22-08-2022, 01:39 PM
मेरे दोनो चुच्चो को दबा दबा कर उसका भरता लगा रहा था। अभय ने मेरी ब्रा निकाल दी। मेरी चूंचियो के दर्शन कर के दोनो चुच्चो का रसपान करने के लिए। उसने अपना मुँह मेरी चुच्चो के निप्पल पर लगा दिया। अभय ने मेरी दोनों चुच्चो के निप्पल को बारी बारी से पीना शुरू किया। मैंने उसका सर अपने चुच्चो से सटा दिया। अभय मेरे बूब्स को दबा दबा कर चुस रहा था। बीच बीच में मीठी निप्पलों को काट लेता। मेरी मुँह से सिसकारियां निकल जाती थी। मैं “सी…सी..सी…-अहहह्ह्ह्हह स्सीई ई ई इ..अ अ अ अअ…उफ़…फ..उफ्फ्फ…उफ्फ्फ..!! की आवाज निकल रही थी। अभय मेरे चुच्चो को चूसने में मस्त था। मैं तेज तेज से साँसें ले रही थी। मै गरम गरम साँसे छोड़ रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.