22-08-2022, 02:38 AM
औलाद की चाह
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
Update -19
मिनी स्कर्ट - बैठना
गोपालजी – मैडम इसके बाद आता है बैठने का पोज. इसमें दो खास पोज हैं , एक कुर्सी पर बैठना और दूसरा फर्श पर बैठना. दीपू वो कुर्सी यहाँ लाओ.
दीपू ने कुर्सी लाकर मेरे आगे रख दी.
गोपालजी – मैडम, औरत होने के नाते आपको मालूम होगा की स्कर्ट पहनकर बैठने के दो तरीके होते हैं.
मैंने उसे उलझन भरी निगाहों से देखा क्यूंकी मुझे समझ नहीं आया की वो क्या कहना चाह रहा है.
गोपालजी – एक तरीका ये है की दोनों हाथों से स्कर्ट को नीचे को खींचो और बैठ जाओ. दूसरा तरीका ये है की थोड़ा सा स्कर्ट को ऊपर करो और जांघों पर गोल फैलाकर पैंटी पर बैठ जाओ.
मैं इस अनुभवी टेलर की जानकारी से हैरान थी.
गोपालजी – लेकिन मैडम, मिनीस्कर्ट में दूसरा तरीका काम नहीं करेगा क्यूंकी अगर आप अपनी स्कर्ट ऊपर करोगी तो आपकी …….
दीपू – बड़ी गांड दिख जाएगी मैडम.
दीपू ने टेलर का अधूरा वाक्य पूरा कर दिया. मैं ख्याल कर रही थी की इस लड़के का दुस्साहस बढ़ते जा रहा है. लेकिन इसके लिए मैं ही ज़िम्मेदार थी क्यूंकी उन दोनों मर्दों के सामने सिर्फ़ ब्लाउज और एक छोटी सी स्कर्ट में खड़ी थी.
गोपालजी – हाँ मैडम, इसलिए सिर्फ़ पहला तरीका ही है.
मुझे कुछ जवाब देने का मन नहीं हुआ.
गोपालजी – दीपू , मैडम की मदद करो……
दीपू की मदद क्यूँ चाहिए , मैं खुद बैठ सकती हूँ, मैंने सोचा.
“मैं खुद बैठ जाऊँगी, गोपालजी.”
गोपालजी – मुझे मालूम है मैडम. लेकिन आपको सही तरीका आना चाहिए वरना दुबारा से सही पोज बनाना पड़ेगा. इसलिए मैं दीपू से कह रहा था….
मुझे लगा की टेलर सही कह रहा है और सही पोज के लिए मुझे दीपू की मदद लेनी होगी.
“हाँ ये सही है पर…..ठीक है दीपू.”
मैंने अनिच्छा से दीपू को मदद के लिए कहा.
दीपू – ठीक है मैडम. आप कुर्सी में बैठो. लेकिन धीरे से बैठना ताकि मैं आपको दिखा सकूँ की स्कर्ट को कब और कैसे पकड़ना है.
दीपू ने बड़े आराम से कह दिया लेकिन मुझे मालूम था की असल में मेरे लिए ये आसान नहीं होगा. मैं अब कुर्सी के आगे खड़ी थी और दीपू कुर्सी के पीछे. इस पोज में मेरी स्कर्ट से ढकी हुई बड़ी गांड उसके सामने थी और मैं ऐसे उसके सामने खड़ी होकर असहज महसूस कर रही थी. गोपालजी ठीक मेरे सामने खड़ा था.
दीपू – मैडम, आपको अपनी स्कर्ट को जांघों के पास ऐसे पकड़ना है.
उसने मेरी स्कर्ट दोनों हाथों से पकड़ ली और उसके हाथ मेरी ऊपरी जांघों को छू रहे थे. वैसे तो वो स्कर्ट के कोने पकड़े हुए था पर उसकी अँगुलियाँ मेरी नंगी मांसल जांघों को महसूस कर रही थीं.
दीपू – अब धीरे से बैठो, मैडम.
