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Adultery मेरा प्यार भरा परिवार (final of truth)
#6
और फिर मम्मी ने मेरा चेहरा और अपनी ओर घुमाया और फिर अपने हाथों मे एक लिप्स्टिक लेकर जैसे ही मेरी ओर आगे बढ़ाया तो मै चीख पड़ा, “मम्मी लिप्स्टिक! नहीं।”  “ बेटा, ऐसे नखरे भी न कर। देख लाल रंग की लिप्स्टिक है। तेरी साड़ी के ब्लॉउज़ के रंग से मैच कर रही है। मेरी बात मान, अच्छी लगेगी तुझ पर।”


और मम्मी ने बिना मेरी सुने  लिप्स्टिक लगाने लगी। मेरे होंठों पर लिप्स्टिक का असर किसी जादू से कम नहीं था। लिप्स्टिक लगाने के बाद जब मैने अपनी दोनों होंठों को आपस मे छुआ तो लिप्स्टिक महसूस हुई। मुझे सच मे अच्छा लगा। मै खुद को अब तक देख नहीं सकता था पर अब खुद को लिप्स्टिक के साथ देखने को आतूर था।

फिर अंत मे मम्मी ने अपने हाथ मे एक बिंदी के पैकेट से एक छोटी सी लाल रंग की गोल बिंदी निकाली और मेरे माथे पर लगाकर मेरे चेहरे को छूकर बोली, “अब तू तैयार हो गई है। जा खुदको आईने में देखकर आजा”

मम्मी के ये शब्द सुनते ही मेरे चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई। मै तुरंत उठ खड़ा हुआ और जल्दी से बाथरूम के आईने की ओर बेसब्री से जाने के लिए उसने पहला कदम बढ़ाया। पर हाय , यह क्या? मेरा पैर  साड़ी पर पड़ गया और लड़खड़ा गया।


मम्मी मुझे लड़खड़ाते देखकर हंस पड़ी पर फिर जल्दी ही उससे बड़े प्यार से समझाते हुए बोली, “बेटा, साड़ी पहनकर ऐसे जल्दबाजी नहीं करते। जरा संभलकर। साड़ी को संभालकर चलोगी तो तुम्हारी शोभा और बढ़ेगी। पहले अपनी साड़ी को धीमे से अपने एक हाथ की उंगलियों से उठाओ” मैने मम्मी के कहे अनुसार वैसे ही किया।

“.. और अब दूसरे हाथ से पल्लू को पकड़कर धीरे धीरे चलकर बाथरूम जाओ”, मम्मी ने आगे कहा।

मम्मी की बात मानते हुए मै धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा।  दिल की धड़कने तेज हो गई थी। और बेसब्री से आगे बढ़ते हुए जब  बाथरूम पहुंचा तो आईने के सामने  एक बेहद खूबसूरत औरत को देखा जो खुद को देखकर लजा रही थी। लिप्स्टिक से सजे होंठ के साथ उसकी मुस्कान बेहद मोहक थी। ब्लॉउज़ के ऊपर प्लेट की हुई साड़ी उसका आँचल बेहद मोहक था जिस पर फूलों के प्रिन्ट उस पर बेहद सुंदर लग रहे थे। कमर के नीचे भी उसकी साड़ी की प्लेट किसी फूल की भांति खिल रही थी। उसके हाथ मे लंबा पल्लू उसके कंधे से झूलता हुआ बेहद सुंदर लग रहा था। आज साड़ी ने मुझको वो महसूस कराया था जो मै आजतक नहीं कर पाया था। 


खुदको आईने मे इतना खूबसूरत देखकर मै जैसे खुद से ही शर्मा गया था।  अपने एक हाथ की उंगलियों से अपने चेहरे पर आते हुए बालों को एक ओर करते हुए अपने कान के पीछे किया और कानों मे सजे खूबसूरत झुमके देख उन्हे निहारने लगा। और फिर अपने आँचल को अपने स्तनों के ऊपर अपनी उंगलियों से छूते हुए  अपने नेकलेस को छूकर निहारा और आईने मे देख खुद से कहा, “मैं मानसी हूँ। और मैं खूबसूरत हूँ।”

आज साड़ी ने मुझे महसूस करा ही दिया था कि मै भी खूबसूरत है।
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RE: मेरा प्यार भरा परिवार (final of truth) - by Manu gupta - 22-08-2022, 11:34 AM



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