22-08-2022, 01:39 PM
किस करते करते अभय की हिम्मत बढ़ रही थी। मैंने कहा कुछ भी करो आज से मै तेरी हो गई। अभय अब मेरे होंठ को चूसते चूसते मेरे बूब्स भी दबाने लगा। मै अपने बूब्स दबवा रही थी। लेकिन मेरे पडोसी के घर का कोई ना देख ले हमे इसीलिए मैं अभय के साथ अपने रूम में चली आयी। अभय ने फिर वही कार्यक्रम जारी रखा। मैंने उसके तने लंड पर अपना हाथ रख दिया। वो समझ गया मै चुदवाने को बेकरार हूँ। मैं चुदवाना चाहती हूँ। उसने मेरी टी शर्ट निकाल दी। मेरी सफ़ेद रंग की ब्रा में मेरी चूंचियां बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। अभय मेरे बूब्स को दबा रहा था। आज पहली बार कोई दूसरा मेरे बूब्स को दबा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। अभय ने अपने दोनों हाथों में मेरे चुच्चो को लेकर खेलने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.