जैसे ही मैंने कुर्सी में बैठने को अपनी कमर झुकाई तो मेरे भारी नितंबों पर स्कर्ट उठ गयी और स्कर्ट के साथ साथ दीपू की अँगुलियाँ भी ऊपर की ओर बढ़ने लगीं. जब मैं कुर्सी पर बैठी तो शरम से मेरा मुँह सुर्ख लाल हो गया क्यूंकी कुछ भी छिपाने को नहीं था, मेरी टाँगों और जांघों का एक एक इंच नंगा था. मुझे अंदाज आ रहा था की स्कर्ट मेरी आधी गांड तक ऊपर उठ चुकी है. अपने को इतना एक्सपोज मैंने कभी नहीं फील किया. मुझे लग रहा था की दीपू की अँगुलियाँ मेरे नितंबों को छू रही हैं. उसका चेहरा मेरे कंधों के पास था और मेरी गर्दन पर उसकी भारी साँसों को मैं महसूस कर रही थी. फिर उसने अपनी अँगुलियाँ हटा ली.
दीपू – मैडम, इतनी तेज नहीं. मैंने आपसे कहा था की धीरे से बैठना. मैं आपको ठीक से दिखा नहीं सका …….
गोपालजी – एक मिनट दीपू. मैडम, क्या आप हमेशा ऐसे ही बैठती हो ?
मैंने अपनी नंगी टाँगों को देखा. मेरी गोरी गोरी मांसल जाँघें बहुत उत्तेजक लग रही थीं. मैंने इतना शर्मिंदा महसूस किया की मैं टेलर से आँखें भी नहीं मिला पाई.
गोपालजी – मैडम, अगर आप ऐसे बैठोगी तो जल्दी ही आपके सामने लोगों की भीड़ लग जाएगी.
अब मैंने नजरें उठाकर उसे देखा. वो कहना क्या चाहता है ? हाँ, मेरी नंगी जाँघें बहुत अश्लील लग रही हैं, पर गोपालजी का इशारा किस तरफ है ?
“लेकिन क्यूँ, गोपालजी ?”
गोपालजी – मैडम, अगर आप ऐसे टाँगें अलग करके बैठोगी तो सामने वाले हर आदमी को, यहाँ तक की जो खड़े भी होंगे, उनको भी आपकी पैंटी दिख जाएगी.
“ऊप्स……”
मैंने जल्दी से अपनी टाँगें चिपका लीं. मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुई की मैंने टेलर को अपनी पैंटी दिखा दी. मैं बेआबरू होकर फर्श को देखने लगी.
गोपालजी – मैडम, प्लीज बुरा मत फील कीजिए क्यूंकी यहाँ कोई नहीं है पर आपको ध्यान रखना होगा. वैसे मज़ेदार बात ये है की मैंने ख्याल किया है की बैठते समय टाँगें फैलाने की आदत शादीशुदा औरतों में ज़्यादा होती है. मैडम आप भी उन में से ही हो.
दीपू – पर ऐसा क्यूँ ? कोई खास वजह ?
गोपालजी – मैडम से पूछो, वो तुम्हें बेहतर बता सकती है.
गोपालजी और दीपू दोनों मेरी तरफ देखने लगे और मैं इस बेहूदा सवाल का जवाब देना नहीं चाहती थी.
“वजह….मेरा मतलब…ऐसी कोई बात नहीं…..”
गोपालजी – मैडम, असल बात ये है की शादी के बाद औरतों को टाँगें फैलाने की आदत हो जाती है. वैसे घर में साड़ी पहनकर ऐसे बैठने में कोई हर्ज़ नहीं. ठीक है ना मैडम ?
अब इसका मैं क्या जवाब देती .
गोपालजी – चलो बहुत बातें हो गयी. फिर से बैठने का पोज बनाओ.
मैं कुर्सी से खड़े हो गयी और दीपू ऐसे जल्दी में था जैसे मेरी स्कर्ट को पकड़ने को उतावला हो.
दीपू – मैडम, इस बार धीरे से बैठना.
“ठीक है.”
