गोलियां मेरी चूत के नीचे लड़ रही थी। मैं अपनी अंगुली से अपनी चूत को मसल रही थी। मेरी चूत बहुत ही गरम हो गई। अभय का लौड़ा मेरी गर्म चूत की गर्मी को शांत कर रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.