22-08-2022, 01:39 PM
मैंने आवाज दी- “अभय अंदर आ जाओ। बहुत तेज बारिश हो रही है”। अभय गेट खोलकर अंदर आ गया।
अभय- “थैंक यू’
मै-“थैंक यू क्यों? तुम मेरे दोस्त थे। अब भी दोस्त हो। इसमें थैंक यू का कोई काम नहीं। अभय मुझे घूर रहा था
मै-“क्या देख रहे हो अभय”
अभय-“तुम्हे देख रहा था। तुम कितना बदल गई हो। पहले तो तुम ऐसी नहीं थी”।
मै-“तुम्हे कैसे पता। तुम तो कभी किसी की तरफ देखते ही नहीं थे”।
अभय-“मैं तो तुम्हे पहले से ही देखता था”
मै-” झूंठ बोल रहे हो। तुम मुझे ही क्यों देखते थे। और भी लडकियां थी। उन्हें भी तुम देखते रहे होंगे”
अभय- “झूठ नहीं बोल रहा। मै सिर्फ तुम्हे ही देखता था”
मै- “मुझे ही क्यों देखते थे”
अभय- फ़िल्मी डायलॉग में बोलने लगा “पता नहीं क्यों जबसे तुमको देखा। पता नहीं कैसा लगा। लेकिन जब भी मैं तुम्हे नहीं देखता। तो मुझे उस दिन अजीब लगता था। मै अब भी तुमको देखता हूँ” मैंने कहा- ऐसा क्यूँ। अभय ने पता नहीं। मै चुपचाप बैठी थी। अभय ने कहा- तुम किसी से प्यार करती हो। मैंने कहा- हाँ। अभय- किससे?? मैंने कहा- बता दूं। अभय का चेहरा लाल पीला हो रहा था। मैंने कहा- तुमसे। अभय की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।
अभय- “थैंक यू’
मै-“थैंक यू क्यों? तुम मेरे दोस्त थे। अब भी दोस्त हो। इसमें थैंक यू का कोई काम नहीं। अभय मुझे घूर रहा था
मै-“क्या देख रहे हो अभय”
अभय-“तुम्हे देख रहा था। तुम कितना बदल गई हो। पहले तो तुम ऐसी नहीं थी”।
मै-“तुम्हे कैसे पता। तुम तो कभी किसी की तरफ देखते ही नहीं थे”।
अभय-“मैं तो तुम्हे पहले से ही देखता था”
मै-” झूंठ बोल रहे हो। तुम मुझे ही क्यों देखते थे। और भी लडकियां थी। उन्हें भी तुम देखते रहे होंगे”
अभय- “झूठ नहीं बोल रहा। मै सिर्फ तुम्हे ही देखता था”
मै- “मुझे ही क्यों देखते थे”
अभय- फ़िल्मी डायलॉग में बोलने लगा “पता नहीं क्यों जबसे तुमको देखा। पता नहीं कैसा लगा। लेकिन जब भी मैं तुम्हे नहीं देखता। तो मुझे उस दिन अजीब लगता था। मै अब भी तुमको देखता हूँ” मैंने कहा- ऐसा क्यूँ। अभय ने पता नहीं। मै चुपचाप बैठी थी। अभय ने कहा- तुम किसी से प्यार करती हो। मैंने कहा- हाँ। अभय- किससे?? मैंने कहा- बता दूं। अभय का चेहरा लाल पीला हो रहा था। मैंने कहा- तुमसे। अभय की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.