दीपू – देखो, पहले तो स्कर्ट को साइड्स से पकड़ना और फिर जब बैठने लगो तो ऐसे अपने नितंबों पर स्कर्ट पे हाथ फेरना और फिर बैठना.
ऐसा कहते हुए उसने जो किया वो शायद कभी किसी ने भीड़ भरी बस में भी मेरे साथ नहीं किया था. पहले तो उसने मेरी स्कर्ट के कोने पकड़े हुए थे और फिर वो अपने हाथों को मेरे गोल नितंबों पर ले गया और अपनी अंगुलियों और हथेलियों से मेरी गांड की गोलाई का एहसास करते हुए पूरी गांड पर हाथ फिराकार स्कर्ट के अंतिम छोर तक ले गया.
मुझे लगा की समझाने के बाद वो मेरी स्कर्ट से हाथ हटा लेगा. लेकिन जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठी उसने अपने हाथ नहीं हटाए और मेरे भारी नितंब उसकी हथेलियों के ऊपर आ गये. उसकी हथेलियां मेरे गोल नितंबों से दब गयी और तुरंत मुझे अंदाज आ गया की वो मेरे नितंबों को हथेलियों में पकड़ने की कोशिश कर रहा है.
“अरे ….”
स्वाभाविक रूप से मैं उछल पड़ी.
दीपू – सॉरी मैडम, आपने हाथ हटाने का वक़्त ही नहीं दिया. फिर से सॉरी मैडम.
मुझे मालूम था की उसने मेरी स्कर्ट से ढके हुए गोल नितंबों को अपनी हथेलियों में भरने की कोशिश की थी और अब बहाना बना रहा है पर मैं कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी. मैंने उसकी माफी स्वीकार कर ली और कुर्सी में बैठ गयी. दीपू अब कुर्सी के पीछे से मेरे सामने आ गया.
गोपालजी – वाह. मैडम, इस बार आपने बिल्कुल सही तरीके से किया. और जैसा की मैंने कहा ध्यान रखना की टाँगें हमेशा चिपकी हों.
“ठीक है गोपालजी.”
गोपालजी – बैठने का दूसरा पोज फर्श पर बैठना है. इसमें पैंटी को ढके रखने के लिए ऐसे बैठना.
ऐसा कहते हुए टेलर अपने घुटनों पर बैठ गया और अपने नितंबों को एड़ियों पर टिका दिया.
गोपालजी – मेरे ख्याल से महायज्ञ में ज़्यादातर ऐसे ही बैठना होगा. एक बार करके देखो मैडम.
मैंने गोपालजी के पोज की नकल की और आगे झुककर अपने घुटने फर्श पर रख दिए और गांड एड़ियों पर टिका दी. इस पोज में मुझे कंफर्टेबल फील हुआ क्यूंकी स्कर्ट ऊपर नहीं उठी और ज़्यादा एक्सपोज भी नहीं हुआ.
गोपालजी – बहुत बढ़िया मैडम. अब उठ जाओ.
जैसे ही मैंने उठने की कोशिश की तो मुझे समझ आया की दीपू को मेरी स्कर्ट में दिख जाएगा जो की मेरी साइड में खड़ा था. मैंने फर्श से ऊपर उठते हुए ख्याल रखा लेकिन मेरी स्कर्ट इतनी छोटी थी की मेरी चिकनी जांघों पर ऊपर उठ गयी और मुझे यकीन है की दीपू को स्कर्ट के अंदर मेरी पैंटी दिख गयी होगी.
जिंदगी में कभी मैंने किसी मर्द के साने ऐसे अश्लील तरीके से एक्सपोज नहीं किया था. मेरे पति के सामने भी नहीं. मुझे बहुत बुरा लग रहा था और शरम से मैं पूरी लाल हो गयी थी. सिर्फ़ एक अच्छी बात हुई थी की गोपालजी ने किसी भी पोज को ज़्यादा लंबा नहीं खींचा और मुझे ज़्यादा देर तक शर्मिंदा नहीं होना पड़ा.
गोपालजी – अगला पोज है झुकना. मैडम, ये इम्पोर्टेन्ट पोज है इसका ख्याल रखना.
