22-08-2022, 01:37 PM
एक दिन की बात है। मेरे मोहल्ले का एक लड़का था जो काफी सीधा बनता था। कभी किसी लड़की की तरफ नहीं देखता था। मुझे वो बहुत पसंद था। मेरा घर उसके घर से लगभग 150 मीटर दूर था। मेरे मामा के यहाँ कोई पार्टी थी। तो मम्मी और मेरा भाई मामा के यहां चले गए थे। मै और पापा घर पर ही थे। पापा भी कुछ देर बाद अपने काम पर चले गए। अब मैं अकेली ही घर पर थी। मैं ब्लू फिल्म देख रही थी। पापा के जाने के 2 घंटे बाद बहुत तेज बारिश होने लगी। मै घर पर बरामदे में बैठी थी। अचानक मैंने अपने मोहल्ले वाले लड़के को गेट के पास पेड़ के नीचे खड़े देखा। उसका नाम अभय था। वो पहले मेरे ही साथ पढ़ता था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.