कहानी जारी रहेगी
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
Update -19
मिनी स्कर्ट - बैठना
गोपालजी – मैडम इसके बाद आता है बैठने का पोज. इसमें दो खास पोज हैं , एक कुर्सी पर बैठना और दूसरा फर्श पर बैठना. दीपू वो कुर्सी यहाँ लाओ.
दीपू ने कुर्सी लाकर मेरे आगे रख दी.
गोपालजी – मैडम, औरत होने के नाते आपको मालूम होगा की स्कर्ट पहनकर बैठने के दो तरीके होते हैं.
मैंने उसे उलझन भरी निगाहों से देखा क्यूंकी मुझे समझ नहीं आया की वो क्या कहना चाह रहा है.
गोपालजी – एक तरीका ये है की दोनों हाथों से स्कर्ट को नीचे को खींचो और बैठ जाओ. दूसरा तरीका ये है की थोड़ा सा स्कर्ट को ऊपर करो और जांघों पर गोल फैलाकर पैंटी पर बैठ जाओ.
मैं इस अनुभवी टेलर की जानकारी से हैरान थी.
गोपालजी – लेकिन मैडम, मिनीस्कर्ट में दूसरा तरीका काम नहीं करेगा क्यूंकी अगर आप अपनी स्कर्ट ऊपर करोगी तो आपकी …….
दीपू – बड़ी गांड दिख जाएगी मैडम.
दीपू ने टेलर का अधूरा वाक्य पूरा कर दिया. मैं ख्याल कर रही थी की इस लड़के का दुस्साहस बढ़ते जा रहा है. लेकिन इसके लिए मैं ही ज़िम्मेदार थी क्यूंकी उन दोनों मर्दों के सामने सिर्फ़ ब्लाउज और एक छोटी सी स्कर्ट में खड़ी थी.
गोपालजी – हाँ मैडम, इसलिए सिर्फ़ पहला तरीका ही है.
मुझे कुछ जवाब देने का मन नहीं हुआ.
गोपालजी – दीपू , मैडम की मदद करो……
दीपू की मदद क्यूँ चाहिए , मैं खुद बैठ सकती हूँ, मैंने सोचा.
“मैं खुद बैठ जाऊँगी, गोपालजी.”
गोपालजी – मुझे मालूम है मैडम. लेकिन आपको सही तरीका आना चाहिए वरना दुबारा से सही पोज बनाना पड़ेगा. इसलिए मैं दीपू से कह रहा था….
मुझे लगा की टेलर सही कह रहा है और सही पोज के लिए मुझे दीपू की मदद लेनी होगी.
“हाँ ये सही है पर…..ठीक है दीपू.”
मैंने अनिच्छा से दीपू को मदद के लिए कहा.
दीपू – ठीक है मैडम. आप कुर्सी में बैठो. लेकिन धीरे से बैठना ताकि मैं आपको दिखा सकूँ की स्कर्ट को कब और कैसे पकड़ना है.
दीपू ने बड़े आराम से कह दिया लेकिन मुझे मालूम था की असल में मेरे लिए ये आसान नहीं होगा. मैं अब कुर्सी के आगे खड़ी थी और दीपू कुर्सी के पीछे. इस पोज में मेरी स्कर्ट से ढकी हुई बड़ी गांड उसके सामने थी और मैं ऐसे उसके सामने खड़ी होकर असहज महसूस कर रही थी. गोपालजी ठीक मेरे सामने खड़ा था.
दीपू – मैडम, आपको अपनी स्कर्ट को जांघों के पास ऐसे पकड़ना है.
उसने मेरी स्कर्ट दोनों हाथों से पकड़ ली और उसके हाथ मेरी ऊपरी जांघों को छू रहे थे. वैसे तो वो स्कर्ट के कोने पकड़े हुए था पर उसकी अँगुलियाँ मेरी नंगी मांसल जांघों को महसूस कर रही थीं.
दीपू – अब धीरे से बैठो, मैडम.
जैसे ही मैंने कुर्सी में बैठने को अपनी कमर झुकाई तो मेरे भारी नितंबों पर स्कर्ट उठ गयी और स्कर्ट के साथ साथ दीपू की अँगुलियाँ भी ऊपर की ओर बढ़ने लगीं. जब मैं कुर्सी पर बैठी तो शरम से मेरा मुँह सुर्ख लाल हो गया क्यूंकी कुछ भी छिपाने को नहीं था, मेरी टाँगों और जांघों का एक एक इंच नंगा था. मुझे अंदाज आ रहा था की स्कर्ट मेरी आधी गांड तक ऊपर उठ चुकी है. अपने को इतना एक्सपोज मैंने कभी नहीं फील किया. मुझे लग रहा था की दीपू की अँगुलियाँ मेरे नितंबों को छू रही हैं. उसका चेहरा मेरे कंधों के पास था और मेरी गर्दन पर उसकी भारी साँसों को मैं महसूस कर रही थी. फिर उसने अपनी अँगुलियाँ हटा ली.
दीपू – मैडम, इतनी तेज नहीं. मैंने आपसे कहा था की धीरे से बैठना. मैं आपको ठीक से दिखा नहीं सका …….
गोपालजी – एक मिनट दीपू. मैडम, क्या आप हमेशा ऐसे ही बैठती हो ?
मैंने अपनी नंगी टाँगों को देखा. मेरी गोरी गोरी मांसल जाँघें बहुत उत्तेजक लग रही थीं. मैंने इतना शर्मिंदा महसूस किया की मैं टेलर से आँखें भी नहीं मिला पाई.
गोपालजी – मैडम, अगर आप ऐसे बैठोगी तो जल्दी ही आपके सामने लोगों की भीड़ लग जाएगी.
अब मैंने नजरें उठाकर उसे देखा. वो कहना क्या चाहता है ? हाँ, मेरी नंगी जाँघें बहुत अश्लील लग रही हैं, पर गोपालजी का इशारा किस तरफ है ?
“लेकिन क्यूँ, गोपालजी ?”
गोपालजी – मैडम, अगर आप ऐसे टाँगें अलग करके बैठोगी तो सामने वाले हर आदमी को, यहाँ तक की जो खड़े भी होंगे, उनको भी आपकी पैंटी दिख जाएगी.
“ऊप्स……”
मैंने जल्दी से अपनी टाँगें चिपका लीं. मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुई की मैंने टेलर को अपनी पैंटी दिखा दी. मैं बेआबरू होकर फर्श को देखने लगी.
गोपालजी – मैडम, प्लीज बुरा मत फील कीजिए क्यूंकी यहाँ कोई नहीं है पर आपको ध्यान रखना होगा. वैसे मज़ेदार बात ये है की मैंने ख्याल किया है की बैठते समय टाँगें फैलाने की आदत शादीशुदा औरतों में ज़्यादा होती है. मैडम आप भी उन में से ही हो.
दीपू – पर ऐसा क्यूँ ? कोई खास वजह ?
गोपालजी – मैडम से पूछो, वो तुम्हें बेहतर बता सकती है.
गोपालजी और दीपू दोनों मेरी तरफ देखने लगे और मैं इस बेहूदा सवाल का जवाब देना नहीं चाहती थी.
“वजह….मेरा मतलब…ऐसी कोई बात नहीं…..”
गोपालजी – मैडम, असल बात ये है की शादी के बाद औरतों को टाँगें फैलाने की आदत हो जाती है. वैसे घर में साड़ी पहनकर ऐसे बैठने में कोई हर्ज़ नहीं. ठीक है ना मैडम ?
अब इसका मैं क्या जवाब देती .
गोपालजी – चलो बहुत बातें हो गयी. फिर से बैठने का पोज बनाओ.
मैं कुर्सी से खड़े हो गयी और दीपू ऐसे जल्दी में था जैसे मेरी स्कर्ट को पकड़ने को उतावला हो.
दीपू – मैडम, इस बार धीरे से बैठना.
“ठीक है.”
दीपू – देखो, पहले तो स्कर्ट को साइड्स से पकड़ना और फिर जब बैठने लगो तो ऐसे अपने नितंबों पर स्कर्ट पे हाथ फेरना और फिर बैठना.
ऐसा कहते हुए उसने जो किया वो शायद कभी किसी ने भीड़ भरी बस में भी मेरे साथ नहीं किया था. पहले तो उसने मेरी स्कर्ट के कोने पकड़े हुए थे और फिर वो अपने हाथों को मेरे गोल नितंबों पर ले गया और अपनी अंगुलियों और हथेलियों से मेरी गांड की गोलाई का एहसास करते हुए पूरी गांड पर हाथ फिराकार स्कर्ट के अंतिम छोर तक ले गया.
मुझे लगा की समझाने के बाद वो मेरी स्कर्ट से हाथ हटा लेगा. लेकिन जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठी उसने अपने हाथ नहीं हटाए और मेरे भारी नितंब उसकी हथेलियों के ऊपर आ गये. उसकी हथेलियां मेरे गोल नितंबों से दब गयी और तुरंत मुझे अंदाज आ गया की वो मेरे नितंबों को हथेलियों में पकड़ने की कोशिश कर रहा है.
“अरे ….”
स्वाभाविक रूप से मैं उछल पड़ी.
दीपू – सॉरी मैडम, आपने हाथ हटाने का वक़्त ही नहीं दिया. फिर से सॉरी मैडम.
मुझे मालूम था की उसने मेरी स्कर्ट से ढके हुए गोल नितंबों को अपनी हथेलियों में भरने की कोशिश की थी और अब बहाना बना रहा है पर मैं कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी. मैंने उसकी माफी स्वीकार कर ली और कुर्सी में बैठ गयी. दीपू अब कुर्सी के पीछे से मेरे सामने आ गया.
गोपालजी – वाह. मैडम, इस बार आपने बिल्कुल सही तरीके से किया. और जैसा की मैंने कहा ध्यान रखना की टाँगें हमेशा चिपकी हों.
“ठीक है गोपालजी.”
गोपालजी – बैठने का दूसरा पोज फर्श पर बैठना है. इसमें पैंटी को ढके रखने के लिए ऐसे बैठना.
ऐसा कहते हुए टेलर अपने घुटनों पर बैठ गया और अपने नितंबों को एड़ियों पर टिका दिया.
गोपालजी – मेरे ख्याल से महायज्ञ में ज़्यादातर ऐसे ही बैठना होगा. एक बार करके देखो मैडम.
मैंने गोपालजी के पोज की नकल की और आगे झुककर अपने घुटने फर्श पर रख दिए और गांड एड़ियों पर टिका दी. इस पोज में मुझे कंफर्टेबल फील हुआ क्यूंकी स्कर्ट ऊपर नहीं उठी और ज़्यादा एक्सपोज भी नहीं हुआ.
गोपालजी – बहुत बढ़िया मैडम. अब उठ जाओ.
जैसे ही मैंने उठने की कोशिश की तो मुझे समझ आया की दीपू को मेरी स्कर्ट में दिख जाएगा जो की मेरी साइड में खड़ा था. मैंने फर्श से ऊपर उठते हुए ख्याल रखा लेकिन मेरी स्कर्ट इतनी छोटी थी की मेरी चिकनी जांघों पर ऊपर उठ गयी और मुझे यकीन है की दीपू को स्कर्ट के अंदर मेरी पैंटी दिख गयी होगी.
जिंदगी में कभी मैंने किसी मर्द के साने ऐसे अश्लील तरीके से एक्सपोज नहीं किया था. मेरे पति के सामने भी नहीं. मुझे बहुत बुरा लग रहा था और शरम से मैं पूरी लाल हो गयी थी. सिर्फ़ एक अच्छी बात हुई थी की गोपालजी ने किसी भी पोज को ज़्यादा लंबा नहीं खींचा और मुझे ज़्यादा देर तक शर्मिंदा नहीं होना पड़ा.
गोपालजी – अगला पोज है झुकना. मैडम, ये इम्पोर्टेन्ट पोज है इसका ख्याल रखना.
कहानी जारी रहेगी